बंधुओ
!कोई लड़की जिसे अपना नौकर भी बनाकर न रखना चाहे उसे पति बनाकर रखने के लिए
उसे कैसे मजबूर किया जा सकता है !वो किसी भी जाति की क्यों न हो !
' लड़कियाँ लड़कियाँ होती हैं भेड़ बकड़ियाँ नहीं जो जिसके गले चाहो उसके गले बाँध दो !'
"सवर्ण लोग अपनी लड़िकयों की शादी दलितों से करने लगें तो समाप्त हो सकता है जातिवाद !उसके बाद बंद हो सकता है आरक्षण !"-एक खबर
कितने
गंदे लोग होते हैं वे जो ऐसी दलीलें दे रहे हैं आखिर ऐसे लोग लड़कियों को
समझते क्या हैं ?लड़कियाँ कोई चीज सामान हैं क्या जो किसी के गले में लटका
दी जाएँगी !या फिर लड़कियाँ कोई जानवर हैं क्या जो उनके गले में रस्सी
बाँधकर कर किसी के पीछे हाँक दी जाएँगी !
सवर्णों की वे लड़कियाँ जिन्होंने कठोर परिश्रम पूर्वक शिक्षा ली हो
संघर्ष एवं स्वाभिमान पूर्वक उन्नति करने के सपने बुने हों अपनी योग्यता के
द्वारा राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान राजनीति चिकित्सा एवं प्राशासनिक आदि सेवा
में कोई महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल करना चाहती हों जिसके लिए उन्होंने सारे जीवन शैक्षणिक तपस्या की हो
अब जब उन्हें उनका लक्ष्य दिखने लगे तब उन्हें किसी ऐसे परिवार की बहू
जबर्दश्ती क्यों बनाया जाना चाहिए जिस घर के लोग पढ़ना न चाहते हों, जिस घर
के लोगों में स्वाभिमान भी न हो, जो लोग बिना आरक्षण के अपनी घर गृहस्थी
चलाने का साहस ही न रखते हों, आरक्षण जैसी भिक्षा के भरोसे आत्म सम्मान
विहीन जीवन जीने के लिए जो लोग आदी हो चुके हों !जो भी नेता या राजनैतिक दल
कुछ देने की बात कर भर दे कि उसी के पीछे चल पड़ते हों, ऐसे पिठलग्गुओं के
साथ कोई सुयोग्य स्वाभिमानी लड़की अपना विवाह क्यों करना चाहेगी और यदि कर भी ले तो निभेगी कितने दिन !
जो वर्ग किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा से डरता हो ऐसे डरपोक लोगों के
साथ जुड़कर कोई सुयोग्य लड़की अपनी जिंदगी क्यों बर्बाद करना चाहेगी !
जिसके माता पिता आरक्षण जैसी भीख से घृणा करते रहे हों और उन्होंने अपने
बच्चों को ऐसे संस्कार दिए हों कि बेटा परिश्रम पूर्वक पढ़ाई करके स्वाभिमान
पूर्वक ईमानदारी की कमाई से अपना जीवन यापन करना !नमक रोटी खा लेना किंतु
किसी भी प्रकार की आरक्षण जैसी भीख के भरोसे मत जीना !कोई नेता कोई
राजनैतिक दल तुम्हें कुछ देने का लोभ देकर तुम्हारा वोट लेने की बात करे
तो ऐसे लोकतंत्र विरोधी लोगों को धक्का देकर दरवाजे से भगा देना !नेता काम
करने के लिए होते हैं वो सेठ साहूकारों की तरह कुछ देने की बातें क्यों
करते हैं इसलिए ऐसी आत्म सम्मान को चोट पहुँचाने वाली बातें सहना भी मत !
ऐसे स्वाभिमानी सुसंस्कारों में पली बढ़ी कोई सुयोग्य स्वाभिमानी कन्या
किसी ऐसे व्यक्ति का वरण क्यों करना चाहेगी जिसमें कोई गुण ही न हों !ऐसी
परिस्थिति में केवल बोझ समझकर उसे सारे जीवन ढोती हुई घुट घुट कर क्यों
जीती रहे, ऐसा अन्याय क्यों किया जाए किसी ऐसी लड़की के साथ !आखिर उसका अपना
जीवन है उसे उसके अनुशार क्यों न जीने दिया जाए !
इसके विरुद्ध जो मूर्ख लोग आरक्षण समाप्त करने के लिए सवर्ण लड़कियों से
जबरन शादी करने जैसी शर्तें करते हैं ऐसे मक्कारों को क्यों न दिया जाए मुख
तोड़ जवाब !
सवर्ण कन्याओं के साथ विवाह करने की लालषा रखने वाले नौजवानों को आरक्षण
जैसी भीख का बहिष्कार करना पड़ेगा ,परिश्रम पूर्वक पढ़ना लिखना पड़ेगा,
ईमानदारी पूर्वक आरक्षण मुक्त भावना से कमाने खाने की आदत डालनी पड़ेगी और
आत्म सम्मान पूर्वक जीवन जीने का अभ्यास करना पड़ेगा भविष्य में बहुत ऊँचे
उठने का संकल्प स्वयं बुनना होगा उसी के अनुशार अपना जीवन ढालना होगा !तब
कहीं ऐसी बातें न्याय संगत मानी जा सकती हैं तब भी शादी किसी पर जबर्दश्ती
थोपी नहीं जा सकती लड़कियों को जैसा उचित लगे अपने जीवन के विषय में वे वैसा
निर्णय लेने के लिए स्वयं स्वतंत्र होंगी ।
कुल मिलाकर दलितों को स्वयं इस योग्य बनना पड़ेगा कि कोई सवर्ण लड़की उनसे
विवाह करना चाहे ! अन्यथा जो लड़की जिसकी ओर देखना न चाहे जिसके साथ उठना
बैठना न चाहे जिसके आचार व्यवहार से घृणा करती हो ऐसे किसी स्वभाव विरुद्ध
लड़के के साथ उस लड़की को वैवाहिक दृष्टि से फँसा देना कहाँ का न्याय है पहली
बात तो ऐसी बातें कोई मूर्ख व्यक्ति ही कर सकता है जिसे समझ ही न हो कि वो
बोल क्या रहा है ।
वैसे तो लड़कियों का अपना आस्तित्व है अपना स्वाभिमान है अपनी इच्छा है वो
जैसा चाहें वैसा निर्णय ले सकती हैं अपने जीवन के विषय में अगर वो माता
पिता की इच्छा से भी विवाह करती हैं तो भी पसंद ना पसंद तो उनकी अपनी ही
चलेगी और होना भी ऐसा ही चाहिए आखिर निर्वाह तो उन्हें ही करना होता है
!फिर लड़कियों पर ऐसा दबाव कैसे डाला जा सकता है जिससे उन्हें अपना भविष्य
बर्बाद होता दिखे !वैसे भी कोई सुयोग्य स्वाभिमानी सुशिक्षित कन्या अपना
जीवन साथी चुनते समय इतना ध्यान तो रखेगी ही कि वो उसी के साथ जुड़े कि
जिससे उसकी पद प्रतिष्ठा वैसे तो बढ़े किंतु यदि न भी बढ़ सके तो घटे भी न !
कोई लड़की जब किसी आचार व्यवहार शिक्षा संस्कार स्वाभिमान विहीन व्यक्ति
को अपना नौकर नहीं बनाना चाहती तो ऐसे व्यक्ति को पति कैसे बना लेगी !ऐसी
आशा भी कैसे और क्यों की जाए !
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