ऋषि मुनि भी खाते थे बीफ(गोमांस) -रघुवंशप्रसाद सिंह
किंतु रघुवंशप्रसाद सिंह पढ़े कितना हैं उनकी शिक्षा पर संशय होना
स्वाभाविक ही है उनके डिग्रीप्रमाण पत्रों की उच्चस्तरीय जाँच होनी चाहिए
!साथ ही उनके ऊपर गोहत्या के लिए उकसाने के लिए कठोर कानूनी कार्यवाही की
जानी चाहिए साथ ही हिन्दुओं के ऋषि मुनियों को बदनाम करके भारतीय संस्कृति
को विकृत करने के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए ! आखिर वे सनातन
हिन्दूधर्मियों के मन में उनके श्रद्धा पुरुषों के प्रति घृणा क्यों पैदा
करना चाह रहे हैं इस दृष्टिकोण से भी उनके इस बयान की जाँच कराई जानी
चाहिए कि ऐसा कहलाने के लिए विधर्मियों ने इन्हें कोई लालच तो नहीं दिया है
!आखिर इन्हें अचानक सपना कैसे हो गया कि ऋषि मुनि भी खाते थे !
बंधुओ !यदि ऋषि मुनि गोमांस खाते होते तो परम्परया वो पृथा आज तक चल
रही होती !दूसरी बात वो हमें गोपालन ,गो रक्षा ,गो सेवा जैसे पवित्र आचार
व्यवहार सिखाकर क्यों गए होते !आखिर उनकी मजबूरी क्या थी ? दूसरी
बात गायों की रक्षा के लिए भगवान अवतार लिया करते हैं ये बात वो हमें
सिखाकर क्यों गए होते ! तीसरी बात 'सभी जीवों पर दया करो' ये उद्घोष क्यों
किया गया होता 'अहिंसा परमो धर्मः 'उन्हीं का तो संदेश है ऐसे ऋषि वाक्यों
को हिन्दू आज तक छाती से लगाए बैठा है ! आखिर गोमाँस खाना और जीवों पर दया
करना दोनों काम साथ साथ कैसे किए जा सकते थे गोमांस पेड़ों में तो नहीं
फलता था !
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