काशीवासी
दिल्ली और लखनऊ की ओर ताकेंगे ये उम्मींद ही छोड़ दी जानी चाहिए !
काशी को काशी की नजरों से ही देखा जाना चाहिए था किंतु न कि लखनऊ और दिल्ली की नजरों से !काशी में केवल शास्त्रों का हुक्म और कालभैरव का लट्ठ चलता है !काशी की संस्कृति विरोधी बड़ी बड़ी सरकारों का पतन होते देखा गया है क्या हैं मिस्टर अखिलेश !
ये अकर्मण्य सरकार अपनी कमियाँ छिपाते हुए 2017 के चुनावों की तैयारी तो नहीं कर रही है जो सांप्रदायिक झगड़ा करवा कर मुस्लिमों को खुश करते दिखना चाहती हो ! बंधुओ !सरकारों को चाहिए कि वो अपने अपने अधिकारियों कर्मचारियों को निर्देेश दें कि तीर्थ नगरियों के निवासियों की भावनाओं के अनुरूप ही इन नगरियों की विकास योजनाएँ बनाई जाएँ क्योंकि परम्पराओं के सिद्धांतों से बँधे तीर्थबासी
बिना किसी ख़ास कारण के अपने शास्त्रीय सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते
इसलिए प्रशासन को कभी ऐसी उम्मींद नहीं करनी चाहिए कि सरकारों के द्वारा बनाए नियमों को धर्मनगरियाँ सहज ही स्वीकार कर लेंगी !
सरकारें धर्म निरपेक्ष होती हैं जबकि धर्म नगरियाँ धर्म सापेक्ष होती हैं इसलिए धर्म निरपेक्षता पर धर्म सापेक्षता को शहीद नहीं किया जा सकता !इसलिए अचानक किसी से उनकी परंपराएँ छोड़ देने या बदल देने का फरमान जारी करना प्रशासनिक अपरिपक्वता है जी ठीक नहीं है आखिर इसमें काशी बासियों की भी भावनाएँ सम्मिलित की जानी चाहिए थीं !उनका भी सम्मान करते हुए उन्हीं के अनुरूप सभी देशवासियों को काशी के प्रति वर्ताव करना चाहिए था ।
काशी में कलट्टरी करने वाले लोग ये क्यों नहीं सोचते कि काशी के कोतवाल
कालभैरव हैं उनकी अनुमति के बिना किसी की हिम्मत नहीं है कि वो काशी में रह
भी जाए उनका शासन सारे ब्रह्माण्ड में चलता है ऐसी शास्त्रीय मान्यता है
काशीवासी इसी भावना से जीते हैं इसलिए काशी में बाबा विश्वनाथ जी का शास्त्रीय संविधान ही
चलता है !काशी की विश्व विख्यात परम्परांओं का पालन करने के लिए काशीवासी
दिल्ली और लखनऊ की ओर ताकेंगे ये उम्मींद ही छोड़ दी जानी चाहिए !
No comments:
Post a Comment