Sunday, 4 October 2015

काशी हिंदू विश्वद्यालय में की गई गायों की निंदा किसी गाली से कम नहीं ! आखिर क्यों सुनते रहे जिम्मेदार लोग !

'गाय किसी की माता नहीं हो सकती, यह सिर्फ एक 

पशु है मैं भी खाता हूँ गौमांस ''-काटजू,"

 अरे काशी हिन्दू विश्वद्यालय के छात्रो !शिक्षको !सेवको ! प्रशासको ! आप लोग काशी हिंदू विश्वद्यालय के स्वप्न दृष्टा महामानव महामना मालवीय जी के इतने भी काम नहीं आ सके कि ऐसे भाषणों को बीच में ही रुकवा देते ऐसी ख़बरें अखवारों में छपने से पहले ही BHU प्रशासन की ओर से ऐसे  पापी बचनों की निंदा कर दी गई होती !अरे जिम्मेदार लोगो धिक्कार है तुम्हें  !! भावीपीढ़ियाँ थूकेंगी तुम्हें !तुम 'काशीत्व' और 'हिंदुत्व ' के प्रति इतने लापरवाह हो !'काशीत्व' और 'हिंदुत्व ' तो काशी हिन्दू विश्व विद्यालय का प्राण है वहाँ कोई गो भक्षक भेड़िया गायों को खाने का समर्थन करके चला जाए !मालवीय जी के धर्म पुत्र और पुत्रियाँ सुनती और सहती रहें !धिक्कार है ! 
      'काशीत्व' और 'हिंदुत्व ' की संस्कृति का प्राण है गो रक्षा !ऐसे महान शब्दों को अपने हृदय से चिपटा कर कैसे रखा होगा पूज्य महामना मालवीय जी ने !अन्यथा काशी 
हिन्दू विश्व विद्यालय का नाम भी कुछ और रखा गया होता ,'काशी' और 'हिन्दू' जैसे शब्दों से कितना लगाव रहा होगा उनका !आज पूज्य महामना मालवीय जी के उसी आँगन में हिंदू धर्म की छाती पर लात रखकर एक धर्म द्रोही रौंदता रहा हिन्दू संस्कृति की मान्य मान्यताओं को ! हे आधुनिक मालवीयो !हे महामना के काशी हिन्दू विश्व विद्यालयीय बंशजो ! किसी गोभक्षक भेड़िए की हिन्दू संस्कृति विरोधी बातें तुम क्यों सुनते और सहते रहे क्यों करवाते रहे काशी की गरिमा के साथ खिलवाड़ !  तुम्हें धिक्कार है !तुम्हें और वक्ता  ही नहीं मिले जो काशी हिन्दू विश्व विद्यालय की गरिमा के अनुरूप बोल पाते !     
गायों को खाने वाले पापी भेड़ियों को हिंदू नहीं माना जा सकता !
  बंधुओ !  हिंदुत्व कोई राजनैतिक दल नहीं है कि उस दल की सदस्यता लेने के बाद आप कुछ भी कर सकते हैं यह बात धर्म की ही है और धर्म का सम्बन्ध जीवन के आचार व्यवहार से होता है इसलिए किसी भी धर्म के नियमों को न मानने वाले का उस धर्म से क्या संबंध !गाय को हिन्दू धर्म शास्त्रों में पूज्य स्थान प्राप्त है सृष्टि के आरंभ काल में जब खाने पीने को कुछ नहीं था सारी  प्रजा भूख से व्याकुल थी तब प्रजापति ने  अपनी पीयूषडकार से गाय को जन्म दिया था तब गोदुग्ध से ही सृष्टि की रक्षा हुई थी इसके अलावा प्राणियों की रक्षा का कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था !तभी से प्राणदायिनी गउओं को माता माना जाने लगा गो दुग्ध आज भी पूर्ण आहार माना जाता है दुग्ध आज भी अमृत है इसी नाते से गायों को आज भी हिंदू लोग माता की तरह ही पूजते हैं । 
इसी विषय में पढ़िए हमारा ये लेख भी -

गाय खाने वाले राक्षसों का विरोध पहले भी होता था और अब भी किया
 जाएगा !see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/09
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