Friday, 23 October 2015

दलितों ,मुस्लिमों ,महिलाओं के प्रति हमदर्दी दिखाने में गिद्धों की तरह टूटते हैं नेता लोग ! फिर भूल जाते हैं उन्हें !

दादरी गाँव कुछ दिन पहले नेताओं के लिए तीर्थ सा बन गया था फिर हैदराबाद फिर jnu ,बड़े बड़े नेता पहुँचने लगे jnu धाम ! 
   दलितों ,मुस्लिमों और महिलाओं को केवल  वोट बैंक क्यों समझते हैं नेता लोग !अब डॉक्टर साहब के प्रकरण यहाँ क्यों नहीं रूचि दिखा रहे हैं नेता लोग !
प्रायः नेता लोग इन्हीं तीनों की सुरक्षा की बात करके जीतते हैं चुनाव ! इन्हीं तीनों का विकास करने की  कसमें खाते हैं इन्हीं तीनों के विकास के लिए योजनाएँ बनाते हैं पास करते हैं और खुद खा जाते हैं पास हुआ सारा धन ।  दलित ,मुस्लिम और महिलाएँ रह जाते हैं देखकर ! इन लोगों से अपने हिस्से का कभी हिसाब नहीं माँगते हैं इसीलिए ये तीनों लोग नेताओं को बहुत पसंद हैं । चूँकि सवर्ण लोग इन नेताओं से पूछते हैं कि आपका घोषित धंधा क्या  है इस लिए सवर्णों से घृणा करते हैं ये लोग ! दलितों ,मुस्लिमों और महिलाओं के हक़ के धन की धमक ही है अरबों खरबों में खेला करते हैं नेता लोग !इनसे कौन पूछता है कि क्या हैं आपकी इतनी अच्छी आय के स्रोत ! 
 नेताओं के लिए तीर्थ सा बन गया है दादरी ! हर नेता पहुँचना चाहता है दादरीधाम ! बारे नेता लोग !!
   अखलाक की हत्या से नेता लोग वास्तव में दुखी हैं या इनके स्वार्थ कुछ और हैं !आखिर जाति  संप्रदायवाद की विदाई कब होगी इस देश से !
   बंधुओ !आम आदमी पार्टी की एक रैली में एक किसान ने आत्महत्या की थी उस समय जो केजरीवाल जी अपने समस्त  ग़णों के साथ न केवल मंच पर सुशोभित होते रहे अपितु भाषण भी चलते रहे किंतु वो दस कदम दूर उस फड़फड़ाते किसान के पास उस समय नहीं पहुँच सके वे भी दादरी न केवल पहुँच गए अपितु मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने जितना कुछ बोला उसमें देश के एक नागरिक की हुई हत्या जैसे जघन्य अपराधों की  निंदा कम थी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए भविष्य में क्या कुछ सावधानियाँ बरती जाएँ उधर उतना ध्यान नहीं था जितना हिंदू मुस्लिम पर टिका था आखिर क्यों ? 'अखलाक' हम सब लोगों की तरह ही देश के नागरिक थे !किंतु जितने भी नेता वहाँ पहुँच रहे हैं उन्हें केवल उनका मुस्लिमत्व आकर्षित कर रहा है आखिर क्यों ?अन्य बहुत नेताओं के बयान भी लगभग ऐसी ही भावना से भावित सुनाई पड़ते हैं । आज उस परिवार पर मुशीबत है इन नेताओं ने हाजिरी लगाने के चक्कर में उस पीड़ित परिवार को इतना  तंग कर दिया कि अंत में उन्हें इन कृत्रिम हमदर्दों के हाथ जोड़ देने पड़े कि इससे अधिक आपकी हमदर्दी अब हम  नहीं सह सकते !बंधुओ ! जिसे जाना था वो तो चला गया किंतु इस देश से जाति  संप्रदायवाद की विदाई नहीं हो सकी ! उसके लिए सामूहिक प्रयास होने चाहिए जो स्वर अभी तक सुनाई देना बाक़ी है ।
हिन्दू मुस्लिम क्यों ?देश के एक नागरिक की हत्या हुई है !
"दादरी मर्डर :PM मोदी अपने कार्यकर्ताओं को सँभालें - आजम -NBT "
किंतु आजम साहब ! घटना ग्रेटर नोएडा की है सरकार यू.पी.में आपकी है इसलिए कानून व्यवस्था बनाकर रखने की जिम्मेदारी आपकी है जिसमें आपकी सरकार नाकाम रही है । इसमें मोदी जी का नाम घसीट कर आप घटना की गंभीरता को कम कर रहे हैं जो ठीक नहीं है । आपको केजरीवाल की तरह लगता है कि मोदी जी की आलोचना करने से हमारी भी नेतागिरी चमक उठेगी और हमारी भी गणना बड़े नेताओं में होने लगेगी ।किंतु हे नेताजी ! ऐसे लोमहर्षक कांडों का राजनीति करण करने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है आप राजनीति कहीं और कर लेना ! यहाँ तो देश के उस सम्मानित नागरिक के विषय में संवेदना पूर्वक व्यवहार करने का समय है जिसकी हत्या हुई है जिसके परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है जिन्हें रोते बिलखते देखकर मानवता दहल उठती है उन्हें हिन्दू मुस्लिम की दृष्टि से मत देखिए !उन्हें उस दृष्टि से देखिए कि अपने अपने काम से थका हारा पूरा परिवार सायंकाल घर पर इकठ्ठा हुआ होगा दिन भर के अपने अपने अनुभव एक दूसरे से कह सुन रहा होगा तभी अचानक अपने परिवार के सदस्यों के सामने मौत का सामना करना पड़ा होगा उसे ,बेबस परिवारवाले बेचारे देखकर रह गए होंगे !
आजम साहब ! आज आप मोदी जी की ओर इशारा कर रहे हैं कि वे अपने कार्यकर्ताओं को रोकें !अरे !आप कहना क्या चाहते हैं !क्या मोदी जी आपसे कहने आए कि आप अपने प्रदेश की कानून व्यवस्था न ठीक करें दोषियों पर कार्यवाही न करें !इसलिए यू.पी.सरकार निष्पक्ष रूप से राजधर्म का पालन करे !उसे जनता ने बिजयी बनाया है वो जनता को जवाब दे कि आपके प्रदेश में किसी परिवार को ऐसे दर्दनाक अत्याचार का सामना क्यों करना पड़ा !क्या करती रही आपकी सरकार और आप जैसे सरकार के सूरमा मंत्री !




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