रघुबंश प्रसाद सिंह ऋषियों का बहाना बनाकर गो हत्या का समर्थन कर रहे हैं !धर्म प्राण बिहार की जनता ऐसे पापियों को सबक सिखाए !
ऋषि मुनि भी खाते थे बीफ(गोमांस) -रघुवंशप्रसाद सिंह
किंतु रघुवंशप्रसाद सिंह पढ़े कितना हैं उनकी शिक्षा पर संशय होना स्वाभाविक ही है उनके डिग्रीप्रमाण पत्रों की उच्चस्तरीय जाँच होनी चाहिए !साथ ही उनके ऊपर गोहत्या के लिए उकसाने के लिए कठोर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए साथ ही हिन्दुओं के ऋषि मुनियों को बदनाम करके भारतीय संस्कृति को विकृत करने के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए ! आखिर वे सनातन हिन्दूधर्मियों के मन में उनके श्रद्धा पुरुषों के प्रति घृणा क्यों पैदा करना चाह रहे हैं इस दृष्टिकोण से भी उनके इस बयान की जाँच कराई जानी चाहिए कि ऐसा कहलाने के लिए विधर्मियों ने इन्हें कोई लालच तो नहीं दिया है !आखिर इन्हें see more...http://sahjchintan.blogspot.in/2015/10/blog-post_10.html
लालू जी !ईमानदार और शर्मदार लोग फाँसी से नहीं अपितु चिल्लू भर पानी में डूब मरा करते हैं !
"आरक्षण खत्म हुआ तो फांसी लगा लूंगा - लालू यादव" -आज तक
लालू जी ! ईमानदार और शर्मदार लोग अपने लिए 'चाराचोर' जैसे शब्द सुनकर जीवित कहाँ रह पाते हैं !
जनता आपसे जानना चाहती है कि आपका धंधा व्यापार क्या है और आप काम करते कब हैं आपके पास समय ही कहाँ होता है किंतु खर्चे राजा रजवाड़ों की तरह के हैं ये धन आया कहाँ से है ?आपके बेरोजगार ,अशिक्षित बच्चों के पास करोड़ों की संपत्ति है आखिर आई कहाँ से ?
ये पैसा या तो भ्रष्टाचार का है या फिर मुख्यमंत्री रहे हुए दलितों पिछड़ों के नाम पर दी गई सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें न देकर आप अपना ही घर भरते रहे या फिर स्वयं बताइए कि कहाँ से आई आपके वा आपके बेटों के पास इतनी अकूत संपत्ति ?
हे लालू जी ! दलितों और पिछड़ों के नाम पर विधवा विलाप मत कीजिए और लौटा दीजिए उनके हकों का हिस्सा जिनके लिए आज फाँसी पर झूलने का ड्रामा कर रहे हैं आप !वैसे भी भारतवर्ष आप लोगों के दिए हुए घाव इतने अधिक सह चुका है आपकी भाषा से इतना अधिक आहत है कि अब आप जैसों को राजनीति से विदा करने का मन बना चुका है । आप निरंतर मर्यादाएँ लाँघते जा रहे हैं जनता के सहने की भी आखिर कोई तो see more...http://sahjchintan.blogspot.in/2015/10/blog-post_61.html
"आरक्षण खत्म हुआ तो फांसी लगा लूंगा - लालू यादव" -आज तक
लालू जी ! ईमानदार और शर्मदार लोग अपने लिए 'चाराचोर' जैसे शब्द सुनकर जीवित कहाँ रह पाते हैं !
जनता आपसे जानना चाहती है कि आपका धंधा व्यापार क्या है और आप काम करते कब हैं आपके पास समय ही कहाँ होता है किंतु खर्चे राजा रजवाड़ों की तरह के हैं ये धन आया कहाँ से है ?आपके बेरोजगार ,अशिक्षित बच्चों के पास करोड़ों की संपत्ति है आखिर आई कहाँ से ?
ये पैसा या तो भ्रष्टाचार का है या फिर मुख्यमंत्री रहे हुए दलितों पिछड़ों के नाम पर दी गई सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें न देकर आप अपना ही घर भरते रहे या फिर स्वयं बताइए कि कहाँ से आई आपके वा आपके बेटों के पास इतनी अकूत संपत्ति ?
हे लालू जी ! दलितों और पिछड़ों के नाम पर विधवा विलाप मत कीजिए और लौटा दीजिए उनके हकों का हिस्सा जिनके लिए आज फाँसी पर झूलने का ड्रामा कर रहे हैं आप !वैसे भी भारतवर्ष आप लोगों के दिए हुए घाव इतने अधिक सह चुका है आपकी भाषा से इतना अधिक आहत है कि अब आप जैसों को राजनीति से विदा करने का मन बना चुका है । आप निरंतर मर्यादाएँ लाँघते जा रहे हैं जनता के सहने की भी आखिर कोई तो see more...http://sahjchintan.blogspot.in/2015/10/blog-post_61.html
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