चूँकि 'लालू' शब्द का कोई अर्थ नहीं होता इसलिए हम आपस में बुला लेते हैं 'चालूप्रसाद ' !
अर्थ विहीन लालू शब्द का कोई अस्तित्व
ही नहीं है इसलिए ये शब्द ही झूठा है ! ऐसे झूठे लोगों
की बातों पर भरोसा कैसे किया जाए ! शिव प्रसाद का अर्थ होता है शिव जी का प्रसाद ,राम प्रसाद का अर्थ होता है राम जी का प्रसाद ,इसी प्रकार से दुर्गाप्रसाद का अर्थहोता है दुर्गा जी का प्रसाद किंतु लालू प्रसाद माने क्या ?
'लालू' शब्द का अर्थ किसी शब्दकोष में कुछ मिलता नहीं है जबकि 'चालू' शब्द का अर्थ 'चालाक' होता है !महाशय चालक इतने हैं कि दलितों पिछड़ों गरीबों पशुओं का हिस्सा डकार गए आज घर भर चढ़े घूम रहे हैं जहाजों पर !ये दलितों पिछड़ों गरीबों केहिस्से का पैसा नहीं तो आखिर किसकी कमाई है खुद बाप बेटे तो कुछ करते नहीं हैं जबकि बातों से दलितों पिछड़ों के इतने बड़े हितैषी दिखाई पड़ते हैं कि फँसी पर झूलने को तैयार हैं ये चालाकी नहीं तो क्या है !
चालूप्रसाद की बोली भाषा चुनाव लड़ने वालों की तरह नहीं लग रही वो सीधे सीधे उन्माद फैला रहे हैं उनकी भाषा असह्य है । कभी सवर्णों को दोषी ठहरा देना कभी दलितों और पिछड़ों के हितैषी बनने के नाटक में अपने को फाँसी के फंदे तक पर लटकने को तैयार बता देना ! कभी किसी को नर भक्षी बता देना !ऐसी सतही भाषा के प्रयोग की उम्मींद किसी राजनेता से कैसे की जा सकती है ।
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