Saturday, 10 October 2015

लालू जी !ईमानदार और शर्मदार लोग फाँसी से नहीं अपितु चिल्लू भर पानी में डूब मरा करते हैं !

"आरक्षण खत्म हुआ तो फांसी लगा लूंगा - लालू यादव" -आज तक 
लालू जी ! ईमानदार और शर्मदार लोग अपने लिए 'चाराचोर' जैसे शब्द सुनकर जीवित कहाँ रह पाते हैं !   जनता आपसे जानना चाहती है कि आपका धंधा व्यापार क्या है और आप काम करते कब हैं आपके पास समय ही कहाँ होता है किंतु खर्चे राजा रजवाड़ों की तरह के हैं ये धन आया कहाँ से है ?आपके बेरोजगार ,अशिक्षित बच्चों के पास करोड़ों की संपत्ति है आखिर आई कहाँ से ?
        ये पैसा या तो भ्रष्टाचार  का है या फिर मुख्यमंत्री रहे हुए दलितों पिछड़ों के नाम पर दी गई सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें न देकर आप अपना ही घर भरते रहे या फिर स्वयं बताइए कि कहाँ से आई आपके वा आपके बेटों के पास इतनी अकूत संपत्ति ?
      हे लालू जी ! दलितों और पिछड़ों के नाम पर विधवा विलाप मत कीजिए और लौटा दीजिए उनके हकों का हिस्सा जिनके लिए आज फाँसी पर झूलने का ड्रामा कर रहे हैं आप !वैसे भी भारतवर्ष आप लोगों के दिए हुए घाव इतने अधिक सह चुका है आपकी भाषा से इतना अधिक आहत है कि अब आप जैसों को राजनीति से विदा करने का मन बना चुका है । आप निरंतर मर्यादाएँ लाँघते जा रहे हैं जनता के सहने की भी आखिर कोई तो सीमा होती ही होगी !

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