दलित ,मुस्लिम और महिलाएँ केवल वोट होती हैं क्या ? इनकी इंसानियत की हत्या क्यों की जा रही है इन्हें बेचारा असहाय और भिखारी बनाकर क्यों पेश किया जाता है !
यदि जातियों से तरक्की होती होती तो सवर्णों में कोई गरीब क्यों होता !और दलितों में कोई रईस क्यों होता !
इसलिए जो जागा वहाँ सवेरा बाक़ी सब अँधेरा ही अँधेरा ! सफलता किसी की सगी नहीं होती !
दलितों को हमेंशा कुछ देने की बात क्यों होती है क्या वो भिखारी हैं क्या वो कामचोर हैं क्या वो मक्कार हैं क्या वो बीमार हैं आखिर किसी सवर्ण जाति का कोई गरीब बच्चा अपने और अपने संघर्ष के बलपर बचपन में ही अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाता है और उसे पाने के लिए वो अपनी सारी ऊर्जा लगा देता है और अधिकांश लोग पाने में सफल भी हो जाते हैं इसीलिए सवर्ण जातियों विकसित लोगों का अनुपात अधिक है क्योंकि वो केवल अपनी भुजाओं पर भरोसा करते हैं और मेहनत करके संघर्ष पूर्वक विद्या अर्जन करते हैं!
बंधुओ ! ऐसा दलित क्यों नहीं कर सकते हैं आखिर वो भी अन्य लोगों की तरह ही परिश्रमी होते हैं निरंतर संघर्ष करने के अभ्यासी होते हैं और सारे जीवन संघर्ष करते रहते हैं किंतु कमी केवल इतनी रह जाती है कि वो कोई एक लक्ष्य नहीं बना पाते हैं इसलिए लक्ष्य हासिल करने के सपने भी नहीं देखते तो वो पूरे कहाँ से हों !और जो ऐसा कर पाते हैं उन दलित जाति के लोगों ने स्वदेश से लेकर विदेशों तक झंडा गाड़ा है उन्हें कोई रोक पाया है क्या ?दलितों में भी एक से एक बड़े उद्योगपति हैं जबकि लक्ष्य हीं सवर्णों में भी एक से एक गरीब हैं । यदि जातियों से तरक्की होती होती तो सवर्णों में क्यों कोई गरीब होता !नेता लोग दलितों को आरक्षण आदि कुछ न कुछ देने की ही बातें बोल बोल कर उनमें भिखारी भावना पैदा करते हैं और छीन लेते हैं उनका स्वाभिमान और चुरा ले जाते हैं उनके लक्ष्य ! ऐसे लक्ष्य भ्रष्ट लोगों को सारे जीवन इसी रोटी धोती आटा दाल चावल में फँसाए रहते हैं इससे कभी निकलने ही नहीं देते हैं । ये बेशर्म अपनी छाती ठोक ठोक कर कहते हैं कि मैं दलितों मुस्लिमों के अधिकारों के लिए हमेंशा लड़ा हूँ अब हमारे लड़के लड़ेंगे ! कहने का मतलब आप लोग अभी तक हमें विधायक सांसद आदि बनाते रहे हो अब हमारे बच्चों को बनाते रहना !कितने बेशर्म हैं ये लोग ! यदि इन्हें ऐसा ही लगता है कि हमें दलितों और मुस्लिमों को ही आगे बढ़ाना है तो अपनी पार्टियों के जिम्मेदार पदों पर डेल्टन और मुस्लिमों को ही क्यों नहीं बैठाते हैं वहां अपने ही बेटा बेटी भाई भतीजा साला साली आदि नाते रिस्तेदार ही चिपका कर रखते हैं कितने गंदे होते हैं ये नेता लोग !
देश के मुस्लिम ,दलित और महिलाएँ भी जब इसी देश के नागरिक हैं तो वो भी लोकतांत्रिक देश में संवैधानिक भूमिका का उतना ही निर्वाह करते हैं जितना कोई और !साथ ये तीनों भी अपने को किसी से कम नहीं मानते सबकी सबसे बराबरी है और होनी भी चाहिए ! देश के अन्य नागरिकों की तरह ही मुस्लिमों ,दलितों ,महिलाओं के प्रति भी कोई अत्याचार हो तो उसे भी देश के प्रति समर्पित किसी नागरिक के साथ हुआ अपराध माना जाए !साथ ही उसके साथ निपटने के आचार व्यवहार में भी सरकारों नेताओं एवं मीडिया का जोर मुस्लिम ,दलित और महिला न होकर अपितु देश के किसी सम्मानित नागरिक के साथ हुआ अपराध माना जाए ! नेता लोग पहले तो आग सुलगाते हैं फिर पकाते हैं उस पर राजनैतिक रोटियाँ !मुस्लिमों और दलितों पर होने वाले अत्याचारों पर कार्यवाही कम हमदर्दी का प्रदर्शन अधिक होता है ?पता नहीं क्यों नेताओं को ये इंसान कम एक वोटर अधिक दिखते हैं ऐसे नेताओं और मीडिया कर्मियों की नियत ठीक नहीं है उनके आचार व्यवहार में पीड़ित परिवार की मदद भावना कम अपितु राजनीति करने की भावना अधिक झलकती है जो ठीक नहीं है ।
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