चुनावों के समय आम आदमी की कसमें खाने वाले तरह तरह के लालच आश्वासन देने वाले अपने नेता लोग क्यों भूल जाते हैं देश के आम आदमियों को !ऐसा हर बार होता है !इनकी बातों पर भरोसा कैसे जाए और न करने से बात कैसे बनेगी !इस दुविधा में जी रही है जनता !
सैलरी विधायकों सांसदों सरकारी कर्मचारियों की बढ़े जिनकी पचास हजार है उनकी लाख हो जाए जिनकी लाख है उनकी दो लाख हो जाए इसी प्रकार और भी बढ़े किंतु जिस जनता को दस पाँच हजार की भी निश्चित आय का सहारा न हो वो कहाँ मर जाएँ !उन्हें जहर ही दे दिया जाए यदि जीवन नहीं दिया जा सकता ! जितने बेतन आयोग बनते हैं या सरकारी योजनाएँ किंतु इनमें सम्मिलित सभी लोग तो सरकारी होते हैं क्या नेताओं के हाथ में अपनी बागडोर जनता इसलिए देती है कि नेता लोग केवल अपना और अपने कर्मचारियों का भला करें और जनता को को केवल आश्वासन दें तथा किसानों को 35 -35 रुपए के चेक !
हे श्रीमानो ! आप लोग कभी ये क्यों नहीं सोचते कि जब तुम्हारा गुजारा हजारों लाखों में नहीं हो पा रहा है तो देश की गरीब जनता कैसे जी रही होगी इस महँगाई में जिसके पास हजारों की आमदनी भी निश्चित नहीं है ! क्या उसे भूख नहीं लगती होगी बीमारी आरामी का सामना तो उसे भी करना पड़ता होगा उन्हें भी अपने बच्चों के काम काज करने होते होंगे उन्हें भी तिथि त्योहारों का सामना करना पड़ता होगा ,उनके बच्चे भी मेला जाने के लिए मचलते होंगे ,उनकी भी महिलाएँ बढ़ी बढ़ी बाजारों मालों में खरीदारी कर चाहती होंगी उनके बच्चे भी सब सुख सुविधा सम्पन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ना चाहते होंगे उनका भी मन होता है अच्छी अच्छी चीजें खाने पहनने का आखिर कहाँ तक गरीब लोग अपना एवं अपने बच्चों का मन मारते रहें !देश को मिली आजादी में उन ग़रीबों के पूर्वजों का क्या कोई योगदान नहीं है ऐसा नेता लोगों ने मान लिया है और यदि यही सही है तो देश के आम आदमी के लिए आपके और अंग्रेजों के शासन में क्या अंतर है !
ऐ सरकारों में सम्मिलित लोगो ! तुम विधायकों सांसदों सरकारी कर्मचारियों की सैलरी इसलिए बढ़ा रहे हो कि वो तुम्हारे अपने हैं किंतु आम जनता का अपराध क्या है कि वो भी तुम्हें ही अपना मंत्री मुख्यमंत्री प्रधान मंत्री आदि मानती है आखिर तुम यदि केवल अपनी और अपनों की चिंता करते रहोगे तो आम जनता की चिंता कौन करेगा !
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