गीता की धर्म निष्ठा एवं राष्ट्र निष्ठा प्रशंसनीय !गीता को स्नेह देने में गलती क्या है? केजरीवाल जी !ऐसे प्राणियों को सँभाल कर रखिए !ऐसे समयों में ये शैली उचित नहीं है !
"सुषमा जी ने नेतात्व छोड़कर बहन और माँ जैसी आत्मीयता दी है गीता को !इसके लिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए !!"
"जितना सम्मान गीता को मिला है सरकार और मीडिया ने इतना सम्मान तो कभी शहीदों को नहीं दिया है -अलका लाँबा "
किंतु अलका जी ! यहाँ गीता की कमाई किसी को नहीं खानी है और न ही वो कोई बहुत बड़ी राजनायिक हैं जिस कारण उनकी इतनी चाटुकारिता कर रही है सरकार !
अलका जी ! बुरा मत मानना किंतु यदि तुमने भी इस प्रकरण को भारतीय संस्कृति या महिला हृदय की आँखों से देखा होता तो शायद चुभता नहीं !ये राजनैतिक आँखों से आत्मीय व्यवहार नहीं देखे जा सकते !
अलका जी ! वैसे भी गीता के साथ किए गए व्यवहार को सम्मान नहीं अपितु स्नेह कहते हैं जो हर माता पिता नाते रिश्तेदार गाँव घर के लोग अपनी बच्चियों से करते हैं ये अपनी संस्कृति रही है जो आज लुप्तप्राय होने लगी थी जिसे प्रेसवार्ता के बीच सुषमा जी के हावभावों से जीवित होते देखा गया है उस समय सुषमा जी नेता बिलकुल नहीं लग रही थीं उनके चेहरे पर जो ख़ुशी थी वो एक नेता के चेहरे पर हो ही नहीं सकती नेताओं के हृदयों में इतनी मृदुता कहाँ पायी जाती है वहाँ तो सबकुछ बनावटी करना होता है किंतु सुषमा जी का एक एक हाव भाव एक एक शब्द विन्यास वास्तव में सराहनीय था !इस विषय में पाक सरकार की सराहना में कहे गए वो सधे संतुलित तथा आत्मीय एवं उनके अच्छे कामों के लिए उत्साह बर्द्धक शब्द बहुत सुंदर लग रहे थे । इस विषय में वे वास्तव में भारतीय संस्कृति का परिचय देने में सफल रहीं ! काश ! देश में यही भावना सभी के मन में सभी बहन बेटियों के प्रति आ जाए तो माताओं बहनों की सुरक्षा के लिए क्यों हमें गिड़गिड़ाना पड़े पुलिस के सामने !
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