Tuesday, 1 December 2015

Dalita

पुनियाँ साहब हों या कुमारी शैलजा जी जाति बताने में यदि  बुरा लगता है तो छोड़ें आरक्षण का लोभ !
     इसी बहाने देेश देखता तो है कि ये लोग बेचारे अपने बल पर तरक्की नहीं कर सकते इसलिए सवर्णों को झूठ मूठ का दोषी ठहरा रहे हैं अन्यथा सवर्णों की संख्या इतनी कम थी आखिर बहुसंख्य दलितों का शोषण उन्होंने किया कैसे होगा और दलितों ने सहा क्यों होगा !  इसके उत्तर भी मिलने चाहिए भारतीय स्वस्थ समाज को !

लोक सभा चुनाव में मायावती जी को दलितों ने दुदकारा तो अब दिमाग ठिकाने आया !
   दलितों की दुर्दशा के लिए सवर्णों को दोषी बताने वाली मायावती जी का झूठ अब दलित भी सुनने को तैयार नहीं हैं अन्यथा लोकसभा चुनावों में बसपा को किसी लायक नहीं छोड़ते हमारे दलित भाई बहन !इसके लिए उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने ने अपने सवर्ण भाई बहनों पर भरोसा किया और समझी सच्चाई ! दलित बंधु बसपा का साथ देते तो क्या लोक सभा चुनावों में इतनी दुर्दशा होती बसपा की !see more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_5.html

 दलितों ने मायावती जी को समझ लिया और मायावती  जी ने दलितों को !अब जागा सवर्ण प्रेम !
दलितों को अब समझ में आ गया है कि अपने को दलित कहने वाले इन नेताओं  के पास इतने पैसे आए कहाँ से आए !राजनीति में आते समय तो इनके पास कुछ भी नहीं था अब कहाँ से आयीं इतनी संपत्तियाँ !आखिर इतने दिनों में इन्होंने क्या धंधा व्यापार कर लिया है कहाँ चल रहे हैं उद्योग धंधे कैसी इकट्ठी हुई इतनी संपत्ति !ये दलितों का विकास करने के नाम पर दलित समाज का ही छीना हुआ हक़ हो सकता है अन्यथा बताएँ मायावती जी क्या है इस संपत्ति की सच्चाई !see more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_5.html

दलित  समाज में विकास की गंगा बहा चुकी मायावती जी अब सवर्णों पर कृपा करना चाहती हैं !
      अब सवर्णों को भी मोदी जी से आरक्षण दिलाना चाहती हैं बेचारी !इतने दिन तक सवर्णों के लिए बनी रहीं कठोर हृदया मायावती जी का अब अचानक ह्रदय परिवर्तन हुआ है या अब करना चाहती हैं अपने पापों का प्रायश्चित्त !"तिलक तराजू औ तलवार इनके मारो जूते चार ।" ऐसे श्लोगन किसके दिमाग की उपज थे किसने उछाले थे !क्या वास्तव में सवर्णों के आचरण इतने बुरे थे जितना मायावती जी ने सवर्णों को बदनाम किया है ।see more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_5.html

अगड़ी जातियों को भी आरक्षण दें मोदी - मायावती
   किंतु मायावती जी !ऐसा आरक्षण नहीं चाहिए सवर्णों को ! स्वाभिमानी सवर्ण लोग सरकारी दयादोहन के बल पर ज़िंदा नहीं रहना चाहेंगे ! आरक्षण के बलपर प्रतिष्ठा किसी को मिली नहीं सम्मान किसी का बढ़ा नहीं पुरस्कार किसी को मिला नहीं ! आरक्षण से कुछ लोगों के पेट भरने का जुगाड़ भले हो गया होगा किंतु पेट तो पशु भी भर लेते हैं फिर पेट भरने के लिए आरक्षण माँगा जाए ये तो स्वाभिमान के विरुद्ध है ! सवर्ण अपने परिश्रम से कमा खा सकते है परिवारों का भरण पोषण कर सकते हैं उनके लिए आरक्षण माँगकर क्यों बदनाम कर रहे हो सवर्णों को !वैसे भी पिछड़ी जातियों को ही आरक्षण का आदी  बनाकर बर्बाद कर दिया गया अन्यथा अपना भरण पोषण तो वो भी अपने बल पर कर सकते थे फिर आरक्षण उन्हें भी क्यों ?जी लेने देते थोड़े दिन उन्हें  स्वाभिमान से । एक ठप्पा लगा दिया कि ये लोग अपने बलपर नहीं कर सकते हैं अपनी तरक्की ।  अब जब वो अपने बल पर अपनी तरक्की करने लायक नहीं रह गए तो अब अगड़ी जातियों पर साधा है निशाना !सवर्णों को ऐसा आरक्षण नहीं चाहिए जो उन्हें कामचोर मक्कार सिद्ध करे जो उनके स्वाभिमान पर चोट कर रहा हो ऐसा आरक्षण नहीं चाहिए सवर्णों को !see more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_5.html

धिक्कार है ऐसे शासन और सरकारों को जहाँ जनता अपने विरुद्ध हो रहे अत्याचारों का कम्प्लेन करने से भी डरती हो !
दिल्लीवालों का भरोसा जीतने के लिए सरकार और सरकारी तंत्र भी कुछ तो करे !     दबंगों  के विरुद्ध जनता कैसे लड़े ?जनता को सलाह दी जाती है कि पुलिस में कम्प्लेन कर दो या कोर्ट में केस कर दो किंतु ये सब करने की अपेक्षा आत्महत्या करना ज्यादा सरल लगता है जनता को क्योंकि ऐसे लोगों का साथ कोई सरकारी तंत्र देगा इस बात से तो समाज का भरोसा ही टूट चुका है आज जैसी कानून व्यवस्था है अपने देश में उसमें भरोसा किस पर किया जाए !और जब ये हाल दिल्ली का हो तो देश का क्या होगा !
    दबंद लोग आज कहीं भी कब्ज़ा कर लेते हैं छत पर रखी हुई किसी की टंकियों का पानी बंद कर देते हैं किसी की कार की हवा निकाल देते हैं किसी को गालियाँ देने लगते हैं किसी को चांटा मार देते हैं सरकार ऐसे लोगों के विरुद्ध अपने आपसे कोई एक्सन क्यों  नहीं लेती है ऐसे लोगों के ऊपर कम्प्लेन करने  से लोग डरते हैं क्योंकि प्रशासन की ओर से उनकी सुरक्षा की कोई श्योरिटी नहीं होती है आखिर किससे कम्प्लेन कहें दिल्ली वाले जिन पर भरोस हो !see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/12/dilli.html



No comments: