ये सुंदरनगरी की झुग्गी बस्ती ही थी जिसने केजरीवाल जी को मुख्यमंत्री बना दिया किंतु वही केजरीवाल जी नहीं आए झुग्गियों के काम ! और गिरा दी गईं बेचारी झुग्गियाँ !ये झुग्गियों वाले नेता हों या नेताओं वाली झुग्गियाँ ?नेताओं के लिए अतिप्रिय होती हैं झुग्गियाँ !ये नेताओं के बड़े काम आती हैं - गर्मी में एक बार जला दी जाती हैं झुग्गियाँ !बरसात में एक बार बहा दी जाती
हैं झुग्गियाँ ! शर्दियों में एक बार गिरा दी जाती हैं झुग्गियाँ ! झुग्गियों का नाम रटते रटते अच्छे खासे लोग नेता बन जाते हैं विधायक सांसद मंत्री जैसे बड़े बड़े पदों पर पहुँच चुके हैं झुग्गियों वाले नेता !
केजरीवाल जी ने विज्ञापन के लिए पास किए पाँच सौ चौबीस करोड़ और विधायकों की सैलरी बढ़ाई अलग से और झुग्गियों के हिस्से आया उनका वही पुराना रोना धोना वही रूखी सूखी हमदर्दी !बारी नेता गिरी बारे नेता !
पूर्वीदिल्ली की झुग्गी बस्ती सुंदर नगरी के प्रोडक्ट हैं दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री केजरीवाल जी !क्या अनशन करने लिए उन्हें कोई और जगह नहीं मिली थी किंतु झुग्गियों में जो सहानुभूति मिली वो और कहीं नहीं मिलती !
गरीबों की क्या मकान तोड़ दिए जाते हैं किसी को पता ही नहीं लगता !गरीबों की बात कहता ही कौन है ?
कुछ प्रभावशाली नेता लोग गाँवों से आए हुए रोजगार पीड़ित गरीबों को कम मजदूरी देकर अपने यहाँ काम पर रख लेते हैं उनके रहने के लिए खाली जगहों पर झुग्गियाँ डलवा देते हैं और छोटे छोटे बच्चों से लेकर महिलाएँ पुरुष आदि सारा परिवार नेता जी के घर से फैक्ट्रियों तक के लिए सभी काम सँभालते रहते हैं नेता उन्हें केवल इतने पैसे देते हैं कि वो न मोटे हों और न मरें बस उनके का लायक ज़िंदा बने रहें वो यही करते भी हैं ! उनकी मजदूरी भी नेता जी अपने घर से नहीं देते उन्हीं झुग्गियों से निकालते हैं उनकी मजदूरी !गरमी में एक बार जला दी जाती हैं झुग्गियाँ बरसात में एक बार बहा दी जाती हैं झुग्गियाँ और शर्दियों में एक बार गिरा दी जाती हैं झुग्गियाँ ! और फिर बेचारे उन्हीं झुग्गीवालों को आगे करके सरकारों से लिया जाता है अच्छा खासा मुआबजा !
झुग्गियाँ बहा दी जाएँ जला दी जाएँ या गिरा दी जाएँ तीनों ही परिस्थितियों में फायदा झुग्गियों के मालिक नेताओं का ही होता है !ये लोग तुरंत मीडिया को बुलाते हैं और झुग्गियों के रोते बिलखते बच्चे आगे खड़े करके फिर इतनी उछाल कूद करते हैं बड़ी बड़ी बीर रस की बातें कर कर के झुग्गी वालों की लड़ाई लड़ने की बड़ी बड़ी बातें करते हैं और फिर मुआवजे के नाम पर जो धन दिलवाते हैं उसमें अँगूठा किसी का लगे मिले किसी को किंतु पहुँचता नेताओं के है !कुल मिलाकर जिस नेता की जितनी अधिक झुग्गियाँ उसकी उतनी अधिक आमदनी उसके पास उतनी अधिक लेबर साथ ही उसके उतने अधिक वोट !
झुग्गी में रहने वाले लोग भी हट्टे कट्टे स्वस्थ होते हैं मेहनत करते हैं और नहीं करते हैं तो कर सकते हैं उससे अच्छी खासी कमाई होती होगी या हो सकती होगी आखिर घर भर परिश्रमी होते हैं इतना सब होने के बाद भी वो झुग्गियाँ बनाकर रहते क्यों हैं इतनी कमाई तो होती ही है न अपना तो किराए के मकान में तो अच्छे ढंग से रह ही सकते हैं और यदि वो इतना भी नहीं कर सकते तो क्या केवल पेट भरने के लिए पड़े होते हैं महानगरों में और यदि ऐसा भी हो तो पेट तो कहीं भी भरा जा सकता है उसके लिए दिल्ली जैसे महानगरों की ही जरूरत क्यों है गाँव इतने बुरे होते हैं क्या ?किंतु इन झुग्गीवालों के सहयोग से विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री और भी बहुत कुछ बनने वाले नेताओं को बहुत प्यारी होती हैं ये झुग्गियाँ !इसलिए झुग्गीवालों को अपने आगे पीछे चलाने के लिए फँसा कर रखते हैं ये नेता लोग !
झुग्गियों में बीस बीस तीस तीस वर्ष से इन्हें रखा जा रहा हैं हे नेताओ !यदि इन झुग्गी वालों से थोड़ी भी हमदर्दी थी तो अभी तक दिल्ली और केंद्र में काँग्रेस की सरकारें थीं तब इन झुग्गियों की जगह आवासों की व्यवस्था क्यों नहीं करवाई आपने ?
इसी प्रकार से अब केजरीवाल जी जब से सरकार में आए तब से जनता गाढ़ी कमाई के 524 करोड़ रूपए विज्ञापन के नाम पर खा गए !इसके बाद सभी विधायकों की सैलरी बढ़ा ली बस अपना और अपनों का ही पेट भररने में लगें हैं केजरीवाल जब उनका और उनके विधायकों का पेट भरे तब शायद आवे झुग्गी वालों का भी नंबर !
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