बेईमान अधिकारियों कर्मचारियों की पहचान कैसे हो ?कोई भ्रष्टाचार से कोई सैलरी बढ़ाकर अपना तो कोटा पूरा का लिया जा रहा है जनता अपना कोटा कूड़ा करने के लिए अपराध करे क्या ?कैसे चलावे वो अपना गृह खर्च ! बंधुओ !सरकारी विभागों में आम कर्मचरियों के बीच ही डाली जाएँ अधिकारियों की भी कुर्सियाँ उनकी पहचान अलग से बताए बिना !सरकारी विभागों से AC तो हमेंशा हमेंशा के लिए हटा ही दिए जाएँ आखिर इस बात का एहसास तो उन्हें भी करवाया जाए कि ये कार्य क्षेत्र है आराम क्षेत्र नहीं !
"हेड कॉन्स्टेबल के पास मिले 5 घर, 6 प्लॉट, एक SUV समेत 4 गाड़ियां,और भी बहुत कुछ -एक खबर "
किसी एक कर्मचारी को पकड़ लेने का मतलब ये तो नहीं होता है कि अपराधी केवल वही है बाकी सब रामराज्य है ! सच्चाई ये है कि अपराधी भ्रष्टाचारी और भी होंगे किंतु भ्रष्टाचार को पकड़ने के लिए जिम्मेदार विभाग जब तक उन्हें बचा पाएँगे तब तक बचाते रहेंगे जनता तो भ्रष्टाचार पकड़ने जाएगी नहीं !जब कोई बहुत मजबूरी आ जाएगी तब सोचा जाएगा उनका भ्रष्टाचार पकड़ने के बारे में !फिलहाल अभी तक तो सरकारी कर्मचारियों के विषय में ऐसे ही चल रही हैं सरकारी नीतियाँ !मैं तो कहता हूँ बड़े बड़े अधिकारियों की गाड़ियों से हटवाई जाएं उनकी नाम पट्टिकाएँ पहचान के लिए केवल उनकी जेब में आईडी हो बस !सरकारी विभागों में आम कर्मचरियों के बीच डाली जाएँ अधिकारियों की भी कुर्सियाँ उनकी पहचान अलग से बताए बिना !सरकारी विभागों से AC तो हमेंशा हमेंशा के लिए हटा दिए जाएँ आखिर इस बात का एहसास तो उन्हें भी करवाया जाए कि ये कार्य क्षेत्र है आराम क्षेत्र नहीं !देश के किसान तपती धूम में भरी दोपहर में गर्मियों में काम किया करते हैं क्या उन्हें गरमी नहीं लगती है !किंतु उनकी मजबूरी है इसलिए सहते हैं वो !आज सरकारी विभागों में दिन दिन भर बेकार में चला करते हैं AC फुँका करती है बिजली ,दूसरी ओर वर्षा जैसी अँधेरी रातों में गावों में लोगों को सर्प काट लेता है किंतु पता नहीं लग पाता है कि लकड़ी चुभी है या सर्प ने काटा है वर्षा प्रभाव से माचिस भी नहीं जलती है जब तक पता लगता है तब तक देर हो चुकी होती है क्या उन्हें एक बल्व नहीं चाहिए !इसी प्रकार डेंगू का शोर मचाने वाली सरकारें ये क्यों नहीं सोचती हैं कि उन गाँवों का क्या होगा जहाँ बिजली नहीं है वो बेचारे अपने बाल बच्चों की रक्षा कैसे करें डेंगू मच्छरों से !क्या उनके यहाँ बिजली पहुँचाना सरकार का कर्तव्य नहींहै ?
भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों का दंश भोगती है जनता उन पर अंकुश लगाने के लिए जनता के पास कोई अधिकार नहीं होते जबकि उनसे जूझना जनता को पड़ता है सरकारी कामकाज की निगरानी के लिए आफिसों में सीनियर अधिकारी जब सरकारों के द्वारा धक्के देकर भेजे जाते हैं तब वहाँ पहुँचते ही ठंडे और गरम की व्यवस्था मिलती है सविधि आर्थिक पूजन किया जाता है उनका बेचारे अभिभूत होकर खाते पीते और चले आते हैं ठीक ठाक काम होने का सर्टिफिकेट देकर !भोगती तो जनता है किंतु अधिकारी जनता से बात क्यों करे उसकी बेइज्जती जो होती है !
कोई भी सरकारी अफसर या जाँच एजेंसी तब तक किसी विभाग या अधिकारी पर अंकुश नहीं लगाती जब तक वो बहुत अधिक बदनाम नहीं हो जाता !जब चारों ओर थू थू मच चुकी होती है तब उसे पकड़कर दिखाया जाता है कि देखो -"मध्य प्रदेश में हेड कॉन्स्टेबल के पास मिले 5 घर, 6 प्लॉट, एक SUV समेत 4 गाड़ियां," किंतु इसके लिए जनता क्या करे !लापरवाही तुम्हारी कामवाते तुम रहे अब पकड़ा भी तुम्हीं ने तुम्हारी मजबूरी तुम्हीं जानो !
हमारा प्रश्न तो सरकारी सक्षम ईमानदार उन अधिकारियों से है जो ऐसे लोगों को प्रारम्भ में नहीं पकड़ पाते हैं ऐसे सरकारी विभागों में ऐसे तो बहुत लोग होंगे जो ये सब कर रहे होंगे हो सकता है कि उनके पास इससे कई गुना अधिक हो भ्रष्टाचार का पैसा !किंतु उनकी जब तक आम समाज में दुर्गन्ध न फैले तब तक वो नहीं पकड़े जाएँगे अर्थात आम समाज किसी अधिकारी से जब तंग हो जाए तब वो शोर मचावे तब पकड़े जाएँगे भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी !किन्तु शोर जनता न माचवे तो भ्रष्टाचारियों का रामराज्य !
ऐसे प्रकरणों में सरकार के उन अधिकारियों के साथ भी वही सलूक होना चाहिए जिनकी जिम्मेदारी थी ऐसे भ्रष्टाचारियों को पकड़ने की और माना जाना चाहिए कि इनकी मिली भगत से होता रहा है भ्रष्टाचार !जिस अधिकारी या कर्मचारी ने भ्रष्टाचार किया जितना दोषी वो है उससे अधिक दोषी वो है जो उस भ्रष्टाचारी को प्रारम्भ में ही नहीं पकड़ सका !उसको प्रमुख अपराधी माना जाना चाहिए क्योंकि अपराध की जड़ में अपराधी न होकर अपितु वे लोग होते हैं जो उस अपराध को पकड़ने के लिए जिम्मेदार थे किंतु पकड़ नहीं पाए !जिस दिन अधिकारियों कर्मचारियों पर इस प्रकार का दायित्व डाला जाएगा उस दिन रुकेगा भ्रष्टाचार !अन्यथा एक भ्रष्टाचारी को पकड़कर सिस्टम से ईमानदारी की अपेक्षा नहीं की जा सकती !
विशेष बात ये भी है कि जिस विभाग में कोई एक भी भ्रष्टाचार करता है उसमें सम्मिलित तो लगभग पूरा विभाग ही होता है क्योंकि उन सबको पता होता है उस भ्रष्टाचार का ! हाँ ,कुछ ईमानदार लोग उसमें हिस्सा नहीं लेते किन्तु उससे अनभिज्ञ नहीं होते और ये कहकर बच जाते हैं कि हम क्यों बुराई लें जबकि यदि वो जनता के द्वारा दिए टैक्स से सैलरी लेते हैं तो उन्हें बुराई लेनी ही चाहिए क्योंकि उनका कर्तव्य केवल ईमानदारी पूर्वक काम करना ही नहीं है अपितु अपने विभाग के साथ साथ तत्कालीन सरकार का गौरव बचाकर रखना भी उनकी जिम्मेदारी होती है । इसलिए भ्रष्टाचार के किसी प्रकरण में पकड़े गए लोगों के खिलाफ कार्यवाही करते समय सम्पूर्ण विभाग के कर्मचारियों को कार्यवाही के कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए !
आज पुलिस का कोई बीट अफसर सूँघते सूँघते उस घर में तो घुस जाता है जिसमें कोई निर्माण कार्य घर के अंदर भी हो रहा हो और डरा धमाका कर कुछ वसूल लाता है किंतु किसी घर में कोई अपराध होता हो तो वो चला करता है !उसके लिए बीट अफसर कहता है हमें जानकारी नहीं है यदि कोई शिकायत भी करता है तो वो कहता है लिखित शिकायत दो और लिखित शिकायत मिलते ही वो अपराधियों को बता देता है अपराधी उसे ठिकाने लगा देते हैं अन्यथा वो बीट वाला खुद समझा देता है कि तुम क्यों इस चक्कर में पड़े हो ये बड़े खुंखार लोग हैं तुम शांत हो जाओ !और वो शांत हो जाता है आम आदमी !
इसलिए सरकार यदि ईमानदार है तो कोई भी अपराध जिस विभाग से सम्बंधित उस पूरे विभाग पर कार्यवाही करे और जनता की शिकायतों को सुनने के लिए ऐसा उचित प्लेट फार्म दे जहाँ जनता की पहचान उद्घाटित न हो !ऐसा करने पर अभी रुक जाएगा अपराध क्योंकि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की शिकार जनता होती है और जनता का ही उपयोग खुपिया रूप में क्यों नहीं करती हैं सरकारें ! किंतु इसके लिए जनता के मन में अपने प्रति भरोस पैदा करना होगा !तब जनता उन्हें बताएगी अपनी परेशानी या गुप्त शिकायतें !दूसरी बात भ्रष्टाचारियों को तुरंत सस्पेंड करके नई भर्ती की जाए तो बेरोजगारी घटे !और उनका दिमाग ठिकाने हो ।
"हेड कॉन्स्टेबल के पास मिले 5 घर, 6 प्लॉट, एक SUV समेत 4 गाड़ियां,और भी बहुत कुछ -एक खबर "
किसी एक कर्मचारी को पकड़ लेने का मतलब ये तो नहीं होता है कि अपराधी केवल वही है बाकी सब रामराज्य है ! सच्चाई ये है कि अपराधी भ्रष्टाचारी और भी होंगे किंतु भ्रष्टाचार को पकड़ने के लिए जिम्मेदार विभाग जब तक उन्हें बचा पाएँगे तब तक बचाते रहेंगे जनता तो भ्रष्टाचार पकड़ने जाएगी नहीं !जब कोई बहुत मजबूरी आ जाएगी तब सोचा जाएगा उनका भ्रष्टाचार पकड़ने के बारे में !फिलहाल अभी तक तो सरकारी कर्मचारियों के विषय में ऐसे ही चल रही हैं सरकारी नीतियाँ !मैं तो कहता हूँ बड़े बड़े अधिकारियों की गाड़ियों से हटवाई जाएं उनकी नाम पट्टिकाएँ पहचान के लिए केवल उनकी जेब में आईडी हो बस !सरकारी विभागों में आम कर्मचरियों के बीच डाली जाएँ अधिकारियों की भी कुर्सियाँ उनकी पहचान अलग से बताए बिना !सरकारी विभागों से AC तो हमेंशा हमेंशा के लिए हटा दिए जाएँ आखिर इस बात का एहसास तो उन्हें भी करवाया जाए कि ये कार्य क्षेत्र है आराम क्षेत्र नहीं !देश के किसान तपती धूम में भरी दोपहर में गर्मियों में काम किया करते हैं क्या उन्हें गरमी नहीं लगती है !किंतु उनकी मजबूरी है इसलिए सहते हैं वो !आज सरकारी विभागों में दिन दिन भर बेकार में चला करते हैं AC फुँका करती है बिजली ,दूसरी ओर वर्षा जैसी अँधेरी रातों में गावों में लोगों को सर्प काट लेता है किंतु पता नहीं लग पाता है कि लकड़ी चुभी है या सर्प ने काटा है वर्षा प्रभाव से माचिस भी नहीं जलती है जब तक पता लगता है तब तक देर हो चुकी होती है क्या उन्हें एक बल्व नहीं चाहिए !इसी प्रकार डेंगू का शोर मचाने वाली सरकारें ये क्यों नहीं सोचती हैं कि उन गाँवों का क्या होगा जहाँ बिजली नहीं है वो बेचारे अपने बाल बच्चों की रक्षा कैसे करें डेंगू मच्छरों से !क्या उनके यहाँ बिजली पहुँचाना सरकार का कर्तव्य नहींहै ?
भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों का दंश भोगती है जनता उन पर अंकुश लगाने के लिए जनता के पास कोई अधिकार नहीं होते जबकि उनसे जूझना जनता को पड़ता है सरकारी कामकाज की निगरानी के लिए आफिसों में सीनियर अधिकारी जब सरकारों के द्वारा धक्के देकर भेजे जाते हैं तब वहाँ पहुँचते ही ठंडे और गरम की व्यवस्था मिलती है सविधि आर्थिक पूजन किया जाता है उनका बेचारे अभिभूत होकर खाते पीते और चले आते हैं ठीक ठाक काम होने का सर्टिफिकेट देकर !भोगती तो जनता है किंतु अधिकारी जनता से बात क्यों करे उसकी बेइज्जती जो होती है !
कोई भी सरकारी अफसर या जाँच एजेंसी तब तक किसी विभाग या अधिकारी पर अंकुश नहीं लगाती जब तक वो बहुत अधिक बदनाम नहीं हो जाता !जब चारों ओर थू थू मच चुकी होती है तब उसे पकड़कर दिखाया जाता है कि देखो -"मध्य प्रदेश में हेड कॉन्स्टेबल के पास मिले 5 घर, 6 प्लॉट, एक SUV समेत 4 गाड़ियां," किंतु इसके लिए जनता क्या करे !लापरवाही तुम्हारी कामवाते तुम रहे अब पकड़ा भी तुम्हीं ने तुम्हारी मजबूरी तुम्हीं जानो !
हमारा प्रश्न तो सरकारी सक्षम ईमानदार उन अधिकारियों से है जो ऐसे लोगों को प्रारम्भ में नहीं पकड़ पाते हैं ऐसे सरकारी विभागों में ऐसे तो बहुत लोग होंगे जो ये सब कर रहे होंगे हो सकता है कि उनके पास इससे कई गुना अधिक हो भ्रष्टाचार का पैसा !किंतु उनकी जब तक आम समाज में दुर्गन्ध न फैले तब तक वो नहीं पकड़े जाएँगे अर्थात आम समाज किसी अधिकारी से जब तंग हो जाए तब वो शोर मचावे तब पकड़े जाएँगे भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी !किन्तु शोर जनता न माचवे तो भ्रष्टाचारियों का रामराज्य !
ऐसे प्रकरणों में सरकार के उन अधिकारियों के साथ भी वही सलूक होना चाहिए जिनकी जिम्मेदारी थी ऐसे भ्रष्टाचारियों को पकड़ने की और माना जाना चाहिए कि इनकी मिली भगत से होता रहा है भ्रष्टाचार !जिस अधिकारी या कर्मचारी ने भ्रष्टाचार किया जितना दोषी वो है उससे अधिक दोषी वो है जो उस भ्रष्टाचारी को प्रारम्भ में ही नहीं पकड़ सका !उसको प्रमुख अपराधी माना जाना चाहिए क्योंकि अपराध की जड़ में अपराधी न होकर अपितु वे लोग होते हैं जो उस अपराध को पकड़ने के लिए जिम्मेदार थे किंतु पकड़ नहीं पाए !जिस दिन अधिकारियों कर्मचारियों पर इस प्रकार का दायित्व डाला जाएगा उस दिन रुकेगा भ्रष्टाचार !अन्यथा एक भ्रष्टाचारी को पकड़कर सिस्टम से ईमानदारी की अपेक्षा नहीं की जा सकती !
विशेष बात ये भी है कि जिस विभाग में कोई एक भी भ्रष्टाचार करता है उसमें सम्मिलित तो लगभग पूरा विभाग ही होता है क्योंकि उन सबको पता होता है उस भ्रष्टाचार का ! हाँ ,कुछ ईमानदार लोग उसमें हिस्सा नहीं लेते किन्तु उससे अनभिज्ञ नहीं होते और ये कहकर बच जाते हैं कि हम क्यों बुराई लें जबकि यदि वो जनता के द्वारा दिए टैक्स से सैलरी लेते हैं तो उन्हें बुराई लेनी ही चाहिए क्योंकि उनका कर्तव्य केवल ईमानदारी पूर्वक काम करना ही नहीं है अपितु अपने विभाग के साथ साथ तत्कालीन सरकार का गौरव बचाकर रखना भी उनकी जिम्मेदारी होती है । इसलिए भ्रष्टाचार के किसी प्रकरण में पकड़े गए लोगों के खिलाफ कार्यवाही करते समय सम्पूर्ण विभाग के कर्मचारियों को कार्यवाही के कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए !
आज पुलिस का कोई बीट अफसर सूँघते सूँघते उस घर में तो घुस जाता है जिसमें कोई निर्माण कार्य घर के अंदर भी हो रहा हो और डरा धमाका कर कुछ वसूल लाता है किंतु किसी घर में कोई अपराध होता हो तो वो चला करता है !उसके लिए बीट अफसर कहता है हमें जानकारी नहीं है यदि कोई शिकायत भी करता है तो वो कहता है लिखित शिकायत दो और लिखित शिकायत मिलते ही वो अपराधियों को बता देता है अपराधी उसे ठिकाने लगा देते हैं अन्यथा वो बीट वाला खुद समझा देता है कि तुम क्यों इस चक्कर में पड़े हो ये बड़े खुंखार लोग हैं तुम शांत हो जाओ !और वो शांत हो जाता है आम आदमी !
इसलिए सरकार यदि ईमानदार है तो कोई भी अपराध जिस विभाग से सम्बंधित उस पूरे विभाग पर कार्यवाही करे और जनता की शिकायतों को सुनने के लिए ऐसा उचित प्लेट फार्म दे जहाँ जनता की पहचान उद्घाटित न हो !ऐसा करने पर अभी रुक जाएगा अपराध क्योंकि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की शिकार जनता होती है और जनता का ही उपयोग खुपिया रूप में क्यों नहीं करती हैं सरकारें ! किंतु इसके लिए जनता के मन में अपने प्रति भरोस पैदा करना होगा !तब जनता उन्हें बताएगी अपनी परेशानी या गुप्त शिकायतें !दूसरी बात भ्रष्टाचारियों को तुरंत सस्पेंड करके नई भर्ती की जाए तो बेरोजगारी घटे !और उनका दिमाग ठिकाने हो ।
No comments:
Post a Comment