अन्ना जी ! आपकी ईमानदारी सादगी एवं राजनैतिक शुचिता जैसी बातें अब दिनोंदिन अविश्वसनीय लगने लगी हैं !जिनकी अँगुली पकड़कर आपने समाज से परिचय करवाया था वो तो पद प्रतिष्ठा और पैसा देखते ही दिनों दिन पागल होते जा रहे हैं !अब दशकों तक भ्रष्टाचार को भगाने वाले आंदोलनों श्लोगनों पर भरोसा नहीं कर पाएगा देश !
अन्ना जी ! दिल्ली सरकार ने विधायकों की सैलरी बढ़ाई आप इसके समर्थन में हैं या विरोध में या फिर मौनं स्वीकार लक्षणं ! अन्ना जी !देश सबकुछ समझ चुका है !
- लगभग एक लाख रुपए महीने में इनका गुजारा नहीं हो पा रहा था इसलिए लगभग दो लाख की गई है इन बेचारों की सैलरी !किंतु ये जब विधायक भी नहीं थे तब किस विधायक की थी कितनी मासिक आमदनी और तब कैसे चल रहे थे इनके गुजारे !तब क्या थे इनके अर्थोपार्जन के स्रोत !क्या उन स्रोतों से उतनी आमदनी होती थी जितनी सैलरी अब की गई है और यदि नहीं तो तब गुजारा चलाने के लिए जिन साधनों का सहारा ये लोग लेते थे अपना खर्चा चलाने के लिए वो सब क्या कानून सम्मत थे यदि हाँ तो ठीक और यदि नहीं तो इस भ्रष्टाचार को सार्वजनिक किया जाए !और यदि विधायक बनने से पहले दो लाख रूपए की मासिक आमदनी इनकी नहीं थी तो आज दो लाख की आवश्यकता क्यों ?जनता की संपत्ति है तो इसका मतलब क्या कि अपना अपना घर भरने आए हैं ये लोग !यदि ऐसा है तो जनता का खजाना इन्हें लूटने क्यों दे रहें हैं अन्ना जी !
- आम आदमी पार्टी के एक नेता सैलरी बढ़ाने के समर्थन में जो तर्क दे रहे हैं " सैलरी बढ़ाकर दो लाख कर देने से घर का गुजारा आराम से चलेगा तो ये लोग खुलकर काम कर पाएँगे अन्यथा ये लोग भी अन्य पार्टियों के पूर्व विधायकों की तरह से भ्रष्टाचार कर के कमाते !तब चलाते अपने घर का गुजारा !"हे अन्ना जी ! क्या आप इन दलीलों से सहमत हैं ?
- ऐसे नेताओं के बयानों से दो बातें साफ साफ निकलकर सामने आई हैं कि ईमानदार विधायकों का गुजारा इससे कम सैलरी में नहीं हो सकता !मैंने सुना है कि देश के सभी विधायकों यहाँ तक कि सांसदों की सैलरी से भी अधिक है इनके विधायकों की सैलरी !इसका मतलब क्या ये है कि इन्होंने पहली बार ईमानदारी की पहल की है बाक़ी सभी लोग भ्रष्टाचार से ही चला रहे हैं अपने अपने खर्चे !और देश के सारे सांसद विधायक भ्रष्टाचारी हैं । क्या अन्ना जी आप इस तर्क से सहमत हैं ?
- बिशेष बात ये है कि इन्होंने कहा इससे कम में गुजारा नहीं चलता है उसके लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं लोग !इस पर अन्ना जी ! मैं पूछना चाहता हूँ कि यदि विधायकों का दो लाख से कम में गुजारा नहीं चलता और चलाने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेना होता है तो वो आम नागरिक क्या करें जिनकी दो लाख रूपए महीने की आमदनी नहीं है क्या ऐसे लोगों को भी अपना गुजारा चलाने के लिए गैर कानूनी कार्यों का सहारा लेना चाहिए अन्ना जी !
- विधायक कोई सोने की रोटियाँ तो खाते नहीं हैं और न ही आम आदमी मिट्टी खाता है । जो बाजार विधायक के लिए है वही आम आदमी के लिए भी है फिर विधायकों को गुजारे के लिए यदि दो लाख चाहिए तो आम आदमी के लिए कम से कम डेढ़ लाख रूपए तो चाहिए ही ! इसलिए अब आम आदमी के गुजारे लायक उस डेढ़ लाख रूपए महीने का इंतजाम भी तो करे दिल्ली सरकार !उसके पहले बढ़ी सैलरी रोकी जाएँ !हे अन्ना जी !क्या आप सहमत हैं मेरे मत से या नहीं !
- बात बात में सर्वे कराने की शौकीन दिल्ली सरकार ने सैलरी बढ़ाने के लिए जनता की रे क्यों नहीं ली !
- यदि गुजारा दो लाख रूपए से कम में नहीं होता है इसलिए कम सैलरी वाले सांसद विधायक भ्रष्टाचार करके अपना गुजारा चलाते हैं यदि इस बात को सच मान भी लिया जाए तो भ्रष्टाचार न करके घोषित रूप से उतना ही धन सैलरी रूप में ले लेने को उचित कैसे मान लिया जाए !क्या पूर्व सूचना देकर हत्या करने वाले अपराधी को दोषी नहीं माना जाना चाहिए !इसका मतलब तो यही हुआ !
- यदि आम आदमी पार्टी को भी वही करना था जो सब कर रहे थे तो सादगी और त्याग वैराग्य का आडम्बर किया ही क्यों गया ! देश के नेताओं को बेईमान कहने की अनुमति इन्हें किसने दी थी वो भी इतने दिन सरकार चलते हो गया कौन पूर्वमंत्री कितने के भ्रष्टाचार में पकड़ा गया अभी तक और नहीं तो आरोप लगाए क्यों गए थे ?
- अन्ना जी !जिस सादगी और सेवा भावना की अपेक्षा आप अन्य पार्टी के नेताओं से कर रहे थे वो आम आदमी पार्टी के नेताओं से आप क्यों नहीं करते हैं ?आप इनके बिलासी जीवन को गलत मानते हैं या नहीं ? और यदि गलत मानते हैं तो इन्हें रोकते क्यों नहीं हैं या इन्हें रोकते भी हैं किन्तु ये मानते नहीं हैं !
- हे अन्ना जी !यदि ये मानते नहीं हैं यही सच है तो आप मौन क्यों हैं इनके विरुद्ध क्यों नहीं बैठते हैं धरने पर रामलीला मैदान में ?और यदि आप इनकी बिलासिता का विरोध नहीं करते हैं तो आप इनके समर्थन में लीपापोती कितनी भी करें किंतु ये छींटे पड़ेंगे आप पर भी जिसका जवाब आपको भी देना पड़ेगा !जनता मजबूर कर देगी आपको !
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