मोदी
मसीहा हैं, उनके पास सभी समस्याओंं का हल है: उमा भारती - See more
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शुभ प्रभात माँ दुर्गा के चरणों में कोटिशः नमन -
जनहित में जारी -
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान का ज्योतिष जन जागरण अभियान
अंधविश्वास मुक्त ज्योतिषविज्ञान से जुड़ने का आह्वान
बंधुओ !आप जिस किसी भी ज्योतिषी से जुड़े हैं या जुड़ना चाहते हैं ऐसे
ज्योतिषी लोग अपने ज्योतिष ज्ञान के विषय में या ज्योतिष के विषय में जो
कुछ भी आपको समझावे आप उस पर तब तक भरोसा न करें जब तक उनके ज्योतिष
क्वालीफिकेशन का पता न लगा लें !पहले उनके ज्योतिष सब्जेक्ट के डिग्री
प्रमाणपत्र देखें ,साथ ही वो यूनिवर्सिटी जिसने उन्हें जारी किया है वो
सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है या नहीं ?वो डिग्री ही है कहीं डिप्लोमा
तो नहीं है !
इसके अलावा गोल्डमेडली ज्योतिषी ,टीवी चैनलीय ज्योतिषी ,दैनिकराशिफली ज्योतिषी ,कालसर्पी ज्योतिषी,लालकिताबी ज्योतिषी ,टटकाटोनी ज्योतिषी,बशीकरणीज्योतिषी,नग नगीनी ज्योतिषी, यंत्रव्यापारी आदि ऐसे सभी प्रकार के टीवी चैनलीय या अखवारी ज्योतिषी ,ये लोग प्रायः ज्योतिष क्वालीफिकेशन विहीन होते हैं इसलिए ऐसे सभी प्रकार के ज्योतिषियों पर डाक्टरों की तरह ही उनके ज्योतिष क्वालीफिकेशन को देखकर ही भरोसा करें !
दुर्गा सप्तशती (Durga Saptshati) (सरल दोहा चौपाई में ) (Saral Doha Chaupai men)
दुर्गा सप्तशती ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह)इसके अलावा गोल्डमेडली ज्योतिषी ,टीवी चैनलीय ज्योतिषी ,दैनिकराशिफली ज्योतिषी ,कालसर्पी ज्योतिषी,लालकिताबी ज्योतिषी ,टटकाटोनी ज्योतिषी,बशीकरणीज्योतिषी,नग नगीनी ज्योतिषी, यंत्रव्यापारी आदि ऐसे सभी प्रकार के टीवी चैनलीय या अखवारी ज्योतिषी ,ये लोग प्रायः ज्योतिष क्वालीफिकेशन विहीन होते हैं इसलिए ऐसे सभी प्रकार के ज्योतिषियों पर डाक्टरों की तरह ही उनके ज्योतिष क्वालीफिकेशन को देखकर ही भरोसा करें !
दुर्गा सप्तशती (Durga Saptshati) (सरल दोहा चौपाई में ) (Saral Doha Chaupai men)
जो भाई बहन संस्कृतभाषा नहीं जानते और दुर्गासप्तशती पढ़ना चाहते हैंया अपने see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
माँ दुर्गा की असीम अनुकंपा से आपका दिन मंगलमय हो !
नव दुर्गास्तुति Nav Durga Stuti , (सरल दोहा चौपाई में ) (Saral Doha Chaupai men)
नव दुर्गास्तुति ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह) जो भाई बहन संस्कृतभाषा नहीं जानते और दुर्गा पाठ पढ़ना चाहतेsee more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_67.html
ज्योतिष जागरूकता अभियान !
फर्जी डिग्री वाले ज्योतिषियों पर क्यों नहीं होती है कार्यवाही !
फर्जी
डिग्री यदि अपराध है तो फर्जी डिग्री वाले ज्योतिषियों पर दया क्यों ?अंध
विश्वास फैलाने वाले इन लोगों पर क्यों नहीं होती है कठोर कानूनी कार्यवाही
!जिसने किसी सरकारी विद्यालय या विश्व विद्यालय से ज्योतिष पढ़ी ही न हो वो
भी ज्योतिषी बारी अंधेर !ऐसा कोई व्यक्ति ज्योतिष के विषय में किसी को
गाइड कैसे कर सकता है वो तो झूठ साँच बोलकर अंध विश्वास ही फैलाएगा और यदि
ऐसे लोगों को ही फूलने फलने देना है तो सरकार संस्कृत
विद्यालय या विश्व विद्यालयों के संचालन पर क्यों खर्च कर रही है अनाप
शनाप धन !जब उन विषयों में प्रैक्टिस करने के लिए सम्बंधित विश्व विद्यालयों से डिग्री लेना जरूरी ही नहीं है see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/10/blog-post_4.html
- ज्योतिष में भी है भ्रष्टाचार ! इससे बचाव के लिए आप भी बरतें कुछ जरूरी सावधानियाँ -see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/10/blog-post_5.html
- राशिफल (दैनिक) - टीवी चैनलों एवं अखवारों में जो बताया जाता है वो सौ प्रतिशत झूठ होता है !जानिए कैसे -seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_71.html
मीडिया ऐसे टीवी चैनलों एवं अखवारों के विरुद्ध भी आवाज उठाए !
ऐसे टीवी चैनलों ,अखवारों एवं अन्य विज्ञापन माध्यमों को अंधविश्वास फैलानेवाला मानते हुए उन पर भी की जाए कार्यवाही !मीडिया माध्यमों
के सहयोग से ही धर्म एवं शास्त्रीय विषयों में फ्रॉड लोगों का प्रवेश होता
है क्योंकि भले और ईमानदार लोग अपनी ईमानदारी की कमाई से इतनी भारी भरकम
विज्ञापन शुल्क अदा नहीं कर सकते और जो करेंगे वो बिना अंधविश्वास का सहारा लिए उसे पब्लिक से वसूल नहीं कर सकते !इस प्रकार से जो लोग धर्म ज्योतिष वास्तु एवं तंत्र मंत्र आदि से सम्बंधित विषयों में सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम पढ़ने को महत्त्व नहीं देते हैं उनके पास सम्बंधित विषयों के सरकारी विश्व विद्यालयों से प्रदत्त डिग्री प्रमाण पत्र भी नहीं होते हैं यह समझते हुए भी उनके द्वारा फैलाए जाने वाले अंध विश्वास का
विज्ञापन करके जो मीडिया माध्यम मदद कर रहे हैं उन्हें भी अंधविश्वास
फैलाने सम्बन्धी अपराधों में बराबर का दोषी माना जाना चाहिए ! ईमानदार
मीडिया का दायित्व है कि वो इस विषय में भी जन जागरण करे और अंधविश्वास के
चक्कर में फँसने फँसाने से समाज की रक्षा करे-see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/08/blog-post_20.html
राशिफल (दैनिक) - टीवी चैनलों एवं अखवारों में जो बताया जाता है वो सौ प्रतिशत झूठ होता है !
मीडिया और झोलाछाप ज्योतिषियों की साँठ गाँठ से योजना पूर्वक तैयार किया
जाता है ये मनगढंत राशिफल एवं उनके उपायों के आडंबर ! राशिफल बताने या
लिखने के नाम पर जो मुख में आता है सो बका करते हैं ये लोग ! क्या यही
ज्योतिष विज्ञान है ?यदि ऐसी राशिफली बातों को आप टेप करके अचानक उन
राशिफलियों से मिलें और पूछें कि अमुक राशि का अमुक तारीख को राशिफल क्या
था ?तो ऐसे लोग वो या उससे मिलता जुलता राशिफल दुबारा नहीं बता सकते और यदि
बताएँगे तो उसका उस दिन वाले उनके राशिफल से कोई मेल नहीं खाएगा !जबकि यदि
सही होता तो मेल तो खाना चाहिए क्योंकि किसी एक विंदु के लिए शास्त्रीय सच
अलग अलग नहीं हो सकता!दूसरी बात ऐसे राशिफलों के ज्योतिष शास्त्र में कहीं
प्रमाण नहीं मिलते !फिर भी यदि किसी को लगता है कि उसके पास इस राशिफल के
समर्थन में शास्त्रीय प्रमाण हैं तो यहीं कमेंट में लिखें वो प्रमाण!बंधुओ
!अब आप स्वयं समझिए कि ये राशिफल सही हो क्यों नहीं सकता seemore...
http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_71.html
ज्योतिष जन जागरण का उद्घोष !सबसे जुड़ें और सबको जोड़ें सबका रुख शास्त्रों की ओर मोड़ें !
ज्योतिष के नाम पर न झूठ बोलेंगे और न सहेंगे !अंध विश्वास के विरुद्ध
समाज को जगाकर रहेंगे! जिन बातों एवं उपायों के प्रमाण ज्योतिष शास्त्र
में नहीं हैं ऐसे झूठ को बिकने नहीं देंगे ! इसमें हमें चाहिए सभी सनातन
धर्मियों का सभी प्रकार से साथ !यदि आप ज्योतिष जानते भी नहीं हैं और मानते
भी नहीं हैं तो भी आप हमारी मदद करर सकते हैं जानिए कैसे ! ज्योतिष में
क्या सच है और क्या झूठ ?समझिए आप भी !बंधुओ !यदि आप ज्योतिष को नहीं भी
मानते हैं तो भी इस अंध विश्वास को मिटाने के लिए हमें चाहिए आपका सहयोग
!आज ज्योतिष एवं ग्रहों के उपायों के नाम पर किए जा रहे हैं कैसे कैसे
पाखंड !इसकी सच्चाई समझने के लिए पढ़िए हमारा यह ब्लॉग और जुड़िए हमारी पाखंड
खंडिनी मुहिम से ! समाज को ज्योतिष की विश्वसनीय एवं शास्त्र प्रमाणित
ईमानदार सेवाएँ देने के लिए हम बचनबद्ध हैं ! ज्योतिष वास्तु आदि केवल
हमारे ही नहीं आपके भी पूर्वजों की विद्या है इसपर पाखंड के बादल छाए हुए
हैं ज्योतिष के नाम पर लोग मन गढ़ंत बातें एवं उपाय बता और समझा रहे हैं
उपायों के नाम पर तरह तरह के तमाशे दिखा और बेच रहे हैं इसमें क्या सच है
और कितना पाखंड है यह सही सही समझने के लिए एक बार जरूर देखिए हमारे ब्लॉग
के विविध विषयों पर लिखे लेख- see more...
http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_14.html
जनसंख्या
बल से कमजोर सवर्णो को दलितों के शोषण का झूठा आरोप लगाकर सताया जा रहा है
और रची जा रही है सवर्णों के विरुद्ध आरक्षणी साजिश !
दलितों के शोषण का सवर्णों पर झूठा आरोप मढ़ना बंद किया जाए ! साथ ही सवर्णों की जनसंख्या इतनी घटी कैसे इसकी जाँच कराई जाए ! दलितों का शोषण कभी किसी ने किया ही नहीं है इसीलिए शोषण के नहीं मिलते हैं प्रमाण !फिर आरक्षण क्यों ?see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/04/blog-post_14.html
आवश्यक सूचना - बंधुओ
! ज्योतिष का काम ही संसार के सभी लोगों के जीवन पर पड़ने वाले ग्रहों के
अच्छे बुरे प्रभावों का अध्ययन करना है इसीलिए सरकारी संस्कृत विश्व
विद्यालयों में सब्जेक्ट रूप में ज्योतिष पढ़ने पढ़ाने की न केवल सुविधा
होती है अपितु ज्योतिष विषय में उच्च डिग्रियाँ भी दी जाती हैं ऐसे डिग्री
होल्डर ज्योतिषवैज्ञानिक डॉ.एस.एन.वाजपेयी से जरूरी ज्योतिषीय सलाह लेने
हेतु संपर्क करने के लिए इस लिंक को कॉपी करें ,खोलें और पढ़ें
-http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html
फर्जीडिग्री वाले वकील डॉक्टर यदि अपराधी हैं तो फर्जीडिग्री वाले ज्योतिषी और तांत्रिक भले कैसे ?
अब भविष्य बताने वाले फर्जी ज्योतिषियों के शौक पर लगे प्रतिबंध !शुद्धीकरण हो तो सबका हो ! फर्जीडिग्री वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं की जाती है कार्यवाही !
फर्जीडिग्री वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं की जाती है कार्यवाही !अपराधियों में भी भेदभाव रखना सरकारों को शोभा नहीं देता ! ज्योतिषियों से भी माँगे जाएँ उनके भी ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र !
आखिर उनसे क्यों नहीं पूछा जा रहा है कि ज्योतिष सब्जेक्ट में किस क्लास तक उन्होंने किस सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से पढ़ाई की है देखे जाएँ उनके भी ज्योतिष सब्जेक्ट के डिग्री प्रमाण पत्र ! ऐसा होते ही टीवी चैनलों पर बंद हो जाएगी तथाकथित ज्योतिषीबकवास धार्मिक अंध विश्वास का धंधा रुकेगा !इनके कृत्यों से टूटते संबंधों विखरते परिवारों को बचाया जा सकेगा । पढ़े लिखे ज्योतिषियों के ज्योतिष वैज्ञानिक शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान का समाज को लाभ होने लगेगा see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_35.html
अब भविष्य बताने वाले फर्जी ज्योतिषियों के शौक पर लगे प्रतिबंध !शुद्धीकरण हो तो सबका हो ! फर्जीडिग्री वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं की जाती है कार्यवाही !
फर्जीडिग्री वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं की जाती है कार्यवाही !अपराधियों में भी भेदभाव रखना सरकारों को शोभा नहीं देता ! ज्योतिषियों से भी माँगे जाएँ उनके भी ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र !
आखिर उनसे क्यों नहीं पूछा जा रहा है कि ज्योतिष सब्जेक्ट में किस क्लास तक उन्होंने किस सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से पढ़ाई की है देखे जाएँ उनके भी ज्योतिष सब्जेक्ट के डिग्री प्रमाण पत्र ! ऐसा होते ही टीवी चैनलों पर बंद हो जाएगी तथाकथित ज्योतिषीबकवास धार्मिक अंध विश्वास का धंधा रुकेगा !इनके कृत्यों से टूटते संबंधों विखरते परिवारों को बचाया जा सकेगा । पढ़े लिखे ज्योतिषियों के ज्योतिष वैज्ञानिक शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान का समाज को लाभ होने लगेगा see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_35.html
दो. हे गजबदन गजानन हे गणपति महराज ।
कृपा करहु करूणानिधि पूजत सकल समाज ॥
दो.विजय दशहरा की मेरी सबको सखा बधाइ ।
मुक्ति मिली दसशीश को विजय पाइ रघुराइ ॥
दो.द्वारपाल प्रिय प्रभु का शंभु भगत दसगात ।
थोड़ी करनी बिगड़ गई अजहूँ कोसो जात ॥
दो. वेद पढ़ें विधि भयवश शंभु पुजावन जात ।
फर्जीडिग्री वाले वकील डॉक्टर यदि अपराधी हैं तो फर्जीडिग्री वाले ज्योतिषी और तांत्रिक भले कैसे ?
अब भविष्य बताने वाले फर्जी ज्योतिषियों के शौक पर लगे प्रतिबंध !शुद्धीकरण हो तो सबका हो ! फर्जीडिग्री वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं की जाती है कार्यवाही !
फर्जीडिग्री वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं की जाती है कार्यवाही !अपराधियों में भी भेदभाव रखना सरकारों को शोभा नहीं देता ! ज्योतिषियों से भी माँगे जाएँ उनके भी ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र !
आखिर उनसे क्यों नहीं पूछा जा रहा है कि ज्योतिष सब्जेक्ट में किस क्लास तक उन्होंने किस सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से पढ़ाई की है देखे जाएँ उनके भी ज्योतिष सब्जेक्ट के डिग्री प्रमाण पत्र ! ऐसा होते ही टीवी चैनलों पर बंद हो जाएगी तथाकथित ज्योतिषीबकवास धार्मिक अंध विश्वास का धंधा रुकेगा !इनके कृत्यों से टूटते संबंधों विखरते परिवारों को बचाया जा सकेगा । पढ़े लिखे ज्योतिषियों के ज्योतिष वैज्ञानिक शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान का समाज को लाभ होने लगेगा see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_35.html
अब भविष्य बताने वाले फर्जी ज्योतिषियों के शौक पर लगे प्रतिबंध !शुद्धीकरण हो तो सबका हो ! फर्जीडिग्री वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं की जाती है कार्यवाही !
फर्जीडिग्री वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं की जाती है कार्यवाही !अपराधियों में भी भेदभाव रखना सरकारों को शोभा नहीं देता ! ज्योतिषियों से भी माँगे जाएँ उनके भी ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र !
आखिर उनसे क्यों नहीं पूछा जा रहा है कि ज्योतिष सब्जेक्ट में किस क्लास तक उन्होंने किस सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से पढ़ाई की है देखे जाएँ उनके भी ज्योतिष सब्जेक्ट के डिग्री प्रमाण पत्र ! ऐसा होते ही टीवी चैनलों पर बंद हो जाएगी तथाकथित ज्योतिषीबकवास धार्मिक अंध विश्वास का धंधा रुकेगा !इनके कृत्यों से टूटते संबंधों विखरते परिवारों को बचाया जा सकेगा । पढ़े लिखे ज्योतिषियों के ज्योतिष वैज्ञानिक शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान का समाज को लाभ होने लगेगा see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_35.html
दो. हे गजबदन गजानन हे गणपति महराज ।
कृपा करहु करूणानिधि पूजत सकल समाज ॥
दो.विजय दशहरा की मेरी सबको सखा बधाइ ।
मुक्ति मिली दसशीश को विजय पाइ रघुराइ ॥
दो.द्वारपाल प्रिय प्रभु का शंभु भगत दसगात ।
थोड़ी करनी बिगड़ गई अजहूँ कोसो जात ॥
दो. वेद पढ़ें विधि भयवश शंभु पुजावन जात ।
अस प्रभाव लंकेश को करत बुहारू वात ॥
दो. मालाकारी इंद्र की नवग्रह सीढ़ी जोग ।
उस रावण को फूँकिहैं ये दो कौड़ी के लोग ॥
दो. काँपत फोटो देखिकै धोती होत ख़राब ।
उस रावण को फूँकिहैं ये कलियुगी नवाब ॥
दो. द्वारपाल हरि को रह्यो मरण चहै प्रभु हाथ ।
क्षमा करन तो चहि रहे थे अपने रघुनाथ ॥
दो.रावण जे फूँकत फिरैं ते खुद रावण बाप ।
अपने अंदर झाँकते तो दीखत अपने पाप ॥
दो. मैडम सूर्पनखा अजौं करती घूमैं प्यार ।
सेक्स बाँटती फिर रहीं फैशन का उपहार ॥
दो. रावण से आगे हुआ आज हमारा देश ।
कन्याओं से रेप से कितने भाषण क्लेश ॥
दो. नेताओं की नियत पे अब नहिं रहा भरोस ।
ये रावण दिनभर डसैं उसका क्या दें दोष ॥
दो. राक्षस जो बदनाम हैं वो तो है बश ढोंग ।
गाय चबाते फिर रहे अबके राक्षस लोग ॥
उस रावण को फूँकिहैं ये दो कौड़ी के लोग ॥
दो. काँपत फोटो देखिकै धोती होत ख़राब ।
उस रावण को फूँकिहैं ये कलियुगी नवाब ॥
दो. द्वारपाल हरि को रह्यो मरण चहै प्रभु हाथ ।
क्षमा करन तो चहि रहे थे अपने रघुनाथ ॥
दो.रावण जे फूँकत फिरैं ते खुद रावण बाप ।
अपने अंदर झाँकते तो दीखत अपने पाप ॥
दो. मैडम सूर्पनखा अजौं करती घूमैं प्यार ।
सेक्स बाँटती फिर रहीं फैशन का उपहार ॥
दो. रावण से आगे हुआ आज हमारा देश ।
कन्याओं से रेप से कितने भाषण क्लेश ॥
दो. नेताओं की नियत पे अब नहिं रहा भरोस ।
ये रावण दिनभर डसैं उसका क्या दें दोष ॥
दो. राक्षस जो बदनाम हैं वो तो है बश ढोंग ।
गाय चबाते फिर रहे अबके राक्षस लोग ॥
दो.शुभ प्रभात हो सखागण मंगलमय रविवार ।
सूर्य कृपा सब पे रहै परिहरि रोग विकार ॥
दो.शुभ प्रभात हो बंधुओं सोमवार शिववार ।
भोले बाबा कृपाकरि कटिहैं कष्ट हजार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार ।
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार ।
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो. बुद्ध सुखद सबके लिए शुभ फलप्रद हो आज ।
सकल कामना पूर्ण दिन पावहु मित्र समाज ॥
दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
शुभ दिन बीते आपका सुख पावहु दिन रात ॥
दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
शुभ दिन बीते आपका सुख पावहु दिन रात ॥
दो.शुक्रवार की सुबह शुभ बंधु बहन सानंद ।
स्वीकारो शुभ कामना कृपा करहिं ब्रजनंद ॥
दो. शुभ प्रभात शनिवार का सुखी सखा सानंद ।
शनि पीड़ा को भय तजहु भजहु अंजनी नन्द ॥
हे मित्रो !आज शनिवार का सबेरा आपके लिए शुभ हो, आप सुखी हों, आनंदित रहें । बंधुओ !शनि देव के द्वारा दी जाने वाली परेशानियों से आप बिलकुल भयभीत न हों और प्रभु हनुमान जी का भजन करते रहें ।
श्री हनुमान जयंती पर आप सबको बहुत बहुत बधाई !
दो. हनुमत प्रभु की कृपा से रहहु सखा खुशहाल ।
साईं छाँड़ि सेवहु इन्हहिं महाकाल के काल ॥
आप सभी भाई बहनों से विनम्र प्रार्थना -
कल
हमारे जन्म दिन पर हमारे सभी फेस बुक परिवारों सहित इंटरनेट परिवार के सभी
माध्यमों पर सुशोभित हमारे अति विशाल परिवार के आप सभी भाई बहनों ने बहुत
बड़ी संख्या में अपना स्नेह और आशीर्वाद देकर जो हमारा उत्साह वर्धन किया
है उसके लिए इच्छा तो थी कि आप सभी स्वजनों को व्यक्तिगत रूप से प्रणाम
करूँ कुछ देर तक ऐसा किया भी किंतु हमारा इंटरनेट परिवार इतना बड़ा है कई
फेस बुकों पर हमारे पारिवारिक सदस्य सुशोभित हैं अपने स्वजन सम्बन्धियों
के स्नेहशीर्वाद की अतिवशाल सम्पदा से संपन्न मैं चाहकर भी अपने अतिविशाल
परिवार के सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से प्रणाम नहीं कर सका इस
अपराधबोध से बोझिल आप सभी का अनुग्रह पात्र मैं गूगल सहित नेट के सभी
माध्यमों पर सुशोभित अपने समस्त स्नेहिल पारिवारिक सदस्यों को नमन करता हूँ
आप सभी के स्नेहार्णव में समवगाहित मैं आप सभी के प्रति अपनी कृतग्यता
ज्ञापित करते हुए आप सभी स्वजन संबंधियों की स्नेहिल एवं उपकारी भावनाओं पर
सादर नतमस्तक हूँ आप सभी स्वजन सम्बन्धियों से निवेदन है कि आप सभी लोग हम
पर ऐसी ही कृपा बनाए रखें समय समय पर हमें अपने संकल्प के प्रति सचेत करते
रहें कि मैं अपनी शास्त्र निष्ठा एवं राष्ट्रनिष्ठा के पवित्रव्रत का
पालन करते हुए ही जीवन व्यतीत करने का सौभाग्य प्राप्त कर सकूँ ! - आप सभी
का स्नेह भाजन अपना - वाजपेयी
दो.साईं बुड्ढे को भजि बूढ़े हो रहे लोग ।
कलह रहत दिन रात घर घेरि रहे सब रोग ॥
दो. देवी देव न बूढ़ भए साईं भए न जवान ।
दिहैं बुढ़ापा आपनो जे पुजिहैं साईँतान ॥
दो.साईं बुड्ढे को भजि बूढ़े हो रहे लोग ।
कलह रहत दिन रात घर घेरि रहे सब रोग ॥
दो. देवी देव न बूढ़ भए साईं भए न जवान ।
दिहैं बुढ़ापा आपनो जे पुजिहैं साईँतान ॥
दो.जे साइँहिंपूजत रहे तिनके भए अस हाल ।
चढ़ो बुढ़ापा साईं को तो घूमत गंजू लाल ॥
दो.साइँहिं सेवहिं मूढ़ जे भूलि शास्त्र की आन ।
बुड्ढा कहा बचाइहै जब कोपिहैं हनुमान ॥
दो. साईं तौ लौ पुजि रहे मंदिर मंदिर जाइ ।
मारुति नंदन की गदा उठत न जौ लौ भाइ॥
दो. हनुमत हाथ गदा गहि नशिहैं साईं ढोंग ।
कान पकरि कर ठसकिहैं खूब लगइहैं भोग ॥
दो. साईं झुट्ठे ठगी करि भए खूब धनवान ।
पापी खुद पुजिबो चहैं कुछ कीजै हनुमान ॥
दो. साईं करि घुसपैठ खुद बनि बैठे भगवान ।
मंदिर सूने हो रहे हनुमत कृपा निधान ॥
दो. आरति पूजा भोग धन साईं माला माल ।
सुर मंदिर सूने हुए हे अंजनी के लाल ॥
दो. मंदिर अपने धर्म के पुजिहैं साईं बैठि ।
हनुमत इन्हैं खदेड़िए कान पकरि कै ऐंठि ॥
दो. साईं तौ लौ पुजि रहे मंदिर मंदिर जाइ ।
मारुति नंदन की गदा उठत न जौ लौ भाइ॥
दो. हनुमत हाथ गदा गहि नशिहैं साईं ढोंग ।
कान पकरि कर ठसकिहैं खूब लगइहैं भोग ॥
दो. साईं झुट्ठे ठगी करि भए खूब धनवान ।
पापी खुद पुजिबो चहैं कुछ कीजै हनुमान ॥
दो. साईं करि घुसपैठ खुद बनि बैठे भगवान ।
मंदिर सूने हो रहे हनुमत कृपा निधान ॥
दो. आरति पूजा भोग धन साईं माला माल ।
सुर मंदिर सूने हुए हे अंजनी के लाल ॥
दो. मंदिर अपने धर्म के पुजिहैं साईं बैठि ।
हनुमत इन्हैं खदेड़िए कान पकरि कै ऐंठि ॥
दो. मंदिर मंदिर हो रहे साईं नाम के ढोंग ।
बुड्ढे की करतूत सब भुगत रहे हैं लोग ॥
साईंसंप्रदाय का खंडन करने से हमें रोक रहे हैं कुछ लोग !
कुछ लोगों को लगता है कि धर्म कर्म की चीजें तो बिना पढ़े लिखे ही आ जाती
हैं इसलिए इन्हें क्यों पढ़ना इस विषय में तो जो मुख में आवे सो बक दो ! अगर
वो धोखे से कुछ श्लोक या चौपाइयाँ पढ़ पाए तो फिर वो उन्हें पचते नहीं हैं
वो खुजली किया ही करते हैं जब तक कोई कायदे से न खुजलावे !इसी प्रकार से हमें साईं साईंसंप्रदाय के खंडन से बचने की सलाह दी जा रही है और बताया जा रहा है कि प्रभु राम ने खंडन करने को रोका है ! बंधुओ ! यदि समाज को इतना कमजोर ही बनाना होता तो श्री राम ने लंका पर आक्रमण क्यों किया क्यों खंडित किए उनके शरीर !
मित्रो ! किसी के ऊपर हमला करने के लिए उस के ब्लैड मारना अपराध है किंतु किसी के फोड़ा हुआ उसका आपरेशन करने में ब्लैड चलने वाला सर्जन पुण्य का काम कर रहा होता है इस बात का रहस्य समझे बिना उपदेश करना अपनी चंचलता सिद्ध करता है ।
दुर्गा पूजा -
दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र ।
स्वजन सखा सानंद हों निरुज होंहि शुचि गात्र ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात।
जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात।
जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. तीसर दिन नवरात्रि का चंद्रघंटिके अंब । चरण शरण जगदम्बिके तुम्हहिं एक अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. चौथा दिन नवरात्र का चहुँ दिशि हरष हिलोर ।
कूष्मांडा माँ की कृपा बरस रही सब ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. स्कन्धमातु को ध्यावत पंचम दिन मन लाइ ।
सुत सुख संपत्ति अमित यश देहिं कृपाकरि माइ ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. कात्यायनी माँ की कृपा सरस रही सब ओर ।-
दो. चौथा दिन नवरात्र का चहुँ दिशि हरष हिलोर ।
कूष्मांडा माँ की कृपा बरस रही सब ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. स्कन्धमातु को ध्यावत पंचम दिन मन लाइ ।
सुत सुख संपत्ति अमित यश देहिं कृपाकरि माइ ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
छठवाँ दिन नवरात्र का जननि आसरा तोर ॥
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दो.कालरात्रि जगदम्बिके सादर नावउँ माथ ।
कृपा करहु जननी जगत तुम सों सदा सनाथ ॥
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दो. महागौरिजा आठवाँ जगत जननि तव रूप ।
सादर बंदउँ पद कमल माते परम अनूप ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. नवरात्रों के नवम दिन सिद्धिदात्री अंब ।
कृपा करहु सब पर जननि सबकी तुम अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईं वालों पर कृपा होवै जननी तोर ।
भूतन्ह महुँ भटकैं जनि ताकहिं तुम्हरी ओर ॥
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दो. साईंहिं सेवहिं मूढ़ जे जननी तुम्हहिं बिसारि ।
तिन्ह कहँ देहु दरिद्रता सबक सिखावहु झारि ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.निर्मल बाबा टाइप के पापिन्ह कहँ लतियाव ।
जहाँ तमाशाराम तहँ इन हूँ को पहुँचाव ॥
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दो.निर्मल बाबा कर रहा शास्त्र विमुख बकवास ।
ऐसे पापिन्ह को जननि सबक सिखाओ ख़ास ॥
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दो. जगतजननि की कृपा से सुधरे सब संसार ।
कन्याओं पर बंद हो भीषण अत्याचार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. सरकारी अधिकारियों की होवे सद्बुद्धि ।
कामचोर सुधरें जननि घूँस ने लें हो शुद्धि ॥
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दो भ्रष्ट अफसरों को जननि दीजै दारुण दंड ।
भूल जाएँ बदमाशियाँ भुगतें पाप प्रचंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. बलात्कारियों को जननि दीजै ऐसा रोग ।
किसी काम के न रहें तरसें लखि लखि भोग॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.साईं वाले दे रहे तुम्हें चुनौती मात । बुड्ढे के बलपर कहैं हम सब हैं कुशलात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईं पत्थर पुज रहे देवी देव घमात ।
इन पापी पाखंडियों को सबक सिखाओ मात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. किसी जन्म के पाप हैं भुगत रहे जो भोग । दुर्गा माँ को छाँड़ि के साईंहिं पूजत लोग ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. जगत जननि जगदंब में कहा कमी अस लाग ।
जे साइँहिं पूजत फिरहिं तिन्हके परम अभाग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.माँ दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात ।
राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. दैत्य दलन्ह को दलिमल्यो जगदम्बे बहुबार।
धरम सुरक्षा के लिए अब करहु साईं संहार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. प्रेमी जोड़े नाम को व्यभिचारी समुदाय ।
दूषित करत समाज सब तिन्हहिं सुधारहु माय ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.राम,कृष्ण शिव की जननि पूजा क्या पाखंड ।
साईं वाले बक रहे क्यों जननी अँडबंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. देवी देवता सुनत नहिं साईं दें सब भोग ।
पुण्यहीन भाषत अस मरन चाहत जे लोग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. हमैं सोच नहिं आपनो कहउँ न अपने हेत ।
' साईं ' कसकै रात दिन माँ तुम्हें चुनौती देत ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. मधुकैटभ को बल दल्यो शुंभ निशुंभ को अंब ।
साइँन्ह की बारी अब कृपा करहु जगदंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. मंदिर में साईं पुजत देवी देव घमात ।
पापिन्ह को पाखंड अब जननि सहो नहिं जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. मंदिर में साईं घुसे देवी देव उदास ।
साईं वालों को जननि सबक सिखावहु ख़ास
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दो. साईं वालों को जननि दीजे दंड कठोर ।
जगदंबे तुम्हरे रहत ये साइँहिं पूजत चोर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईं पूजा देश में सब पापों की मूल ।
जग जननी कीजै कृपा तुम्हारे हाथ त्रिशूल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो . अकर्मण्य सुर हो गए कहैं साईं के शेर ।
बुढ़ऊ पुरिहैं कामना अंबे ये अंधेर ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. देवी देव दिखावटी बने सजावट माल ।
साईं अब करिहैं कृपा जगदंबे ये हाल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. पाखंडी फैला रहे भ्रम अंबे दो ध्यान ।
मंदिर मंदिर बिक रहे साईं धरे दुकान ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
न गच्छेत् साईं मन्दिरं !(साईं मंदिर नहीं जाना चाहिए )
साईं गिरोह के लोगों से सावधान !
बंधुओ !मायावी साईं संप्रदाय के लोग नवरात्रों को कैस करने के लिए बुड्ढे
को साड़ी पहना कर लाली लिपस्टिक लगाकर बैठा सकते हैं कहीं धन माँगने के लिए
ये लालची लोग कुछ भी कर सकते हैं इन्हें क्या बोल देंगे कि 'साईंमाता'
प्रकट हुई हैं अभी साईं की नौ फोटो अलग अलग बनवाकर मनाने लगेंगे साईं
नवरात्र और माँगने लगेंगे चढ़ावा भीख !इसलिए बंधुओ ऐसे पापियों से अपने एवं
अपने परिवारों को बचाते रहें और चिपके रहें अपने देवी देवताओं की भक्ति से
एवं अपनी पावन शास्त्रीय परंपराओं से !बंधुओ !हम आप रहें न रहें किंतु
हजारों लाखों वर्षों से चली आ रही अपनी परंपराएँ मिटने न पाएँ यही तो अपनी
पहचान है ।
दो. जे खुद को योगी कहैं करैं सकल व्यापार ।
अस कलियुगी पतंजली बाबन्ह को धिक्कार ॥
दो.शुभ प्रभात हो सखागण मंगलमय रविवार ।
सूर्य कृपा सब पे रहै परिहरि रोग विकार ॥
दो.शुभ प्रभात हो बंधुओं सोमवार शिववार ।
भोले बाबा कृपाकरि कटिहैं कष्ट हजार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार ।
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार ।
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो. बुद्ध सुखद सबके लिए शुभ फलप्रद हो आज ।
सकल कामना पूर्ण दिन पावहु मित्र समाज ॥
दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
शुभ दिन बीते आपका सुख पावहु दिन रात ॥
दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
शुभ दिन बीते आपका सुख पावहु दिन रात ॥
दो.शुक्रवार की सुबह शुभ बंधु बहन सानंद ।
स्वीकारो शुभ कामना कृपा करहिं ब्रजनंद ॥
दो. शुभ प्रभात शनिवार का सुखी सखा सानंद ।
शनि पीड़ा को भय तजहु भजहु अंजनी नन्द ॥
हे मित्रो !आज शनिवार का सबेरा आपके लिए शुभ हो, आप सुखी हों, आनंदित रहें । बंधुओ !शनि देव के द्वारा दी जाने वाली परेशानियों से आप बिलकुल भयभीत न हों और प्रभु हनुमान जी का भजन करते रहें ।
दो.जगज्जननि जगदम्बिके सरस्वती सुखदानि ।
कृपाकरहु हे कृपामयि सादर वीणापानि ॥
नवरात्री
दो.मंगलमय होली रहे घर घर मंगलचार ।
बहनों के सँग बंद हो अब तो अत्याचार ॥
दो. बूढ़ों की सेवाबढ़े श्रेष्ठों का सम्मान ।
स्नेह भाव सबके प्रति करहु छाँड़ि अभिमान ॥
दो. भाई बहनों प्राणप्रिय पावहु हर्ष अपार ।
प्रभु प्रसाद से सुखद हो होली को त्यौहार ॥
दो. भाई बहन के स्नेह का है पावन त्यौहार ।
नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन में प्यार ॥
दो. बूढ़ों की सेवाकरो श्रेष्ठों का सम्मान ।
स्नेह भाव सबके प्रति रखहु छाँड़ि अभिमान ॥
दो. शास्त्रविमुख मक्कार जग जे ब्यभिचारी लोग ।
'साईं' बेचत फिर रहे धर्म नाम पर ढोंग ॥
दो . जे पापी पाखंड प्रिय भ्रष्टाचारी लोग ।
गीता तिन्हैं सोहात नहिं जिन्हैं भोगनो भोग ॥
दो. जिन बदले निज देवता बदल सकैं ते बाप ।
साईं बाले कर रहे धर्म नाम पर पाप ॥
दो. गीता जैसे ग्रन्थ का जो कर रहे विरोध ।
उनके भ्रष्टाचार पर होना चाहिए शोध ॥
दो. जे पापी मानत नहीं करत पाप पर पाप ।
तिन्हैं गीता से डर लगे राजनीति के साँप ॥
दो. तिन्हैं मरन को भय कहा जे जग जोगी लोग ।
खुद लै फिरहिं सिक्योरिटी औरन्ह सिखवत योग ॥
दो.अजर अमर है आत्मा नश्वर मिला शरीर ।
गीता का सन्देश यह हरहु जगत की पीर ॥
दो. धन तेरस सबके लिए दे आनंद अपार ।
माँ लक्ष्मी की कृपा से सुख पावै संसार ॥
दो. मंगलमय बीते दिवस सुदिन सुमंगल आज।
कृष्णकृपा भाजन बनो कृपा करहिं ब्रजराज ॥
दो.गई जरावन भक्त को जरी होलिका आप ।पुण्य विजय का पर्व यह हुआ पराजित पाप ॥
दो. राख ढेर सों प्रकट भै पुनः भक्त प्रह्लाद ।
देखि सखा हर्षित भए सबकर मिटा विषाद ॥
दो. खेलन लागे राख सों लगे उलीचन धूल ।
भक्त विजय सुनि सुर गगन बरसन लागे फूल ॥
दो. भाई बहन के स्नेह का है पावन त्यौहार ।
नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन में प्यार ॥
दो. चैत्र शुक्ल की दूज शुभ बासंती नवरात्र ।
रहहु सखा सानंद नित निरुज होहि तव गात्र ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र ।
रहहु सखा सानंद नित निरुज होहि तव गात्र ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. कात्यायनी माँ की कृपा सरस रही सब ओर ।
छठवाँ दिन नवरात्र का जननि आसरा तोर ॥
-see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.कालरात्रि जगदम्बिके सादर नावउँ माथ ।
कृपा करहु जननी जगत तुम सों सदा सनाथ ॥
- see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. महागौरिजा आठवाँ जगत जननि तव रूप ।
सादर बंदउँ पद कमल माते परम अनूप ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो.शुभ कामना प्रसाद मैं सादर धारउँ शीश ।
जुग जुग चलै सनेह यह कृपा करहिं जगदीश ॥
दो. नवरात्रों के नवम दिन सिद्धिदात्री अंब ।
कृपा करहु सब पर जननि सबकी तुम अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईं वालों पर कृपा होवै जननी तोर ।
भूतन्ह महुँ भटकैं जनि ताकहिं तुम्हरी ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र ।
स्वजन सखा सानंद हों निरुज होंहि शुचि गात्र ॥
दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात।
जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईंहिं सेवहिं मूढ़ जे जननी तुम्हहिं बिसारि ।
तिन्ह कहँ देहु दरिद्रता सबक सिखावहु झारि ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.निर्मल बाबा टाइप के पापिन्ह कहँ लतियाव ।
जहाँ तमाशाराम तहँ इन हूँ को पहुँचाव ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.निर्मल बाबा कर रहा शास्त्र विमुख बकवास ।
ऐसे पापिन्ह को जननि सबक सिखाओ ख़ास ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.जे ज्योतिष जानत नहीं वास्तु पढ़ी नहिं रंच ।
ते भविष्य भाषत फिरहिं झुट्ठौ करत प्रपंच ॥
दो. टीवी वाले ज्योतिषी झुट्ठी सँग अठिलाँय।
झूठ बतावहिं राशिफल झूठे बकहिं उपाय ॥
दो. व्यास कहाँ शुकदेव कहँ कहाँ भागवत 'शेष' ।
कथा कहत किन्नर फिरहिं धरि बहुरुपिया वेष ॥
दो. नाम भागवत को रटैं करैं "भोगवत " 'शेष '।
हँसि हँसि हेरहिं औरतैं धरि भड़ुअन को वेष ॥
दो.लीन्हें घूमैं भागवत जे भागवतिहा लोग ।
करि सोलह श्रृंगार ये मँजनू माँगें भोग ॥
दो. साधू चहैं सिक्योरिटी निर्भय फिरहिं गृहस्थ ।
पाप पाई जे छुवत नहिं ते बिना योग के स्वस्थ ॥
दो हाथ पैर भाँजत फिरहिं नई योग की रीति ।
सबै दिखावैं साधुता मरिबे ते भयभीत ॥
दो. महँगाई से मर रहे बाल बृद्ध नर नार ।
अरबोंपति बाबा बने नूडल को व्यापार ॥
दो. संस्कार सहिष्णुता त्याग तपस्या सूख ।
भूत बने बाबा फिरैं मिटत न धन की भूख ॥
दो.योग योग सब कोइ कहै किन्तु न जानत योग ।
चित्तवृत्ति फैली फिरहिं हँसैं हहाहा लोग ॥
दो. जो खुद को योगी कहै करै सकल व्यापार ।
भाषण में हो वीरता कर्मन्ह में सलवार ॥
दो. कालेधन की बात करि बाबा कीन्हें शोर ।
अब न दिखात सुनात नहिं मौन भए मुखचोर ॥
दो. धर्म कर्म में रूचि रहै चित ध्यावै ब्रजराज
बुरा न बोलो काहु को तौ का करिहैं यमराज ।
दो. निर्भय फिरत किसान सब करत खेत खलिहान ।
बोझ बने बाबा फिरहिं लहे सिक्योरिटी शान ॥
दो.बाबा बोलत वीर रस रहे लगावत आग ।
भयवश नारीवेष में प्रकटे अस वैराग ॥
दो. झूठ साँच भ्रम बोलत रहे कालेधन का जोक ।
मिलत सिक्योरिटी शांत भे बाबा अस डरपोक ॥
दो.राजनीति ने देश में किया बहुत उत्पात ।
करना धरनाकुछ नहीं ब्यर्थ बनावत बात ॥
दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात।
जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईंहिं सेवहिं मूढ़ जे जननी तुम्हहिं बिसारि ।
तिन्ह कहँ देहु दरिद्रता सबक सिखावहु झारि ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.निर्मल बाबा टाइप के पापिन्ह कहँ लतियाव ।
जहाँ तमाशाराम तहँ इन हूँ को पहुँचाव ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.निर्मल बाबा कर रहा शास्त्र विमुख बकवास ।
ऐसे पापिन्ह को जननि सबक सिखाओ ख़ास ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.जे ज्योतिष जानत नहीं वास्तु पढ़ी नहिं रंच ।
ते भविष्य भाषत फिरहिं झुट्ठौ करत प्रपंच ॥
दो. टीवी वाले ज्योतिषी झुट्ठी सँग अठिलाँय।
झूठ बतावहिं राशिफल झूठे बकहिं उपाय ॥
दो. व्यास कहाँ शुकदेव कहँ कहाँ भागवत 'शेष' ।
कथा कहत किन्नर फिरहिं धरि बहुरुपिया वेष ॥
दो. नाम भागवत को रटैं करैं "भोगवत " 'शेष '।
हँसि हँसि हेरहिं औरतैं धरि भड़ुअन को वेष ॥
दो.लीन्हें घूमैं भागवत जे भागवतिहा लोग ।
करि सोलह श्रृंगार ये मँजनू माँगें भोग ॥
दो. साधू चहैं सिक्योरिटी निर्भय फिरहिं गृहस्थ ।
पाप पाई जे छुवत नहिं ते बिना योग के स्वस्थ ॥
दो हाथ पैर भाँजत फिरहिं नई योग की रीति ।
सबै दिखावैं साधुता मरिबे ते भयभीत ॥
दो. महँगाई से मर रहे बाल बृद्ध नर नार ।
अरबोंपति बाबा बने नूडल को व्यापार ॥
दो. संस्कार सहिष्णुता त्याग तपस्या सूख ।
भूत बने बाबा फिरैं मिटत न धन की भूख ॥
दो.योग योग सब कोइ कहै किन्तु न जानत योग ।
चित्तवृत्ति फैली फिरहिं हँसैं हहाहा लोग ॥
दो. जो खुद को योगी कहै करै सकल व्यापार ।
भाषण में हो वीरता कर्मन्ह में सलवार ॥
दो. कालेधन की बात करि बाबा कीन्हें शोर ।
अब न दिखात सुनात नहिं मौन भए मुखचोर ॥
दो. धर्म कर्म में रूचि रहै चित ध्यावै ब्रजराज
बुरा न बोलो काहु को तौ का करिहैं यमराज ।
दो. निर्भय फिरत किसान सब करत खेत खलिहान ।
बोझ बने बाबा फिरहिं लहे सिक्योरिटी शान ॥
दो.बाबा बोलत वीर रस रहे लगावत आग ।
भयवश नारीवेष में प्रकटे अस वैराग ॥
दो. झूठ साँच भ्रम बोलत रहे कालेधन का जोक ।
मिलत सिक्योरिटी शांत भे बाबा अस डरपोक ॥
दो.राजनीति ने देश में किया बहुत उत्पात ।
करना धरनाकुछ नहीं ब्यर्थ बनावत बात ॥
दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
शुभ दिन बीते आपका सुख पावहु दिन रात ॥ दो. जगतजननि की कृपा से सुधरे सब संसार ।
कन्याओं पर बंद हो भीषण अत्याचार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. सरकारी अधिकारियों की होवे सद्बुद्धि ।
कामचोर सुधरें जननि घूँस ने लें हो शुद्धि ॥
दो भ्रष्ट अफसरों को जननि दीजै दारुण दंड ।
भूल जाएँ बदमाशियाँ भुगतें पाप प्रचंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. बलात्कारियों को जननि दीजै ऐसा रोग ।
किसी काम के न रहें तरसें लखि लखि भोग॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.नेताओं की नियत पर है भारी संदेह ।
जनसेवा की बात कर भरते अपने गेह ॥
दो.साईं ठग्गू लाल का दिन कैसे गुरूवार ।
विष्णु दिवस महिमा अमित जानत सब संसार ॥
दो.साईं वाले दे रहे तुम्हें चुनौती मात ।
बुड्ढे के बलपर कहैं हम सब हैं कुशलात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईं पत्थर पुज रहे देवी देव घमात ।
इन पापी पाखंडियों को सबक सिखाओ मात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. पत्थर साईं नाम के पूजत अनपढ़ लोग ।
प्राण गए यमराज घर तबहुँ लगावत भोग ॥
दो. किसी जन्म के पाप हैं भुगत रहे जो भोग ।
दुर्गा माँ को छाँड़ि के साईंहिं पूजत लोग ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. जगत जननि जगदंब में कहा कमी अस लाग ।
जे साइँहिं पूजत फिरहिं तिन्हके परम अभाग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईं प्राणन्ह खैंच कै भागि गए यमदूत ।
यहाँ शरीरहिं गाड़ि कै पुजत साईं को भूत ॥
दो.प्राण गए यमराज घर देही दई सड़ाय ।
अब साईं को का बचो जो शिरडी देखन जाय ॥
तहाँ न साईं को कछू तहाँ न पूजा पाठ ।
दो.शिव दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात ।
राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥
दो.माँ दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात ।
राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. दैत्य दलन्ह को दलिमल्यो जगदम्बे बहुबार।
धरम सुरक्षा के लिए अब करहु साईं संहार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. शिक्षक जे न पढ़ावहिं बेतन लें हर बार ।
पढ़ें न तिनहूँ के शिशु जौं पढ़ें तो हों बेकार ॥
दो. प्रेमी जोड़े नाम को व्यभिचारी समुदाय ।
दूषित करत समाज सब तिन्हहिं सुधारहु माय ॥
दो. तीसर दिन नवरात्रि का चंद्रघंटिके अंब ।
चरण शरण जगदम्बिके तुम्हहिं एक अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. चौथा दिन नवरात्र का चहुँ दिशि हरष हिलोर ।
कूष्मांडा माँ की कृपा सरस रही सब ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. स्कन्धमातु को ध्यावत पंचम दिन मन लाइ ।
सुत सुख संपत्ति अमित यश देहिं कृपाकरि माइ ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.राम,कृष्ण शिव की जननि पूजा क्या पाखंड ।
साईं वाले बक रहे क्यों जननी अँडबंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. देवी देवता सुनत नहिं साईं दें सब भोग ।
पुण्यहीन भाषत अस मरन चाहत जे लोग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. हमैं सोच नहिं आपनो कहउँ न अपने हेत ।
' साईं ' कसकै रात दिन माँ तुम्हें चुनौती देत ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. मधुकैटभ को बल दल्यो शुंभ निशुंभ को अंब ।
साइँन्ह की बारी अब कृपा करहु जगदंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. मंदिर में साईं पुजत देवी देव घमात ।
पापिन्ह को पाखंड अब जननि सहो नहिं जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.राम कृष्ण शिव के विमुख रचें साजिशें ढेर ।
अपने को हिंदू कहैं देखौ तौ अंधेर ॥
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दो. खरदूषण रावण बध्यो हे रघुनंदन राम ।
अबकी दशहरा साईं पर बीतै 'जय श्री राम' ॥
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दो. मंदिर में साईं घुसे देवी देव उदास ।
साईं वालों को जननि सबक सिखावहु ख़ास
see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.htmlदो. साईं वालों को जननि दीजे दंड कठोर ।
जगदंबे तुम्हरे रहत ये साइँहिं पूजत चोर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईं पूजा देश में सब पापों की मूल ।
जग जननी कीजै कृपा तुम्हारे हाथ त्रिशूल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो . अकर्मण्य सुर हो गए कहैं साईं के शेर ।
बुढ़ऊ पुरिहैं कामना अंबे ये अंधेर ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. देवी देव दिखावटी बने सजावट माल ।
साईं अब करिहैं कृपा जगदंबे ये हाल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. पाखंडी फैला रहे भ्रम अंबे दो ध्यान ।
मंदिर मंदिर बिक रहे साईं धरे दुकान ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. पाप पुण्य कुछ भी करे साईं मंदिर जाय ।
कृपा वहाँ पर बिक रही पैसे दे लै जाय ॥
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दो. पापकर्म खुब बढ़ गए रोज हो रहे रेप ।
हत्या भ्रष्टाचार सब साईं कृपा की खेप ॥
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ज्योतिषियों के पाखंड -
दो. रामायण के सीरियल में बन का गए राम ।
अरुण गोबिल हो गए हैं तब से बेकाम ॥
दो. खुद न रहे कछु काम के तौ पकरो 'कुमार ' ।
'मंतर' 'मंतर' करि रहे संस्कृत ते लाचार ॥
दो. मंत्र कहे पावत नहीं सप्तशती लै हाथ ।
पढ़ना निज बश को नहीं ठोंकि रहे हैं माथ ॥
दो. जेल तमाशाराम गए तब बाबा घबड़ान ।
पढ़नो तौ बश को नहीं पकड़े फिरैं पुरान ॥
दो.पैंट लसेटे फिर रहे ज्योतिष के लप्फाज ।
बेटा बेटा कह रहे बापन्ह को तजि लाज ॥
दो. ज्योतिष के बकवासियों को मेरा challenge ।
बेहूदे बोलत फिरैं yes I can change ॥
दो. टीवी वाले ज्योतिषी झुट्ठी लीन्हें साथ ।
कहैं मोर गुण गावहु पैसे पकड़ो हाथ ॥
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दो. गुरू गुरू झूट्ठी करै करै गढ़ि गढ़ि तानै तीर ।
भाग्य भ्रष्ट जगदम्ब वे रचत फिरत तकदीर ॥
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दो. झुट्ठी बोलै गुरू जी नाक नक्स की नीक ।
भोंदू बक्सन्ह सों कहै तुम्हहिं ज्योतिषी ठीक ॥
दो. संस्कृत पढ़ी न ज्योतिष नहिं मन्त्रन्ह को ज्ञान ।
तिन्ह कहँ व झुट्ठी कहै तुम सम को विद्वान !
दो. झूठ राशिफल नाम का कपट करहिं सब भाँति ।
व्यस्त कहहिं खुद को बहुत 'पर' खून पिअहिं दिनराति ॥
दो. ज्योतिष को ऐसो नशा तरह तरह ढोंग ।
बेटा बोलैं बड़ेन्ह को ये पाखंडी लोग ॥
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दो. जिद न जीत की ठीक है हार न हेरि हिराहिं ।
मौत याद हर क्षण रहै तौ मन फिसलत नाहिं ॥
दो. हाथ पैर टोरत फिरै ब्यर्थ स्वास या हास ।
काम न अपनो करि सकें हर छिन रहत हताश ॥
दो.परिवारों में प्रेम हो तजो स्वार्थ की गंध ।
कच्चे धागों से बँधे परिवारी सम्बन्ध ॥दो . आज कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्यौहार ।
कृष्ण कृपा भाजन बनो ध्यावत नंदकुमार ॥
दो. शंख चक्र कर गदा लै पद्म सुशोभित हाथ ।
देवकि माँ सों प्रकट ह्वै राजहिंगे यदुनाथ ॥
सबको कोटि बधाइयाँ तिहुँ पर जय जयकार ॥
दो. हुई प्रतीक्षा वर्ष भर तब आया शुभ वार ।
मंगलमय सबके लिए दीवाली त्यौहार ॥
दो. सुखी होय सारा जगत सब दुःख दर्द बिसार ।
नित नूतन बढ़ता रहे सब लोगों में प्यार ॥
आज रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर आप सभी भाई बहनों को बहुत बहुत बधाई !
आप सभी स्नेहिल भाई बहनों के स्नेहभाजन होने से आनंदित हूँ !
आप सभी स्नेहिल भाई बहनों के स्नेहभाजन होने से आनंदित हूँ !
दो. सदा सुखी हो बंधुओ युग युग का त्यौहार ।
नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन का प्यार ॥
दो. क्षण भंगुर यह जिंदगी अस्थिर जग व्यवहार।
घटने कभी न दीजिए परिवारों में प्यार ॥
दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय ।
कहा पता अगले वरष मिलनो होय न होय ॥
दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय ।
पता नहीं अगली सुबह मिलनो होय न होय ॥
दो. बच्चे तरसैं बात को घरै दिखावैं तैस ।
औरन्ह संग हा हा हँसैं बाहर हो खुब ऐस ॥
दो. आज जवानी आप यदि रखि नहिं सके सँवारि ।
कल वृद्धापन आइहै हँसिहैं सब दै तारि ॥
दो. सबसे मिलिए प्रेम से करो मधुर व्यवहार ।
पता नहीं किससे कब मिलन आखिरी बार ॥
दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय ।
कहा पता अगले वरष मिलनो होय न होय ॥
दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय ।
पता नहीं अगली सुबह मिलनो होय न होय ॥
दो. बच्चे तरसैं बात को घरै दिखावैं तैस ।
औरन्ह संग हा हा हँसैं बाहर हो खुब ऐस ॥
दो. आज जवानी आप यदि रखि नहिं सके सँवारि ।
कल वृद्धापन आइहै हँसिहैं सब दै तारि ॥
दो. सबसे मिलिए प्रेम से करो मधुर व्यवहार ।
पता नहीं किससे कब मिलन आखिरी बार ॥
दो.अपनेपन के प्रेम में हो न स्वार्थ की गंध ।
कच्चे धागों से बँधे अपनो के सम्बन्ध ॥
दो. परिवारों का प्रेम सब नशा हास परिहास।
स्वार्थ घमंडी भाव से घर भर फिरैं उदास ॥
दो. मीठी बोली के बिना बिखर रहे परिवार ।
मीठा के डिब्बे लहे बाँटत फिरैं लबार ॥
स्वार्थ घमंडी भाव से घर भर फिरैं उदास ॥
दो. मीठी बोली के बिना बिखर रहे परिवार ।
मीठा के डिब्बे लहे बाँटत फिरैं लबार ॥
दो.भाई बहन के प्रेम में हो न स्वार्थ की गंध ।
कच्चे धागों से बँधा भाई बहन सम्बन्ध ॥ दो. परिवारों का प्रेम सब नशा हास परिहास।
पत्नीभक्ति प्रभाव से घर भर फिरैं उदास ॥
दो. महिलाओं का दोष नहिं दोषी पुरुष समाज ।
मन पर संयम ही नहीं मथत फिरैं रतिराज ॥
दो. कामदेव को खुश करै रामदेव को योग ।
औषधि बेचें काम की योग बहाने भोग ॥
दो. कालगर्ल का दोष क्या कालर ब्यॉय उतान।
सेक्सरैकटी छीनते महिलाओं का मान ॥
दो. पार्क पार्किंगों में मिलैं लिपटे चिपटे दोउ ।
कुत्ते बिल्ली की तरह किन्तु न रोके कोउ ॥
दो. अपने मन के सेक्स को पापी बोलैं प्यार ।
रावण को फूँकत फिरैं ऐसेन्ह को धिक्कार॥
दो. पति पत्नी के बीच में बढ़ती रहती खाइ ।
प्यार भरे छलकत फिरैं ताकत फिरैं लोगाइ ॥
दो. बच्चे दर दर भटकते जे जन करहिं तलाक ।
ढूँढत प्रेमी प्रेमिका ये प्यार करेंगे खाक ॥
दो. पति पत्नी के बीच में दिन दिन बढ़त दरार ।
पर पत्नी के प्रेम में मारे फिरैं लबार ॥
ऐ दिल्लीनरेश ! जागो ये समय आत्मचिंतन का नहीं अपितु आत्ममंथन का है निजी स्वार्थों से ऊपर उठो !
हमारा आम आदमी पार्टी के वर्तमान एवं भूत पूर्व सभी सात्विक लोगों से
निवेदन है इस विरक्त विचारधारा को बटने से बचा लीजिए !see
more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/04/blog-post_45.html
आमआदमीपार्टी
से 'अ' अक्षर वाले अंजली ,अरविंद ,आशीष, आशुतोष आदि लोगों को लेनी होगी
विदाई
!-ज्योतिषseemore...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html
हमारी माँ बहन को भी कोई गाली दे !ऐसा कोई भला आदमी क्यों चाहेगा !
दूसरे को गाली हमेंशा वो लोग देते हैं या फेस बुक पर लिखते हैं जिनका मन
होता है कि काश ! हमारी माँ बहन को भी कोई गाली देता ! गाली देगा वही जिसके
पास गालियाँ होंगी और होंगी नहीं तो देगा कहाँ से ! ऐसे लोगों की माताएँ
भी ऐसी ही होती होंगी !यह भी संभव है कि ऐसी माताओं ने इनको जन्म देने में
ही संस्कारों की किस्तें पूरी न की हों या फिर गलत तरीके से की हों !
यह भी संभव है कि ऐसी माताओं के उनके अपने ही संस्कार न ठीक हों उन्हीं का
परिचय दे रहे हों ये गाली देने वाले लोग !खैर !बाकी सभी अच्छे संस्कारों
वाले माता पिता की संतानों से निवेदन है कि वो ऐसी माताओं को भी गाली न दें
जिन्होंने गाली देने वाले इतने गंदे बच्चे पैदा किए हों !जो अपने माता
पिता के कुसंस्कारों की भड़ास औरों पर निकालते फिरते हों !
दो.स्वजन सनेही सखा सब रखो मधुर व्यवहार ।
मंगलमय हो आपको दीवाली त्यौहार ॥
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