Saturday, 21 November 2015

सामूहिक झलकियाँ !

 अशिक्षित मंत्री अपने अनुशार चलाएँगे IAS अफसरों को !अफसरों का मनोबल कैसे बढ़े ! ये व्यवहार किसी अपमान से कम है क्या ? 
    इन नेता पुत्रों को खुद कुछ करना नहीं आएगा आप स्वयं सोचिए कि ये यदि कुछ करने लायक ही होते तो पढ़ लिख न लेते ! गरीबों के बच्चे भी  तो पढ़ जाते हैं ये तो सब सुख सुविधा पाने वाले मुख्यमंत्री के बेटे हैं तब भी जब ये पढ़ नहीं पाए तो कल्पना कीजिए कितने नकारा रहे होंगे ये नेतापुत्र  ! ऐसे लोगों को काम काज की समझ ही नहीं है अफसरों को काम करने देंगे ये !फोकट की टाँग अड़ाते रहेंगे हर जगह ! बिहार बासियों ने लिया एक गलत और दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय ! ऐसे ही अदूरदर्शी और भावुक निर्णयों से बिगड़ी है प्रदेश की शाख ! बिहारवासी भाई बहनों को अपने ही  देश के कई प्रांतों से मार पीट कर भगाया  गया !यद्यपि ये बहुत निंदनीय है किंतु कम ये भी नहीं है कि लोकतंत्र के नाम पर जो भ्रमित निर्णय लिया बिहारवासी भाई बहनों ने !इसके दुष्परिणामों को लेकर हर सुबुद्ध व्यक्ति संशयग्रस्त है फिर भी इस शुभ घडी में हमारी ओर से बिहारवासी भाई बहनोंको बहुत बहुत बधाई !see more....samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_44.html


    शपथग्रहण  समारोह में 'शकुनी श्री ' सबसे लड़ाते दिखे पेट !
      देश के किसी भी भाग में बदनाम नेताओं की कोई लिस्ट या भ्रष्टाचारी नेताओं को दी जाने वाली कोई गाली जिन 'शकुनीश्री' का नाम लिए बिना पूरी नहीं होती साक्षात वे ही  'शकुनी श्री ' नीतीश कुमार जी के शपथ ग्रहण समारोह में लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहे !ये हर किसी किसी आगंतुक नेता से जबर्दश्ती पेट लड़ाते हाहाहूहू करते घूम रहे थे। इसमें भी सबसे आकर्षक दृश्य वह था जब अपनी गंदी भाषा से देश के  राजनेताओं को बेईमान लुटेरा चोर जैसे शब्द बोलकर  सत्ता हथियाने वाले एक नवोदित मुख्यमंत्री  ने 'शकुनीश्री' से पेट लड़ाया तो ये दृश्य देखकर लोग भौचक्के रह गए !भगवान करे   समाज साधक तपस्वी अन्ना हजारे जी ने न देखा हो यह दृश्य !क्या सह पाए होंगे वे अपने चेले की ये स्वचालित नैतिकता ! किंतु उस शपथ ग्रहण समारोह में सबसे अधिक देखा जाने वाला दृश्य यही था !see more....samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_44.html

                             मोदी से भयभीत विरोधी नेताओं की लगीं लंबी कतारें शपथ ग्रहण समारोह में !
          राष्ट्रीय राजनीति में अचानक प्रकट हुए मोदी जी के भय से डरे सहमे विपक्षी नेतालोगों को डेढ़ वर्ष बाद कल पहली बार शपथ ग्रहण समारोह में खुलकर हँसते देखा गया ! ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी रेगिस्तान में भयंकर गर्मी से झुलसते पथिकों को भटकते भटकते कहीं छोटी सी छाया नसीब हो गई हो !क्या शकून था चेहरों पर !जैसे किसी जंगल में अचानक किसी शेर के आ जाने पर बड़े छोटे का भेदभाव भूलकर  आत्म सुरक्षा के लिए किसी एक जगह इकट्ठे हो गए हों !ऐसे ही शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण मिलना तो यहाँ सम्मिलित नेताओं के लिए एक बहाना मात्र था सच्चाई में तो अपना अपना राजनैतिक आस्तित्व बचाने के लिए वहाँ पहुँचना सब जरूरी समझ रहे थे !see more....samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_44.html




 देश की राजनीति के देवता भी पहुँचे थे शपथग्रहण समरोह में !
   जिनके दर्शन करने के लिए 'शकुनीश्री'  जैसे कॉमेडियन समय लेने के लिए महीनों जुगत भिड़ाया करते थे तब कहीं नसीब हो पाता था जिनका दीदार ! सौभाग्य से ऐसे देवता समारोह में अचानक स्वयं प्रकट  हो गए जिन्हें देखते ही खिला खिला उठे मोदीभय  से डरे सहमें बेसहारा नेता लोग !चूँकि ये समारोह उठाकर दिल्ली नहीं लाया जा सकता था इसलिए उन सुकोमलांग राजनैतिक राजकुमार को अपने आश्रितों का मनोबल एवं उत्साह बढ़ाने के लिए भी स्वयं पहुँचना पड़ा मंच पर !सकपकाए 'शकुनीश्री' ने उठकर उनसे भी तुरंत लड़ाया पेट !ये दृश्य देश के मीडियायी  कैमरों  के लिए बिलकुल अभूत पूर्व था ! see more....samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_44.html

कानूनी अड़चनों के कारण चुनाव न लड़ पाने वाले लालू जी शपथ ग्रहण में आगंतुकों से पेट ही लड़ाते रहे !
  यह पेट जिससे जिससे लड़ा वो सुर्ख़ियों में आ गया उन लोगों को न जाने कितने दिनों तक देनी पड़े जनता को सफाई !मीडिया वाले बार बार दिखा रहे हैं बस वही पेटद्वय !जानिए और भी बहुत कुछ see more....samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_44.html
 
         जो शपथपत्र नहीं पढ़ पाए वो सरकार चलाएँगे ख़ाक ! जैसे पिता जी कॉमेडी करके समय पास करते रहे वैसे ही पुत्र भी करेंगे !किंतु पता नहीं उन्हें कॉमेडी करनी आती भी है कि नहीं !
      अफसरों का ये दुर्भाग्य ही है कि उन्हें ऐसे नकारा नेतापुत्रों की जी हुजूरी करनी पड़ती है जो शपथपत्र भी न पढ़ पाते हों !   इसे लोकतंत्र का सम्मान कहें या शिक्षा का अपमान ! शिक्षा की जब दुर्दशा ही होनी है तो क्यों शिक्षा ? क्यों परीक्षा ?शिक्षा के लिए बड़ी बड़ी योजनाएँ क्यों ?  जिन नेतापुत्रों की शिक्षा चपरासियों जैसी हो उन्हें लोकतंत्र की दुहाई देकर मंत्री उपमुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री !जैसे बड़े पदों पर सुशोभित किया जाना कहाँ का न्याय है !लोकतान्त्रिक प्रणाली में भी शिक्षा का क्या कोई महत्त्व नहीं होना चाहिए आखिर बिना शिक्षा के आजकल होता क्या है फिर भी राजनीति के लिए शिक्षा आवश्यक नहीं समझी जाती क्या !see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post_31.html

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