Monday, 23 November 2015

हे केजरीवाल जी ! आपके शपथग्रहण समारोह में या वैसे आप से मिलने लालू जी कभी आए क्या ?फिर उन्हें क्यों बदनाम कर रहे हैं आप !

    केजरीवाल जी !लालू जी से मिलने के लिए आप गए थे पटना उनके मंच पर !इस सच्चाई को स्वीकार कीजिए यदि लालू जी से गले न भी मिलते तो क्या बच जाते तपस्वी अन्ना हजारे के आदर्श सिद्धांत !तुम्हारे वहाँ पहुँचने का मतलब ही समर्थन होता है । 
   यदि ऐसा न होता तो मंच लालू जी का शपथ ग्रहण समारोह उनके पुत्रों का और वही न मिलते  मंच पर ऐसी सोच लेकर आप गए ही क्यों ?आखिर वे पिता हैं उन पुत्रों के जिन्हें मंत्री बनना था और जब तुम पहुँच ही गए उनके मंच पर तो उन्होंने अतिथि सत्कार के नाते खुशी में यदि आपसे भी गले मिल ही लिया तो गुनाह हो गया क्या ?यदि आप लालू के साथ हैं तो हैं स्वीकार करने की हिम्मत कीजिए !अन्यथा वहाँ उनके मंच पर गए क्यों वो तो दिल्ली आकर भी कभी नहीं आए तुम्हारे मंच पर और न ही तुम्हारे शपथग्रहण समारोह में ही ! क्या ये सच नहीं है !अब लालू मुक्त पवित्रता का दम्भ क्यों भर रहे हैं आप !क्यों देते फिर रहे हैं सफाई ?
   केजरीवाल जी !यदि आप लालू जी से नहीं ही गले मिलना चाहते थे तो आपके चिपकने के लिए जैसे ही लालू जी आगे बढ़ने लगे थे वैसे ही आप कह तो सकते थे कि खबरदार ! आगे बढ़े तो मैं शोर मचा दूँगा !किंतु आपने ऐसा कुछ तो किया नहीं अब सफाई देने से क्या होगा अब तो जनता सबकुछ समझ चुकी है -
     अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुन गई खेत !
हे केजरीवाल जी ! 
   बिहार में लालू का राज नितीश को ताज की स्थिति है !बिहार सरकार में मनमोहन सिंह जी की तरह ही साल दो साल गुजर बसर करनी होगी नीतीश जी को तब तक थोड़ा बहुत सीख ही जाएँगे मुख्यमंत्री बनना !तब रखी जाएगी ढाई ढाई वर्ष वाली शर्त ! इस प्रकार से ये शपथ ग्रहण समारोह था ही लालू जी का वही सर्वे सर्वा थे !ये पता होते हुए भी आप कह रहे हैं हम तो नीतीश जी को बधाई देने गए थे !जबकि वहाँ नीतीश जी तो एक कोने में बैठे थे बाकी सब तो लालूमय ही  था मंच !वहाँ जाकर लालू जी से गले न मिलना कैसे संभव था ? 
    हे अन्नाआदर्शों के अनन्य प्रेमी अरविंद जी !
 आप बंशवादी राजनीति के  विरोध का अभी भी  दंभ भर रहे हैं जबकि आपकी आँखों के सामने उसी मंच पर दो दो नौनिहालों को तीन तीन तीन मंत्रालय परोसे गए तब तुम्हारी हिम्मत क्यों नहीं पड़ी विरोध करने की और यदि साहस नहीं था तो उठकर चले आते तब भी बात समझी जा सकती थी कि आपको बुरा लगा तो आप चले आए !किंतु आप तो वहाँ से सब कुछ करवा धरवाकर ही आए हैं अब दिल्ली वालों के सामने रोना धोना लेकर क्यों दे रहे हैं सफाई !अब दिल्ली वाले तुम्हारी मदद कैसे करें मुख्यमंत्री जी !तुम्हें यदि लालू जी का आचरण इतना ही बुरा लगा था तो वहीँ पटना में बैठकर क्यों नहीं की थी प्रेसकांफ्रेंस !वहाँ डर लग रहा था क्या ?और यदि ऐसा भी था तो यहाँ आते ही बता देते मीडिया को !अब आज बताने का क्या फायदा !
केजरीवाल जी !लालू जी से गले मिलना कोई सामान्य सौभाग्य था क्या ?
    लालू जी पहले मुख्यमंत्री थे  फिर मुख्यमंत्री पति बने अब उपमुख्यमंत्री पिता हैं वो भी बिहार जैसे बड़े राज्य के ! शपथग्रहण समारोह में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते लालू जी ही उस मंच पर सर्वे सर्वा थे ।उन्होंने मंच पर आपको पहुँचे देखा कि हमारे उपमुख्यमंत्री बेटे का कोई मुख्यमंत्री मित्र शपथग्रहण समारोह में सम्मिलित होने के लिए यदि दिल्ली से आया है तो अपने बेटे की तरह ही उसका भी उत्साह बढ़ाना  चाहिए यह सोचकर गले लगा  लिया होगा उन्होंने आपको केजरी वाल जी !इसमें बुरा मानने की बात ही क्या है जो सफाई दे रहे हैं आप !
    मुख्यमंत्री केजरीवाल जी !
    लालू जी उम्र में आपसे बड़े हैं संपत्ति भी अधिक है अनुभव भी अधिक है आपकी अपेक्षा कई बड़े पदों पर वे रहचुके हैं 'कैदी' जैसे पद को भी सुशोभित कर चुके हैं वे इतने सारे अनुभव समेटे लालू जी ने यदि उपमुख्यमंत्री के पिता होने के नाते दिल्ली जैसे छोटे  राज्य के मुख्यमंत्री को गले लगाया तो ये लालू जी का बडप्पन ही  है !
 केजरीवाल जी !यदि लालू जी के गले लगना आपको पसंद नहीं था तो दिल्ली छोड़कर गए ही क्यों आप !जाने के लिए न कोई जनमत संग्रह न कुछ ऐसे ही वहाँ चले गए क्यों ?
   केजरीवाल जी !आपसे गले मिलने लालू जी दिल्ली तो नहीं आए थे आप ही उनके मंच पर गए उनसे मिलने न कि लालू प्रसाद जी आए आपके मंच पर !वैसे भी  केजरीवाल जी यदि आपके गले मिलने का लालू जी के मन में इतना ही उतावलापन  होता तो वो पहले भी तो दिल्ली में आकर आपके यहाँ पहुँचकर  गले  मिल लेते किंतु लालूप्रसाद जी ने तो आपसे मिलने की कभी जरूरत ही नहीं समझी !अब केजरीवाल जी आप ही पटना में उनके मंच पर पहुँच गए तो आगंतुकों का स्वागत करने के लिए सामने खड़े लालू जी को गले पड़ना ही था उनकी जिम्मेदारी में इतना ही  काम था आप वहाँ गए तो कोई भगा तो देगा नहीं स्वागत तो करना ही पड़ता है वही उन्होंने किया अब हो हल्ला क्यों ?
   केजरीवाल जी !  
   शपथग्रहण समारोह में आने वाले आगंतुकों  से गले लगने और पेट लड़ाने के लिए केवल लालूप्रसाद जी ही खाली थे ।अपने बेटे के शपथग्रहण समारोह में लालू जी के पास इसके अलावा कोई दूसरा काम भी नहीं था उन्होंने अपना दायित्व निभाया !इसमें उनकी क्या गलती है केजरीवाल जी !
      केजरी वाल जी !लालू प्रसाद जी को यदि इतना ही राजनैतिक अछूत मानते थे तो केजरीवाल  जी वहाँ गए क्यों ?
    यदि गए भी थे तो लालू जी के पास क्यों खड़े हुए और यदि हुए भी थे तो जब वे जबर्दश्ती पकड़ कर चिपकने लगे थे तब केजरीवाल जी आप अपने को छुटाने का भी कोई प्रयास करते नहीं देखे गए यदि लालू जी ने ज्यादा तेजी से पकड़ रखा था तो बचाओ !बचाओ! कहकर शोर तो मचा ही सकते थे कम से कम सुरक्षा कर्मी साथ न भी देते वो उनके थे तो मंच पर बैठे अन्य नेता तो बीच बराव कर ही सकते थे यदि  नहीं कर सकते थे तो शोर मचाकर ही सकते थे तो मीडिया वाले गवाह बन जाते कि आप नहीं मिलना चाह रहे थे किंतु लालू प्रसाद जी ने बलपूर्वक दबोच लिया था आपको !किंतु ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ आप तो उनसे गले मिलकर इतना अधिक खुश थे कि आपके मुखमण्डलपर  बिकसित दंत पंक्ति आपकी गवाही देने से चूकी नहीं और उसने सारी पोल खोल दी ! 
   आप दोनों ने गले मिलकर हाथ मिलाकर जनता का अभिवादन  ख़ुशी ख़ुशी किया !किया तो किया अब दिल्ली में आकर आखिर आपको धमका कौन रहा है जो अब सफाई दे रहे हैं उसका नाम जनता को बताइए दिल्ली की जनता तुम्हारे साथ है यदि लालू जी से गले मिल भी लिए तो कोई बात नहीं दिल्ली वाले आपका शुद्धीकरण कर लेंगे आपको अन्ना जी के पास ले चला जाएगा वे अपने बचनोदकी छींटे छिड़ककर पुनः पवित्र कर देंगे तुम्हें !सफाई क्यों दे रहे हैं आप !आप तो दिल्ली के गौरव हैं !!
       


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