ये हैं काँग्रेस के कुटिल इरादे !ये काँग्रेसी चलने देंगे लोकसभा की समुचित कार्यवाही !जो लोग पार्टी की पराजय अभी तक नहीं पचा पा रहे हैं ऊपर से भाजपा की बिहार पराजय से इनके मनोबल और बढ़े हुए हैं इन्हें कैसे समझा पाएगा सत्ता पक्ष !और कैसे रोकेगा बिपक्ष की असहिष्णुता !
अब तो लगभग ये साफ ही हो गया है कि साहित्यकार क्यों लौटा रहे हैं पुरस्कार और क्यों सक्रिय होते जा रहे हैं जातिसंप्रदायवादी उन्मादी लोग और क्यों महँगी होती जा रही हैं दालें !
किंतु सत्ता पक्ष न जाने क्यों समाज को अपनी बात अब तक नहीं समझा सका है !विपक्ष की छोटी छोटी बातों का जवाब देने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री जी या राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को सामने आना पड़ता है ये सत्ता पक्ष की छोटी कमजोरी है क्या ? कार्यकर्ताओं में ऐसी सक्षमता क्यों नहीं है कि वो विपक्ष की ऐसी ऊटपटाँग बातों का प्रभावी प्रतीकार करते हुए माकूल जवाब दे सकें ! यदि पार्टी में ऐसे लोगों की वास्तव में कमी है तो ऐसे संप्रेषणीयता संपन्न सक्षम लोगों की भर्तियाँ क्यों न की जाएँ !
बंधुओ !भाजपा तो हमेंशा से विपक्ष में बैठी किंतु भाजपा में इतनी असहिष्णुता कभी नहीं दिखी जितनी बेचैनी आज पराजित पार्टी काँग्रेस में है !
ये सत्तातुर काँग्रेसी लोग यहाँ साहित्यकारों और लेखकों को भड़का रहे हैं जो ऐसे साहित्यकार इनसे पहले कभी उपकृत हो चुके हैं वो आ भी जा रहे हैं इनके झाँसे में किंतु प्राणवान साहित्यकारों ने अपनी आत्मा की आवाज सुनी और नहीं गए पुरस्कार लौटाने ! उन्होंने बचा ली साहित्यकारों एवं साहित्य की गरिमा और सिद्ध कर दिया कि सरकारें तो बनती बिगड़ती रहेंगी किंतु साहित्य का गौरव स्थायी है। साहित्यकार जाति क्षेत्र समुदाय संप्रदायवाद से मुक्त अंतर्राष्ट्रीय अघोषित सम्राट होता है सत्ता पक्ष या विपक्ष के हाथों का खिलौना बनना साहित्यकारों की गरिमा के विरुद्ध है ! इसी प्रकार से इन्होंने मंडियों से खाद्य पदार्थ गायब करने शुरू कर दिए दालों जैसी जरूरी चीजें मार्केट पहुँचने से रोकी जाने लगी हैं इतना बड़ा देश है इन्हें कहाँ कहाँ और कैसे कैसे रखाया जाए !
चूँकि मोदी सरकार को जनता ने पाँच वर्षों के लिए अभयदान दे रखा है इसलिए ये बेचारे काँग्रेसी अपना रहे हैं ऐसे हेय हथकंडे अन्यथा सरकारें गिराने में माहिर इन्हीं काँग्रेसियों ने गैर काँग्रेसी सरकारें पहले कभी चलने ही नहीं दीं ! चन्द्र शेखर जी, देवगौड़ा ,गुजराल आदि आखिर क्या गलती थी इनकी ! कुल मिलाकर इसी भावना से भावित अब इन लोगों ने मोदी सरकार के विरुद्ध कमर कस रखी है हर काम में अड़ंगा खुद डाल रहे हैं और बदनाम मोदी सरकार को कर रहे हैं यही कर कर के भाजपा को दिल्ली से भगवाया, बिहार छीन लिया अब यूपी की बारी है भाजपा अभी तक इसका तोड़ न तो तलाश पायी हैऔर न ही निकटभविष्य में वर्तमान व्यवस्था के अनुशार इसके आसार ही दिखते हैं ।
वर्तमान में भाजपा में काम करने वालों के पास पद नहीं हैं और पदासीन लोग काम नहीं करना चाहते ! पदासीन लोग तो किसी से मिलने के लिए भी राजी नहीं होते हैं और यदि किसी से मिलना भी पड़ा तो सामने बैठाए किसी को होते हैं देख किसी की ओर रहे होते हैं बातें किसी और से कर रहे होते हैं बिजी कुछ और करने में होते हैं ऐसे में पार्टी के प्रति समर्पित सजीव लोग संतुष्ट नहीं होते हैं ऐसी मुलाकातों से !इसी क्रम में पार्टी का कोई कार्यकर्ता यदि अपनी किसी विशेषता के द्वारा पार्टी को कुछ विशेष फायदा भी पहुँचा सकता हो तो वो अपनी बात किससे कहे ये घमंडी स्वभाव के लोग सुनते ही नहीं हैं न जाने कहाँ खोए खोए रहते हैं !
उधर प्रतिपक्षी भावना से मुक्त विपक्ष आज सरकार विरोधी गिरोह बनाने में कितनी ऊर्जा लगा रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है उनका कोई सक्षम नेता पाकिस्तान के किसी पत्रकार से कहे कि ' मोदी को हटाइए हमें ले लाइए ! ' ये कोई छोटी बात है क्या !इसके कितने भी अर्थ निकाले जा सकते हैं !
ऐसे लोगों का विपक्षी गिरोह भाजपा को खदेड़ने के लिए प्राण प्रण से लगा हुआ है इनका सामना करने लायक सत्ता पक्ष के पास अभी तक तो कोई तैयारी नहीं दिख रही है और तो और टीवी चैनलों पर बैठे इनके कुछ प्रवक्ता लोग घंटों की डिवेट में इतना तक नहीं समझा पा रहे होते हैं कि वो कहना क्या चाह रहे हैं ! सत्तापक्ष की इन्हीं सारी कमजोरियों का लाभ उठा रहा है विपक्ष ! जो लोग सरकार को काम ही नहीं करने दे रहे हैं । सुना है कि अब लोकसभा के आगामी सत्र में भी अड़ंगा डालेंगे काँग्रेसी और नहीं चलने देंगे लोकसभा की समुचित कार्यवाही !
विरोधी पार्टियों में इतनी असहिष्णुता पहले कभी नहीं रही जितनी आज है !असहिष्णुता चिंतनीय है पराजित पार्टियाँ इतनी असहिष्णु पहले कभी नहीं दिखीं !
आज मोदी सरकार को अस्थिर एवं बदनाम करने के लिए विपक्ष हर हथकंडा अपना रहा है जाति सम्प्रदायों में वैमनस्य फैलाकर ये लोग पहले देश का वातावरण बिगाड़ते हैं फिर असहिष्णुता का आरोप मोदी सरकार पर लगाते हैं !
असहिष्णुता के नाम पर मोदी सरकार को बदनाम करने के कैसे कैसे प्रयास किए जारहे हैं !
इसी विषय में मान्यवर !आपसे मेरा विनम्र निवेदन है कि -
" 'वैज्ञानिक पीएम भार्गव ' जी "गोमांस खाने का समर्थन करने के लिए आयुर्वेद एवं सनातन धर्म के प्राचीन ग्रंथों के नाम पर कल्पित बातों का सहारा ले रहे हैं !सुना है कि ऐसी ही बातों को आधार बनाते हुए उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति जी को पत्र भी लिखा है और असहिष्णुता के विरोध में पुरस्कार लौटाने की बात भी कर रहे हैं किंतु इस विषय में आयुर्वेद के जिन ग्रंथों का वो संदर्भ दे रहे हैं उनमें वैसा नहीं लिखा है जैसा वो कह रहे हैं और जो लिखा है उसमें से वो उतना ही उद्धृत कर रहे हैं जिससे गोमांस खाने संबंधी उनकी बात की पुष्टि हो सके !हिन्दुओं को बुरा लगे तो लगे !साथ ही जो लिखा गया है उसका अर्थ और भी उस हिसाब से ही गढ़ा गया है जो गोमांस भक्षक समाज के लिए सहायक हो ! इस बिषय में शास्त्रीय पक्ष प्रकट करने प्रस्तुत है हमारा यह सप्रमाण हमारा यह लेख -वैज्ञानिक पीएम भार्गव ' सिद्ध करें कि आयुर्वेद में गोमांस खाने के लिए कहाँ कहा गया है ?"गायों का मांस खाने से दूर होते हैं रोग " 'वैज्ञानिक पीएम भार्गव ' का बयान ! " सच या साजिश " ? "
see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/11/mansm.html
अब तो लगभग ये साफ ही हो गया है कि साहित्यकार क्यों लौटा रहे हैं पुरस्कार और क्यों सक्रिय होते जा रहे हैं जातिसंप्रदायवादी उन्मादी लोग और क्यों महँगी होती जा रही हैं दालें !
किंतु सत्ता पक्ष न जाने क्यों समाज को अपनी बात अब तक नहीं समझा सका है !विपक्ष की छोटी छोटी बातों का जवाब देने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री जी या राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को सामने आना पड़ता है ये सत्ता पक्ष की छोटी कमजोरी है क्या ? कार्यकर्ताओं में ऐसी सक्षमता क्यों नहीं है कि वो विपक्ष की ऐसी ऊटपटाँग बातों का प्रभावी प्रतीकार करते हुए माकूल जवाब दे सकें ! यदि पार्टी में ऐसे लोगों की वास्तव में कमी है तो ऐसे संप्रेषणीयता संपन्न सक्षम लोगों की भर्तियाँ क्यों न की जाएँ !
बंधुओ !भाजपा तो हमेंशा से विपक्ष में बैठी किंतु भाजपा में इतनी असहिष्णुता कभी नहीं दिखी जितनी बेचैनी आज पराजित पार्टी काँग्रेस में है !
ये सत्तातुर काँग्रेसी लोग यहाँ साहित्यकारों और लेखकों को भड़का रहे हैं जो ऐसे साहित्यकार इनसे पहले कभी उपकृत हो चुके हैं वो आ भी जा रहे हैं इनके झाँसे में किंतु प्राणवान साहित्यकारों ने अपनी आत्मा की आवाज सुनी और नहीं गए पुरस्कार लौटाने ! उन्होंने बचा ली साहित्यकारों एवं साहित्य की गरिमा और सिद्ध कर दिया कि सरकारें तो बनती बिगड़ती रहेंगी किंतु साहित्य का गौरव स्थायी है। साहित्यकार जाति क्षेत्र समुदाय संप्रदायवाद से मुक्त अंतर्राष्ट्रीय अघोषित सम्राट होता है सत्ता पक्ष या विपक्ष के हाथों का खिलौना बनना साहित्यकारों की गरिमा के विरुद्ध है ! इसी प्रकार से इन्होंने मंडियों से खाद्य पदार्थ गायब करने शुरू कर दिए दालों जैसी जरूरी चीजें मार्केट पहुँचने से रोकी जाने लगी हैं इतना बड़ा देश है इन्हें कहाँ कहाँ और कैसे कैसे रखाया जाए !
चूँकि मोदी सरकार को जनता ने पाँच वर्षों के लिए अभयदान दे रखा है इसलिए ये बेचारे काँग्रेसी अपना रहे हैं ऐसे हेय हथकंडे अन्यथा सरकारें गिराने में माहिर इन्हीं काँग्रेसियों ने गैर काँग्रेसी सरकारें पहले कभी चलने ही नहीं दीं ! चन्द्र शेखर जी, देवगौड़ा ,गुजराल आदि आखिर क्या गलती थी इनकी ! कुल मिलाकर इसी भावना से भावित अब इन लोगों ने मोदी सरकार के विरुद्ध कमर कस रखी है हर काम में अड़ंगा खुद डाल रहे हैं और बदनाम मोदी सरकार को कर रहे हैं यही कर कर के भाजपा को दिल्ली से भगवाया, बिहार छीन लिया अब यूपी की बारी है भाजपा अभी तक इसका तोड़ न तो तलाश पायी हैऔर न ही निकटभविष्य में वर्तमान व्यवस्था के अनुशार इसके आसार ही दिखते हैं ।
वर्तमान में भाजपा में काम करने वालों के पास पद नहीं हैं और पदासीन लोग काम नहीं करना चाहते ! पदासीन लोग तो किसी से मिलने के लिए भी राजी नहीं होते हैं और यदि किसी से मिलना भी पड़ा तो सामने बैठाए किसी को होते हैं देख किसी की ओर रहे होते हैं बातें किसी और से कर रहे होते हैं बिजी कुछ और करने में होते हैं ऐसे में पार्टी के प्रति समर्पित सजीव लोग संतुष्ट नहीं होते हैं ऐसी मुलाकातों से !इसी क्रम में पार्टी का कोई कार्यकर्ता यदि अपनी किसी विशेषता के द्वारा पार्टी को कुछ विशेष फायदा भी पहुँचा सकता हो तो वो अपनी बात किससे कहे ये घमंडी स्वभाव के लोग सुनते ही नहीं हैं न जाने कहाँ खोए खोए रहते हैं !
उधर प्रतिपक्षी भावना से मुक्त विपक्ष आज सरकार विरोधी गिरोह बनाने में कितनी ऊर्जा लगा रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है उनका कोई सक्षम नेता पाकिस्तान के किसी पत्रकार से कहे कि ' मोदी को हटाइए हमें ले लाइए ! ' ये कोई छोटी बात है क्या !इसके कितने भी अर्थ निकाले जा सकते हैं !
ऐसे लोगों का विपक्षी गिरोह भाजपा को खदेड़ने के लिए प्राण प्रण से लगा हुआ है इनका सामना करने लायक सत्ता पक्ष के पास अभी तक तो कोई तैयारी नहीं दिख रही है और तो और टीवी चैनलों पर बैठे इनके कुछ प्रवक्ता लोग घंटों की डिवेट में इतना तक नहीं समझा पा रहे होते हैं कि वो कहना क्या चाह रहे हैं ! सत्तापक्ष की इन्हीं सारी कमजोरियों का लाभ उठा रहा है विपक्ष ! जो लोग सरकार को काम ही नहीं करने दे रहे हैं । सुना है कि अब लोकसभा के आगामी सत्र में भी अड़ंगा डालेंगे काँग्रेसी और नहीं चलने देंगे लोकसभा की समुचित कार्यवाही !
विरोधी पार्टियों में इतनी असहिष्णुता पहले कभी नहीं रही जितनी आज है !असहिष्णुता चिंतनीय है पराजित पार्टियाँ इतनी असहिष्णु पहले कभी नहीं दिखीं !
आज मोदी सरकार को अस्थिर एवं बदनाम करने के लिए विपक्ष हर हथकंडा अपना रहा है जाति सम्प्रदायों में वैमनस्य फैलाकर ये लोग पहले देश का वातावरण बिगाड़ते हैं फिर असहिष्णुता का आरोप मोदी सरकार पर लगाते हैं !
असहिष्णुता के नाम पर मोदी सरकार को बदनाम करने के कैसे कैसे प्रयास किए जारहे हैं !
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" 'वैज्ञानिक पीएम भार्गव ' जी "गोमांस खाने का समर्थन करने के लिए आयुर्वेद एवं सनातन धर्म के प्राचीन ग्रंथों के नाम पर कल्पित बातों का सहारा ले रहे हैं !सुना है कि ऐसी ही बातों को आधार बनाते हुए उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति जी को पत्र भी लिखा है और असहिष्णुता के विरोध में पुरस्कार लौटाने की बात भी कर रहे हैं किंतु इस विषय में आयुर्वेद के जिन ग्रंथों का वो संदर्भ दे रहे हैं उनमें वैसा नहीं लिखा है जैसा वो कह रहे हैं और जो लिखा है उसमें से वो उतना ही उद्धृत कर रहे हैं जिससे गोमांस खाने संबंधी उनकी बात की पुष्टि हो सके !हिन्दुओं को बुरा लगे तो लगे !साथ ही जो लिखा गया है उसका अर्थ और भी उस हिसाब से ही गढ़ा गया है जो गोमांस भक्षक समाज के लिए सहायक हो ! इस बिषय में शास्त्रीय पक्ष प्रकट करने प्रस्तुत है हमारा यह सप्रमाण हमारा यह लेख -वैज्ञानिक पीएम भार्गव ' सिद्ध करें कि आयुर्वेद में गोमांस खाने के लिए कहाँ कहा गया है ?"गायों का मांस खाने से दूर होते हैं रोग " 'वैज्ञानिक पीएम भार्गव ' का बयान ! " सच या साजिश " ? "
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