Sunday, 22 November 2015

लालू जी से पेट लड़ाकर दिल्ली पहुँचे केजरीवाल जी का शुद्धीकरण हो तो कैसे ?अन्ना जी के बचनोदकी छींटे क्या पवित्र कर सकेंगे उन्हें !

बंधुओ !  जिन लालू जी का नाम लिए बिना भ्रष्टाचार विरोधी बड़ी से बड़ी गाली अधूरी मानी जाती हो उन 'शकुनीश्री' से पेट लड़ाकर  आए केजरीवाल जी !लोकतंत्र के लिए ये कोई छोटी घटना तो नहीं है !लालू जी यदि भ्रष्टाचारी हैं तो पेट क्यों लड़ाया गया और यदि वे ऐसे नहीं हैं तो उन पर इस तरह के आरोप क्यों लगाए गए ! 
    इससे  ये बात तो अब पूरी तरह स्पष्ट हो ही गई है कि अन्ना आंदोलन से अरविंद केजरीवाल जी के जुड़ने का लक्ष्य  भ्रष्टाचार का विरोध करना न होकर अपितु  केवल मुख्यमंत्री बनना था ! इस प्रकार अनेकों प्रकार से केजरीवाल जी की सच्चाई समाज के सामने आ जाने के बाद उन पर अविश्वास होना स्वाभाविक है !इसलिए अब यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि अन्ना जी के आंदोलन का उद्देश्य  क्या केवल केजरीवाल जी को ही राजनीति में लांच करना मात्र था ?और यदि ये सच है तो जनता के विश्वास के साथ ऐसा छल किया क्यों गया और यदि ये सच नहीं है तो रामलीला मैदान में आंदोलन के समय बात बात में पिनकने वाले अन्ना हजारे जी अब मौन क्यों हैं ? उन्हें समाज में आकर स्पष्ट करना चाहिए  कि अन्ना हजारे जी की साँठ गाँठ केजरीवाल जी से किन किन मुद्दों पर थी और उस आंदोलन के क्या कुछ मानक थे साथ ही अन्ना जी ने उन्हें कोई ऐसा बचन दे रखा है क्या कि तुम भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से  जुड़े निस्वार्थ समाज साधकों की बेइज्जती इस सीएम तक करवा सकते हो इसके बाद मैं बोलूँगा !
      केजरीवाल जी से ये आखिर क्यों नहीं पूछा जाता है कि जिन नेताओं को पहले कभी भ्रष्टाचारी बोला जाता रहा था आज उन्हीं से पेट रगड़ना क्यों जरूरी था । कल तक शीला दीक्षित जी के ऊपर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगाने वाले आज इतने दिनों से सत्ता में हैं यदि भ्रष्टाचार के आरोप सच थे तो कोई कार्यवाही क्यों नहीं की !

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