Thursday, 19 January 2017

रंडीतिवारी (ndt)के लड़के को भी मिलेगा अब टिकट !ये राजनीति है या बदमाशों की बारात !!

कुछ नेता ऐसे भी हैं जिन्हें केवल अपनी ऐय्यासी से मतलब है भाड़ में जाए दुनियाँ जहान !
    लोकतंत्र तो केवल गरीबों ग्रामीणों मजदूरों और माध्यम वर्ग के लोगों का खून चूसने के लिए है नेता लोग तंग करने के अलावा देश और देशवासियों के लिए करते क्या हैं ! 
     अपराधों की जो जो बैरायटी कहीं न मिले वो राजनीति में मिल सकती है और जिस अपराधी का सुराक कहीं न मिले उन्हें खोजने के लिए ऐसे नेताओं के घरों के कैमरे एवं  उनके फोन के कॉलडिटेल खँगाले जाएँ मेरा अनुमान है कि निराश नहीं होना पड़ेगा !
   इसी लोकतंत्र की आड़ में तो ऐय्यास नेता लोग युवा अवस्था में बड़े घर बर्बाद कर चुके होते हैं बड़े लोगों की जिंदगी तवाह कर देते हैं जिसकी बीबी उसी को धमका कर छीन लेते हैं उससे और अपनी रखैल बनाकर रख लेते हैं !ऐसी ऐय्यासी की उमंग में कहाँ कहाँ किससे किससे कब कब कितने कितने बच्चे हुए गिनने की फुरसत किसे होती है!
      संबंध बनाते छोड़ते रँगरेलियाँ मनाते मनाते कब उम्र बीत गई पता ही नहीं लगता है ये नेता लोग पहले सारी जवानी ऐय्यासी में बिता लेते हैं फिर उनकी उम्र ,अकल और सूरत सब कुछ बिगड़कर गंध देने लग जाती है ! ऐसी परिस्थिति में जब उनकी ओर कोई लड़की औरत आदि थूकने को भी तैयार नहीं होती है तब उनके पुराने कर्मों की याद दिलाने के लिए न जाने कितनी औरतें अपने अपने बच्चों की अँगुलियाँ पकड़े चली आ जाती हैं महाराज !मैं आपकी पत्नी और ये आपके बच्चे हैं ऐसी याद दिलाने लगती हैं किंतु ऐसा कहने और बताने वालों की संख्या बहुत होती है नेता बेचारा किसे किसे याद रखे !आखिर  नेता लोग भी तो एक प्रकार के इंसानों की तरह ही होते हैं !इसलिए उन्हें अपनी पुरानी कोई औरत याद रहे न रहे किंतु अपने कुकर्म तो हर किसी को याद रहते ही हैं !
   ऐसे नेताओं के कुकर्मों का फैसला तो DNA से ही होना संभव होता है !जाँच कर कर के कानून बताता जाता है सीए गिनते जाते हैं कि महाराज किस वर्ष में कितने बच्चों के उत्पादन के कारण बने !
      इसीलिए तो राजनैतिक पार्टियों के ऐय्यास मुखिया लोग योग्य अनुभवी और चरित्रवान लोगों को राजनीति में आने नहीं देते हैं न उन्हें पार्टी में कोई अच्छा पद देते हैं और न ही उन्हें चुनावों में लड़ने के लिए प्रत्याशी ही बनाते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि ये गुणवान चरित्रवान सिद्धांतवादी लोग राजनैतिक दलों के मठाधीशों की ऐय्याशी का विरोध करेंगे !भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे !इसीलिए वे अपनी अपनी पार्टी के नेताओं के बीबी बच्चों नाते रिस्तेदारों या अपने खानदान  वालों को ही पार्टी के पद और टिकट देते हैं ताकि अंदर की बात अंदर ही बनी रहे !या फिर कम पढ़े लिखे लोगों को टिकट देकर प्रत्याशी इसलिए बनाते हैं ताकि कुछ बोलने सुनने और समझने लायक ही न हों जहाँ जैसे बैठा दिए जाएँ पागलों की तरह वैसे ही बैठे रहें !और जब वे अपने नेताओं की हरकतें समझने लगें तो उन्हें आसानी से किनारे लगा दिया जाए !
   ऐसी मांस प्रतिमाओं के साथ गिरोह बनाकर राजनैतिक मठाधीश उन सदनों में पहुँचते हैं जहाँ बोलना केवल मठाधीशों को होता है हुल्लड़ मचाने के लिए हुल्कार दिए जाते हैं गिरोह के पालतू उपद्रवी लोग !वो तब तक उपद्रव करके कार्यवाही नहीं चलने देते हैं जब तक मठाधीश की एक एक बात मान नहीं ली जाती है वो भले ही कितनी भी गलत क्यों न हो ! सदनों की कार्यवाही चलानी है तो उनकी गलत बात भी माननी ही पड़ेगी !
     इस प्रकार से अपराधों की जो बैरायटी कहीं न मिले वो राजनीति में मिल सकती है और जिस अपराधी का सुराक कहीं न मिले उन्हें खोजने के लिए नेताओं के घरों के कैमरे एवं  उनके फोन के कॉलडिटेल खँगाले जाएँ मेरा अनुमान है कि निराश नहीं होना पड़ेगा !
   सभी प्रकार के अपराध और अपराधी ऐसे तो जरूर पकड़े जा सकते हैं इसीलिए वास्तविक अपराधियों के पकड़ने की जगह दबाववश केस खोलने के नाम पर गरीबों ग्रामीणों मजदूरों के बच्चे उठाकर बंद कर दिए जाते हैं बाद में बरी होकर छोड़ दिए जाते हैं बड़े बड़े  केस !और अपराधियों को अपराध करने का मौका मिलता रहता है !
    राजनीति में ईमानदार योग्य चरित्रवान सिद्धांतवादी लोगों को पूछता कौन है बदमाशों का संग्रह करने में प्रायः हर पार्टी रूचि लेने लगी है इसीलिए न घटते दिखते हैं अपराध और न अपराधी !बलात्कारों की नदी निकली ही राजनीति से है बात अलग है कि नेता लोग जिससे बलात्कार करते हैं उसे डरा धमकाकर या कुछ लोभ लालच देकर उसका मुख बंद कर देते हैं पट गई तो पटा लेते हैं ज्यादा सुंदर लगी तो उसे रखैल बना कर रख लेते  हैं विवाहित  हुई तो तलाक करा कर रख लेते हैं अपने पास किन्तु  तब तक वो उसे पत्नी का दर्जा नहीं देते हैं !तब उनकी ऐय्यासी के और सारे विकल्प बंद नहीं हो जाते हैं !
     इसी फार्मूले से बूढ़े बूढ़े बूढ़े नेता भी विवाह करते देखे जा सकते हैं !शरीर जब गन्दा दिखने लगता है तब निराश हताश बिलकुल बेकार हो चुके बहुरुपिया नेता लोग जवानी बीतने के दसबीस वर्षों बाद  अपनी उसी पुरानी धुरानी के साथ ही भाँवर घूम लेते हैं !
      देश में अभी भी एक आध पार्टी ऐसी भी हैं जो लोक तांत्रिक प्रक्रिया अपनाने का प्रयास करती हैं जिनका अध्यक्ष या मालिक कोई एक व्यक्ति या एक ही परिवार नहीं होता है अभी तक तो ऐसा ही देखा गया है किंतु टिकट बॉटने और पार्टी के पदों को देने में पारदर्शिता वहाँ भी नहीं है ठेकेदारी की पृथा दिनोंदिन हावी होती जा  रही है !ऐसा न होता तो लोकतान्त्रिक पार्टी कही जा सकतो थी वो !

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