Sunday, 22 January 2017

बैंक वाले जाँच से घबड़ा रहे हैं क्या इसलिए कर रहे हैं हड़ताल !

   बैंककर्मचारियों की हड़ताल है या सरकार पर दबाव बनाने की राजनीति ताकि उनके भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोई कार्यवाही न की जाए !बैंकों में लगे वीडियो देख देख कर नींद उड़ी हुई है बैंक वाले भ्रष्ट कर्मचारियों की !
    सरकार इनके सामने झुकती है या इनसे समझौता करती है तो भ्रष्ट और इनसे शक्ति से निपटे तो ईमानदार !अरे !हड़ताल किस बात की नहीं समझ में आता है तो छोड़ दें नौकरी और नई  नियुक्तियाँ करके बहुत लोगों की बेरोजगारी दूर की जा सकती है !
    बैंक वाले घबड़ा रहे हैं जाँच से ! इसलिए दबाव बनाने के लिए कर रहे होंगे हड़ताल !नोट बंदी में सारे पाप किए अब घूम रहे है हड़ताल करते !सरकार का पोल खोलने की धमकी  देकर रोकवा सकते हैं बैंकवालों पर चल रही नोट बंदी वाली जाँच !प्रायः सरकारी कर्मचारी इसीलिए करते हैं हड़ताल !
     बैंक वाले हों या कोई अन्य सरकारी कर्मचारी उनका एक ही बल होता है कि अपने भ्रष्टाचार के विरुद्ध चल रही जाँच रुकवाने के लिए कर देंगे हड़ताल बना लेंगे दबाव घबड़ा जाएगी सरकार रोक दी जाएगी जाँच और यदि उनकी शर्तें सरकार नहीं मानेंगी तो वो खोल देंगे सरकार के भ्रष्टाचार की पोल जिस तरह की ब्लैक मेलिंग वो लोग पिछली सरकारों में करते रहे हैं किंतु ये सरकार यदि ईमानदार है तो अपनी ईमानदारी का परिचय दे और हड़ताल करने वाले  कर्मचारियों की छुट्टी करे और उनकी जगहों पर सीधे  नई नियुक्तियाँ करे उनसे योग्य योग्य लोग बेरोजगार घूम रहे हैं बेचारे उन जरूरत मंद लोगों को रोजगार उपलब्ध करवावे सरकार !इनसे साफ साफ कह दे कि जाओ मेरी पोल खोल दो मुझे कर नहीं तो डर किस बात का !तुम्हें जो सैलरी सुविधाएँ आदि  मिल रही हैं उसी में काम करना हो तो करो अन्यथा जाओ !सरकार को ये भी साफ साफ कहा देना चाहिए कि नोटबंदी के समय में हुए भ्रष्टाचार में सम्मिलित लोगों के विरुद्ध चल रही जाँच नहीं रुकेगी तुम दबाव बनाने के लिए हड़ताल जैसे कितने भी नाटक क्यों न कर लो !
     बहुत सारे बैंक कर्मचारियों ने तो करोड़ों कमा भी लिए हैं वैसे भी नोटबंदी से सबसे अधिक यदि किसी को फायदा हुआ है तो बैंक कर्मचारियों को ! सरकार के साथ सबसे बड़ी गद्दारी किसी ने की है तो भ्रष्ट बैंक कर्मचारियों ने !काले धन वाले लोग तो कभी लाइनों में खड़े नहीं दिखाई दिए उन्होंने घूस के बल पर अपने गोदामों में रखे करोड़ों नोटों के बोरे बदलवाए इन्हीं बैंक कर्मचारियों से ! वहीँ दो दो हजार के लिए लाइनों में खड़ी दम तोड़ती है आम जनता !आखिर बैंक वालों से ये क्यों नहीं पूछा  जाता कि वो नौकरी सरकार की कर रहे थे या काले धन वालों की !आखिर उन्होंने काले धन के विरुद्ध सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान में पलीता लगाने का काम क्यों किया !बैंकों में लगे वीडियो यदि बारीकी से खँगाले जाएँ और ईमानदारी से कार्यवाही की जाए तो बैंकों लाखों वैकेंसियाँ निकल सकती हैं किंतु कोई भी सरकार ऐसा  करेगी क्यों ?ईमानदारी की बातें करने और ईमानदारी का आचरण करने में बहुत बड़ा अंतर है !सरकार यदि वास्तव में ईमानदार है बैंकवालों के सामने न झुके सरकार की कौन सी पोल खोल देंगे बैंक वाले !अक्सर देखा जाता है कि बेईमान सरकारों के भ्रष्टाचार के पोल खोलने की  देकर सरकारी कर्मचारी जाते हैं हड़ताल पर इसीलिए सरकारें अपने कर्मचारियों से झुक  समझौता किया करती हैं ईमानदार सरकारें हाथ के हाथ ऐसे असंतुष्ट कर्मचारियों की छुट्टी कर देती हैं वो मनाने का लफड़ा ही नहीं पालते हैं भ्रष्ट कर्मचारी सरकार की छवि कभी नहीं बनने देते और सरकारी कर्मचारियों की यूनियन बनाने वाले लोग महाभ्रष्ट कामचोर मक्कार एवं घूस खोर होते उनका मुख्य लक्ष्य भ्रष्टाचार से धन इकठ्ठा करना एवं सरकार के विरुद्ध आंदोलन खड़ा करना जनता के लिए समस्या पैदा करना एवं काले धन वालों की मदद करने का अधिकार चाहते हैं यूनियन बनाने वाले कामचोर कर्मचारी लोग !ये लोग काम न करके अपितु सरकार के लिए संकट खड़ा किया करते हैं !ऐसे हड़तालियों की सरकार हमेंशा के लिए छुट्टी करे और उनकी जगह नई नियुक्तियाँ करे !  

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