Thursday, 26 January 2017

बैंक वाले घबड़ा रहे हैं जाँच से ! इसलिए दबाव बनाने के लिए कर रहे होंगे हड़ताल !

    सरकार का पोल खोलने की धमकी  देकर रोकवा सकते हैं बैंकवालों पर चल रही नोट बंदी वाली जाँच !प्रायः सरकारी कर्मचारी इसीलिए करते हैं हड़ताल !
     सरकारी कर्मचारियों की यूनियनों का मतलब बिना काम किए सैलरी उठाओ और सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहो !सरकार चाहे तो जाँच करवा ले यूनियनों में सम्मिलित कर्मचारियों का ध्यान केवल नेतागिरी में रहता है काम काज में नहीं !ऐसे कर्मचारी खुद तो काम करते ही नहीं हैं औरों को भी भड़काते हैं !ऐसे लोग को सैलरी देकर सरकार किस देश सेवा का संदेश देती है !जनता के धन का ऐसा दुरुपयोग !हड़ताल जैसे ड्रामे नेता कर सकते हैं या सरकारी कर्मचारी दोनों को देशवासियों की कमाई खाना  होता है आम आदमी की भी तो सोचो वो कब करता है हड़ताल और हड़ताल करके कैसे जिन्दा रह सकता  है क्योंकि उसे अपना परिवार अपने कन्धों की कमाई से ईमानदारी पूर्वक पालना होता है !
   सरकारी विभागों के कर्मचारी अक्सर हड़ताल करते ही ऐसे समय हैं जब किसी घपले घोटाले में उनका हिस्सा सरकारों में सम्मिलित लोग खुद खाए जा रहे होते हैं उन्हें नहीं देते हैं भ्रष्ट सरकारें घबड़ाकर अपने कर्मचारियों से  समझौता करती हैं !और किसी न किसी बहाने उनका हिस्सा उन तक पहुँचा देती हैं जबकि ईमानदार सरकारें उनसे साफ साफ कह देती हैं नौकरी करना हो तो करो अन्यथा सेवा मुक्त हो भ्रष्टाचार की जाँच तो की ही जाएगी !      बैंककर्मचारियों की हड़ताल है या सरकार पर दबाव बनाने की राजनीति ताकि उनके भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोई कार्यवाही न की जाए !बैंकों में लगे वीडियो देख देख कर नींद उड़ी हुई है बैंक वाले भ्रष्ट कर्मचारियों की !
    सरकार इनके सामने झुकती है या इनसे समझौता करती है तो भ्रष्ट और इनसे शक्ति से निपटे तो ईमानदार !अरे !हड़ताल किस बात की नहीं समझ में आता है तो छोड़ दें नौकरी और नई  नियुक्तियाँ करके बहुत लोगों की बेरोजगारी दूर की जा सकती है !बैंक वालों का कहना है कि "सभी बैंक कर्मचारी सात फरवरी को करेंगे बड़ी हड़ताल, कहा – नोटबंदी से हमें बड़ी परेशानी हुई !"
   किंतु बहुत सारे बैंक कर्मचारियों ने तो करोड़ों कमा भी लिए हैं वैसे भी नोटबंदी से सबसे अधिक यदि किसी को फायदा हुआ है तो बैंक कर्मचारियों को ! सरकार के साथ सबसे बड़ी गद्दारी किसी ने की है तो भ्रष्ट बैंक कर्मचारियों ने !काले धन वाले लोग तो कभी लाइनों में खड़े नहीं दिखाई दिए उन्होंने घूस के बल पर अपने गोदामों में रखे करोड़ों नोटों के बोरे बदलवाए इन्हीं बैंक कर्मचारियों से ! वहीँ दो दो हजार के लिए लाइनों में खड़ी दम तोड़ती है आम जनता !आखिर बैंक वालों से ये क्यों नहीं पूछा  जाता कि वो नौकरी सरकार की कर रहे थे या काले धन वालों की !आखिर उन्होंने काले धन के विरुद्ध सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान में पलीता लगाने का काम क्यों किया !बैंकों में लगे वीडियो यदि बारीकी से खँगाले जाएँ और ईमानदारी से कार्यवाही की जाए तो बैंकों लाखों वैकेंसियाँ निकल सकती हैं किंतु कोई भी सरकार ऐसा  करेगी क्यों ?ईमानदारी की बातें करने और ईमानदारी का आचरण करने में बहुत बड़ा अंतर है !सरकार यदि वास्तव में ईमानदार है बैंकवालों के सामने न झुके सरकार की कौन सी पोल खोल देंगे बैंक वाले !अक्सर देखा जाता है कि बेईमान सरकारों के भ्रष्टाचार के पोल खोलने की  देकर सरकारी कर्मचारी जाते हैं हड़ताल पर इसीलिए सरकारें अपने कर्मचारियों से झुक  समझौता किया करती हैं ईमानदार सरकारें हाथ के हाथ ऐसे असंतुष्ट कर्मचारियों की छुट्टी कर देती हैं वो मनाने का लफड़ा ही नहीं पालते हैं भ्रष्ट कर्मचारी सरकार की छवि कभी नहीं बनने देते और सरकारी कर्मचारियों की यूनियन बनाने वाले लोग महाभ्रष्ट कामचोर मक्कार एवं घूस खोर होते उनका मुख्य लक्ष्य भ्रष्टाचार से धन इकठ्ठा करना एवं सरकार के विरुद्ध आंदोलन खड़ा करना जनता के लिए समस्या पैदा करना एवं काले धन वालों की मदद करने का अधिकार चाहते हैं यूनियन बनाने वाले कामचोर कर्मचारी लोग !ये लोग काम न करके अपितु सरकार के लिए संकट खड़ा किया करते हैं !ऐसे हड़तालियों की सरकार हमेंशा के लिए छुट्टी करे और उनकी जगह नई नियुक्तियाँ करे !  

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