टीवी चैनलों में चल रही डिवेट देखकर ऐसा तो कभी नहीं लगता कि इंसानों की किसी प्रजाति ने पहले कभी ऐसे डिवेट की होगी जिसमें किसी को कुछ सुनाई ही न पड़े एक घटे की बहस में ये पता ही न चले ये बेचारे कह क्या रहे थे !ऐसी डिवेटों से और झुण्ड में खड़े होकर भौंक रहे ..... से कितना सादृश्य दिखता है !या तो ये उनके पिछले जन्म में कुछ रहे होंगे या फिर वे इनके कुछ रहे होंगे !
राजनीति की वर्तमान पद्धति से कुछ अयोग्य अकर्मण्य बेरोजगार निर्लज्ज बेरोजगारों को धन,सम्मानऔर प्रसिद्धि मिल सकती है सुख सुविधाएँ मिल सकती हैं बहुत बड़े उच्चकोटि के बेईमान होंगे तो बिना कुछ किए धरे ही कुछ चल अचल सम्पत्तियाँ बना लेंगे किंतु इससे देश और समाज का भला कैसे हो सकता है और कैसे दूर हो सकता है भ्रष्टाचार ! रोटियाँ भ्रष्टाचार की खाकर हम भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं कर सकते !
ईमानदारी का जीवन जीने की इच्छा रखने वाले वर्तमान राजनीति में जाएँगे ही क्यों ?
वहाँ ईमानदारी से तो एक पैसा भी नहीं मिलता जितने मिलते हैं उतने की तो पब्लिक चाय ही पी जाती है बाकी खर्चों का क्या होगा !नेता जहाज से न चले तो स्वागत में उमड़ी भीड़ क्या सोचेगी !वैसे भी अगली बार टिकट खरीदने के लिए भी तो पैसे जुटाने पड़ते हैं !गाड़ी घोडा मकान दूकान दो चार कोठियाँ तो बनानी ही पड़ेंगी अन्यथा लोग सोचेंगे कि जो लोग अपने लिए कुछ नहीं कर सके वे हमारे लिए क्या खाक करेंगे !
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