दीपावली में पटाखों पर प्रतिबंध था किंतु पटाखे चले खूब!क्या हुआ न्यायालय के आदेश का ?
न्यायालय का काम आदेश देना है न कि पालन करवाना !यदि न्यायालय और सरकार इस घटना को गंभीरता से नहीं लेते तो लोग न्यायालय की अवमानना करने के आदी हो जाएँगे !
इस प्रकरण में न्यायालय के आदेश को न मानने पर जनता आमादा थी या जनता को रोकने वाला ही नहीं था कोई ?वस्तुतः कानून तोड़ने से ज्यादा कानून तोड़वाने वाले जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध सरकार को कोई शक्त कार्यवाही क्यों नहीं करनी चाहिए !प्रदूषण इतना अधिक बढ़ रहा है कि साँस लेना दूभर हो गया है फिर भी न्यायालय की अवमानना क्यों की गई ?कानून के प्रति असम्मान लोकतंत्र के लिए घातक है !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की क़ानून के प्रति उपेक्षात्मिका भावना ही सभी प्रकार के अपराधों को जन्म देती है संरक्षित करती है !
ज़मीनो पर अवैध कब्ज़े हों या प्रतिबंधित काम काज सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत से ही चल पाते हैं वो घूंस ले कर सभी प्रकार के अपराधों को होने देते हैं इसी कारण समाज में अपराधों की बढ़त बनी रहती है !
सरकार को यदि अधिकारियों कर्मचारियों पर कोई ज़िम्मेदारी ही नहीं डालनी है तो उनकी नियुक्ति ही क्यों करती है और क्यों देती है उन्हें सैलरी ?
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