Wednesday, 11 October 2017

'अपरा' प्रकृति का नाटक करते हैं मूर्खबाबा लोग !कुस्ती लड़ने वाला यादव बाबा तो कहता है मैं ज्योतिष नहीं मानता !

  ऐसे पाखंडियों से पूछो कि ज्योतिष जानते कितनी हो और पढ़ा क्या है ?मानने न मानने का प्रश्न तो उसके बाद का है !
    पाखंडी बाबा लोग प्रायः अनपढ़ या संस्कृत भाषा को न जानने वाले होते हैं इसलिए वो अपरा प्रकृति को बदनाम करके अपनी मूर्खता को ढकते रहते हैं !
  कभी नहीं ऐसे लोग मंत्र और शास्त्र जैसे शब्दों का तो शुद्ध उच्चारण कर नहीं पाते हैं और बीज मन्त्रों की बातें कर कर के जनता को मूर्ख बनाया करते हैं !
    ये बात सबको पता है कि मन्त्रों के उच्चारण में एक मात्रा की भी गलती हो तो उसके  परिणाम बुरे होते हैं ऐसी परिस्थिति में 'शास्त्र' को 'शास्तर' और 'मंत्र' को 'मंतर' कहने वालों से कितनी उम्मींद की जानी चाहिए  !
    ऐसे लोग अपने को बहुत बड़ा सिद्ध बताने के लिए कहने लगते हैं कि वेदों शास्त्रों से ऊपर की बातें हम बता रहे हैं और अपने मन की मूर्खता की वोमिटिंग करते रहते हैं !उन्हें पता होता है कि हमने वेदों शास्त्रों की बातें की तो फँस जाएँगे इसलिए ऐसे नाटक किया करते हैं पाखंडी लोग !
    इसी कारण से बाबा रामदेव अक्सर ज्योतिष की निंदा किया करता है ऐसे पाखंडियों को पता होता है कि जिस चीज को जानते नहीं हो उसके विषय में कहने लगो कि हम तो मानते ही नहीं हैं !लोग पूछेंगे ही नहीं उन विषयों में !
 राम रहीम इसी तरह की मनगढंत बातें बता बताकर सभी से  अपने लिए करवा चौथ का व्रत करवाने लगा था !
      मेरा निवेदन मात्र इतना है ऐसे  पाखंडियों के चंगुल से बचने का एक मात्र रास्ता है आप   किसी के मुख से मत सुनो जो करे उसे साधू संत मन्ना तो दूर उसे हिन्दू ही मत मानो !
    

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