Monday, 6 November 2017

काम न करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों की छुट्टी क्यों नहीं करती है सरकार !घूस का पैसा ऊपर तक जाता है इसीलिए तो !

     अवैधनिर्माण अवैधकब्जे  एवं अवैध काम घूसलेकर होने देने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को आज तक दी गई सैलरी वापस क्यों न ली जाए और उन्हें सेवामुक्त क्यों न किया जाए!जब उन्होंने अपना काम ही नहीं किया तो सैलरी किस बात की !
    चारों ओर अवैध कब्जे,अवैध काम काज,अवैध निर्माण !ऊंचाई के मानकों को लाँघती बिल्डिंगें आदि सब कुछ बिना घूस लिए करने दिया होगा इन्होंने क्या ! अरे ये अधिकारी हैं या भिखारी ?सरकार इनके पोल खोलने को डरती क्यों है क्या वास्तव में भ्रष्टाचार की कमाई ऊपर तक जाती है ?यदि नहीं तो भय किस बात का निर्भीक भावना से अत्याचारियों पर कार्यवाही करने से क्यों डरती है सरकार !अरे प्रशासकों ये तुम्हारा धर्म है 'धर्मो रक्षति रक्षितः' !भ्रष्टाचार सबसे बड़ा अधर्म और भ्रष्टाचारी सबसे बड़े अधर्मी हैं !!
   अवैध कब्जे करवाकर या अवैध निर्माणों से कितना पैसा इकठ्ठा किया गया होगा कहाँ गया वो ब्लैकमनी !स्विस बैंकों से पैसा लेन का संकल्प लेने वाले बहादुर प्रशासकों से निवेदन है कि वो पहले अपने देश के अधिकारियों कर्मचारियों की सम्पत्तियों की जाँच ही करवा लें नौकरी लगने के समय कितनी थीं और आज कितनी हैं संपत्तियाँ क्या उन सम्पत्तियों का सैलरी से कोई तालमेल खाता है यदि नहीं तो करें उन पर कार्यवाही उनकी अतिरिक्त संपत्तियाँ देश के राजस्व में सम्मिलित करें !ऐसे लोगों ने काम भी नहीं किया ऊपर से घूस भी सैलरी भी !वाह !!वारी सरकार !!!उधर दिल दहला देने वाली किसानों की आत्म हत्याएँ फिर भी सरकार इस विषय पर मौन क्यों है !
    ऐसे अविश्वसनीय अधिकारियों कर्मचारियों पर विश्वास क्यों करती है सरकार ?जब काम करने के लिए ये अधिकारी लोग घूस अलग से ले ही लेते हैं तो इन्हें सैलरी किस बात की देती है सरकार ?यदि ये सर्वे सच है तो ऐसे अधिकारियों को सैलरी देने के लिए टैक्स रूप में मिली जनता के खून पसीने की कमाई का दुरूपयोग नहीं किया जाना चाहिए !
    सांसदों विधायकों के खिलाफ मामलों कार्यवाही होती ही कहाँ है !
    सभी प्रकार के अपराध राजनीति से निकलते हैं उनमें कमाई भी अच्छी होती है नेताओं की अकूत सम्पत्तियों के स्रोत अपराध और भ्रष्टाचार के अलावा और हैं क्या ?बचपन में प्रायः नेता सामान्य परिवारों से आते हैं नौकरी व्यापार आदि कभी कोई कटे देखे नहीं जाते चुनाव जीतते ही बरसने लगती है लक्ष्मी सारी उत्तम सुख सुविधाएँ कोठियों पर कोठियाँ गाड़ियों पर गाड़ियाँ आखिर आती कहाँ से हैं इनके विरुद्ध मामला दर्ज नहीं होता हो भी गया तो गवाही नहीं मिलते !अपराधी होने के बाद भी साक्ष्यों के अभाव में बाइज्जत बरी होकर ऐसे निकलते हैं जैसे गंगा नहाकर आए हों !ऊपर से एक ईमानदारी का तमगा लग जाता है !हिम्मत है तो सरकार इनकी सम्पत्तियों की जाँच करवावे और पूछे किस सं में कैसे खरीदी हैं ये !किंतु ऐसा इसलिए नहीं हो सकता है क्योंकि ऐसी कार्यवाही करने वाले भी तो डरते हैं कि कल को उन पर कार्यवाही होने लगेगी कमाई तो उन्होंने भी वैसे ही की होती है इसलिए राजनीति में आने के बाद बड़े बड़े अपराधी पवित्र हो जाते हैं क्या कभी उन पर भी कार्यवाही होगी ?
     

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