नेताओं और अधिकारियों क्रार्यशैली में कितना महत्त्व रखता है संविधान !
घूस लेने को कहीं नहीं लिखा किंतु नेता भी लेते हैं अधिकारी कर्मचारी भी लेते हैं
IAS जैसी परीक्षाओं के पाठ्यक्रम पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए !
जिन परीक्षाओं को पास करके का अधिकारी तो बन जाते हैं किंतु जनता के किसी काम लायक नहीं रह जाते हैं !जनता बड़ी आशा लेकर अधिकारियों के पास जाती है और अपनी परेशानी पर उनका निर्जीव वर्ताव देखकर उन्हें गालियाँ देते हुए लौट आती है इतना घृणित जीवन होता है इनका !
क्योंकि जनता की पीड़ा पर उनका गैर जिम्मेदार रवैया !जनता को उनसे घृणा करना के कर देता है उनकी संवेदनाएँ मर जाती हैं जन सेवा की भावना भूल जाते हैं ,जनता की पीड़ा की उपेक्षा करने लगते हैं बड़ी बड़ी आफिसों में बैठकर केवल सरकारी सुख सुविधाओं को भोगना मात्र ही जीवन का लक्ष्य रह जाता हो जनता को आपस में लड़ाकर धन कमाने जैसी कलुषित भावना
संविधान की जरूरत ही क्या है जब काम अपनी ही करना है !
घूस लेने को कहीं नहीं लिखा किंतु नेता भी लेते हैं अधिकारी कर्मचारी भी लेते हैं
IAS जैसी परीक्षाओं के पाठ्यक्रम पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए !
जिन परीक्षाओं को पास करके का अधिकारी तो बन जाते हैं किंतु जनता के किसी काम लायक नहीं रह जाते हैं !जनता बड़ी आशा लेकर अधिकारियों के पास जाती है और अपनी परेशानी पर उनका निर्जीव वर्ताव देखकर उन्हें गालियाँ देते हुए लौट आती है इतना घृणित जीवन होता है इनका !
क्योंकि जनता की पीड़ा पर उनका गैर जिम्मेदार रवैया !जनता को उनसे घृणा करना के कर देता है उनकी संवेदनाएँ मर जाती हैं जन सेवा की भावना भूल जाते हैं ,जनता की पीड़ा की उपेक्षा करने लगते हैं बड़ी बड़ी आफिसों में बैठकर केवल सरकारी सुख सुविधाओं को भोगना मात्र ही जीवन का लक्ष्य रह जाता हो जनता को आपस में लड़ाकर धन कमाने जैसी कलुषित भावना
- शिक्षकों की योग्यता ट्रेनिंग पद्धतियाँ बदली जाएँ !
- नेताओं को चुनावी टिकट देते समय उनमें इतनी योग्यता तो अनिवार्य की ही जाए कि वो अधिकारीयों से आँख मिलाने की हिम्मत कर सकें ऐसे तो अधिकारी और नेता एक दूसरे को बेवकूफ बनाते पाँच वर्ष !सरकारों में बैठे नेता लोग जिस जोश में अपनी योजनाएं घोषणाएँ गिनाया करते हैं जनता उन पर थूका करती है क्योंकि जनता को लगता है कि वे झूठ बोल रहे हैं !
संविधान की जरूरत ही क्या है जब काम अपनी ही करना है !
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