Tuesday, 30 May 2017

'संघ' राष्ट्र निर्माण की साधना में लगा है ! स्वयं सेवकों को नहीं हो सकता है सत्ता का अहंकार !!

     संघ का ये सबसे बड़ा पद है 'स्वयंसेवक' !संघ की नियत पर संदेह नहीं किया जा सकता !संकट के समय स्वयं सेवकों ने हमेंशा अपने संस्कारों का परिचय दिया है इसी बल पर तो ज़िंदा है संघ !अन्यथा भ्रष्ट सरकारों के भेड़िए संगठन को ही खा गए होते !वैसे भी नाक पोछने के लिए नौकर रखने वाले नेतालोग  अपना फटा पाजामा अपने हाथ से सिलकर पहन लेने वाले स्वयं सेवकों की बराबरी कैसे कर सकते हैं वो संघ को समझ नहीं पाते हैं तो निंदा करने लगते हैं ! 
     संघ तो सेवकों का निर्माण करता है स्वामियों का नहीं क्योंकि स्वामिभाव अहंकारी बना देता है संघ का स्वयं सेवक यदि प्रधानमंत्री भी बन जाए तो भी अपने को देश का प्रधान सेवक मानता है स्वामी नहीं !
    इसलिए गोरक्षा के नाम पर मानव हत्या करने वाले स्वयं सेवक नहीं सकते और जो हत्या करने वाले भारतीय नहीं हो सकते !इसलिए मर्यादा का पालन सबको करना चाहिए !

      ऐसे राष्ट्र प्रहरी संघपरिवार की मानव सेवा और गोसेवा सराहनीय !' में रहने के कारण देश का  तो सेवक'    
  संघ परिवार संघ जैसे राष्ट्र प्रहरी संगठन का राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है सभी प्रकार से देश समाज और संस्कृति के प्रति समर्पित है आर .एस.एस. !
    विश्वास किया जाना चाहिए कि देश के प्रति स्वश्रृद्धा  से  समर्पित  आर. एस. एस. के  ऐसे पवित्र प्रचारक हैं जो अपने दुलारे देश के विरुद्ध कुछ करने और बोलने की बात तो दूर कुछ सोच भी नहीं सकते, कुछ सह नहीं सकते।राष्ट्रनिष्ठा के प्रति ये इतने कट्टर एवं अत्यंत ऊँची राष्ट्रवादी सोच के धनी लोग हैं जो राष्ट्र भावना के विरुद्ध किसी भी प्रकार की तुच्छ जिजीविषा कभी नहीं स्वीकार कर सकते हैं ।देश और समाज के लिए जिन्होंने अपना  जीवन ही दाँव पर लगा रखा है अपने देश और समाज पर कोई हमला करे वो दुर्दिन देखने के लिए ये जीवित रहना भी पसंद नहीं करेंगे ! ये अपने देश के विरुद्ध कुछ भी सहने के लिए पैदा ही नहीं होते हैं स्वयं सेवक !ऐसे सज्जनों की आवश्यकता देश को है।   
      राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों की पवित्र एवं विरक्त जीवन शैली होती है उनका वाणी एवं आचरण पर अद्भुत संयम देखा जाता है भारतीय समाज एवं संस्कृति के प्रति समर्पित इनका आचार व्यवहार है देश ही इनका परिवार है।जाति,क्षेत्र,समुदाय,संप्रदाय आदि विभाजक भावनाओं को भी राष्ट्रवाद की चासनी में डुबोकर राष्ट्रवाद का निर्माण करता है संघ !इसमें ऐसे  सक्षम विचारक हैं जिन्होंने अपना  सारा जीवन देश  और समाज के लिए समर्पित कर रखा है उनके सक्षम संगठन के विभिन्न आयाम देश के कोने कोने में जनहित में विभिन्न प्रकार के जन सेवा एवं राष्ट्र निर्माण संबंधी काम कर रहे हैं।गरीबों, बनबासियों, आदिवासियों, ग्रामों, नगरों, शहरों के साथ साथ स्वदेश  से लेकर विदेशों  तक का उनका अपना अनुभव है।
   किसी भी राजनैतिक सामाजिक संगठन को चाहिए कि वो आर. एस. एस.जैसे संगठनों में सम्मिलित होकर संघ की राष्ट्रवादी गतिविधियाँ देखे और इनसे सामाजिक सांस्कृतिक साधनाके संस्कार सीखे ! भारतीयों के प्राचीन संस्कारों एवं प्राचीन विद्याओं की बात करता है संघ ।अपने दुलारे भारतवर्ष को सबल सक्षम समृद्ध एवं संस्कारी बनाने का सपना लिए ऋषि तुल्य हजारों विरक्त, तपस्वी, पवित्र, प्रचारकों ने अविवाहित रहकर अपने  जीवन का एक एक क्षण देश लिए समर्पित कर रखा है।वे लोग देश के कोने कोने के गाँव गाँव में जन जन से मिलकर प्राचीन राष्ट्र भक्तों का बताया हुआ सन्देश प्रचारित करते हैं।उनका सादा जीवन एवं सहज रहन सहन हम सब को बहुत कुछ सीखने की प्रेरणा देता है। 

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