ज्योतिषसब्जेक्ट में बिना कुछ पढ़े बिना कुछ जाने केवल दूसरों को धोखा देकर भी बनाया जा सकता है अपना अच्छा कैरियर !करोड़ों कमा रहे हैं लोग और जुटा रहे हैं अच्छी से अच्छी सुख सुविधाओं के सारे संसाधन !आयकर विभाग को ऐसे लोगों के संपर्क खँगालने से घर बैठे बैठे मिल सकती हैं बड़ी बड़ी जानकारियाँ !
बंधुओ ! समाज में एक वर्ग है जो गलत करना नहीं चाहता किंतु धन के लोभ में जाने अनजाने कुछ गलतियाँ करके मोटा फंड इकठ्ठा कर चुका होता है !किंतु उसे पचा न पाने के कारण बेचारा डर रहा होता है ऐसे लोगों का शिकार करते हैं एस्ट्रोशूटर !ऐसे डरे सहमे लोग डर के मारे घर से निकलते नहीं हैं इसलिए अखवार पढ़ते हैं या टीवी देखते हैं और टीवी चैनलों या अखवारों में विज्ञापन देने वाले प्रायः एस्ट्रोशूटरिंग एक्सपर्ट होते हैं |
ऐसे लोग ज्योतिष विद्वान नहीं होते !उसका कारण है चरित्रवान सदाचारी ईमानदार विद्वानों के पास इतना धन आएगा कहाँ से कि वे इतने महँगे विज्ञापन दें !
ऐसे लोग ज्योतिष विद्वान नहीं होते !उसका कारण है चरित्रवान सदाचारी ईमानदार विद्वानों के पास इतना धन आएगा कहाँ से कि वे इतने महँगे विज्ञापन दें !
अपनी लापरवाही चतुराई और अज्ञानता आदि के कारण ठगे जाने वालों को ज्योतिष शास्त्र की निंदा नहीं करनी चाहिए !क्योंकि उन्होंने संपर्क ही ज्योतिष विद्वानों से नहीं किया तो उन्हें आलोचना भी ज्योतिष की नहीं करनी चाहिए !
सीधे साधे शूटर तो बहुत जल्दी बदनाम हो जाते हैं भले लोग भली जगहों पर शूटरों का सम्मान कहाँ करते हैं !वही शूटर के पहले एस्ट्रो लगाते उनकी दुनियाँ ही बदल जाती है एस्ट्रोशूटरों का सम्पूर्ण सम्मान के साथ हर जगह आदर होता है वो ज्योतिष के नाम पर राहु केतु शनि साढ़ेसाती आदि करते करते नग नगीने जैसे पत्थर रोड़ी बदरपुर आदि बहुत कुछ बेचने में सफल हो ही जाते हैं |
ज्योतिष की वास्तविक जरूरत वाले लोग इनके चंगुलों में फँसकर बड़ा बुरा पछताते हैं और लुट पिट कर ज्योतिष विद्वानों और ज्योतिष शास्त्र की निंदा करने लगते हैं जबकि उन्हें लूटने वालों का ज्योतिष शास्त्र से कोई संबंध ही नहीं होता है |
ऐसे एस्ट्रोशूटरों से कोई नहीं पूछता कि ज्योतिष जब आपने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं तो ज्योतिषी हो कैसे गए !पढ़ी है तो किस विश्व विद्यालय से किस सन में किस कक्षा तक !इतना पूछते ही ज्योतिषीपन का नशा उतर जाता है और मायूस होकर कहने लगते हैं पुराने ज्योतिषी लोगों के पास भी तो ज्योतिष की डिग्रियाँ नहीं होती थीं तो क्या वे ज्योतिष के विद्वान् नहीं होते थे किंतु यह कहते समय वो एस्ट्रोशूटर यह भूल जाते हैं वे मूर्खता के कारण ज्योतिष परीक्षाएँ देने से डरते नहीं थे अपितु उस युग में डिग्रियों की व्यवस्था ही नहीं थी !दूसरी बात तब ज्योतिषियों में तब इतना डालडा नहीं मिला होता था !वैसे भी आज की अपेक्षा तब ईमानदारी अधिक थी लोगों को शर्म भी होती थी जिस विषय में जितना जानते थे उतना ही बोलते थे आज कल तो वे भी अपने को देश विदेश में विख्यात 'ज्योतिषाचार्य' बोलते हैं जिन्हें ज्योतिषाचार्य का मतलब ही नहीं पता होता कि ज्योतिष सब्जेक्ट में MA की डिग्री है !
एस्ट्रोशूटरिंग के क्षेत्र में भी बड़ी बरायटियाँ होती हैं अपनी अपनी सुख सुविधा के अनुशार लोग ओढ़ लिया करते हैं मनचाही पदवियाँ !
'एस्ट्रो' 'एस्ट्रोलाजर' 'एस्ट्रोरेजर' एवं 'एस्ट्रोलूटरों' के षड्यंत्रों में फँसे लोग ज्योतिषविद्वानों को समझें ! "एस्ट्रोगुरु" "ज्योतिषगुरु" गोल्ड मेडलिस्ट या वर्ल्डफेमस ज्योतिषी जैसी भ्रामक बातें और उपाधियाँ 99 प्रतिशत झूठी हैं ये केवल समाज को अपने षड्यंत्रों में फँसाने के लिए ओढ़ ली जाती हैं जबकि ऐसे लोगों का ज्योतिष संबंधी क्वालिफिकेशन चेक किया जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी कि आप जो समझ रहे थे वास्तव में वो आपके साथ धोखा हो रहा था कई बार ऐसे लोगों के षड्यंत्रों में फँसकर लुटपिट चुके लोग ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिष विद्वानों की निंदा करने लगते हैं जो गलत है !चिकित्सा की तरह ही ज्योतिष में भी आप यदि सतर्कता और उदारता बरतेंगे तो आपका ज्योतिष सेवाओं पर भरोसा बढ़ेगा !
ज्योतिष बहुत बड़ा विज्ञान है किंतु ज्योतिष से जुड़े ऐसे 99 प्रतिशत लोगों के पाखंड के कारण समाज का बहुत बड़ा वर्ग ज्योतिष को पाखंड कहने लगा है जबकि गलती उसकी अपनी खुद है वो अपने ज्योतिष संबंधी कामों के लिए विद्वानों को खोजना जरूरी नहीं समझता और पाखंडियों से जुड़ जाता है जब वे डंक मारते हैं तो ज्योतिष की निंदा करता है !अब कोई मोचियों से हार्ट सर्जरी कराकर बिगड़ जाने पर हार्ट सर्जरी की पद्धति की ही निंदा करने लगे इसमें हार्ट सर्जन और हार्ट सर्जरी का क्या दोष ?
ज्योतिष के विद्वान लोग अपने मुख से अपने को 'गुरु' कहने जैसी हरकतें कर ही नहीं सकते !पहली बात और दूसरी बात ऐसे लोग यदि थोड़ा बहुत भीज्योतिषशास्त्र को पढ़े लिखे होते तो कम से कम उतना तो बता सकते थे मान लिया कोई व्यक्ति किसी सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से ज्योतिष विषय में आचार्य (MA) नहीं कर पाया तो शास्त्री(BA )किया हो तो वही बतावे वो भी न किया हो तो मध्यमा (इंटर) किया हो तो वो बतावे जनता को पता तो लगे कि ज्योतिष शास्त्र में आपका ज्ञान कितना है जनता आपसे उतनी ही उमींद रखे !अपनी ज्योतिष विषय संबंधी डिग्री और विश्व विद्यालय आदि बताने में शर्म क्यों ?जिसे जाँच करनी हो कर ले खुली चुनौती दे !किंतु ये कहना कि पुराने समय में लोगों के पास डिग्री नहीं थी तो क्या वे ज्योतिषी नहीं थे ?यह कहते समय ध्यान दिया जाना चाहिए कि तब डिग्रियों की व्यवस्था थी ही नहीं यदि होती और फिर वे न करते तो अयोग्य समझे ही जाते !जैसे आज कल हो रहा है । वैसे ही आज जो ज्योतिष विद्वान होगा वो परीक्षा देकर डिग्री लेने में डरेगा क्यों ?ज्योतिष से भ्रष्टाचार भगाने में सरकार का साथ क्यों नहीं दिया जाना चाहिए !
मुम्बई में डाँस बार बंद हुए तो वहाँ काम करने वाले लोग जब खाली हुए तो कुछ ज्योतिष का धंधा करने लगे कुछ जो देखने में सुंदर और गाने बजाने वाले जवान जोड़े थे वे कथा भागवत फैलाकर बैठ गए !ऐसे नचैया गवैया लोग भागवत न पढ़ते न समझते न कहते केवल फिल्मी गानों की तर्ज पर गाने गा गा कर मनोरंजन किया करते हैं !और बता देते हैं कि जाओ तुम्हारी भागवत हो गई !जिगोलो बनने के लिए भागवत का उपयोग कितना न्याय संगत है !
अपने को ज्योतिषी सिद्ध करने के लिए ऐसी झूठी उपाधियाँ धारण करने वाले ज्योतिषशास्त्र शत्रुओं से हर किसी को बचकर चलना चाहिए क्योंकि ये वो अनपढ़ वर्ग है जिसने ज्योतिष न कभी पढ़ी होती है न पढने लिखने पर भरोसा रखता है न इनके पास ज्योतिष संबंधी किसी विश्व विद्यालय से प्राप्त कोई डिग्री ही होती है ! ऐसी बिना सिर पैर की उपाधियाँ धारण किए फिरने वाले ऐसे किसी भी व्यक्ति की ज्योतिषीय क्वालिफिकेशन आप चेक कर सकते हैं !इनकी ज्योतिषीय योग्यता जीरो होगी किन्तु आडम्बर पूरे होंगे !ऐसे लोगों का मनना होता है कि मुकुट पहन लेने मात्र से कोई भी व्यक्ति राजा बन सकता है !ऐसे स्वयम्भू लोगों ने ज्योतिष शास्त्र के प्रति विश्वास रखने वालों को अक्सर छला है और बड़ी बड़ी चोटें दी हैं !इसलिए ऐसे भ्रामक लोगों से बचें और अपनी ज्योतिष की जरूरतों को पूरा करने के लिए क्वालीफाइड ज्योतिसही ही खोजें अन्यथा नीम हकीम खतरे जान !see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html
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