राजनीति में वास्तव में सब कुछ झूठ है क्या ?
जिसे खाँसी ठीक करवाने के लिए बैंगलोर जाना पड़ता हो जिसके विधायक अपने बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाकर काम चला रहे हों !ये शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में सरकारी असफलता की निशानियाँ हैं पानी कहीं आता नहीं है तो कहीं गंदा आता है और कहीं कुछ देर के लिए आता है !घूस देकर पहले काम होते थे अब भी देकर हो पा रहे हैं काम !आखिर बदला क्या है !
कोई चुनाव आयोग को कुछ भी कह दे कोई प्रधानमंत्री को कुछ भी बक जाए !क्या यही लोकतंत्र है यदि हैं तो क्या रखा है इस लोकतंत्र में जिस पर किसी का भरोसा ही नहीं है कोई EVM मशीनों को गलत बता रहा है तो कोई बैलट पेपर को भी गलत बता सकता है आखिर उसमें भी तो पहले से ही डाले हुए वोटों जैसी बातें उठाई जाती रही हैं तो उसे भी गलत मान लिया जाए तो सही क्या है !केजरीवाल जी !हर जगह प्रश्न खड़ा कर देना बहुत आसान बात है किंतु उसका समाधान खोजना बहुत कठिन !
केजरीवाल जी ! यदि आपकी आत्मा ने मान ही लिया है कि EVM मशीनें गलत हैं तो आप अपनी आत्मा की आवाज सुनें और नैतिकता के आधार पर आप सबसे पहले सबसे पहले त्याग पत्र दें क्योंकि आप भी इन्हीं मशीनों से जीते थे चुनाव!त्याग पत्र देने के बाद आप उठा सकते हैं EVMमशीनों का मुद्दा किन्तु जिन मशीनों के आदेश से आप मुख्यमंत्री बने हो उन्हीं में गलती निकालते संकोच नहीं लगता !
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