Wednesday, 31 May 2017

एस्ट्रोशूटरिंग के क्षेत्र में भी है बन सकता है अच्छा कैरिअर !बेरोजगारी दूर करने में बहुत मददगार है एस्ट्रोशूटरिंग !

  ज्योतिषसब्जेक्ट में बिना कुछ पढ़े बिना कुछ जाने  केवल दूसरों को धोखा देकर भी बनाया जा सकता है अपना अच्छा कैरियर !करोड़ों कमा रहे हैं लोग और जुटा रहे हैं अच्छी से अच्छी सुख सुविधाओं के सारे संसाधन !आयकर विभाग को ऐसे लोगों के संपर्क खँगालने से घर बैठे बैठे मिल सकती हैं बड़ी बड़ी जानकारियाँ ! 
    बंधुओ ! समाज में एक वर्ग है जो गलत करना नहीं चाहता किंतु धन के लोभ में जाने अनजाने कुछ गलतियाँ करके मोटा फंड इकठ्ठा कर चुका होता है !किंतु उसे पचा न पाने के कारण बेचारा डर रहा होता है ऐसे लोगों का  शिकार करते हैं एस्ट्रोशूटर !ऐसे डरे सहमे लोग डर के मारे घर से निकलते नहीं हैं इसलिए अखवार पढ़ते हैं या टीवी देखते हैं और टीवी चैनलों या अखवारों में विज्ञापन देने वाले प्रायः एस्ट्रोशूटरिंग एक्सपर्ट होते हैं |
  ऐसे लोग ज्योतिष विद्वान नहीं होते !उसका कारण है चरित्रवान सदाचारी ईमानदार विद्वानों के पास इतना धन आएगा कहाँ से कि वे इतने महँगे विज्ञापन दें !
  अपनी लापरवाही चतुराई और अज्ञानता आदि के कारण ठगे जाने वालों को ज्योतिष शास्त्र की निंदा नहीं करनी चाहिए !क्योंकि उन्होंने संपर्क ही ज्योतिष विद्वानों से नहीं किया तो उन्हें आलोचना भी ज्योतिष की नहीं करनी चाहिए !
     सीधे साधे शूटर तो बहुत जल्दी बदनाम हो जाते हैं भले लोग भली जगहों पर शूटरों का सम्मान कहाँ करते  हैं !वही शूटर के पहले एस्ट्रो लगाते उनकी दुनियाँ ही बदल जाती है एस्ट्रोशूटरों का सम्पूर्ण सम्मान के साथ हर जगह आदर होता है वो ज्योतिष के नाम पर राहु केतु शनि साढ़ेसाती आदि  करते करते नग नगीने जैसे पत्थर रोड़ी बदरपुर आदि बहुत कुछ बेचने में सफल हो ही जाते हैं |
    ज्योतिष की वास्तविक जरूरत वाले लोग इनके चंगुलों में फँसकर बड़ा बुरा पछताते हैं और लुट पिट कर ज्योतिष विद्वानों और ज्योतिष शास्त्र की निंदा करने लगते हैं जबकि उन्हें लूटने वालों का ज्योतिष शास्त्र से कोई संबंध ही नहीं होता है | 
    ऐसे एस्ट्रोशूटरों से कोई नहीं पूछता कि ज्योतिष जब आपने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं तो ज्योतिषी हो कैसे गए !पढ़ी है तो किस विश्व विद्यालय से किस सन में किस कक्षा तक  !इतना पूछते ही ज्योतिषीपन का नशा उतर जाता है और मायूस होकर कहने लगते हैं पुराने ज्योतिषी लोगों के पास भी तो ज्योतिष की डिग्रियाँ  नहीं होती थीं तो क्या वे ज्योतिष के विद्वान् नहीं होते थे किंतु यह कहते समय वो एस्ट्रोशूटर यह भूल जाते हैं वे मूर्खता के कारण ज्योतिष परीक्षाएँ देने से डरते नहीं थे अपितु उस युग में डिग्रियों की व्यवस्था ही नहीं थी !दूसरी बात तब ज्योतिषियों में तब इतना डालडा नहीं मिला होता था !वैसे भी आज की अपेक्षा तब ईमानदारी अधिक थी लोगों को शर्म भी होती  थी जिस विषय में जितना जानते थे उतना ही बोलते थे आज कल तो वे भी अपने को देश विदेश में विख्यात 'ज्योतिषाचार्य' बोलते हैं जिन्हें ज्योतिषाचार्य का मतलब ही नहीं पता होता कि ज्योतिष सब्जेक्ट में MA की डिग्री है 
    एस्ट्रोशूटरिंग के क्षेत्र में भी बड़ी बरायटियाँ होती हैं अपनी अपनी सुख सुविधा के अनुशार लोग ओढ़ लिया  करते हैं मनचाही पदवियाँ !
   'एस्ट्रो' 'एस्ट्रोलाजर' 'एस्ट्रोरेजर' एवं 'एस्ट्रोलूटरों' के षड्यंत्रों में फँसे लोग ज्योतिषविद्वानों को समझें ! "एस्ट्रोगुरु"  "ज्योतिषगुरु" गोल्ड मेडलिस्ट या वर्ल्डफेमस ज्योतिषी जैसी भ्रामक बातें और उपाधियाँ 99 प्रतिशत झूठी हैं ये केवल समाज को अपने षड्यंत्रों में फँसाने के लिए ओढ़ ली जाती हैं जबकि ऐसे लोगों का ज्योतिष संबंधी क्वालिफिकेशन चेक किया जाए  तो सच्चाई सामने आ जाएगी कि आप जो समझ रहे थे  वास्तव में वो आपके साथ धोखा हो रहा था कई बार ऐसे लोगों के षड्यंत्रों में फँसकर लुटपिट चुके लोग ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिष विद्वानों की निंदा करने लगते हैं जो गलत है !चिकित्सा की तरह ही ज्योतिष में भी आप यदि सतर्कता और उदारता बरतेंगे तो आपका  ज्योतिष सेवाओं पर भरोसा बढ़ेगा !  
 ज्योतिष बहुत बड़ा विज्ञान है किंतु ज्योतिष से जुड़े ऐसे 99 प्रतिशत लोगों के  पाखंड के कारण समाज का बहुत बड़ा वर्ग ज्योतिष को पाखंड कहने लगा है जबकि गलती उसकी अपनी खुद है वो अपने ज्योतिष संबंधी कामों के लिए विद्वानों को खोजना जरूरी नहीं समझता और पाखंडियों से जुड़ जाता है जब वे डंक  मारते हैं तो ज्योतिष की निंदा करता है !अब कोई मोचियों से हार्ट सर्जरी कराकर बिगड़ जाने पर हार्ट सर्जरी की पद्धति की ही निंदा करने लगे इसमें हार्ट सर्जन और हार्ट सर्जरी का क्या दोष ?
    ज्योतिष के विद्वान लोग अपने मुख से अपने को 'गुरु' कहने जैसी हरकतें कर ही नहीं सकते !पहली बात और दूसरी बात ऐसे लोग यदि थोड़ा बहुत भीज्योतिषशास्त्र को पढ़े लिखे होते तो कम से कम उतना तो बता सकते थे मान लिया कोई व्यक्ति किसी सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से ज्योतिष विषय में आचार्य (MA) नहीं कर पाया तो शास्त्री(BA )किया हो तो वही बतावे वो भी न किया हो तो मध्यमा (इंटर) किया हो तो वो बतावे जनता को पता तो लगे कि ज्योतिष शास्त्र में आपका ज्ञान कितना है जनता आपसे उतनी ही उमींद रखे !अपनी ज्योतिष विषय संबंधी डिग्री और विश्व विद्यालय आदि बताने में शर्म क्यों ?जिसे जाँच करनी हो कर ले खुली चुनौती दे !किंतु ये कहना कि पुराने समय में लोगों के पास डिग्री नहीं थी तो क्या वे ज्योतिषी नहीं थे ?यह कहते समय ध्यान दिया जाना चाहिए कि तब डिग्रियों की व्यवस्था थी ही नहीं यदि होती और फिर वे न करते तो अयोग्य समझे ही जाते !जैसे आज कल हो रहा है । वैसे ही आज जो ज्योतिष विद्वान होगा वो परीक्षा देकर डिग्री लेने में डरेगा क्यों ?ज्योतिष से भ्रष्टाचार भगाने में सरकार का साथ क्यों नहीं दिया जाना चाहिए !
       मुम्बई में डाँस बार बंद हुए तो वहाँ काम करने वाले लोग जब खाली हुए तो कुछ ज्योतिष का धंधा करने लगे कुछ जो देखने में सुंदर और गाने बजाने वाले जवान जोड़े थे वे कथा भागवत फैलाकर बैठ गए !ऐसे नचैया गवैया लोग भागवत न पढ़ते न समझते न कहते केवल फिल्मी गानों की तर्ज पर गाने गा गा कर मनोरंजन किया करते हैं !और बता देते हैं कि जाओ तुम्हारी भागवत हो गई !जिगोलो बनने के लिए भागवत का उपयोग कितना न्याय संगत है !
       अपने को ज्योतिषी सिद्ध करने के लिए ऐसी झूठी उपाधियाँ धारण करने वाले ज्योतिषशास्त्र शत्रुओं से हर किसी को बचकर चलना चाहिए क्योंकि ये वो अनपढ़ वर्ग है जिसने ज्योतिष न कभी पढ़ी होती है न पढने लिखने पर भरोसा रखता है न इनके पास ज्योतिष संबंधी किसी विश्व विद्यालय से प्राप्त कोई डिग्री ही होती है ! ऐसी बिना सिर पैर की उपाधियाँ धारण किए फिरने वाले ऐसे किसी भी व्यक्ति की ज्योतिषीय क्वालिफिकेशन आप चेक कर सकते हैं !इनकी ज्योतिषीय योग्यता जीरो होगी किन्तु आडम्बर पूरे होंगे !ऐसे लोगों का मनना होता है कि मुकुट पहन लेने मात्र से कोई भी व्यक्ति राजा बन सकता है !ऐसे स्वयम्भू लोगों ने ज्योतिष शास्त्र के प्रति विश्वास रखने वालों को अक्सर छला है और बड़ी बड़ी चोटें दी हैं !इसलिए ऐसे भ्रामक लोगों से बचें और अपनी ज्योतिष की जरूरतों को पूरा करने के लिए क्वालीफाइड ज्योतिसही ही खोजें अन्यथा नीम हकीम खतरे जान !see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html

सरकार और सरकारी योजनाओं के साल दो साल आदि बीतने की ख़ुशी में उत्सव क्यों ?

  जनता के विकास के लिए सरकार खुद योजनाएँ बनाती है फिर उनकी सफलता के लिए खुद जश्न मना लेती है जनता कोअखवारों टीवी चैनलों से पता लगता है अपने विकास के लिए बनी योजनाओं के बारे में !बारे लोकतंत्र !!योजनाएँ बनती जनता के लिए हैं खा जाते हैं सरकार के अपने लोग !जनता तो उनका उद्घाटन और वार्षिकोत्सव ही टीवी पर देख लिया करती है !
  योजनाओं को शुरू करने के उपलक्ष्य में होने वाले  सालाना उत्सव ही देख सुन लेती है जनता वैसे भी इससे अधिक उसे और चाहिए भी क्या ?जिस जनता के लिए जो योजनाएँ बनाई जाती हैं वो कितनी सफल हुईं उनसे जनता को कितना लाभ हुआ यह आवाज जनता की ओर  से सरकार की प्रशंसा में उठनी चाहिए किंतु सरकार जनता के विकास के लिए जो योजनाएँ बनती है उनकी सफलता के लिए खुद उत्सवमना लेती है योजनाएँ जनता तक पहुंचती नहीं हैं उत्सव देख लेती है टीवी पर बिलकुल इस तरह !
     गधे का एक नाम है वैसाखनंदन अर्थात बैसाख का बेटा !बैसाख हिंदी  महीना है गर्मी की ऋतु  में आता है इस समय सिंचाई के अभाव में फसलें तो होती ही नहीं हैं साथ ही घास फूस भी सूख जाता है ऐसे मैदानों पर चरने के लिए धोबी जब अपने गधे छोड़ता है तो चरने लायक वहाँ कुछ होता नहीं है इसलिए  गधे थोड़ी दूर चलकर जब पीछे की ओर देखते हैं तो उन्हें लगता है कि हमने चर चर के इतना खेत खाली कर दिया है इस ख़ुशी में वो उछलते कूदते चींपों चींपों करते उत्सव मनाने लगते हैं ऐसे ही उत्सव प्रिय सरकारें होती हैं जिनका बात बात में उत्सव बात बात में घोषणाएँ काम धेले का नहीं !
    उन योजनाओं को बनाने और खा जाने वालों का लोक लुभावना भाषण बस जनता के हिस्से इससे ज्यादा कुछ नहीं आता है !सरकार में सम्मिलित नेताओं के नाते रिस्तेदार घर खानदान वाले  कुछ खा जाते हैं तो कुछ  सरकारी अधिकारी कर्मचारी !लोकतंत्र तो अखवार के  पन्नों में दम तोड़ रहा होता है सांसदों विधायकों के यहाँ से सिफारिशी लेटर मिलते हैं आम जनता को  जिन्हें कूड़े दानों में फेक देते हैं अधिकारी कर्मचारी !इससे ज्यादा आम जनता की पहुँच नहीं होती है !जन प्रतिनिधियों से अब इतनी शर्म की आशा कैसे की जा सकती है कि उन्होंने जिनकी जिस विषय में सिफारिस की है उस विभाग में उनके लेटर पर पर कार्यवाही करने की जरूरत आखिर क्यों नहीं समझी गई उन्हें इतनी लज्जा नहीं होती कि अपने क्षेत्र में आने वाले सरकारी विभागों से पूछें कि वे उन्हें समझते आखिर क्या हैं ?
       सरकारी घोड़े जनता को चरे जा रहे हैं घुड़सवारी का आनंद ले रहे हैं सरकारों के शीर्षासनों पर बैठे बड़े बड़े लोग !
 अफसर रूपी सरकार के घोड़े चरते जा रहा हैं जनता रूपी घास !हर पाँच साल में घोड़ों के मालिक बदल जाते हैं किंतु घोड़े जनता रूपी घास को चरते रहते हैं सरकार रूपी घोड़ों का मालिक इस पर ध्यान ही नहीं देता है कि घोड़े चार किसे  उसे तो को घोड़ों की सवारी का आनंद लूटने आया है वही लूटता रहता है बस !
       सरकार के शीर्षासन पर बैठा व्यक्ति नशेड़ियों की तरह जनहित  की बड़ी बड़ी घोषणाएँ करते बड़े बड़ी बातें बनाते बड़ी बड़ी प्लानिंग समझाते समय बिताया करता है बड़े बड़े सपने दिखाया करता है बड़ी बड़ी योजनाएँ बनाया करता है किंतु उन्हें पूरी करने की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है वो उन्हें ही चरे जा रहे हैं जिनके लिए वे योजनाएँ बनाई जा रही हैं ये देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है !आजादी के बाद आज  तक यही होता चला आ रहा है जनता ऐसे लोकतंत्र को ढोए जा रही है ये उसकी मजबूरी है | 
    देश की सत्ता के शीर्षासन पर बैठे व्यक्ति में इतना अधिक नशा होता है कि धरती के किसी भी नशे से उसकी तुलना नहीं की जा सकती !वो व्यक्ति आम लोगों की तरह ही बात व्यवहार करता हुआ भी हँसते मुस्कुराते   जहरीला हो जाता  है कि उसकी आँखें आम आँखों की तरह नहीं रह जातीं उसके कान केवल प्रशंसा सुन कार पेट भर लेना चाहते हैं !इन्हें सत्ता पर पहुँचते ही लगने लगता है कि अब देश में राम राज्य  गया है अपनी सुख सुविधाओं से ये  खुशहाली का अंदाजा लगा लेते हैं अपनी सिक्योरिटी व्यवस्था से ये देश वासियों की सुरक्षा का अंदाजा लगा लिया करते  हैं अपने आने जाने की रोड देख कर विकास का अंदाजा लगा लेते हैं ! 
           वो जनप्रतिनिधि जिन्हें सदनों में हुल्लड़ मचाने के अलावा कुछ आता हीनहीं हैं वो सिफारिस के लिए जनता को लिख लिख कर लेटर देते हैं जिन्हें सरकारी अफसर  कर्मचारी दो कौड़ी का नहीं समझते उनकी सिफारिस का मतलब जनता को परेशान करना नहीं तो क्या है | विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री आदि जनता दरवार टाइप का कुछ न कुछ लगाते हैं अपने अपने दरवाजों पर जनता की समस्याएँ सुनने का नाटक भी करते हैं किंतु ऐसे वैसाख नंदनों को  समझ में आता है कि अपने अपने क्षेत्र के सरकारी कार्यालयों में जाकर वे जनता के काम काज करवाने की व्यवस्था करवाएँ यदि वे ठीक से काम करने लगेंगे तो जनता को किसी सिफारिस की जरूरत ही नहीं  रह जाएगी !      

     जिस देश की सरकारी मशीनरी में लाखों अधिकारी कर्मचारी सस्पेंड किए जाने की संपूर्ण योग्यता रखते हों उस देश में कुछ अधिकारी कर्मचारियों का ट्रांसफर कर देना कुछ को सस्पेंड कर देना कुछ के खिलाफ जाँच करने लगना कुछ के घर छापे डाल कर कुछ को बेनकाब कर देने से जनता का क्या हो जाएगा !मैं तो कहूँगा जैसे ये सब लूट खा रहे हैं ऐसे ही उन बेचारों को भी लूटने खाने दो उन्हें क्यों परेशान  किया जा रहा है !एक आफिस के दस लोग घूस खोर हैं दो को पकड़ लेना आठ को न पकड़पाने में अयोग्यता पकड़ने वालों की दंड भुगतें बेचारे कुछ वो लोग जो अपने भ्रष्टाचार को  पाए ये तो बेचारे सीधे साधे अधिकारियों कर्मचारियों के साथ अन्याय है !EDMC में एक अफसर हैं वो साफ कहते हैं कि कहीं भी अवैध मोबाईल टावर लगा लो लाखों करोड़ों कमा सकते हो कुछ हमें दो कुछ जज साहब को दो कुछ तुम लो !कोई तुम्हारे अवैध कार्य के विरुद्ध शिकायत करेगा तो हम तुम्हें नोटिश दे देंगे तुम कोर्ट जाकर स्टे ले लेना इसके बाद जज साहब स्टे को  आगे बढ़ाते जाएँगे और हम तुम्हारे विरुद्ध पैरवी नहीं करेंगे तो जज साहब तुम्हारे विरुद्ध फैसला कैसे कर देंगे !कोर्ट और स्टे का नाम ऐसा है कि उसके बाद कोई कार्यवाही करने से डरता है !सभी अवैध काम ऐसे  चलाए जा रहे हैं |

    जिस देश में भ्रष्टाचार  तक बढ़ा  हो उस देश के प्रधानमंत्री साहब केवल झाड़ू से देश साफ कर लेना चाहते हों ये तन नहीं मन के मलों की सफाई का इंतजाम कीजिए साहब !

      योग से रोग दूर भागेंगे !अरे परिश्रम करके पसीना बहकर कमाने खाने वालों को इस  जरूरत क्या है और बैठ कर दूसरों के खून पसीने की कमाई खाने वालों की संख्या कितनी है जिनके लिए इस कसरती योग की जरूरत है !यदि इन्हें योग की ओर प्रेरित करने के लिए योग पर इतना भारी भरकम खर्च किया जा रहा है इससे अच्छा कामचोरों को भी मेहनत करके खाने की प्रेरणा क्यों न दी जाए इससे जनता  हों सरकारी आफिसों का भ्रष्टाचार घटे  शरीर भी स्वस्थ रहे सरकार की छवि भी सुधरे !अन्यथा कितना भी योग क्यों न  पाप का फल भोगना ही पड़ता है गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने साफ साफ कहा है कि "अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभं "उसे हाथ हिलाने और मुख मटकाने से मिटाया नहीं जा सकता है | 

 
नेताओं में बाबाओं में अफसरों में हर जगह भ्रष्टाचार है  बाबाओं में भी ऐसा ही होता है जितनों के यहाँ छापे पड़ते हैं सेक्स सामग्री से लेकर वो सब कुछ निकलता है उनके पास जो जो गलत्त बताया गया है !किंतु छापे  भी तो सरकारी कर्मचारी ही होते होंगे इसलिए आराम आराम से काम करने की आदत तो होगी ही !जैसे मजदूर थोड़ा काम कर लेते हैं फिर थोड़े दिन आराम करते हैं फिर थोड़ा .... !


      सुना है कि अफसर लोग न सरकार की सुनते हैं और न जनता की केवल पैसे की सुनते हैं !अन्यथा  मंत्री जी की मीटिंग तक में बैठे बैठे सोते देखे जाते हैं बेचारे !

   आफीसरों के आफिस में सोने का समय तो निश्चित होता ही है सोने के समय मीटिंग रख देते हैं नौसिखिया मंत्रीलोग !तो नींद तो आएगी  ही !वैसे भी आफीसरों को सुलाना न होता तो सरकार इतने  सुख सुविधा पूर्ण आफिस बनाती ही क्यों ?काम की जगहों पर आराम के इंतजाम अकलमंद क्यों करेगा !जहाँ आराम वहाँ कैसा काम !इन  सब बातों व्यवहारों से तो सरकार की नियत पर भी शक पैदा होने लगा है !

    वैसे भी  सरकार को क्यों डरें अफसर और क्यों सुनें सरकार की बात !

      अधिकाँश नेता शिक्षा में अफसरों के सामने कहीं ठहरते ही नहीं हैं जनता को बेवकूप बनाकर चुनाव जीत लेने का ये मतलब तो नहीं होता है कि अकल भी आ गई होगी !ये उलटी खोपड़ी  प्रतिनिधि सिफारिसी चिट्ठियाँ बाँटने के लिए अपने दरवाजों पर भीड़ें इकठ्ठा करते हैं ये उनका अपना निकम्मापन है यदि ऐसा न होता तो अपने दरवाजे खड़ी भीड़ से  बात करके ही अंदाजा लगा लेते कि उनके क्षेत्र के किस विभाग में कितनी काम चोरी की जा रही है उस विभाग में जाकर एक दिन साफ साफ बोल देते कि आपके विभाग से सम्बंधित कोई शिकायत यदि मेरे पास आई तो आपकी खैर नहीं होगी किंतु ऐसा बोलने के लिए भी तो अपना आचार व्यवहार चाल चरित्र आदि पवित्र होना चाहिए अन्यथा उन्हीं के यहाँ छापा डाल देंगे अधिकारी !इस लिए वे सिफारिशी चिट्ठी लिख लिख कर बाँटा करते हैं अधिकारी ले ले कर फाड़ फाड़ कर फ़ेंक दिया करते हैं नेताओं की चिट्टियाँ ले कर जनता इस विभाग से उस विभाग तक भाग दौड़ किया करती है सब एक दूसरे का पता बताया करते हैं फोन नंबर दिया करते हैं कई तो अपनी सीट के  बगल में बैठे रहते हैं और कह देते हैं साहब आज आए नहीं मीटिंग में गए हैंया जाना है या कम्प्यूटर ख़राब है या जाँच करवा लेंगे जनता ले लेकर दौड़ती रहती है वो अभागी चिट्ठियाँ !
     कई बार तो परिस्थिति ऐसी तक बन जाती है कि छोटे छोटे कामों के लिए अधिकारी एक दूसरे का पता बताते बताते मुख्य मंत्री तक भेजने की सलाह देने लगते हैं जिन्हें सुन कर फरयादी को तो शर्म लगने लगती है कि  काम के लिए मुख्य मंत्री के यहाँ किंतु उन्हें नहीं लगती जिनका ये काम है ! चुने हुए जनप्रतिनिधियों को काम लेना आवे तब न करे सरकारी मशीनरी जिसे बैठे सैलरी मिलती हो वो क्यों करें काम ! संसद जैसे सदनों में चर्चा की जगह हुल्ल्ड मचाने वालों से क्यों डरेंगे अफसर !कितने योग्य अनुभवी और शिक्षित नेता लोग होते हैं !उन्हें चर्चा सदनों में भेजकर न जाने किस लोकतंत्र को जीवित रख लेना चाहती है सरकार !
     अफसर आदि सरकारी मशीनरी क्यों काम करे ?आखिर उन्हें सैलरी तो सरकार को देनी ही पड़ेगी नहीं तो कोर्ट जाकर ले लेंगे !सरकार बहुत ज्यादा ट्रांसफर कर देगी और क्या बिगाड़ लेगी उनका ! वे जहाँ भेजे जाएँगे वहाँ सैलरी आदि और भी सारी सुख सुविधाएँ तो वही मिलेंगी वहाँ कोई एयरकंडीशंड आफिस की जगह बोरे  बिछाकर कर तो लेटा  नहीं दिए जाएँगे ! 

    भ्रष्टाचार का मुख्य कारण सोर्स और घूस के बल पर नियुक्तियाँ पाए अयोग्य लोग हैं या कुछ और भी !

Tuesday, 30 May 2017

'संघ' राष्ट्र निर्माण की साधना में लगा है ! स्वयं सेवकों को नहीं हो सकता है सत्ता का अहंकार !!

     संघ का ये सबसे बड़ा पद है 'स्वयंसेवक' !संघ की नियत पर संदेह नहीं किया जा सकता !संकट के समय स्वयं सेवकों ने हमेंशा अपने संस्कारों का परिचय दिया है इसी बल पर तो ज़िंदा है संघ !अन्यथा भ्रष्ट सरकारों के भेड़िए संगठन को ही खा गए होते !वैसे भी नाक पोछने के लिए नौकर रखने वाले नेतालोग  अपना फटा पाजामा अपने हाथ से सिलकर पहन लेने वाले स्वयं सेवकों की बराबरी कैसे कर सकते हैं वो संघ को समझ नहीं पाते हैं तो निंदा करने लगते हैं ! 
     संघ तो सेवकों का निर्माण करता है स्वामियों का नहीं क्योंकि स्वामिभाव अहंकारी बना देता है संघ का स्वयं सेवक यदि प्रधानमंत्री भी बन जाए तो भी अपने को देश का प्रधान सेवक मानता है स्वामी नहीं !
    इसलिए गोरक्षा के नाम पर मानव हत्या करने वाले स्वयं सेवक नहीं सकते और जो हत्या करने वाले भारतीय नहीं हो सकते !इसलिए मर्यादा का पालन सबको करना चाहिए !

      ऐसे राष्ट्र प्रहरी संघपरिवार की मानव सेवा और गोसेवा सराहनीय !' में रहने के कारण देश का  तो सेवक'    
  संघ परिवार संघ जैसे राष्ट्र प्रहरी संगठन का राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है सभी प्रकार से देश समाज और संस्कृति के प्रति समर्पित है आर .एस.एस. !
    विश्वास किया जाना चाहिए कि देश के प्रति स्वश्रृद्धा  से  समर्पित  आर. एस. एस. के  ऐसे पवित्र प्रचारक हैं जो अपने दुलारे देश के विरुद्ध कुछ करने और बोलने की बात तो दूर कुछ सोच भी नहीं सकते, कुछ सह नहीं सकते।राष्ट्रनिष्ठा के प्रति ये इतने कट्टर एवं अत्यंत ऊँची राष्ट्रवादी सोच के धनी लोग हैं जो राष्ट्र भावना के विरुद्ध किसी भी प्रकार की तुच्छ जिजीविषा कभी नहीं स्वीकार कर सकते हैं ।देश और समाज के लिए जिन्होंने अपना  जीवन ही दाँव पर लगा रखा है अपने देश और समाज पर कोई हमला करे वो दुर्दिन देखने के लिए ये जीवित रहना भी पसंद नहीं करेंगे ! ये अपने देश के विरुद्ध कुछ भी सहने के लिए पैदा ही नहीं होते हैं स्वयं सेवक !ऐसे सज्जनों की आवश्यकता देश को है।   
      राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों की पवित्र एवं विरक्त जीवन शैली होती है उनका वाणी एवं आचरण पर अद्भुत संयम देखा जाता है भारतीय समाज एवं संस्कृति के प्रति समर्पित इनका आचार व्यवहार है देश ही इनका परिवार है।जाति,क्षेत्र,समुदाय,संप्रदाय आदि विभाजक भावनाओं को भी राष्ट्रवाद की चासनी में डुबोकर राष्ट्रवाद का निर्माण करता है संघ !इसमें ऐसे  सक्षम विचारक हैं जिन्होंने अपना  सारा जीवन देश  और समाज के लिए समर्पित कर रखा है उनके सक्षम संगठन के विभिन्न आयाम देश के कोने कोने में जनहित में विभिन्न प्रकार के जन सेवा एवं राष्ट्र निर्माण संबंधी काम कर रहे हैं।गरीबों, बनबासियों, आदिवासियों, ग्रामों, नगरों, शहरों के साथ साथ स्वदेश  से लेकर विदेशों  तक का उनका अपना अनुभव है।
   किसी भी राजनैतिक सामाजिक संगठन को चाहिए कि वो आर. एस. एस.जैसे संगठनों में सम्मिलित होकर संघ की राष्ट्रवादी गतिविधियाँ देखे और इनसे सामाजिक सांस्कृतिक साधनाके संस्कार सीखे ! भारतीयों के प्राचीन संस्कारों एवं प्राचीन विद्याओं की बात करता है संघ ।अपने दुलारे भारतवर्ष को सबल सक्षम समृद्ध एवं संस्कारी बनाने का सपना लिए ऋषि तुल्य हजारों विरक्त, तपस्वी, पवित्र, प्रचारकों ने अविवाहित रहकर अपने  जीवन का एक एक क्षण देश लिए समर्पित कर रखा है।वे लोग देश के कोने कोने के गाँव गाँव में जन जन से मिलकर प्राचीन राष्ट्र भक्तों का बताया हुआ सन्देश प्रचारित करते हैं।उनका सादा जीवन एवं सहज रहन सहन हम सब को बहुत कुछ सीखने की प्रेरणा देता है। 

Monday, 29 May 2017

लोकतंत्र है या कबीलातंत्र ! " जिसके हाथ सत्ता वो सरदार बाकी सब बेकार !"

लूटखसोट को लोकतंत्र मानने का मन ही नहींकरता है !
  गरीबों के पेट पिचके हैं उनकी चिंता किसी को नहीं रईसों के पेट पिचकाने के लिए योग महोत्सव मना रही है सरकार !इसे गरीबी उन्मूलन दिवस के रूप में भी तो मनाया जा सकता था !
   कबीले के सरदार की तरह सत्ता की शीर्ष पर बैठे व्यक्ति को जो सनक सूझे वही सारा देश करने लगे ऐसा क्यों ?जब जिस दल की सरकार होती है तब वो देश का पूरी तरह मालिक होता है वो योग सिखावे या झाड़ू लगवावे !बिलकुल कबीलों की तरह !उस कबीला संस्कृति की तरह ही आज भी कबीला पार्टियों  में सम्मिलित लोग और उनके नाते  रिस्तेदार ही केवल चाटते रहते हैं सत्ता का शहद !इसके बाद दूसरे कबीले का सरदार देश का चौधरी बन जाता तब उस कबीले वाले और उनके नाते रिस्तेदार सत्ता का शहद चाटने लग जाते हैं किंतु ऍम जनता का तो कभी नम्बर ही नहीं आने पाता है क्योंकि वो भ्रष्ट नहीं है बेईमान नहीं है घपले घोटालेवाज नहीं है इसलिए राजनीति में उसका कभी नम्बर नहीं आ पाता है भले लोगों को कोई पार्टी पसंद ही नहीं करती है और जो बुरे लोगों में  भलाई खोजना अपनी मूर्खता है | 
      जैसे कबीलों का सरदार होता था वैसे ही राजनैतिक पार्टियों  सरदार होता है जब  तक सत्ता उसके  हाथ में रहती है तब तक उसकी ही झुमाई झूमती है इसके बाद वो शांत होकर बैठ जाता है फिर दूसरी पार्टी के सरदार की बारी आती है !जो जो पहले ने बनवाया होता है वो बाद वाला उखड़वा देता है वो नया बनाता है जो उसके बाद वाला उखड़वा देता है बस इसी  तरह आजादी से आज तक चलता चला आ रहा है कबीला तंत्र ! 
    अधिकारी कर्मचारी सत्तासीन कबीले के सरदार की ओर ऐसे देखते हैं जैसे सूरज मुखी का फूल सूरज की ओर देखता है  इसके अलावा इतने बड़े देश में उनका और कोई कर्तव्य बचता ही नहीं है !वर्तमान समय अधिकारीयों के आचरणों के देखकर कहा जा सकता है कि जन हित में अब उनकी कोई भूमिका ही नहीं बची है इसके दो कारण हैं या तो वो योग्य नहीं हैं या फिर वो आलसी और अकर्मण्य हैं यदि ऐसा न होता तो उनकी योग्यता और कार्यकुशलता कर्मठता का लाभ देश को मिलना चाहिए था किंतु यदि वे ऐसा करने में सफल होते तो न इतने अपराध होते और न इतना भ्रष्टाचार !
     
      

Friday, 26 May 2017

घोड़े और घास की तरह का है अफसरों और जनता का संबंध !घोड़ा घास से यारी क्यों करे घुड़ सवार घास चरने से रोके क्यों ?

   सरकारी घोड़े जनता को चरे जा रहे हैं घुड़सवारी का आनंद ले रहे हैं सरकारों के शीर्षासनों पर बैठे बड़े बड़े लोग !
 अफसर रूपी सरकार के घोड़े चरते जा रहा हैं जनता रूपी घास !हर पाँच साल में घोड़ों के मालिक बदल जाते हैं किंतु घोड़े जनता रूपी घास को चरते रहते हैं सरकार रूपी घोड़ों का मालिक इस पर ध्यान ही नहीं देता है कि घोड़े चार किसे  उसे तो को घोड़ों की सवारी का आनंद लूटने आया है वही लूटता रहता है बस !
       सरकार के शीर्षासन पर बैठा व्यक्ति नशेड़ियों की तरह जनहित  की बड़ी बड़ी घोषणाएँ करते बड़े बड़ी बातें बनाते बड़ी बड़ी प्लानिंग समझाते समय बिताया करता है बड़े बड़े सपने दिखाया करता है बड़ी बड़ी योजनाएँ बनाया करता है किंतु उन्हें पूरी करने की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है वो उन्हें ही चरे जा रहे हैं जिनके लिए वे योजनाएँ बनाई जा रही हैं ये देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है !आजादी के बाद आज  तक यही होता चला आ रहा है जनता ऐसे लोकतंत्र को ढोए जा रही है ये उसकी मजबूरी है | 
    देश की सत्ता के शीर्षासन पर बैठे व्यक्ति में इतना अधिक नशा होता है कि धरती के किसी भी नशे से उसकी तुलना नहीं की जा सकती !वो व्यक्ति आम लोगों की तरह ही बात व्यवहार करता हुआ भी हँसते मुस्कुराते   जहरीला हो जाता  है कि उसकी आँखें आम आँखों की तरह नहीं रह जातीं उसके कान केवल प्रशंसा सुन कार पेट भर लेना चाहते हैं !इन्हें सत्ता पर पहुँचते ही लगने लगता है कि अब देश में राम राज्य  गया है अपनी सुख सुविधाओं से ये  खुशहाली का अंदाजा लगा लेते हैं अपनी सिक्योरिटी व्यवस्था से ये देश वासियों की सुरक्षा का अंदाजा लगा लिया करते  हैं अपने आने जाने की रोड देख कर विकास का अंदाजा लगा लेते हैं ! 
      गधे का एक नाम है वैसाखनंदन अर्थात बैसाख का बेटा !बैसाख हिंदी  महीना है गर्मी की ऋतु  में आता है इस समय सिंचाई के अभाव में फसलें तो होती ही नहीं हैं साथ ही घास फूस भी सूख जाता है ऐसे मैदानों पर चरने के लिए धोबी जब अपने गधे छोड़ता है तो चरने लायक वहाँ कुछ होता नहीं है इसलिए  गधे थोड़ी दूर चलकर जब पीछे की ओर देखते हैं तो उन्हें लगता है कि हमने चार के इतना खेत खाली कर दिया है इस ख़ुशी में वो उछलते कूदते चींपों चींपों करते उत्सव मनाने लगते हैं ऐसे ही उत्सव प्रिय सरकारें होती हैं जिनका बात बात में उत्सव बात बात में घोषणाएँ काम धेले का नहीं !
     वो जनप्रतिनिधि जिन्हें सदनों में हुल्लड़ मचाने के अलावा कुछ आता हीनहीं हैं वो सिफारिस के लिए जनता को लिख लिख कर लेटर देते हैं जिन्हें सरकारी अफसर  कर्मचारी दो कौड़ी का नहीं समझते उनकी सिफारिस का मतलब जनता को परेशान करना नहीं तो क्या है | विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री आदि जनता दरवार टाइप का कुछ न कुछ लगाते हैं अपने अपने दरवाजों पर जनता की समस्याएँ सुनने का नाटक भी करते हैं किंतु ऐसे वैसाख नंदनों को  समझ में आता है कि अपने अपने क्षेत्र के सरकारी कार्यालयों में जाकर वे जनता के काम काज करवाने की व्यवस्था करवाएँ यदि वे ठीक से काम करने लगेंगे तो जनता को किसी सिफारिस की जरूरत ही नहीं  रह जाएगी !      

     जिस देश की सरकारी मशीनरी में लाखों अधिकारी कर्मचारी सस्पेंड किए जाने की संपूर्ण योग्यता रखते हों उस देश में कुछ अधिकारी कर्मचारियों का ट्रांसफर कर देना कुछ को सस्पेंड कर देना कुछ के खिलाफ जाँच करने लगना कुछ के घर छापे डाल कर कुछ को बेनकाब कर देने से जनता का क्या हो जाएगा !मैं तो कहूँगा जैसे ये सब लूट खा रहे हैं ऐसे ही उन बेचारों को भी लूटने खाने दो उन्हें क्यों परेशान  किया जा रहा है !एक आफिस के दस लोग घूस खोर हैं दो को पकड़ लेना आठ को न पकड़पाने में अयोग्यता पकड़ने वालों की दंड भुगतें बेचारे कुछ वो लोग जो अपने भ्रष्टाचार को  पाए ये तो बेचारे सीधे साधे अधिकारियों कर्मचारियों के साथ अन्याय है !EDMC में एक अफसर हैं वो साफ कहते हैं कि कहीं भी अवैध मोबाईल टावर लगा लो लाखों करोड़ों कमा सकते हो कुछ हमें दो कुछ जज साहब को दो कुछ तुम लो !कोई तुम्हारे अवैध कार्य के विरुद्ध शिकायत करेगा तो हम तुम्हें नोटिश दे देंगे तुम कोर्ट जाकर स्टे ले लेना इसके बाद जज साहब स्टे को  आगे बढ़ाते जाएँगे और हम तुम्हारे विरुद्ध पैरवी नहीं करेंगे तो जज साहब तुम्हारे विरुद्ध फैसला कैसे कर देंगे !कोर्ट और स्टे का नाम ऐसा है कि उसके बाद कोई कार्यवाही करने से डरता है !सभी अवैध काम ऐसे  चलाए जा रहे हैं |

    जिस देश में भ्रष्टाचार  तक बढ़ा  हो उस देश के प्रधानमंत्री साहब केवल झाड़ू से देश साफ कर लेना चाहते हों ये तन नहीं मन के मलों की सफाई का इंतजाम कीजिए साहब !

      योग से रोग दूर भागेंगे !अरे परिश्रम करके पसीना बहकर कमाने खाने वालों को इस  जरूरत क्या है और बैठ कर दूसरों के खून पसीने की कमाई खाने वालों की संख्या कितनी है जिनके लिए इस कसरती योग की जरूरत है !यदि इन्हें योग की ओर प्रेरित करने के लिए योग पर इतना भारी भरकम खर्च किया जा रहा है इससे अच्छा कामचोरों को भी मेहनत करके खाने की प्रेरणा क्यों न दी जाए इससे जनता  हों सरकारी आफिसों का भ्रष्टाचार घटे  शरीर भी स्वस्थ रहे सरकार की छवि भी सुधरे !अन्यथा कितना भी योग क्यों न  पाप का फल भोगना ही पड़ता है गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने साफ साफ कहा है कि "अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभं "उसे हाथ हिलाने और मुख मटकाने से मिटाया नहीं जा सकता है | 

 
नेताओं में बाबाओं में अफसरों में हर जगह भ्रष्टाचार है  बाबाओं में भी ऐसा ही होता है जितनों के यहाँ छापे पड़ते हैं सेक्स सामग्री से लेकर वो सब कुछ निकलता है उनके पास जो जो गलत्त बताया गया है !किंतु छापे  भी तो सरकारी कर्मचारी ही होते होंगे इसलिए आराम आराम से काम करने की आदत तो होगी ही !जैसे मजदूर थोड़ा काम कर लेते हैं फिर थोड़े दिन आराम करते हैं फिर थोड़ा .... !


      सुना है कि अफसर लोग न सरकार की सुनते हैं और न जनता की केवल पैसे की सुनते हैं !अन्यथा  मंत्री जी की मीटिंग तक में बैठे बैठे सोते देखे जाते हैं बेचारे !

   आफीसरों के आफिस में सोने का समय तो निश्चित होता ही है सोने के समय मीटिंग रख देते हैं नौसिखिया मंत्रीलोग !तो नींद तो आएगी  ही !वैसे भी आफीसरों को सुलाना न होता तो सरकार इतने  सुख सुविधा पूर्ण आफिस बनाती ही क्यों ?काम की जगहों पर आराम के इंतजाम अकलमंद क्यों करेगा !जहाँ आराम वहाँ कैसा काम !इन  सब बातों व्यवहारों से तो सरकार की नियत पर भी शक पैदा होने लगा है !
    वैसे भी  सरकार को क्यों डरें अफसर और क्यों सुनें सरकार की बात !
      अधिकाँश नेता शिक्षा में अफसरों के सामने कहीं ठहरते ही नहीं हैं जनता को बेवकूप बनाकर चुनाव जीत लेने का ये मतलब तो नहीं होता है कि अकल भी आ गई होगी !ये उलटी खोपड़ी  प्रतिनिधि सिफारिसी चिट्ठियाँ बाँटने के लिए अपने दरवाजों पर भीड़ें इकठ्ठा करते हैं ये उनका अपना निकम्मापन है यदि ऐसा न होता तो अपने दरवाजे खड़ी भीड़ से  बात करके ही अंदाजा लगा लेते कि उनके क्षेत्र के किस विभाग में कितनी काम चोरी की जा रही है उस विभाग में जाकर एक दिन साफ साफ बोल देते कि आपके विभाग से सम्बंधित कोई शिकायत यदि मेरे पास आई तो आपकी खैर नहीं होगी किंतु ऐसा बोलने के लिए भी तो अपना आचार व्यवहार चाल चरित्र आदि पवित्र होना चाहिए अन्यथा उन्हीं के यहाँ छापा डाल देंगे अधिकारी !इस लिए वे सिफारिशी चिट्ठी लिख लिख कर बाँटा करते हैं अधिकारी ले ले कर फाड़ फाड़ कर फ़ेंक दिया करते हैं नेताओं की चिट्टियाँ ले कर जनता इस विभाग से उस विभाग तक भाग दौड़ किया करती है सब एक दूसरे का पता बताया करते हैं फोन नंबर दिया करते हैं कई तो अपनी सीट के  बगल में बैठे रहते हैं और कह देते हैं साहब आज आए नहीं मीटिंग में गए हैंया जाना है या कम्प्यूटर ख़राब है या जाँच करवा लेंगे जनता ले लेकर दौड़ती रहती है वो अभागी चिट्ठियाँ !
     कई बार तो परिस्थिति ऐसी तक बन जाती है कि छोटे छोटे कामों के लिए अधिकारी एक दूसरे का पता बताते बताते मुख्य मंत्री तक भेजने की सलाह देने लगते हैं जिन्हें सुन कर फरयादी को तो शर्म लगने लगती है कि  काम के लिए मुख्य मंत्री के यहाँ किंतु उन्हें नहीं लगती जिनका ये काम है ! चुने हुए जनप्रतिनिधियों को काम लेना आवे तब न करे सरकारी मशीनरी जिसे बैठे सैलरी मिलती हो वो क्यों करें काम ! संसद जैसे सदनों में चर्चा की जगह हुल्ल्ड मचाने वालों से क्यों डरेंगे अफसर !कितने योग्य अनुभवी और शिक्षित नेता लोग होते हैं !उन्हें चर्चा सदनों में भेजकर न जाने किस लोकतंत्र को जीवित रख लेना चाहती है सरकार !
     अफसर आदि सरकारी मशीनरी क्यों काम करे ?आखिर उन्हें सैलरी तो सरकार को देनी ही पड़ेगी नहीं तो कोर्ट जाकर ले लेंगे !सरकार बहुत ज्यादा ट्रांसफर कर देगी और क्या बिगाड़ लेगी उनका ! वे जहाँ भेजे जाएँगे वहाँ सैलरी आदि और भी सारी सुख सुविधाएँ तो वही मिलेंगी वहाँ कोई एयरकंडीशंड आफिस की जगह बोरे  बिछाकर कर तो लेटा  नहीं दिए जाएँगे ! 

    भ्रष्टाचार का मुख्य कारण सोर्स और घूस के बल पर नियुक्तियाँ पाए अयोग्य लोग हैं या कुछ और भी !
 

Wednesday, 24 May 2017

अफसरों के यहाँ छापे !वो भी इतने बड़े देश में मात्र 15 जगहों पर !

 जो अफसर इस योग्यता में पास हुए कि उनके यहाँ छापे डाले जा सकते थे बाकी पास नहीं हुए या उनकी परीक्षा ही नहीं ली गई जिनकी परीक्षा ही नहीं वे क्या पास क्या फेल किंतु परीक्षा न लेने वाले ने क्यों नहीं ली उनकी परीक्षा ?ये चिंता का विषय !
      संतोष ये है कि जिनकी परीक्षा ली गई वे पास निकले ! ऐसा ही नेताओं में भी होता है  बाबाओं में भी ऐसा ही होता है जितनों के यहाँ छापे पड़ते हैं सेक्स सामग्री से लेकर बहुत कुछ निकलता है उनके पास !किंतु छापे  भी तो सरकारी कर्मचारी ही होते होंगे इसलिए आराम आराम से काम करने की आदत तो होगी ही !जैसे मजदूर थोड़ा काम कर लेते हैं फिर थोड़े दिन आराम करते हैं फिर थोड़ा .... !
      सुना है कि अफसर लोग न सरकार की सुनते हैं और न जनता की केवल पैसे की सुनते हैं !अन्यथा  मंत्री जी की मीटिंग तक में बैठे बैठे सोते देखे जाते हैं बेचारे !
   आफीसरों के आफिस में सोने का समय तो निश्चित होता ही है सोने के समय मीटिंग रख देते हैं नौसिखिया मंत्रीलोग !तो नींद तो आएगी  ही !वैसे भी आफीसरों को सुलाना न होता तो सरकार इतने  सुख सुविधा पूर्ण आफिस बनाती ही क्यों ?काम की जगहों पर आराम के इंतजाम अकलमंद क्यों करेगा !जहाँ आराम वहाँ कैसा काम !इन  सब बातों व्यवहारों से तो सरकार की नियत पर भी शक पैदा होने लगा है !
    वैसे भी  सरकार को क्यों डरें अफसर और क्यों सुनें सरकार की बात !
      अधिकाँश नेता शिक्षा में अफसरों के सामने कहीं ठहरते ही नहीं हैं जनता को बेवकूप बनाकर चुनाव जीत लेने का ये मतलब तो नहीं होता है कि अकल भी आ गई होगी !ये उलटी खोपड़ी  प्रतिनिधि सिफारिसी चिट्ठियाँ बाँटने के लिए अपने दरवाजों पर भीड़ें इकठ्ठा करते हैं ये उनका अपना निकम्मापन है यदि ऐसा न होता तो अपने दरवाजे खड़ी भीड़ से  बात करके ही अंदाजा लगा लेते कि उनके क्षेत्र के किस विभाग में कितनी काम चोरी की जा रही है उस विभाग में जाकर एक दिन साफ साफ बोल देते कि आपके विभाग से सम्बंधित कोई शिकायत यदि मेरे पास आई तो आपकी खैर नहीं होगी किंतु ऐसा बोलने के लिए भी तो अपना आचार व्यवहार चाल चरित्र आदि पवित्र होना चाहिए अन्यथा उन्हीं के यहाँ छापा डाल देंगे अधिकारी !इस लिए वे सिफारिशी चिट्ठी लिख लिख कर बाँटा करते हैं अधिकारी ले ले कर फाड़ फाड़ कर फ़ेंक दिया करते हैं नेताओं की चिट्टियाँ ले कर जनता इस विभाग से उस विभाग तक भाग दौड़ किया करती है सब एक दूसरे का पता बताया करते हैं फोन नंबर दिया करते हैं कई तो अपनी सीट के  बगल में बैठे रहते हैं और कह देते हैं साहब आज आए नहीं मीटिंग में गए हैंया जाना है या कम्प्यूटर ख़राब है या जाँच करवा लेंगे जनता ले लेकर दौड़ती रहती है वो अभागी चिट्ठियाँ !
     कई बार तो परिस्थिति ऐसी तक बन जाती है कि छोटे छोटे कामों के लिए अधिकारी एक दूसरे का पता बताते बताते मुख्य मंत्री तक भेजने की सलाह देने लगते हैं जिन्हें सुन कर फरयादी को तो शर्म लगने लगती है कि  काम के लिए मुख्य मंत्री के यहाँ किंतु उन्हें नहीं लगती जिनका ये काम है ! चुने हुए जनप्रतिनिधियों को काम लेना आवे तब न करे सरकारी मशीनरी जिसे बैठे सैलरी मिलती हो वो क्यों करें काम ! संसद जैसे सदनों में चर्चा की जगह हुल्ल्ड मचाने वालों से क्यों डरेंगे अफसर !कितने योग्य अनुभवी और शिक्षित नेता लोग होते हैं !उन्हें चर्चा सदनों में भेजकर न जाने किस लोकतंत्र को जीवित रख लेना चाहती है सरकार !
     अफसर आदि सरकारी मशीनरी क्यों काम करे ?आखिर उन्हें सैलरी तो सरकार को देनी ही पड़ेगी नहीं तो कोर्ट जाकर ले लेंगे !सरकार बहुत ज्यादा ट्रांसफर कर देगी और क्या बिगाड़ लेगी उनका ! वे जहाँ भेजे जाएँगे वहाँ सैलरी आदि और भी सारी सुख सुविधाएँ तो वही मिलेंगी वहाँ कोई एयरकंडीशंड आफिस की जगह बोरे  बिछाकर कर तो लेटा  नहीं दिए जाएँगे ! 
    भ्रष्टाचार का मुख्य कारण सोर्स और घूस के बल पर नियुक्तियाँ पाए अयोग्य लोग हैं या कुछ और भी !

Tuesday, 16 May 2017

भ्रष्टनेताओं और धार्मिक पाखंडियों ने बर्बाद किया है देश !इनका भी होना चाहिए नार्को !!

  ज्योतिषियों तांत्रिकों बाबाओं एवं कथावाचकों का भी कराया जाए नार्को जैसा कोई बड़ा टेस्ट और इनसे भी उगलवाया जाए इनका अपना धार्मिक सच और पाखंड !
        चरित्रवान तपस्वी शास्त्रीय साधू संत जिस जितने संस्कार बो पार हे हैं उससे अधिक पाखंडी लोग चरते जा रहे हैं !साधू संत किसी नेता के यहाँ क्यों हाजिरी देंगे बड़े बड़े राजा महाराजा उनके यहाँ स्वयं समर्पित भावना से आया करते थे !किंतु बाबाओं ने साधुओं जैसा वेष धारण करके बिगाड़ दिया है सारा खेल !आज बढ़ते पाखण्ड के कारण शास्त्रीय धर्म कर्म लुप्त होता जा रहा है जिसका असर समाज पर दिखाई पड़ रहा है और रोके नहीं रुक रहा है अपराध !
      कथाकार केवल वक्ता  ही नहीं अपितु समाज सुधारक एवं शास्त्रीय धर्म कर्म का प्रचार प्रसार करने वाले बहु पठित विद्वान होते हैं किंतु डांसवार बंद हुए तो लोग भागवत कथाओं में घुस आए यहाँ जोर आजमाइस करने लगे !नाच कूद के आगे कहाँ लुप्त हो जाती है भागवत रामायण पता ही नहीं चलता !
   अक्सर अपराधी लोग अपराध करके धार्मिक या राजनैतिक का चोला  ओढ़  लेते हैं | धार्मिक और राजनैतिक वेष भूषा बनाकर अपराध करने वाले या राजनैतिक और धार्मिक लोगों की सुरक्षा में रहकर अपराध को संरक्षण देने वाले  गिरोह पकड़े जा सकते हैं ऐसे लोगों के पास से !
    अब आप स्वयं सोचिए कोई व्यापारी कितनी भी मेहनत करके  व्यापार प्रारंभ करे प्रायः पीढ़ियाँ लग जाती हैं व्यापार को ज़माने में वही व्यापार बाबा लोग करने लगें तो मिनटों में करोड़ों अरबों खरबोंपति बन जाते हैं कैसे !साधू संतों पर ये टिपण्णी इसलिए लागु नहीं होती क्योंकि धन इकठ्ठा करना उनका लक्ष्य नहीं होता दिनचर्या संचालन के लिए वे केवल आवश्यकताओं की पूर्ति भर के लिए संचय करते हैं बस !
   इसलिए भेदभाव पक्षपात के बिना ऐसे सभी संदिग्ध नेताओं बाबाओं ज्योतिषियों तांत्रिकों कथावाचकों का करवाया जाए नार्को टेस्ट और पता लगाया जाए कि इनके पास कैसे इकठ्ठा हो जाती हैं इतनी अकूत संपत्तियाँ जिनके लिए वे कोई विशेष प्रत्यक्ष प्रयास भी नहीं करते देखे जाते हैं !जनता से अच्छा खाते पहनते सुख सुविधाओं का जीवन जी लेते हैं जहाजों पर घूमते हैं कभी काम करते नहीं देखे जाते पैतृक संपत्तियाँ होती नहीं हैं प्रायः पैदायसी गरीब होते हैं फिरभी इतना धन !दूसरी ओर जनता दिन रात काम करती है कंजूसी का जीवन जीती है कंजूसी से परिवार पालती है फिर भी वो गरीब आखिर क्यों ?
   ऐसे अचानक अकूत संपत्तियाँ इकट्ठी कर  लेने वाले बाबाओं नेताओं की सम्पत्तियों की दृष्टि से तो जाँच की ही जाए साथ ही जाँच इस दृष्टि से भी की जाए कि इनकी सम्पत्तियों के स्रोत कहीं आपराधिक स्रोतों से जुड़े तो नहीं हैं ये सच भी जनता के सामने लाया जाए !
   ऐसे बाबाओं की राजनैतिक अच्छी पकड़ होती है इसलिए प्रशासन उनकी हनक मानता है इस रहस्य को समझने वाले अपराधी लोग ऐसी जगहों पर बना लेते हैं अपने अड्डे !अपराधियों के लिए इससे सुरक्षित एवं सुख सुविधा संपन्न स्थान और कहाँ मिल सकता है !जहाँ रहकर कमाई करेंगे उन्हें कुछ देंगे नहीं तो वो पकड़वा नहीं देंगे क्या ?  और देते रहेंगे तो ऐसे अपराधियों की रक्षा नेता और बाबा लोग स्वयं कर लिया करते हैं !
    नेताओं और बाबाओं में एक को सोर्स फुल दिखना होता है और दूसरे को धार्मिक !यद्यपि सभी लोग ऐसे नहीं होते हैं राष्ट्रसेवक नेता अभी भी हैं ऐसे ही ईश्वर भक्त साधू संत अभी भी हैं किंतु ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम होने के कारण ही पैदा होने लगी हैं समस्याएँ !अभी तक जो पकड़े गए वे तो ऐसे निकले जो नहीं पकड़े गए वे कैसे निकलें !
    ऐसी आपराधिक आमदनियों से रईस होने वाले लोग असली साधू संतों कथावाचकों राजनेताओं के नाम पर कलंक  हैं !जबकि समाज ऐसे लोगों को अपना सबकुछ समझता है इसलिए गंगा स्वच्छता अभियान की तरह ही राजनीति एवं धर्म के सभी आयामों को भ्रष्टाचार और छल प्रपंच से मुक्त बनाने की आवश्यकता है इसके बाद सामाजिक अपराधों पर ये स्वयं लगाम लगा लेंगे !!
      टीवी चैनलों अखवारों में दिन भर बकवास करने और छपने वाले ज्योतिष विक्रेताओं  से भी पूछा जाए कि जो किसी विश्व विद्यालय से ज्योतिष पढ़ा नहीं वो ज्योतिषी बने कैसे !जो ज्योतिष विद्वान् है उसे परीक्षा देकर ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र लेने में क्यों आपत्ति होगी !यदि आप ज्योतिष नहीं पढ़े तो क्यों कर रहे हैं लोगों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ !साथ ही यह भी पता लगाया जाए कि ऐसे लोगों ने  कितने लोगों की जिंदगी बर्बाद की है कितने विवाहित जोड़ों का तलाक कराया है कितने लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर किया है !कितने लोगों का शारीरिक शोषण किया है कितने  गरीबों को ठगा है कितनी बच्चियों के बलात्कारों के लिए दोषी हैं ऐसे लोग !
   सच्चाई ये है कि ईश्वरभक्त संत और देशभक्त नेताओं को पाखंडियों  एवं भ्रष्टाचारियों ने पीछे धकेल दिया है या यूँ कह लें कि ऐसे आदर्श लोग पाखंडी भेड़ियों के बीच घुसना ही नहीं चाहते वे स्वयं दूरी बनाकर चलते हैं ! अब समाज  एवं देश की सेवा करे कौन ?
   पाखंड और भ्रष्टाचार के विरुद्ध धर्मवान एवं समाज सुधारकों को लड़ना होगा एक बड़ा वैचारिक  युद्ध ! अन्यथा भ्रष्टाचारी नेता और पाखंडी साधू लोग समाज को कभी भी अपने पैरों पर नहीं खड़ा होने देंगे समाज जिस दिन अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा उसी दिन दलित लोग आरक्षण लेना अपमान समझने लगेंगे और पापी लोग भी बाबाओं की दलाली छोड़कर धर्म कर्म से सीधे स्वयं जुड़ने लगेंगे !धर्म हो या राजनीति दिनों दिन भयावह होते जा रहे हैं ।आपस में मिलजुलकर इन्हें रोकना होगा शीघ्र रोना होगा !
पाखंडी साधू धर्म की बड़ी बड़ी बातें करते हैं और भ्रष्टाचारी नेता  कानून की किंतु पाखंडी साधू लोग शास्त्र नहीं पढ़ते इसलिए धर्म का ज्ञान नहीं होता और भ्रष्ट नेता संविधान नहीं पढ़ते इसीलिए कानून का ज्ञान नहीं होता !पाखंडी  साधू धर्म का भय देकर और भ्रष्ट नेता कानून का भय देकर समाज को अनाप शाप लूटते हैं पाखंडी साधू लोग पापियों के उद्धार की बातें करते हैं और भ्रष्ट नेता दलितों के उत्थान की बात करते हैं किंतु टार्गेट दोनों का ही समाज से धन लेना होता है |इस प्रकार से लूटपाट कर दोनों के दोनों समाज का हिस्सा हड़प कर स्वयं वे सब सुख भोगते हैं जिनकी निंदा करके गृहस्थों से धन लेते हैं |
   ऐसे बाबा लोग गृहस्थों से कहते हैं दान करो और ऐसे नेता लोग गृहस्थों से कहते हैं कि टैक्स दो किंतु वो दान का भोग  वे टैक्स का किन्तु जनता को क्या मिला ?ऐसे लोग खुद तो सबकुछ समेट  कर रख लेते हैं | 

   इसी प्रकार भ्रष्ट नेता दलितों की हमदर्दी दिखा दिखा कर सुख सुविधाएँ संपत्ति माँगते हैं और खुद लूट कर ले जाते हैं दलित बेचारे दलित ही बने रहते हैं जबकि नेता जी हो जाते हैं अरबोंपति !ऐसे पाखंडी साधू जब घबड़ाते हैं तो राजनीति की बातें करने लगते हैं और  भ्रष्ट नेता जब फँसने लगता है तो धार्मिक दिखने का नाटक करने लगता है !पाखंडी साधू हों या भ्रष्ट नेता ये दोनों अपनी अपनी  ताकत दिखाने के लिए करते हैं बड़ी बड़ी रैलियाँ !नेता इस लोक को ठीक करने के भाषण देता है और बाबा उस लोक को !एक लाल कपड़ों में और दूसरे सफेद में लिपेटते हैं अपने अपने शरीर !ऐसे पाखंड और भ्रष्टाचार के विरुद्ध हमारे "राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान " ने छेड़ रखा है जन जागरण अभियान ! देश और समाज की रक्षा के लिए हमें चाहिए आपका सहयोग !
    आरक्षण केवल सवर्णों के साथ ही नहीं अपितु दलितों के साथ न केवल अन्याय है अपितु घोर गद्दारी है !
    भ्रष्टनेता यदि संन्यास लेता है तो भ्रष्ट संन्यासी क्या करे ....!
   आधुनिक संतों और आधुनिक नेताओं में बहुत सारी समानताएँ  होती हैं जैसे रैलियॉं दोनों के लिए बहुत जरूरी होती हैं।अपनी अच्छी बुरी कैसी भी बात को समाज पर जबरदस्ती थोपने के लिए भीड़ का सहारा दोनों को लेना पड़ता है।भीड़ को बुलाया तो कुछ और समझा करके जाता है, भाषण किसी और बात के दिए जा रहे होते हैं, उद्देश्य  कुछ और होता है,परिणाम कुछ और होता है। इसीप्रकार रैली में सम्मिलित होने वाले लोग भी समझने कुछ और आते हैं किंतु समझकर कुछ और चले जाते हैं।जहॉं तक भीड़ की बात है। भीड़ तो पैसे देकर भी इकट्ठी की जा रही है वो समाज का प्रतिनिधित्व तो नहीं कर सकती।जो पैसे देकर भीड़ बुलाएगा वो भीड़ से ही पैसे कमाएगा भी। तो राजनीति या धर्म में भ्रष्टाचार तो होगा ही। किसी भी प्रकार का आरक्षण या छूट के लालची लोग अथवा कर्जा माफ करवाने के शौकीन लोग भ्रष्ट नेताओं को जन्म देते  हैं।इसी प्रकार बहुत सारा पाप करके  पापों से मुक्ति चाहने वाले चतुर लोग ही कुछ भ्रष्ट बाबाओं को जन्म देते हैं।ऐसी परिस्थिति में धर्म और राजनैतिक भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार आखिर है कौन ?
    उसे पकड़े और सुधारे  बिना भ्रष्टाचार के विरुद्ध खोखले नारे लगाने, नेताओं की तथाकथित पोल खोलने से कुछ नहीं होगा।जब तक भ्रष्ट नेताओं और भ्रष्ट बाबाओं के विरुद्ध संयुक्त जनजागरण अभियान नहीं चलाया जाएगा।तब तक इसे मिटा पाना संभव नहीं है,क्योंकि भ्रष्टाचार सोचा मन से और किया तन से जाता है।सोच पर लगाम लगाने के लिए धर्म एवं उसकी क्रिया पर लगाम लगाने के लिए कानून होता है।धर्म तो धार्मिक लोगों एवं धर्मशास्त्रों के आधीन एवं कानून नेताओं के आधीन हो गया है। ऐसे में किसी एक पर लगाम लगाने पर भी अपराध पर अधूरा नियंत्रण हो पाएगा जो उचित नहीं है।  

   नेता और बाबाओं में बहुत सारी समानताएँ  होती हैं इन बाबाओं के पास ईश्वर भक्ति नहीं होती है और ऐसे नेताओं में देश  भक्ति नहीं होती है।दोनों अपने  अनुयायिओं की भीड़ के बल पर फूलते हैं। भीड़ देखकर दोनों  ही पागल हो जाते हैं चाहें वह किराए की ही क्यों न हो । दोनों अनाप सनाप कुछ भी बोलने बकने लगते हैं।दोनों को लगता है कि सारा देश  उनके पीछे ही खड़ा है।दोनों की गिद्धदृष्टि  पराई संपत्ति सहित पराई सारी सुख सुविधाओं को भोगने की होती है।दोनों वेष  भूषा  का पूरा ध्यान रखते हैं एक नेताओं की तरह दिखने की  दूसरा महात्माओं की तरह दिखने की पूरी कोशिश   करते हैं ! दोनों रैलियॉं करने के आदी होते हैं।दोनों मीडिया प्रेमी होते हैं इसलिए पैसे देकर भी दोनों टी.वी.टूबी पर खूब बकते बोलते देखे जा सकते हैं।बातों विद्या तपस्या अादि में दम हो न हो किन्तु दोनों में पैसे का दम जरूर दिखता है पैसे के ही बल पर बोलते हैं। नेता जब भ्रष्ट होने के कारण पकड़े जाते हैं तो कहते हैं कि यदि ये आरोप सही साबित हुए तो संन्यास ले लूँ गा।जैसे उसे पता हो कि भ्रष्ट लोग ही संन्यासी होते हैं।मजे की बात यह है कि साधुसंत भी चुप करके सुना करते हैं कोई विरोध दिखाई सुनाई नहीं पड़ता।इसी प्रकार कोई संन्यासी नेता बन जाता है ,क्योंकि  बिना पैसे ,बिना परिश्रम और बिना जिम्मेदारी के उत्तमोत्तम सुख सुविधाओं का भोग इन्हीं दो जगहों पर संभव है।
     कुछ साधू संत साधक भी हैं और समाज सुधारक भी ऐसे लोग बड़े से बड़े पद पाकर भी वे अपना विरक्त स्वभाव कभी नहीं छोड़ते !अशास्त्रीय आचरण कभी नहीं करते उनका लक्ष्य राजनीति करना नहीं अपितु समाज को सुधारना एवं भ्रष्ट राजनेताओं के दोष दूर करना होता है |
      इसप्रकार धार्मिक लोगों की गतिविधियों को भी शास्त्रीय संविधान की सीमाओं के दायरे में बॉंधकर रखने की भी कोई तो सीमा रेखा होनी ही चाहिए। बाबा  जी रैलियॉं कर रहे हैं, आज बाबाजी जी साड़ी बॉंट रहे हैं।बाबा जी स्वदेशी  के नाम पर सब कुछ बेच रहे हैं , बाबा जी उद्योगधंधे लगा रहे हैं, ये सब कुछ गलत  नहीं है किंतु ऐसे लोगों के पर्दे के पीछे के भी बहुत सारे अच्छे बुरे आचरण देखने सुनने को मिला करते हैं।ये सब गंभीर चिंता के बिषय हैं ।
    ऐसे लोगों की दृष्टि में  क्या सारे पापों का कारण केवल विवाहिता पत्नी ही होती है?केवल विवाहिता पत्नी का परित्याग करके या अविवाहित रह कर हर कुछ कर सकने का परमिट मिल जाता है क्या  इन्हें ?वो कितना भी बड़ा पाप ही क्यों न हो? मन पर नियंत्रण न करने पर कैसे विरक्तता संभव  है?
    साधुत्व के अपने अत्यंत कठोर नियम होते हैं उन्हें हर परिस्थिति में नहीं निभाया जा सकता है जबकि राजनीति हर परिस्थिति में निभानी पड़ती है। अपने सदाचारी तपस्वी संयमी जीवन से सारी समाज को ठीक रखने की जिम्मेदारी संतों की ही है।ऐसे में शास्त्रों एवं संतों की गरिमा रक्षा के लिए शास्त्रीय विरक्त संतों को ही आगे आकर यह शुद्धीकरण करना होगा। साथ ही तथाकथित बाबाओं  पर लगाम कैसे लगे?यह संतों को ही स्वयं सोचना होगा।

   जो धार्मिक व्यवसायी लोग कहते हैं कि हमारा गुरुमंत्र जपो सारे पाप नष्ट हो जाएँगे इसका मतलब क्या यह नहीं निकाला जा सकता है कि ये पाप करने का परमिट बाँट रहे हैं ?कितना अभद्र है यह बयान ? एक बाबा जी के किसी प्रवचन में एक पति पत्नी सत्संग  करने गए थे पैसे पास नहीं थे काम धाम चलता नहीं था।सोचा चलो सतसंग से ही शांति मिलेगी। वहॉं जाकर सजे धजे मजनूँ टाइप के बाबा को मुख मटका मटका कर नाचते गाते बजाते या था कथित भोगवत कहते और प्रवंचन करते देखा, बहुत सारा सोना पहने बाबाजी और बहुत सारा ताम झाम देखकर उसने सोचा बाबाजी का भी कोई उद्योग धंधा तो है नहीं ,बाबा जी ने  समझदारी से काम लिया है।
   इस देश  की जनता धर्म केवल सुनना चाहती है सुनाओ दिखाओ अच्छा अच्छा करो चाहे कुछ भी! जो इस देश की जनता को पहचान सका उसने पेट हिलाकर पैसे बना लिए कौन पूछता है कि बाबाजी योग के विषय में आप खुद क्या जानते हैं?बाबाजी को धर्म की बात बताना आता है करते चाहें जो कुछ भी हों इस पर जनता का ध्यान नहीं जाता है। जब बाबाजी का भी कोई उद्योग धंधा तो है नहीं तो बाबा जी ने भी कुछ किया नहीं तो धन आया कहॉं से?आखिर जनता को भी पता है।वैसे भी जो लोग हमारा पेमेंट नहीं देते वो बाबा जी को फ्री में क्यों दे देगें?अब मैं भी वही करूँगा और उसने भी बाबा बनने की ठानी इसप्रकार वह भी अच्छा खासा व्यक्ति धन लोभ  से बाबा बन गया ! क्योंकि अब उसका लक्ष्य धन कमाना ही हो गया था।इसी प्रकार तथाकथित सतसंगों के कई और भी कुसंग होते हैं। इसी जगह यदि किसी चरित्रवान संत का संग होता है तो कई जन्म के कुसंगों का दोष  नष्ट भी हो जाता है किन्तु ऐसे कुसंगों के कारण ही बसों में बलात्कार हो रहे हैं।यदि इन्हें सत्संग माना जाए तो बढ़ रही सत्संगों की भीड़ें आखिर  सत्संगों से सीख क्या रही हैं ?अपराधों का ग्राफ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है इसका कारण आखिर क्या है ? इसी प्रकार नेताओं की एक बार की चुनावी विजय के बाद हजारों रूपए के नेता करोड़ों अरबों में खेलने लगते हैं।इन्हें देखकर भी लोग सतसंगी लोगों की तरह ही बहुत बड़ी संख्या में प्रेरित होते हैं।ईश्वर भक्त संतों एवं देश भक्त नेताओं के दर्शन दिनों दिन दुर्लभ होते जा रहे हैं।बाकी राजनेताओं की बिना किसी बड़े व्यवसाय के दिनदूनी रात चैगुनी बढ़ती संपत्ति सहित सब सुख सुविधाएँ  बढ़ते अपराधों की ओर मुड़ते युवकों के लिए संजीवनी साबित हो रही हैं ।

Monday, 15 May 2017

योग में भी मिलावट !मिलावटी योगियों और ईमानदारी के गीत गाने वाले भ्रष्टाचारी नेताओं से ईश्वर रक्षा करे !

ऋषियों के नाम पर इतना भ्रष्टाचार !
      बिस्कुट जैसी चीजें जो ऋषि कभी छूना भी पसंद नहीं करते उनके नाम पर बिस्कुट बेचते घूम रहे हैं कलियुगी योगी !
  वेश्याएँ राजनीति कर सकती थीं किंतु क्यों नहीं की ?
  उन्हें पता था राजनीति सब कुछ छीन लेगी जबकि वेश्यावृत्ति में शरीर दाँव पर लगाकर अपना चरित्र और धर्म बचा लेती हैं वे !
   ईमानदार नेताओं के बेईमान चेहरे !
 राजनैतिक लुटेरों ने मिलकर लूटा हिस्सा बाँट में चूक हो गई एक रोज पोल खोल रहा है दूसरा मुख छिपाए बैठा है !
अन्ना जी ! अपनी राजनैतिक औलादों के भ्रष्टाचार के विरुद्ध धरना दो ! 
     ईमानदारी के कसमें खाने वाले अपने बेईमान अनुयायियों को बेनकाब करो  !इन गूँगों से जवाब पूछिए भ्रष्टाचार के लग रहे आरोपों पर !
अधिकारी लोग नेताओं की बात सुनते ही नहीं हैं क्यों ?
सरकारों में सम्मिलित नेताओं को बात करने लायक ही नहीं समझते हैं अधिकारी !इसीलिए  मंत्री जी मीटिंग करते हैं अधिकारी सोया करते हैं अल्पशिक्षितमंत्री शिक्षित अधिकारियों से काम लेने लायक ही नहीं होते !
    अधिकारी कर्मचारी घूस लेते हैं ये बात समझ में आती है किंतु सरकार उन्हें सैलरी क्यों देती है ?  
जिन अधिकारियों कर्मचारियों को सरकार सैलरी देती है वे ही काम करने के लिए जनता से घूस माँगते हैं तो सरकार उन्हें सैलरी क्यों देती है ?

अधिकारियों की ईमानदारी पर जनता भरोसा क्यों नहीं करती है ?
अधिकारी कर्मचारी जनता से यदि घूस नहीं माँगते हैं तो जनता के काम समय पर क्यों नहीं करते हैं !यदि काम करते ही होते तो सिफारिस के लिए जनता विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ धक्के क्यों खाती ? 

      आईएएस जैसी परीक्षाओं का स्लेबस बदले सरकार !
      जो पढ़ाई पढ़कर व्यक्ति इतना लाचार हो जाता हो कि एक आफिस में असहाय बना बैठा रहता हो और अपने कार्य क्षेत्र में सभी प्रकार के अपराध अवैध कब्जे अवैध व्यापार आदि होते देखता रहता हो !उसकी संवेदनाएँ इतनी मर जाती हों कि उसके होशोहवाश में रहने पर भी उससे संबंधित फर्याद लेकर जनता को विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ धक्के खाने पड़ते हों लानत है ऐसी शिक्षा को ! 
योग असली या नकली ?
  योग असली होता तो योग से रोग भाग जाते किंतु नकली योग कैसे रोके रोग !इसलिए दवाएँ बेंच कर भगाना  चाह रहे हैं रोग !किंतु दवाएँ असली होतीं तब न फायदा करतीं इसीलिए राशन बेचकर भ्रमित किया जा रहा है समाज को !बारे कलियुगी योगी !!

मंत्रियों मुख्यमंत्रियों का व्यवहार जनता को मूर्ख बनाने वाला !
  ऐसे भ्रष्ट नेता लोग जनता से अपना पन केवल दिखाने के लिए अपना ट्विटर ,फोन नंबर, पता, ईमेल,मोबाइल  नंबर आदि सब कुछ बाँटते हैं और जनता के विचार आमंत्रित करते हैं कि मैसेज भेजो तो जवाब नहीं देते इतने घमंडी होते हैं हृदयहीन राजनेता लोग !

सरकार की योजनाएँ केवल सरकार तक सीमित हैं !
   सरकारी नेता योजनाएँ खुद बना लेते हैं उद्घाटन कर लेते हैं ताली बजा लेते हैं मीठा खा लेते हैं PM साहब की तारीफ कर लेते हैं बस !जनता समझ नहीं पा रही है कि ये विकास हो कहाँ रहा है 

कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि सरकार की योजनाओं के विषय में जनता को बताओ !
    कार्यकर्ता कहते हैं पहले हमें तो बताओ योजनाएँ बनी कौन कौन सी हैं और विकास हुआ कहाँ है इस पर मंत्री जी कहते हैं ये तो मुझे भी नहीं पता है मुझे तो ऐसा कहने का ऊपर से आदेश मिला था इसलिए कह दिया ... !

  महिला सुरक्षा से चिंतित नेता लोग !बेचारी महिला सुरक्षा !!
सरकारों को बनाने बचाने और दोबारा बनाने की जोड़ तोड़ में दिन रात लगे रहने वाले नेताओं के पास समय ही कहाँ है सोचने का फिर इनके भरोसे पीठ दिखाने की होड़ क्यों ?जो चीज बिकाऊ नहीं उसका भी विज्ञापन ! 
     सरकारी शिक्षकों में योग्यता एवं ईमानदारी का आभाव !
     इसलिए इन्हें हटाओ नई नियुक्तियाँ कराव अन्यथा शिक्षा के नाम पर शोर मत मचाव !तुम्हारे बस का नहीं है तुम भी मत करो कुछ !सब घपले घोटाले करके चले गए तुम भी करो और जाओ ! 

Sunday, 14 May 2017

मंत्रियों के साथ मीटिंग और अधिकारी सोने लगें ! बारी सरकार की चुस्ती !

मुख्यमंत्री जी !अधिकारियों की आफिसों में रोज सोने की आदत छूटे कैसे !
     आफिस आते ही समय से सो जाने वाले अधिकारियों के साथ मीटिंग रखते हैं मंत्री किंतु नींद बेचारी को क्या पता कि मंत्री जी सामने बैठे  हैं !मंत्रियों को सोने का समय पूछकर अफसरों के साथ रखनी चाहिए थी मीटिंग ! वस्तुतः सरकारी आफिसें काम करने लायक रह ही नहीं गई हैं स्प्रे से लेकर AC तक !इतनी आराम ! न कोई काम न कोई जिम्मेदारी जो अच्छा हो जाए सो मैंने किया और न हो तो साधनों का रोना ! सरकारी  मशीनरी की लापरवाही  सभी प्रकार के अपराध और भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार !इनका ट्रांसफर ही करेगी सरकार उससे उनका कुछ बिगड़ता नहीं है यहाँ नहीं वहाँ सही !क्यों डरें मंत्रियों को ?
      काम के स्थान पर आराम की सुविधाएँ सरकार देती क्यों है ? ऐसे तो खेतों में AC लगवा कर देख लिया जाए तो वहाँ किसान लोग भी सो जाएँगे ऐसे काम हो पाएगा क्या ?कुल मिलाकर कामचोरी की जड़ में स्वयं सरकार ही जिम्मेदार है !फिर भी इतनी भारी भरकम सैलरी इतनी रद्दी कार्यशैली वालों के लिए !!सरकारों में सम्मिलित नेताओं को यदि अपनी जेब से ये सैलरी देनी पड़ती हो तो भी इतनी सैलरी ऐसी तुच्छ कार्य शैली वाले लोगों को दे पाते क्या ?और यदि हिम्मत बाँध कर देते भी तो कितने दिन !बहुत जल्दी चौपट हो जाता सारा काम काज !बिलकुल सरकारी काम काज की तरह ही !स्कूलों में पढ़ाई नहीं अस्पतालों में दवाई नहीं !मुख्यमंत्री जी सोचते हैं कि हम अधिकारियों कर्मचारियों को ठीक कर लेंगे और अधिकारी कर्मचारियों ने न जाने कितने मंत्रियों मुख्यमंत्रियों को अब तक ठीक किया है उन्हें अपने हुनर पर गर्व है वे सोचते हैं कि इन्हें भी ठीक कर लेंगे !नए नए हैं थोड़े दिन तो उछल कूद करेंगे ही !ऐसे  एक दूसरे को सुधारने में लगे रहते हैं लोग !बीत जाते हैं ऐसे ही  पाँच साल ! वर्तमान सरकार भी  लगभग इसी ढर्रे  पर चलती जा रही है इसीलिए समाज में वैसी ही आपराधिक दुर्घटनाएँ घटती दिख रही हैं |
   काम  बड़ी बड़ी बिल्डिंगें, रोड, पुल बनाने वाले खुली धूप में काम करते हैं तभी तो कर पाते हैं काम !और AC में रहने वाले अधिकारी यदि  कलम पकड़ कर केवल साइन ही करते रहते तो भी साइन करने के लिए पेंडिंग पड़ी फाइलें तो आगे बढ़तीं !AC में बैठे बैठे जनता के दुःख दर्द ही सुनते होते तो योगी जी के यहाँ लोग क्यों लगाते भीड़ !
     

Monday, 8 May 2017

केजरीवाल जी !आपकी खाँसी ठीक होने के अलावा और कौन सा विकास किया है आपकी सरकार में !

     राजनीति में वास्तव में सब कुछ झूठ है क्या ?
    जिसे  खाँसी ठीक करवाने के लिए बैंगलोर जाना पड़ता हो जिसके विधायक अपने बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाकर काम चला रहे हों !ये शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में सरकारी असफलता की निशानियाँ  हैं पानी कहीं आता नहीं है तो कहीं गंदा आता  है और कहीं कुछ देर के लिए आता है !घूस देकर पहले काम होते थे अब भी  देकर हो पा रहे हैं काम !आखिर बदला क्या है !
      कोई चुनाव आयोग  को कुछ भी कह दे कोई प्रधानमंत्री को कुछ भी बक जाए !क्या यही लोकतंत्र है यदि हैं तो क्या रखा है इस लोकतंत्र में  जिस पर किसी का भरोसा ही नहीं है कोई EVM मशीनों को गलत बता रहा है   तो कोई बैलट पेपर को भी गलत बता सकता है आखिर उसमें भी तो पहले से ही डाले हुए वोटों जैसी बातें उठाई जाती रही हैं तो उसे भी गलत मान लिया जाए तो सही क्या है !केजरीवाल जी !हर जगह प्रश्न खड़ा कर देना  बहुत आसान बात है किंतु उसका  समाधान खोजना बहुत कठिन !  
      केजरीवाल जी ! यदि आपकी आत्मा ने मान ही लिया है कि EVM मशीनें गलत हैं तो आप अपनी आत्मा की आवाज सुनें और नैतिकता के आधार पर आप सबसे पहले सबसे पहले त्याग पत्र दें क्योंकि आप भी इन्हीं मशीनों से जीते थे चुनाव!त्याग पत्र देने के बाद आप उठा सकते हैं EVMमशीनों  का मुद्दा किन्तु जिन मशीनों के आदेश से आप मुख्यमंत्री बने हो उन्हीं में गलती निकालते संकोच नहीं लगता !

Friday, 5 May 2017

मेरी पीड़ा को भी पहचाना जाए !ज्योतिष की निंदा करने वाले को क्षमा कैसे कर दिया जाए !

शास्त्रीय सात्विक साधक योगी आयुर्वेदज्ञ आदि ईमानदार धार्मिक लोगों से क्षमा याचना के साथ विनम्र निवेदन !    
      शास्त्र जिसको समझ में न आवें वो शास्त्रों की निंदा करने लगे ये कहाँ का न्याय है किसी अंधे को दुनियां न दिखाई दे तो क्या मान लेना चाहिए कि दुनियाँ समाप्त हो गई है !हम हम उठाएंगे प्रश्न और आप दीजिए जवाब !योग और आयुर्वेद की निन्दकारना मेरा उद्देश्य नहीं है शास्त्रों पर मेरी असीम आस्था है किंतु शास्त्र निंदा सुनकर उपजा आक्रोश प्रश्न करने के लिए विवश करता है !
     मेरा उद्देश्य किसी की निंदा करना कतई नहीं है किंतु शास्त्र के सभी पक्षों का सम्मान किया जाए मेरा उद्देश्य ये जरूर है !आपके पास धन है विज्ञापन के साधन हैं सरकार में घुस पैठ कर लेने की चतुराई है इसका मतलब क्या आप किसी शास्त्र की निंदा करने लगेंगे !और ये देश सह जाएगा !अनंत काल से ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा जाता रहा है!राजा रजवाड़ों की सभाओं में सम्मान प्राप्त था !आज भी बहुत विद्यार्थी  काशी हिन्दू विश्व  विद्यालय जैसी बड़ी संस्थाओं में अन्य विषयों की तरह ही दस बारह वर्ष लगाकर ज्योतिष का अध्ययन करते हैं डिग्रियाँ लेते हैं उसी योग्यता के बल पर उन्हें सारा जीवन यापन करना होता है !ऐसे विषय की कोई सरकारी योगमंच से निंदा करने लगे वो भी संतों जैसी वेष भूषा बनाकर ! समाज के मन में इससे भ्रम पैदा होता है कि वे ज्योतिष को सही मानें या गलत !और ज्योतिष विद्वत समाज इसे सह जाए आखिर क्यों ?
         साहस है तो शास्त्रार्थ करके ये सिद्ध किया जाए कि ज्योतिष कैसे गलत है और यदि ज्योतिष ही गलत है तो योग और आयुर्वेद सही कैसे हैं !हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि सभी शास्त्र आपस में एक दूसरे से सम्बद्ध हैं बिलकुल गुंथे हुए हैं एक को गलत बताने पर दूसरे को सही नहीं सिद्ध किया जा सकता !इसलिए जो कहता है कि ज्योतिष पाखंड है वो ज्योतिष के बिना आयुर्वेद और योग के आस्तित्व को सिद्ध करके दिखावे !मैं खंडन करूँगा वो भी ऐसे तर्कों से जिन्हें विद्द्वाद समाज स्वीकार करेगा तार्किक समाज स्वीकार करेगा और वैज्ञानिक समाज स्वीकार करेगा !बशर्ते आयोजक ईमानदार और विश्वसनीय हो !
        ऐसे मंचों पर ज्योतिष की निंदा करने वाले किसी भी व्यक्ति को जवाब देने के लिए बाध्य किया जाएगा !उससे पूछा जाएगा कि किस आधार पर उसने ज्योतिष जैसे पवित्र शास्त्र पर ऐसे घिनौने आरोप लगाए उसकी निंदा की उसकी मजाक उड़ाई ज्योतिष के क्षेत्र में उसकी अपनी हैसियत क्या है !
      सरकार का मंच था सरकारी धन खर्च करके उसकी रचना हुई थी !योग के प्रचार प्रसार के लिए प्रधानमन्त्री जी का प्रशंसनीय प्रयास था !वहाँ से योग का प्रचार प्रसार होता सारा देश सरकार के साथ खड़ा था विश्व देख रहा था भारत की ओर किन्तु ऐसे मंच का उपयोग ज्योतिषशास्त्र की निंदा करने  के लिए करके क्या प्रदर्शित करना चाहते थे लोग !शास्त्र विरोधी ऐसी हरकतों को क्यों सहती रही सरकार इसका  तुरंत विरोध किया जाना चाहिए था अन्यथा ऐसे बचन बलशालियों से खुले मंच पर ज्योतिष को पाखंड सिद्ध करने को कहा जाना चाहिए था !इसके लिए खुली बहस आयोजित की जानी चाहिए थी !सरकार के लिए योग और ज्योतिष दोनों बराबर हैं दोनों की शिक्षा में धन खर्च करती है सरकार किन्तु अपने को योगी कहने वाला कोई व्यक्ति ज्योतिष की निंदा करता रहे और सरकार मूक दर्शक बनी रहे ये सहने योग्य नहीं था !
     इस पाप का प्रच्छालन करने के लिए प्रायश्चित्त करना ही होगा !ईश्वर शास्त्र  द्रोहियों को कभी संरक्षण नहीं देता है ! 
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योग करने से कोई लाभ होता है या नहीं ये समाज को पता कैसे लगे ?

योग में दम है तो दवा की जरूरत क्यों और दवा ही बेचनी थी तो योग का उपयोग क्यों ?
    मिलावट का भय पैदा करके अपने प्रोडक्ट बेचने वालों के विज्ञापनों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए !      आज देश में वा देश के अधिकाँश प्रदेशों में ईमानदार और कर्मठ सरकार है जो शिकायतों पर न केवल ध्यान देती है अपितु कार्यवाही भी करती है इसके बाद भी मिलावटी सामानों का रोना रोते रहने वालों को चाहिए कि वे सरकार का साथ दें जानकारी उपलब्ध करवावें ताकि मिलावट खोरों पर कार्यवाही हो किंतु अपना सामान बेचने के लिए मिलावट का बहम डालकर सरकार को गैर जिम्मेदार अकर्मण्य सिद्ध करना ठीक नहीं है जिस सरकार का प्रधानमंत्री 20 घंटे काम करता हो बाथरूम के टाइलों गद्दों रजाइयों से भी नोट निकलवा लेता हो  उसके शासन में क्या बच पाएंगे मिलावटखोर !
     टीवी चैनलों पर बैठ बैठ कर जिन्हें बड़े बड़े रोगों की लंबी लंबी लिस्टें सुनाई गईं रोगी होने का मृत्यु का खौफ बैठाया गया !भय उपजाकर लोगों को अपनी और आकर्षित किया गया फिर उन्हें स्वस्थ करने के लिए उनसे कसरतें (योग) करवाई गईं !फिर उन्हीं को स्वस्थ करने के लिए दवाएँ बेची गईँ ! फिर उन्हीं को स्वस्थ रखने के लिए खाने पीने के सारे महँगे महँगे सामान बेचे गए !फिर उन्हीं के इलाज के नाम पर महंगे महंगे कमरे किराए पर दिए जाते हैं !ये भय दोहन नहीं तो क्या है योग दवा खान पान सब कुछ तुम्हारा फिर भी बीमारी क्यों ?रिसर्च होनी है तो इस पर हो कि इन सब चीजों से  कोई लाभ होता भी है या सब कुछ केवल भयदोहन मात्र है !
   गेहूं का भूरे रंग का आटा के मायने क्या ?
     गाँवों में किसानों के गेहूँ जब खलिहानों में भीग जाया करते थे तो उन्हें सुखाकर जब पिसाई की जाती थी तो वो आटा भूरे रंग का हो जाता है इसी प्रकार से सरकारी गोदामों में रख रखाव की चूक के कारण जो गेहूं भीग जाता है वो औने पौने दामों में मिल जाता है वो पीसने पर उसका आटा  भूरे रँग का हो जाता है वो अच्छा न भी लगे तो भी मेडिकेटेड समझकर लोग खा जाते हैं !सरकारों का स्टॉक निकल जाता है इसीलिए सरकारें ऐसे लोगों को पसंद करती हैं !
       धर्मशास्त्रों को   पढ़ने वाले लोग अक्सर अधार्मिक और मन गढंत बातों को भी धर्म मान बैठते हैं सरकारी सेवाओं से रिटायर्ड लोग अक्सर धार्मिक हो जाते हैं जो बहुत अच्छी बात है किंतु वो जैसा कहें धर्म के क्षेत्र में वही बात सच  मानी जाए ये धारणा ठीक नहीं है !बुढ़ापा पार करने के लिए धारण किया गया धर्म कर्म और जवानी लगाकर धर्म शास्त्रों के स्वाध्याय एवं गुरुजनों की चरण सेवा के अनुभव से अर्जित किए गए  धर्म कर्म को एक तराजू पर नहीं तौला जा सकता !सच्चाई सामने लाने के लिए विशेषज्ञों की महत्ता समझनी ही होगी !आस्था अंधी होती है वो किसी की किसी पर भी हो सकती हैं किंतु अपनी आस्था का गुलाम बनाकर सारे समाज को किसी पाखंड के चरणों में चढने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता !
आधुनिक योग से बढ़ते भी हैं वातरोग !
   किसान  गरीब  ग्रामीण  लोग जो शारीरिक  परिश्रम करते हैं वे अगर योग के नाम पर कसरत व्यायाम  करेंगे तो उन्हें वाट विकृति जन्य रोग हो जाएँगे किसी को  मैं आयुर्वेद से प्रमाण दे दूँगा !साहस हो तो खंडन करके दिखावे ! खून पसीने की  ईमानदारी पूर्वक कमाई करके जिम्मेदारी का जीवनजीने वाले लोगोन का ऐसे योग से क्या लेना देना !उनका दिन भर का काम काज ही ऐसे योग से कई गुणा अधिक हो जाता है !
     ये कसरती योग तो मुट्ठी भर उन लोगों के लिए होता है जिन्हें खिलाने से पचाने तक की सारी जिम्मेदारी नौकरों और डॉक्टरों की होती है !गरीब लोगों का तो पेट भर जाए पचा तो वो खुद लेते हैं !
  आयकर वालों को भी ऐसे योग शिविरों पर छापा डालना चाहिए 
       ऐसे योग शिविरों में सम्मिलित होने वाले लोगों पर डालें ब्लैकमनी  वाले लोगों की लम्बी लिस्ट तैयार हो सकती है यहाँ !जहाँ चैरिटी करने वाले भी हजारों करोड़ के असामी बन जाते हैं वहाँ जाने वाले लोगों को खँगाला जाए !
  योग में दम है तो दवा की जरूरत क्यों और दवा ही बेचैनी थी तो योग का उपयोग क्यों ?
शोध तो प्रक्रिया में ही होता रहता है आयुर्वेद के शोध की प्रक्रिया आयुर्वेद में ही विद्यमान है उसके लिए मशीनों का मोहताज नहीं है आयुर्वेद !
आस्था अंधी होती है वो किसी की किसी पर भी हो सकती हैं किंतु अपनी आस्था का गुलाम बनाकर सारे समाज को किसी पाखंड के चरणों में चढने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता !
बुढ़ापा पार करने के लिए धारण किया गया धर्म कर्म और जवानी लगाकर धर्म शास्त्रों के स्वाध्याय एवं गुरुजनों की चरण सेवा के अनुभव से अर्जित किए गए धर्म कर्म को एक तराजू पर नहीं तौला जा सकता !सच्चाई सामने लाने के लिए विशेषज्ञों की महत्ता समझनी ही होगी !
सरकारी सेवाओं से रिटायर्ड लोग अक्सर धार्मिक हो जाते हैं जो बहुत अच्छी बात है किंतु वो जैसा कहें धर्म के क्षेत्र में वही बात सच मानी जाए ये धारणा ठीक नहीं है ! 
पाखंडों के विरुद्ध जन जागरण के लिए जीवित लोगों को आगे आना होगा !
धर्म के क्षेत्र में मुर्दों की तरह बहना ठीक नहीं जीवित लोगों को अपनी जीवंतता का परिचय देना चाहिए !धारा में तो मुर्दे बहते हैं जीवित लोग किसी भी विषय पार अपने स्वतन्त्र विचार रख सकते हैं वो भले हमारी ही कटु आलोचना क्यों न हो !किसी के पिठलग्गू बन कर कायरों की तरह जीने से अच्छा है किसी की भी समालोचना कीजिए बशर्ते उसमें तर्क हों ! समालोचना को कुछ दास प्रवृत्ति के लोग बुराई मानते हैं वो धर्म के क्षेत्र में केवल प्रचारितों के पिठलग्गू बनकर जीना चाहते हैं कुछ भीरु लोगों की ये मानसिक नपुंसकता नामक बीमारी प्रबुद्ध लोगों की भी जीवंतता को अपमानित करती है !ऐसे लोग अपनी मूर्खता छिपाने के लिए चाहते हैं हर कोई उन्हीं की तरह गूँगा बहरा बनकर बैठा रहे किन्तु जीवित लोगों से मेरा निवेदन है कि धर्म के क्षेत्र में बढे पाखंड का प्रच्छालन किया ही जाना चाहिए !मुर्दों की तरह धारा में बहते जाने वाले निर्जीवों से वो अच्छे होते हैं जो पाखंड का खंडन करें भले उनका कोई अपना ही क्यों न हो !
'विस्कुट' और 'मैगी' जैसी बहुत सारी चीजें न स्वदेशी हैं न इनके नाम स्वदेशी हैं और न आयुर्वेद में इनके बनाने की विधि है और न खाने का समर्थन !फिर भी स्वदेशी !वारे स्वदेश प्रेम !!
विदेशी दवाएँ हैं तो ख़राब और विदेशी मशीनों से विदेशी पद्धति से वही दवाएँ बनें तो अच्छी क्यों ?
आयुर्वेद में मशीनों से दवाओं के निर्माण का वर्णन कहाँ मिलता है या तो उनके पास मशीनें नहीं थीं इसलिए या फिर मशीनों से बनाने में औषधियों की गुणवत्ता घट जाती होगी !
आयुर्वेदोक्त परंपरा से दवाएँ बनें तब तो स्वदेशी और विदेशी मशीनों से विदेशी पद्धति से बनें तो काहे की स्वदेशी !
लोग व्यापार से भी मुश्किल से परिवार चला पाते हैं बाबा लोग चैरिटी करके भी हजारों करोड़ बना लेते हैं ! व्यापारियों को भी चैरिटी ही शुरू कर देनी चाहिए !
" योग भगावे रोग " किंतु योग से ही रोग भगते हैं तो औषधि उद्योग क्यों ?या योग में भी मिलावट होने लगी है !
आयुर्वेद में स्वाध्याय और प्रयोगात्मक अनुभव ही शोध है आयुर्वेद में रिसर्च हो मशीनों से !ये आयुर्वेद की अपनी स्वाभिमानी परंपरा का अपमान नहीं तो क्या है !क्या अभी तक अधूरा था आयुर्वेद !
आयुर्वेद का अंग है ज्योतिष ! आयुर्वेद में ही इसके प्रमाण हैं किंतु जो आयुर्वेद ही न पढ़ा हो और ज्योतिष की निंदाकरता घूमता हो वो करेगा रिसर्च !
आयुर्वेद किसी रिसर्च का मोहताज नहीं है सभी प्रकार के रिसर्चों के बाद ही बना था आयुर्वेद !इसीलिए रिसर्च बहुतों ने किया किंतु नया कुछ खोज नहीं पाए !
व्यापार विश्वास पर चलता है विश्वास साधु संतों पर तो है किंतु व्यापारियों को बनाना पड़ता है वो चाहें तो विश्वास बना लें या फिर वेषभूषा !
साधुवेष पर भरोसा बना है जबकि व्यापारियों को बनाना पड़ता है !इसलिए बाबाओं के व्यापार की बराबरी व्यापारी नहीं कर सकते !
बाबाओं की दी हुई दवा क्या जहर भी खा सकते हैं लोग ! ये हैं संतों पर भरोसा !
इसी विश्वास को कैस करने के लिए तो साधू संतों जैसी वेष भूषा बना लेते हैं व्यापारी लोग !

Thursday, 4 May 2017

Prabhat 2

मोदी मसीहा हैं, उनके पास सभी समस्याओंं का हल है: उमा भारती - See more at: http://www.jansatta.com/national/uma-bharti-praise-pm-narendra-modi-says-he-is-messiah-has-answer-to-all-problems/28555/#sthash.hzr07Nef.QrqGIB5e.dpu   
पटाके छूटना

दो. दीवाली पावन परम चहुँ दिशि हर्ष अपार !
सबै बधाई मोरिहू करहु सुहृद स्वीकार !!

दो. धन तेरस पावन परम मंगलमय त्यौहार !
भाई बहनों को सभी हो आनंद अपार !!

दो.जन्मदिवस पर पढ़ रहा हूँ सनेह संदेश !
क्या भाषा क्या भाव हैं ऋणी हुआ 'कविशेष !!
दो. 'वाजपेयी' यह आपका दीन्ह्यों बहुत दुलार !
सदा याद आवत रही यह अपनपौ तुम्हार !!
दो. सब सुख उत्तम स्वास्थ्य के पाए बहुत अशीष !
दीर्घायु सबने दई सबै नवावहुँ शीश !!
दो. भाई बहनों प्राणप्रिय पावहु हर्ष अपार !
विश्वनाथ की कृपा से भरा रहे भंडार !!
दो.तात वायु नहिं लागइ काटहिं शंभु कलेश !
आनंदित लखि आपको सुखी होहि 'कविशेष' !!

त्यौहार कैसे मनाए जाएँ ?

सभी जीवों और प्रकृति के साथ मिलकर त्यौहार भावना से ही मनाए जा सकते हैं त्यौहार !त्यौहार हों तो हिंदुओं जैसे बाकी जहाँ पशुओं में है हाहाकार वहाँ कोई इंसान कैसे मना सकता है त्यौहार ! हिन्दुओं में गाय बछड़े का पूजन ,बंदरों का पूजन ,हाथियों का पूजन ,सर्पों का पूजन एवं सर्पों को दूध पिलाकर मनाया जाता है त्यौहार !बरगद ,पीपल,शमी,धात्री आदि वृक्षों की पूजा करके मनाया जाता है त्यौहार !
   

राम रहीम जैसे बाबाओं के साथ उनके चेला चेलियों को भी भेजा जाना चाहिए क्योंकि बाबाओं के साथ ब्याभिचारी जीवन जीने वालों को उनके बिना अच्छा कैसे लगेगा !

पहले नेताओं में भी उठने बैठने बोलने चालने की तमीज हुआ करती थी जिम्मेदारियाँ समझने और निभाने के प्रति सचेत रहा करते थे अब तो ऐसे शिक्षित चरित्रवान और सिद्धांतवादियों को राजनीति में पूछता कौन है जो जबरदस्ती घुस आवें वो बात और है !
दो. सब सुख सबको ही मिलैं मंगलमय  दिन होय |
      विष्णु कृपा सब पर रहै दुःख पावै नहिं कोय ||

आज श्री गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर हमारे सभी भाई बहनों को बहुत बहुत बधाई !!

दो. हे गजबदन गजानन सादर नावउँ माथ |
      पाइ कृपाबल आपका हमहूँ भए सनाथ ||
 दो. भाईबहन मेरे सभी बसत सकल संसार  |
       सब पर कीजै कृपा प्रभु सेवक सभी तुम्हार ||

आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व की आप सभी भाई बहनों को बहुत बहुत बधाई !!

दो. गोरखपुर में मर गए छोटे छोटे लाल |
    उन पर कीजै कृपा प्रभु हे दयाल नंदलाल ||
दो. आज जन्म दिन आपका सादर नावउँ माथ |
     ख़ुशी मनाई जात नहिं क्षमा करो यदुनाथ ||


राजनीति इतना बेशर्म बना देती है !
     जिन विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ काम के लिए जनता सुबह से लाइन लगा देती है वो भी कहते हैं हमारी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है!कर्मचारी काम ही करते तो जनता वहाँ क्यों जाती ?और उनके दो कौड़ी के लेटरों से अधिकारी कर्मचारी काम करने लगेंगे क्या ?शिक्षा में अपने से जूनियर नेताओं को निठल्ला समझने वाली सरकारी मशीनरी सामने सर सर कह देती है तो इनके इतने भाव बढ़ गए कि ये अपने को उनसे बड़ा समझने लगे !इसी गलत फहमी में नेतालोग योजनाएँ बना बनाकर घोषणाएँ करके आश्वासन दे देकर जनता को आशा में मारे डाल रहे हैं!अरे इस सच्चाई को स्वीकार करके चुप क्यों नहीं बैठते कि सरकारी मशीनरी तुम्हारी औकात दो कौड़ी भी नहीं समझती उसे पता होता है चार दिन का मंत्री विधायक सांसद आदि फिर कौन पूछेगा इसे !और अभी कल तक धक्के खाता यहीं तो घूमता था आज आया हमें आदेश देने !
 स्वाभाविक भी है जिसने किसी को कभी भीख माँगते देखा हो उसके दिमाग में तो हमेंशा वही छवि बनी रहेगी वो कैसे और कितना  स्वभाव बदलेगा !
अधिकारी कर्मचारी काम ही करते तो जनता नेताओं के यहाँ चक्कर क्यों लगाती सिफारिस के लिए !

सरकारी आफिसों में भी पहले काम देखकर सैलरी दी जाती थी !
     जहाँ आराम के इंतजाम सरकार ने ही उपलब्ध करवाए हों वहाँ आराम का विरोध किस मुख से  करेगी सरकार !नौकरी दी है तो सैलरी देनी ही पड़ेगी !
शिक्षक जब चरित्रवान थे तब वैसे छात्र थे !
   शिक्षक ही झूठ कहानियाँ गढ़ के छुट्टी मारेंगे,कक्षाओं में नहीं जाएँगे पढ़ाएँगे नहीं कक्षाओं में बैठकर प्रेमी प्रेमिकाओं के साथ घंटों मोबाईल पर लगे रहेंगे तो छात्र भी वैसे ही.... !



माता पिता की सेवा -
    बच्चे जो देखते हैं वही करते हैं हमें माता पिता की सेवा करते देखा होगा तो सेवा करेंगे तिरस्कार करते देखेंगे तो तिरस्कार करेंगे !

 समय नहीं अपितु सोच बदली है !
    मूत्रताप्रधान जीवन शैली हाव भाव बात व्यवहार वेषभूषा और श्रंगार फिर बलात्कार न हों ऐसा कैसे संभव है !हमें अपनी समस्या का समाधान अपने अंदर खोजना होगा !
तलाक देने का फैशन !
   फिल्म वालों की नक़ल करने से वैसे कपड़े पहनने से वैसे छड़कने मटकने से हमारे भी संबंध उतने ही दिन चलेंगे जितने उनके चलते हैं फिल्मवालों के विवाह नहीं टिकते तो नकलचियों के क्या टिकेंगे !

फिल्मों से जुड़े कितने प्रतिशत लोगों के विवाह चल पाए ? प्यार नामक बलात्कार कितनों ने नहीं किए ?उतने प्रतिशत उन्हें चाहने वाले वैसे हो गए हैं ये है ये है समाज पर फिल्मों का असर !

स्त्री पुरुष जब सुंदर होते थे तब आचार व्यवहार सुंदर थे संयुक्त परिवार एवं आजीवन चलते थे विवाह!बूढ़े लोग एक एक स्वाँस शान से जी लिया करते थे !अब....! 
     ब्यूटीपार्लरों से खरीदी गई सुंदरता किसी को सुंदर बना सकती है क्या?ये तो अल्पमत में आई सरकार के बहुमत सिद्ध करने का दावा करने जैसा होता  है ?

'रामराज्य' की बातें और  'कामराज्य' की जीवन शैली !संस्कार बादल बरसेंगे क्या?या हवाएँ चलेंगी संस्कारों की ?तब हम वैसे थे अब हम ऐसे हो गए !सुधरना हमें होगा ?
'कामराज्य' में जी रहे हैं हम लोग !धड़ाधड़  टूट रहे हैं विवाह बिखर रहे हैं परिवार !ये है मूत्रताप्रधान जीवन का सच !
 बहनें पहले सिर में माँग भरती थीं तो बदमाशों को वैकेंसी खाली नहीं दिखती थी अब वैकेंसी भी खाली ऊपर से शारीरिक विज्ञापन !भगवान् पुलिस को हिम्मत दे !शायद सुरक्षा कर पावें !
महिला सुरक्षा !पुलिस की नौकरी करनी है तो हाँ हाँ तो करनी ही पड़ेगी !किंतु अफसर क्या बता भी सकते हैं कि वे कैसे कैसे कर लेंगे महिला सुरक्षा !
 छोटी छोटी बच्चियों के साथ आज अत्याचार कर रहे हैं भेड़िए !बड़े बासना भड़काते हैं छोटे भुगतते हैं !राक्षस लोग खेलते जा रहे हैं बच्चों के सुकुमार जीवन से !
कैसे कर लोगे तो जवाब नहीं दे पाएँगें ! साहस है तो स्वीकार करे हमारी चुनौती और कर लें खुली बहस !


शिक्षक और साधू संत !
    जब चरित्रवान  थे तब भारत की पहचान चरित्र से थी मीडिया चरित्र की चर्चा करता था अब बलात्कारों  अपराधों हत्याओं की ख़बरें हैं इसके लिए दोषी कौन ?

 साधू संतों पर बहुत बड़ा विश्वास है किंतु बाबा लोग भी ब्यापार और ब्यभिचार करने लगे झूठ बोलने लगे तब से भरोसा टूटा है !
   जातियाँ सौ प्रतिशत सच हैं !इन्हें मिटाना संभव नहीं !
   योगी आदित्यनाथ जी क्षत्रिय हैं तो शासन कर रहे हैं रामदेव वैश्य(यादव)हैं तो व्यापार कर रहे हैं !संन्यासी बनने के बाद भी जब स्वभाव नहीं छूटा तो नेता जातिवाद समाप्त कर लेंगे क्या ?

 हमारे सभी प्रिय भाई बहनों के लिए गंगा दशहरा मंगलमय हो ! 
दो.  माँ गंगा के पद कमल प्रणवउँ बारंबार |
        भूलैं सकल भुलाइके करहु सदा उद्धार ||
        हम पापिन्ह के लिए माँ सहती हौ अपमान |
      गंदा गंगाजल करत तबहुँ न देतिउ ध्यान ||
      
मदर्सडे
तीनसौपैंसठ दिनों में माँ का केवल एक दिन !
मदरस्यदिनं नास्ति मातुस्त्वस्ति जीवनम् |
तीनसौपैंसठ 365 दिनेष्वत्र  मातुःएक वासरम् ||


दो. अक्षयतीज मनाइए सबको बहुत बधाइ |
      सुख सनेह संपति भगति अक्षय दें भृगुराइ ||  दो. रामचरित मानस मधुर तथा राम भगवान् । 
       दोऊ अयोध्या में भए नवमी मंगलखान ॥ 
        भाई बहन सुख लहहिं सब घर घर मंगलचार । 
        राम भगति सबको मिलिहि सुखद राम अवतार ॥
      दो.बुद्ध पूर्णिमा को सुखद दिन मंगलमय आज |
          सबको बहुत बधाइयाँ हर्षित सकल समाज || 

 

 किस विषय को पढ़ने में सफलता मिलेगी किसमें नहीं मिलेगी ?कब पदोन्नति होगी कब नहीं होगी ?कब स्वास्थ्य ठीक रहेगा कब ख़राब होगा ?कब विवाह होगा कब नहीं होगा ?किस समय किसके साथ विवाह करने से कितने समय तक सुख मिलेगा कब दुःख मिलने लगेगा कैसे चलेगा कितने समय तनाव रहेगा या नहीं रहेगा ?कब तलाक होगा या नहीं होगा ?किस समय बनाया गया प्रेम संबंध कितने दिन साथ देगा या नहीं देगा या धोखा देगा ?कब संतान होगी कब नहीं होगी ?कब व्यापार चलेगा कब बिगड़ेगा ?किस काम से लाभ होगा किससे नुक्सान होगा ?कब जमीन या मकान खरीदने से ठीक रहेगा कब नहीं रहेगा या धोखा होगा

 

ज्योतिषियों की ज्योतिष सब्जेक्ट की क्वालीफिकेशन जरूर चेक करें !


  शुभ प्रभात माँ दुर्गा के चरणों में कोटिशः नमन -
दुर्गा सप्तशती (Durga Saptshati) (सरल दोहा चौपाई में ) (Saral Doha Chaupai men)
  दुर्गा सप्तशती  ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह)
    जो भाई बहन संस्कृतभाषा नहीं जानते और दुर्गासप्तशती पढ़ना चाहते हैंया अपने see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

                      माँ दुर्गा की असीम अनुकंपा से आपका दिन मंगलमय हो !
नव दुर्गास्तुति Nav Durga Stuti , (सरल दोहा चौपाई में ) (Saral Doha Chaupai men)
  नव दुर्गास्तुति ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह) जो भाई बहन संस्कृतभाषा नहीं जानते और दुर्गा पाठ पढ़ना चाहतेsee more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_67.html



-: राशिफल (दैनिक) सौ प्रतिशत झूठ होता है खुद को ज्योतिषी सिद्ध करने के लिए लोग इस झूठ का सहारा लेते हैं कितने लोगों को पता है कि चैनलों पर या अखवारों में बताए या लिखे जाने वाले राशिफल का सच से कोई सम्बन्ध नहीं होता है ऐसी हरकतें कुछ ज्योतिष बिना पढ़े लिखे लोग अपने को ज्योतिषी सिद्ध करने के लिए करते हैं रोज राशिफल और ज्योतिष का नाम लेंगे तो लोग समझ लेते हैं कि ज्योतिषी होंगे तभी तो ऐसा करते हैं !ज्योतिष शास्त्र का कोई भी विद्वान् इतने बेशर्मी से इतना बड़ा झूठ इतनी निर्भीकता पूर्वक बोल ही नहीं सकता है !BHU जैसे तमाम अन्य विश्व विद्यालयों के ज्योतिष विभाग के कितने रीडर प्रोफेसर टीवी चैनलों पर दिखाई पड़े !कितने डॉक्टर इंजीनियर अपने विषयों में बकवास करने टीवी चैनलों पर देखे जाते हैं !
      टीवी पर बताया जाने वाला राशिफल या भविष्य संबंधी बातें आप अपने परिचितों पर घटा कर देखिए सौ प्रतिशत झूठ निकलेंगी इस धोखा धड़ी की कमाई खाना मीडिया को अब बंद कर देना चाहिए !मेडिकल आदि विषयों की तरह ही ज्योतिष पाठ्यक्रम और डिग्रियों आदि की पढाई की व्यवस्था BHU जैसे बड़े विश्व विद्यालयों में सरकार ने कर रखी है किंतु वो मीडिया के मन मुताबिक झूठ नहीं बोल पाते हैं मीडिया को पैसे नहीं दे पाते हैं पैसों के लिए इतना गिर गया है मीडिया कि अनाधिकारियों को अधिकारियों की तरह प्रस्तुत करने लगा है ये समाज के साथ बहुत बड़ी धोखाधड़ी है मीडिया को चाहिए कि ऐसे लोगों से बकवास शुरू कराने से पहले विश्व के जाने माने ज्योतिषी या ज्योतिषाचार्य बताने से पहले उनका परिचय उनके ज्योतिष क्वालीफिकेशन से करवावे किंतु मीडिया को ये इसलिए पसंद नहीं है क्योंकि उसे सच्चाई पता होती है कि ऐसा शुरू करेंगे तो ये अभी भाग जाएँगे !

 भविष्य संबंधी झूठ बोलने आते हैं मनुष्य जीवन को ये किसी भी प्रकर से प्रभावित नहीं कर पाता है कोई इसे सच सिद्ध करना चाहे या ये बताना चाहे कि इसका ज्योतिष से कैसे संबंध बनता है तो उचित मंच पर शास्त्रीय बहस की खुली चुनौती !इस धोखा धड़ी की कमाई खाना मीडिया को अब बंद कर देने चाहिए जितने भी  बहुत लोगों को नहीं पता है कि मेडिकल आदि विषयों की तरह ही ज्योतिष पाठ्यक्रम और डिग्रियों आदि की पढाई की व्यवस्था BHU जैसे विश्व विद्यालयों में सरकार ने कर रखी है उनमें लगभग सारे लोगों ने किसी विश्व विद्यालय ज्योतिष विषय में न कोई डिग्री ली होती है और न ही ज्योतिष के विषय में कुछ पढ़ा ही होता है क्योंकि कोई seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_71.html
      
-: राशिफल (दैनिक) :- टीवी चैनलों एवं अखवारों में जो बताया जाता है वो सौ प्रतिशत झूठ होता है !
      मीडिया और झोलाछाप ज्योतिषियों की साँठ गाँठ से योजना पूर्वक तैयार किया जाता है ये मनगढंत राशिफल एवं उनके उपायों के आडंबर ! राशिफल बताने या लिखने के नाम पर जो मुख में आता है सो बका करते हैं ये लोग ! क्या यही ज्योतिष विज्ञान है ?यदि ऐसी राशिफली बातों को आप टेप करके अचानक उन राशिफलियों से मिलें और पूछें कि अमुक राशि का अमुक तारीख को राशिफल क्या था ?तो ऐसे लोग वो या उससे मिलता जुलता राशिफल दुबारा नहीं बता सकते और यदि बताएँगे तो उसका उस दिन वाले उनके राशिफल से कोई मेल नहीं खाएगा !जबकि यदि सही होता तो मेल तो खाना चाहिए क्योंकि किसी एक विंदु के लिए शास्त्रीय सच अलग अलग नहीं हो सकता!दूसरी बात ऐसे राशिफलों के ज्योतिष शास्त्र में कहीं प्रमाण नहीं मिलते !फिर भी यदि किसी को लगता है कि उसके पास इस राशिफल के समर्थन में शास्त्रीय प्रमाण हैं तो यहीं कमेंट में लिखें वो प्रमाण!बंधुओ !अब आप स्वयं समझिए कि ये राशिफल सही हो क्यों नहीं सकता seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_71.html

          ज्योतिष जन जागरण का उद्घोष !सबसे जुड़ें और सबको जोड़ें सबका रुख शास्त्रों की ओर मोड़ें !
      ज्योतिष के नाम पर न झूठ बोलेंगे और न सहेंगे !अंध विश्वास के विरुद्ध समाज को जगाकर रहेंगे! जिन बातों  एवं उपायों के प्रमाण ज्योतिष शास्त्र में नहीं हैं ऐसे झूठ को बिकने नहीं देंगे ! इसमें हमें चाहिए सभी सनातन धर्मियों का सभी प्रकार से साथ !यदि आप ज्योतिष जानते भी नहीं हैं और मानते भी नहीं हैं तो भी आप हमारी मदद करर सकते हैं जानिए कैसे ! ज्योतिष  में क्या सच है और क्या झूठ ?समझिए आप भी !बंधुओ !यदि आप ज्योतिष को नहीं भी मानते हैं तो भी इस अंध विश्वास को मिटाने के लिए हमें चाहिए आपका सहयोग !आज ज्योतिष एवं ग्रहों के उपायों के नाम पर  किए जा रहे हैं कैसे कैसे पाखंड !इसकी सच्चाई समझने के लिए पढ़िए हमारा यह ब्लॉग और जुड़िए हमारी पाखंड खंडिनी मुहिम से ! समाज को ज्योतिष की विश्वसनीय एवं शास्त्र प्रमाणित ईमानदार  सेवाएँ देने के लिए हम बचनबद्ध हैं ! ज्योतिष वास्तु आदि केवल हमारे ही नहीं आपके भी पूर्वजों की विद्या है इसपर पाखंड के बादल छाए हुए हैं ज्योतिष के नाम पर लोग मन गढ़ंत बातें एवं उपाय बता और समझा रहे हैं उपायों के नाम पर तरह तरह के तमाशे दिखा और बेच रहे हैं इसमें क्या सच है और कितना पाखंड है यह सही सही समझने के लिए एक बार जरूर देखिए  हमारे ब्लॉग के विविध विषयों पर लिखे लेख- see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_14.html
जनसंख्या बल से कमजोर सवर्णो को दलितों के शोषण का झूठा आरोप लगाकर सताया जा रहा है और रची जा रही है सवर्णों के विरुद्ध आरक्षणी साजिश ! दलितों के शोषण का सवर्णों पर झूठा आरोप मढ़ना बंद किया जाए ! साथ ही सवर्णों की जनसंख्या इतनी घटी कैसे इसकी जाँच कराई जाए ! दलितों का शोषण कभी किसी ने किया ही नहीं है इसीलिए शोषण के नहीं मिलते हैं प्रमाण !फिर आरक्षण क्यों ?see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/04/blog-post_14.html

आवश्यक सूचना - बंधुओ ! ज्योतिष का काम ही संसार के सभी लोगों के जीवन पर पड़ने वाले ग्रहों के अच्छे बुरे प्रभावों का अध्ययन करना है इसीलिए सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों में सब्जेक्ट रूप में ज्योतिष पढ़ने पढ़ाने की न केवल सुविधा होती है अपितु ज्योतिष विषय में उच्च डिग्रियाँ भी दी जाती हैं ऐसे डिग्री होल्डर ज्योतिषवैज्ञानिक डॉ.एस.एन.वाजपेयी से जरूरी ज्योतिषीय सलाह लेने हेतु संपर्क करने के लिए इस लिंक को कॉपी करें ,खोलें और पढ़ें -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html अब फर्जी       ज्योतिषियों के भविष्य बताने के शौक पर लगे प्रतिबंध !शुद्धीकरण हो तो सबका हो !
 फर्जीडिग्री  वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं  की जाती है कार्यवाही !
      उनसे भी  माँगे जाएँ उनके भी ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र !
  आखिर उनसे क्यों नहीं पूछा जा रहा है कि ज्योतिष सब्जेक्ट में किस क्लास तक उन्होंने किस सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से पढ़ाई की है देखे जाएँ उनके भी ज्योतिष सब्जेक्ट के डिग्री प्रमाण पत्र ! ऐसा होते ही टीवी चैनलों पर बंद हो जाएगी तथाकथित ज्योतिषीबकवास  धार्मिक अंध विश्वास का धंधा  रुकेगा !इनके कृत्यों से टूटते संबंधों विखरते परिवारों को बचाया जा सकेगा । पढ़े लिखे ज्योतिषियों के ज्योतिष वैज्ञानिक शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान का समाज को लाभ होने लगेगा  see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_35.html

दो.शुभ प्रभात हो सखागण मंगलमय रविवार ।
    सूर्य  कृपा  सब  पे  रहै  परिहरि रोग विकार ॥

दो.शुभ प्रभात हो बंधुओं  सोमवार शिववार ।
     भोले बाबा कृपाकरि कटिहैं कष्ट हजार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार । 
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो. बुद्ध सुखद सबके लिए शुभ फलप्रद हो आज ।
     सकल कामना पूर्ण दिन पावहु मित्र समाज

दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
  शुभ दिन बीते आपका  सुख पावहु दिन रात ॥
 
दो.शुक्रवार की सुबह शुभ बंधु बहन सानंद ।
          स्वीकारो शुभ कामना कृपा करहिं ब्रजनंद ॥

दो. शुभ प्रभात शनिवार का सुखी सखा सानंद ।
     शनि पीड़ा को भय तजहु भजहु अंजनी नन्द ॥ 
   हे मित्रो !आज शनिवार का सबेरा आपके लिए शुभ हो, आप सुखी हों, आनंदित रहें । बंधुओ !शनि देव के द्वारा दी जाने वाली परेशानियों  से आप बिलकुल भयभीत न हों और प्रभु हनुमान जी का भजन करते  रहें ।
 श्री हनुमान जयंती पर आप सबको बहुत बहुत बधाई !
 दो. हनुमत प्रभु की कृपा से रहहु सखा खुशहाल । 
       साईं छाँड़ि सेवहु इन्हहिं महाकाल के काल ॥ 


  श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई -
 दो. साईं तौ लौ पुजि रहे मंदिर मंदिर जाइ । 
          मारुति नंदन की गदा उठत न जौ लौ  भाइ॥

  श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई - 
       दो. हनुमत हाथ गदा गहि नशिहैं साईं ढोंग । 
           कान पकरि कर ठसकिहैं खूब लगइहैं  भोग ॥

  श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई - 
दो. साईं झुट्ठे ठगी करि भए खूब धनवान ।
     पापी   खुद पुजिबो चहैं कुछ कीजै हनुमान ॥

  श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई - 
दो. साईं करि घुसपैठ खुद बनि बैठे भगवान । 
     मंदिर सूने हो रहे हनुमत कृपा निधान ॥ 

श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई -
दो. आरति पूजा भोग धन  साईं माला माल ।
      सुर मंदिर सूने हुए हे अंजनी के लाल ॥ 

श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई - 
दो. मंदिर अपने धर्म के पुजिहैं साईं बैठि । 
हनुमत इन्हैं खदेड़िए कान पकरि कै ऐंठि ॥ 




 साईंसंप्रदाय का खंडन करने से हमें रोक रहे हैं कुछ लोग !

      कुछ लोगों को लगता है कि धर्म कर्म की चीजें तो बिना पढ़े लिखे ही आ जाती हैं इसलिए इन्हें क्यों पढ़ना इस विषय में तो जो मुख में आवे सो बक दो ! अगर वो धोखे से कुछ श्लोक या चौपाइयाँ पढ़ पाए तो फिर वो उन्हें पचते नहीं हैं वो खुजली किया ही करते हैं जब तक कोई कायदे से न खुजलावे !
      इसी प्रकार से हमें साईं साईंसंप्रदाय के खंडन से बचने की सलाह दी जा रही है और बताया जा रहा है कि प्रभु राम ने खंडन करने को रोका  है ! बंधुओ ! यदि समाज को इतना कमजोर ही बनाना होता तो श्री राम ने लंका पर आक्रमण क्यों किया क्यों खंडित किए उनके शरीर !
      मित्रो ! किसी के ऊपर हमला करने के लिए उस के ब्लैड मारना  अपराध है किंतु किसी के फोड़ा हुआ उसका आपरेशन करने में ब्लैड चलने वाला सर्जन पुण्य का काम कर रहा होता है इस बात का रहस्य समझे बिना उपदेश करना अपनी चंचलता सिद्ध करता है ।
 

दो. चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा पहला दिन नवरात्र । 
स्वजन सखा सानंद हों निरुज होंहि शुचि गात्र ॥दुर्गा पूजा -
दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र । 
स्वजन सखा सानंद हों निरुज होंहि शुचि गात्र ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात। 
       जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.      तीसर दिन नवरात्रि का चंद्रघंटिके अंब ।     चरण शरण जगदम्बिके तुम्हहिं एक अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो.  चौथा दिन नवरात्र का चहुँ दिशि हरष हिलोर ।
      कूष्मांडा माँ की कृपा सरस रही सब ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html   

दो. स्कन्धमातु को ध्यावत पंचम दिन मन लाइ ।
     सुत सुख संपत्ति अमित यश देहिं कृपाकरि माइ ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो.  कात्यायनी माँ की कृपा सरस रही सब ओर ।
     छठवाँ दिन नवरात्र का जननि  आसरा तोर ॥
-see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.कालरात्रि जगदम्बिके सादर नावउँ माथ ।
कृपा करहु जननी जगत तुम सों सदा सनाथ ॥
- see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. महागौरिजा आठवाँ जगत जननि तव रूप ।
     सादर बंदउँ पद कमल माते परम अनूप ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. नवरात्रों के नवम दिन  सिद्धिदात्री अंब ।
    कृपा करहु सब पर जननि सबकी तुम अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html



दो. साईं वालों पर कृपा होवै जननी तोर ।
भूतन्ह महुँ भटकैं जनि ताकहिं तुम्हरी ओर ॥
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दो. साईंहिं सेवहिं मूढ़ जे जननी तुम्हहिं बिसारि ।
    तिन्ह कहँ देहु दरिद्रता सबक सिखावहु झारि ॥
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 दो.निर्मल बाबा टाइप के पापिन्ह कहँ लतियाव ।
       जहाँ तमाशाराम तहँ इन हूँ  को पहुँचाव ॥
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दो.निर्मल बाबा कर रहा शास्त्र विमुख बकवास ।
    ऐसे पापिन्ह को जननि  सबक सिखाओ ख़ास ॥
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दो. जगतजननि की कृपा से सुधरे सब संसार ।
     कन्याओं पर बंद हो भीषण अत्याचार ॥
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दो. सरकारी अधिकारियों की होवे सद्बुद्धि ।
     कामचोर सुधरें जननि घूँस ने लें हो शुद्धि ॥
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 दो भ्रष्ट अफसरों को जननि दीजै दारुण दंड ।
       भूल जाएँ बदमाशियाँ भुगतें पाप प्रचंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  बलात्कारियों को जननि दीजै  ऐसा रोग ।
      किसी काम के न रहें तरसें लखि लखि भोग॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html 

दो.साईं वाले दे रहे तुम्हें चुनौती मात । बुड्ढे के बलपर कहैं हम सब हैं कुशलात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो. साईं पत्थर पुज रहे देवी देव घमात ।
इन पापी पाखंडियों को सबक सिखाओ मात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. किसी जन्म के पाप हैं भुगत रहे जो भोग ।     दुर्गा माँ को छाँड़ि के साईंहिं पूजत लोग ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. जगत जननि जगदंब में कहा कमी अस लाग ।
     जे साइँहिं पूजत फिरहिं तिन्हके परम अभाग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो.माँ दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात । 
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html 


दो. दैत्य दलन्ह को दलिमल्यो जगदम्बे बहुबार।
         धरम सुरक्षा के लिए अब करहु साईं संहार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


  दो. प्रेमी जोड़े नाम को व्यभिचारी समुदाय ।
       दूषित करत समाज सब तिन्हहिं सुधारहु माय ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

     
दो.राम,कृष्ण शिव की जननि  पूजा क्या पाखंड ।
    साईं वाले बक रहे क्यों जननी अँडबंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.   देवी देवता सुनत नहिं साईं दें सब भोग ।
      पुण्यहीन भाषत अस मरन चाहत जे लोग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. हमैं सोच नहिं आपनो कहउँ न अपने हेत ।
' साईं ' कसकै रात दिन माँ तुम्हें चुनौती देत ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. मधुकैटभ को बल दल्यो शुंभ निशुंभ को अंब । 
    साइँन्ह की बारी अब कृपा करहु जगदंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. मंदिर में साईं पुजत देवी देव घमात ।
     पापिन्ह को पाखंड अब जननि सहो नहिं जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. मंदिर में साईं घुसे देवी देव उदास ।
साईं वालों को जननि सबक  सिखावहु ख़ास
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दो. साईं वालों को जननि दीजे दंड कठोर ।
    जगदंबे तुम्हरे  रहत ये साइँहिं पूजत चोर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो. साईं पूजा देश में सब पापों की मूल ।
     जग जननी कीजै कृपा तुम्हारे हाथ त्रिशूल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो . अकर्मण्य सुर  हो गए कहैं साईं के  शेर ।
       बुढ़ऊ पुरिहैं कामना अंबे  ये अंधेर ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो. देवी देव दिखावटी बने  सजावट माल ।
साईं अब करिहैं कृपा  जगदंबे ये हाल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. पाखंडी फैला रहे भ्रम अंबे दो ध्यान ।
     मंदिर मंदिर बिक रहे साईं धरे दुकान ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. देवी देवन्ह के लिए मंदिर बने हमार |
    बुढ़ऊ को रखि के तहाँ पूजत फिरत गँवार ||

दो. देव न बुड्ढे होत कहुँ रहे न कबहुँ उदास |
    साईं भए जवान कब किन देखो मुस्कात ||
 दो. टेंसन में जे खुद रहहिं बूढ़ भए लरकाइ |
     तिन्ह कहुँ पूजत का मिली लोग रहे गरिआइ ||



दो.  जे खुद को योगी कहैं करैं सकल व्यापार ।
अस कलियुगी पतंजली बाबन्ह को धिक्कार ॥

दो.शुभ प्रभात हो सखागण मंगलमय रविवार ।
    सूर्य  कृपा  सब  पे  रहै  परिहरि रोग विकार ॥

दो.शुभ प्रभात हो बंधुओं  सोमवार शिववार ।
     भोले बाबा कृपाकरि कटिहैं कष्ट हजार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार । 
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो. बुद्ध सुखद सबके लिए शुभ फलप्रद हो आज ।
     सकल कामना पूर्ण दिन पावहु मित्र समाज

दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
  शुभ दिन बीते आपका  सुख पावहु दिन रात ॥
 
दो.शुक्रवार की सुबह शुभ बंधु बहन सानंद ।
          स्वीकारो शुभ कामना कृपा करहिं ब्रजनंद ॥

दो. शुभ प्रभात शनिवार का सुखी सखा सानंद ।
     शनि पीड़ा को भय तजहु भजहु अंजनी नन्द ॥ 
   हे मित्रो !आज शनिवार का सबेरा आपके लिए शुभ हो, आप सुखी हों, आनंदित रहें । बंधुओ !शनि देव के द्वारा दी जाने वाली परेशानियों  से आप बिलकुल भयभीत न हों और प्रभु हनुमान जी का भजन करते  रहें ।  
दो.जगज्जननि  जगदम्बिके सरस्वती सुखदानि ।
         कृपाकरहु   हे कृपामयि सादर वीणापानि ॥  




          दो.मंगलमय होली रहे घर घर मंगलचार ।  
             बहनों के सँग बंद हो अब तो अत्याचार ॥
         दो.    बूढ़ों की सेवाबढ़े श्रेष्ठों का सम्मान ।
         स्नेह भाव सबके प्रति करहु छाँड़ि अभिमान ॥
दो. भाई बहनों प्राणप्रिय पावहु हर्ष अपार ।
     प्रभु प्रसाद से सुखद हो होली को त्यौहार ॥
दो. भाई बहन के स्नेह का है पावन त्यौहार ।
       नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन में प्यार ॥
    दो.    बूढ़ों की सेवाकरो  श्रेष्ठों का सम्मान ।
         स्नेह भाव सबके प्रति रखहु छाँड़ि अभिमान ॥


      दो . जे पापी पाखंड प्रिय भ्रष्टाचारी लोग ।
             गीता तिन्हैं सोहात नहिं जिन्हैं भोगनो भोग ॥

दो. गीता जैसे ग्रन्थ का जो कर रहे  विरोध ।
     उनके भ्रष्टाचार पर होना चाहिए शोध ॥  
दो. जे पापी मानत  नहीं करत पाप पर पाप ।
     तिन्हैं गीता से डर लगे राजनीति के साँप ॥
दो. तिन्हैं मरन को भय कहा जे जग जोगी लोग ।
      खुद लै फिरहिं सिक्योरिटी औरन्ह सिखवत योग ॥
   दो.अजर अमर है आत्मा  नश्वर मिला शरीर ।
       गीता का सन्देश यह हरहु जगत की पीर ॥

  दो. धन तेरस सबके लिए दे  आनंद  अपार ।                              
                                   माँ लक्ष्मी की कृपा से सुख पावै संसार ॥

 सभी भाई बहनों को होली का त्यौहार मंगलमय हो !
दो. मंगलमय बीते दिवस सुदिन सुमंगल आज।
     कृष्णकृपा भाजन बनो कृपा करहिं  ब्रजराज ॥ 

दो.गई जरावन भक्त को जरी होलिका आप ।
     पुण्य विजय का पर्व यह हुआ पराजित पाप ॥
दो. राख ढेर सों प्रकट भै पुनः भक्त प्रह्लाद ।
    देखि सखा हर्षित भए सबकर मिटा विषाद ॥
  दो.  खेलन लागे राख सों लगे उलीचन  धूल  ।
      भक्त विजय सुनि सुर गगन बरसन लागे फूल ॥
दो. भाई बहन के स्नेह का है पावन त्यौहार ।
       नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन में प्यार ॥



दो. चैत्र शुक्ल की दूज शुभ बासंती नवरात्र । 
रहहु सखा सानंद नित निरुज होहि तव गात्र ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html



दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र । 
रहहु सखा सानंद नित निरुज होहि तव गात्र ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  कात्यायनी माँ की कृपा सरस रही सब ओर ।
     छठवाँ दिन नवरात्र का जननि  आसरा तोर ॥
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दो.कालरात्रि जगदम्बिके सादर नावउँ माथ ।
कृपा करहु जननी जगत तुम सों सदा सनाथ ॥
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दो. महागौरिजा आठवाँ जगत जननि तव रूप ।
     सादर बंदउँ पद कमल माते परम अनूप ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
-
  

दो.शुभ कामना प्रसाद मैं सादर धारउँ शीश । 
जुग जुग चलै सनेह यह कृपा करहिं जगदीश ॥

  

दो. नवरात्रों के नवम दिन  सिद्धिदात्री अंब ।
    कृपा करहु सब पर जननि सबकी तुम अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. साईं वालों पर कृपा होवै जननी तोर । 
भूतन्ह महुँ भटकैं जनि ताकहिं तुम्हरी ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
   दो.विजय दशहरा की मेरी  सबको सखा बधाइ ।
        मुक्ति मिली दसशीश को विजय पाइ रघुराइ ॥
    दो.द्वारपाल प्रिय प्रभु का शंभु भगत दसगात ।
        थोड़ी करनी बिगड़ गई अजहूँ कोसो जात ॥
            


  


दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र । 
स्वजन सखा सानंद हों निरुज होंहि शुचि गात्र ॥ 

दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात। 
       जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईंहिं सेवहिं मूढ़ जे जननी तुम्हहिं बिसारि । 
    तिन्ह कहँ देहु दरिद्रता सबक सिखावहु झारि ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो.निर्मल बाबा टाइप के पापिन्ह कहँ लतियाव । 
       जहाँ तमाशाराम तहँ इन हूँ  को पहुँचाव ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.निर्मल बाबा कर रहा शास्त्र विमुख बकवास ।
    ऐसे पापिन्ह को जननि  सबक सिखाओ ख़ास ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो.जे ज्योतिष जानत नहीं वास्तु पढ़ी नहिं रंच । 
     ते भविष्य भाषत फिरहिं झुट्ठौ करत प्रपंच ॥
दो. टीवी वाले ज्योतिषी झुट्ठी सँग अठिलाँय।
 झूठ बतावहिं राशिफल झूठे बकहिं उपाय ॥

दो. व्यास कहाँ शुकदेव कहँ कहाँ भागवत 'शेष' । 
कथा कहत किन्नर फिरहिं धरि बहुरुपिया वेष ॥ 
  दो. नाम  भागवत  को रटैं करैं  "भोगवत " 'शेष '।
        हँसि हँसि हेरहिं औरतैं धरि भड़ुअन को वेष ॥ 
दो.लीन्हें घूमैं  भागवत जे भागवतिहा लोग ।
     करि सोलह श्रृंगार ये मँजनू माँगें भोग ॥ 

 दो. साधू चहैं सिक्योरिटी निर्भय फिरहिं गृहस्थ । 
      पाप पाई जे  छुवत नहिं ते बिना योग के स्वस्थ ॥ 
दो हाथ पैर भाँजत फिरहिं नई योग की रीति । 
        सबै दिखावैं साधुता मरिबे ते भयभीत ॥ 
दो.योग योग सब कोइ कहै किन्तु न जानत योग । 
        चित्तवृत्ति फैली फिरहिं हँसैं हहाहा लोग ॥ 
   दो.  जो खुद को योगी कहै करै सकल व्यापार ।
         भाषण में हो वीरता कर्मन्ह में सलवार ॥ 
दो.   धर्म कर्म में रूचि रहै चित  ध्यावै ब्रजराज
     बुरा न बोलो काहु को तौ का करिहैं यमराज ।

 दो.  निर्भय फिरत  किसान सब करत खेत खलिहान ।  
       बोझ बने बाबा फिरहिं लहे सिक्योरिटी शान ॥ 

     दो.बाबा बोलत  वीर रस रहे लगावत आग ।
         भयवश नारीवेष में प्रकटे अस वैराग ॥
        दो.  झूठ साँच भ्रम बोलत रहे कालेधन का जोक ।
          मिलत  सिक्योरिटी शांत भे बाबा अस डरपोक ॥

दो.राजनीति ने देश में किया बहुत उत्पात । 
करना धरनाकुछ नहीं ब्यर्थ बनावत बात ॥ 

दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
  शुभ दिन बीते आपका  सुख पावहु दिन रात ॥ 

दो. जगतजननि की कृपा से सुधरे सब संसार ।
     कन्याओं पर बंद हो भीषण अत्याचार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. सरकारी अधिकारियों की होवे सद्बुद्धि । 
     कामचोर सुधरें जननि घूँस ने लें हो शुद्धि ॥ 
 दो भ्रष्ट अफसरों को जननि दीजै दारुण दंड । 
       भूल जाएँ बदमाशियाँ भुगतें पाप प्रचंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  बलात्कारियों को जननि दीजै  ऐसा रोग ।
      किसी काम के न रहें तरसें लखि लखि भोग॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.नेताओं की नियत पर है भारी संदेह । 
जनसेवा की बात कर भरते अपने गेह ॥ 

दो.साईं ठग्गू लाल का दिन कैसे गुरूवार ।  
      विष्णु दिवस महिमा अमित जानत सब संसार ॥
दो.साईं वाले दे रहे तुम्हें चुनौती मात । 
बुड्ढे के बलपर कहैं हम सब हैं कुशलात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो. साईं पत्थर पुज रहे देवी देव घमात ।
इन पापी पाखंडियों को सबक सिखाओ मात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. पत्थर साईं नाम के पूजत अनपढ़ लोग । 
     प्राण गए यमराज घर तबहुँ लगावत भोग ॥ 

दो. किसी जन्म के पाप हैं भुगत रहे जो भोग ।
     दुर्गा माँ को छाँड़ि के साईंहिं पूजत लोग ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. जगत जननि जगदंब में कहा कमी अस लाग ।
     जे साइँहिं पूजत फिरहिं तिन्हके परम अभाग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

   
दो. साईं प्राणन्ह  खैंच कै  भागि गए यमदूत ।
      यहाँ शरीरहिं गाड़ि कै पुजत  साईं को भूत ॥ 

दो.प्राण गए यमराज घर देही दई सड़ाय । 
    अब साईं को का बचो जो शिरडी देखन जाय ॥ 


    तहाँ न साईं को कछू तहाँ न पूजा पाठ । 

दो.शिव दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात । 
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥
दो.माँ दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात । 
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html   


दो. दैत्य दलन्ह को दलिमल्यो जगदम्बे बहुबार।
         धरम सुरक्षा के लिए अब करहु साईं संहार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. शिक्षक जे न पढ़ावहिं बेतन लें हर बार ।
पढ़ें न तिनहूँ के शिशु जौं पढ़ें तो हों बेकार ॥ 

  दो. प्रेमी जोड़े नाम को व्यभिचारी समुदाय ।
       दूषित करत समाज सब तिन्हहिं सुधारहु माय ॥

 दो.      तीसर दिन नवरात्रि का चंद्रघंटिके अंब ।
     चरण शरण जगदम्बिके तुम्हहिं एक अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो.  चौथा दिन नवरात्र का चहुँ दिशि हरष हिलोर ।
      कूष्मांडा माँ की कृपा सरस रही सब ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. स्कन्धमातु को ध्यावत पंचम दिन मन लाइ ।
     सुत सुख संपत्ति अमित यश देहिं कृपाकरि माइ ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
    
दो.राम,कृष्ण शिव की जननि  पूजा क्या पाखंड ।
    साईं वाले बक रहे क्यों जननी अँडबंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.   देवी देवता सुनत नहिं साईं दें सब भोग ।
      पुण्यहीन भाषत अस मरन चाहत जे लोग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. हमैं सोच नहिं आपनो कहउँ न अपने हेत ।
' साईं ' कसकै रात दिन माँ तुम्हें चुनौती देत ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. मधुकैटभ को बल दल्यो शुंभ निशुंभ को अंब । 
    साइँन्ह की बारी अब कृपा करहु जगदंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. मंदिर में साईं पुजत देवी देव घमात ।
     पापिन्ह को पाखंड अब जननि सहो नहिं जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो.राम कृष्ण शिव के विमुख रचें साजिशें ढेर ।
      अपने को हिंदू कहैं देखौ तौ अंधेर ॥
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दो. खरदूषण रावण बध्यो हे रघुनंदन राम ।
     अबकी दशहरा साईं पर बीतै 'जय श्री राम' ॥
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दो. मंदिर में साईं घुसे देवी देव उदास ।
साईं वालों को जननि सबक  सिखावहु ख़ास
see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.htmlदो. साईं वालों को जननि दीजे दंड कठोर ।
    जगदंबे तुम्हरे  रहत ये साइँहिं पूजत चोर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो. साईं पूजा देश में सब पापों की मूल ।
     जग जननी कीजै कृपा तुम्हारे हाथ त्रिशूल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो . अकर्मण्य सुर  हो गए कहैं साईं के  शेर ।
       बुढ़ऊ पुरिहैं कामना अंबे  ये अंधेर ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो. देवी देव दिखावटी बने  सजावट माल ।
साईं अब करिहैं कृपा  जगदंबे ये हाल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. पाखंडी फैला रहे भ्रम अंबे दो ध्यान ।
     मंदिर मंदिर बिक रहे साईं धरे दुकान ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. पाप पुण्य कुछ भी करे साईं  मंदिर जाय  ।
कृपा  वहाँ पर बिक रही पैसे  दे लै जाय ॥
see  more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/09/blog-post.html 
दो. पापकर्म खुब बढ़ गए रोज हो रहे  रेप ।
हत्या  भ्रष्टाचार सब साईं कृपा की खेप ॥
 -  see  more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/09/blog-post.html

ज्योतिषियों के पाखंड -

दो. रामायण के सीरियल में बन का गए राम । 
       अरुण गोबिल हो गए हैं तब से   बेकाम ॥
    दो.   खुद न रहे कछु काम के तौ पकरो 'कुमार ' ।
      'मंतर' 'मंतर' करि रहे संस्कृत ते लाचार ॥
    दो.    मंत्र कहे पावत नहीं सप्तशती लै हाथ । 
      पढ़ना निज बश को नहीं ठोंकि रहे हैं माथ ॥
     दो.  जेल तमाशाराम गए तब बाबा घबड़ान ।
         पढ़नो तौ बश को नहीं पकड़े फिरैं पुरान ॥

 दो.पैंट लसेटे फिर रहे ज्योतिष के लप्फाज ।
      बेटा बेटा कह रहे बापन्ह को तजि लाज ॥ 
     ज्योतिष के बकवासियों को मेरा  challenge । 
      बेहूदे बोलत फिरैं yes I can change ॥ 


दो. टीवी वाले ज्योतिषी झुट्ठी लीन्हें साथ ।
    कहैं मोर गुण गावहु पैसे पकड़ो   हाथ ॥
 - see  more … http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/07/blog-post_17.html
   दो.   गुरू गुरू  झूट्ठी करै करै गढ़ि गढ़ि तानै तीर ।
     भाग्य भ्रष्ट जगदम्ब वे रचत फिरत तकदीर ॥
 - see  more … http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/07/blog-post_17.html

 दो. झुट्ठी बोलै गुरू जी नाक नक्स की नीक ।
     भोंदू बक्सन्ह सों कहै तुम्हीं ज्योतिषी ठीक ॥
    दो. संस्कृत पढ़ी न ज्योतिष नहिं मन्त्रन्ह को ज्ञान ।
        तिन्ह कहँ व झुट्ठी कहै तुम सम को विद्वान !

   दो.   झूठ राशिफल नाम का कपट करहिं  भाँति ।
व्यस्त  कहहिं खुद को बहुत 'पर' खून पिअहिं दिनराति ॥
दो. ज्योतिष को ऐसो नशा तरह तरह  ढोंग ।
    बेटा बोलैं  बड़ेन्ह को ये पाखंडी   लोग  ॥
 - see  more … http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/07/blog-post_17.html
 - see  more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/09/blog-post.html



      दो. जिद न जीत की ठीक है हार न हेरि हिराहिं ।
           मौत याद हर क्षण रहै तौ मन फिसलत नाहिं ॥ 


दो. हाथ पैर टोरत फिरै ब्यर्थ स्वास या हास ।
काम न अपनो करि सकें हर छिन रहत हताश ॥
दो.परिवारों में प्रेम हो तजो स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधे परिवारी सम्बन्ध ॥


 दो . आज कृष्ण  जन्माष्टमी का पावन त्यौहार । 
       कृष्ण कृपा भाजन बनो ध्यावत नंदकुमार ॥ 
दो. शंख चक्र कर गदा लै पद्म सुशोभित हाथ । 
     देवकि माँ सों प्रकट ह्वै राजहिंगे यदुनाथ ॥  







 दो. हुई प्रतीक्षा वर्ष भर तब आया शुभ वार ।
         मंगलमय सबके लिए दीवाली त्यौहार ॥ 

दो. सुखी होय सारा जगत सब दुःख दर्द बिसार ।
      नित नूतन बढ़ता रहे सब लोगों में प्यार ॥

आज रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर आप सभी भाई बहनों को बहुत बहुत बधाई !    
  आप सभी स्नेहिल भाई बहनों के  स्नेहभाजन  होने से आनंदित हूँ !

 दो. सदा सुखी हो बंधुओ युग युग का त्यौहार ।
      नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन का प्यार ॥

दो.  क्षण भंगुर यह जिंदगी अस्थिर जग व्यवहार।
       घटने कभी न दीजिए परिवारों में प्यार ॥

दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय । 
कहा पता अगले वरष मिलनो होय न होय ॥   

दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय । 
पता नहीं अगली सुबह मिलनो होय न होय ॥  

 दो. बच्चे तरसैं बात को घरै दिखावैं तैस । 
  औरन्ह संग हा हा हँसैं बाहर हो खुब  ऐस ॥ 

दो. आज जवानी आप  यदि रखि नहिं सके सँवारि ।
      कल वृद्धापन आइहै हँसिहैं सब दै तारि ॥


दो. सबसे मिलिए प्रेम से करो मधुर व्यवहार ।
     पता नहीं किससे कब मिलन आखिरी बार ॥


दो.अपनेपन के प्रेम में हो न स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधे अपनो के सम्बन्ध ॥ 

       
दो.  परिवारों का प्रेम सब नशा हास परिहास। 
     स्वार्थ घमंडी भाव से घर भर फिरैं उदास ॥ 


दो. मीठी बोली के बिना बिखर रहे परिवार ।
       मीठा के डिब्बे लहे बाँटत फिरैं लबार ॥ 


दो.भाई बहन के प्रेम में हो न स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधा भाई बहन सम्बन्ध ॥ 


दो.  परिवारों का प्रेम सब नशा हास परिहास। 
      पत्नीभक्ति प्रभाव से घर भर फिरैं उदास ॥ 
 दो.  महिलाओं का दोष नहिं दोषी पुरुष समाज । 
        मन पर संयम ही नहीं मथत फिरैं रतिराज ॥
दो. कामदेव को खुश करै रामदेव को योग ।
      औषधि बेचें काम की योग बहाने भोग ॥   
दो. कालगर्ल का दोष क्या कालर ब्यॉय उतान।
        सेक्सरैकटी छीनते महिलाओं का मान ॥
दो. पार्क पार्किंगों में मिलैं लिपटे चिपटे दोउ ।
      कुत्ते बिल्ली की तरह किन्तु न रोके कोउ ॥
दो. अपने मन के सेक्स को पापी बोलैं प्यार ।
      रावण को फूँकत फिरैं ऐसेन्ह को धिक्कार॥  


दो. पति पत्नी के बीच में बढ़ती रहती खाइ । 
    प्यार भरे छलकत फिरैं ताकत फिरैं लोगाइ ॥ 
दो. बच्चे दर दर भटकते जे जन करहिं तलाक । 
      ढूँढत  प्रेमी प्रेमिका ये प्यार करेंगे खाक ॥ 

दो. पति पत्नी के बीच में दिन दिन बढ़त दरार । 
      पर पत्नी के प्रेम में मारे फिरैं लबार ॥

ऐ दिल्लीनरेश ! जागो ये समय आत्मचिंतन का नहीं अपितु आत्ममंथन का है निजी स्वार्थों से ऊपर उठो !
हमारा आम आदमी पार्टी के वर्तमान एवं भूत पूर्व सभी सात्विक लोगों से निवेदन है इस विरक्त विचारधारा को बटने से बचा लीजिए !see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/04/blog-post_45.html
आमआदमीपार्टी से 'अ' अक्षर वाले अंजली ,अरविंद ,आशीष, आशुतोष आदि लोगों को लेनी होगी विदाई !-ज्योतिषseemore...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html

                हमारी माँ बहन को भी कोई गाली दे !ऐसा कोई भला आदमी क्यों चाहेगा !
     दूसरे को गाली हमेंशा वो लोग देते हैं  या फेस बुक पर लिखते हैं जिनका मन होता है कि काश ! हमारी माँ बहन को भी कोई गाली देता ! गाली देगा वही जिसके पास गालियाँ होंगी और होंगी नहीं तो देगा कहाँ से ! ऐसे लोगों की माताएँ  भी ऐसी ही होती होंगी !यह भी संभव है कि ऐसी माताओं ने इनको जन्म देने में ही संस्कारों की किस्तें पूरी न की हों या फिर गलत तरीके से की हों ! यह भी संभव है कि ऐसी माताओं के उनके अपने ही संस्कार न ठीक हों उन्हीं का परिचय दे रहे हों ये गाली देने वाले लोग !खैर !बाकी सभी अच्छे संस्कारों वाले माता पिता की संतानों से निवेदन है कि वो ऐसी माताओं को भी गाली न दें जिन्होंने गाली देने वाले इतने गंदे बच्चे पैदा किए हों !जो अपने माता पिता के कुसंस्कारों की भड़ास औरों पर निकालते फिरते हों !