Tuesday, 5 May 2015

अधिकारियों की ईमानदारी कर्मठता एवं प्रजाप्रेम पर कर्मचारियों को भरोसा होता तो क्यों होता भ्रष्टाचार !

       घूँस लेने के लिए कर्मचारियों का सहारा लेने वाले अधिकारी उन्हें उनके कर्तव्य पालन के लिए प्रेरित कैसे कर सकते हैं इसी प्रकार से घूसखोर मंत्री सांसद विधायक आदि सरकारी काम काज देखने के लिए क्यों घुसेंगे सरकारी आफिसों में ! किसी के महीने बँधे हैं किसी के हफ्ते किसी के साल बँधे हैं कर्मचारियों का काम जनता से पैसे लेना और सबका पैसा सब तक पहुँचाना है आखिर काम कौन करे ! 
ड्यूटी जनता के काम शक्ति के माध्यम घूँस      
अधिकारियों के अतीत के आधार पर ईमानदार कर्मठ एवं प्रजावत्सल अधिकारियों की खोज हो और उन्हें सौंपी जाए भ्रष्टाचार भगाने की जिम्मेदारी बाकी को बिना कोई सुविधा दिए ही चलता किया जाए
       
पुलिस महानिदेशक का यह आचरण भी खोल गया कानून की पोल !"वकालत के एग्जाम में नकल करते धरे गए पुलिस महानिदेशक-Aajtak"
       किंतु अनुमान है कि ऐसे अधिकारी के विषय में परीक्षा निरीक्षक को पता ही नहीं था कि जिन्हें वह परीक्षा केंद्र से निकाल रहे हैं वह आईपीएस अधिकारी हैं अन्यथा हो सकता है कि यह स्थिति ही न पैदा होती । यदि पुलिस अधिकारी को स्कूल में पकड़े जाने का थोड़ा भी शक होता तो शायद वो ऐसा करते ही नहीं इसका सीधा सा मतलब है हमारा कठोर कानून आजादी के इतने वर्षों बाद भी अपने अधिकारियों को ही जब अपनी कठोरता से परिचित नहीं करा सका है तो आम जनता ऐसे कानूनों की कठोरता पर भरोसा कैसे करे !ऐसी परिस्थिति में भ्रष्टाचार रोकने की उम्मीद कैसे की जा सकती है !

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