योगी डरपोक नहीं हो सकते ! पहले असली योगी होते थे जो अपनी तपस्या के प्रभाव से बता दिया करते थे कि कब आएगा भूकम्प !या अन्य प्राकृतिक आपदाएँ !
अब असली योगी ही नहीं रहे जो होंगे भी वो सामाजिक प्रपंचों से दूर कहीं तपस्या कर रहे होंगे उन वैराग्य समर्पित दिव्य साधकों की दुनियाँ ही निराली होती है वे व्यापारी नहीं हो सकते !
असली योगियों को देखकर सिंह जैसे हिंसक जीव स्वयं शिर झुका लिया करते थे सर्प बिच्छू अपना विष वमन करने लगते थे उन योगियों के चरणों में नत मस्तक होकर बड़े बड़े सम्राट अपनी सुरक्षा का आशीर्वाद माँगा करते थे जिनके आशीर्वाद में ब्रह्मांड की शक्तियाँ समाहित थीं
किंतु कलियुगी योगी दूसरों को क्या सुरक्षित करेंगे खुद इतने डरपोक होते हैं कि अपनी सुरक्षा सरकार से माँगते हैं भूकंप के वो दिव्य दृष्टा लोग होते थे उन्हें भूत भविष्य वर्तमान तीनों काल पता हुआ करते थे !किंतु भूकंपों का पता कैसे लगे !अब वो असली योगी तो रहे नहीं !
अब ठहरे कलियुगी योगी जो व्यायाम को ही योग मान बैठे हैं ऐसे कलियुगी योगियों को तो भूकंप का पता भी तब लगता है जब दीवारें हिलने लगती हैं !सिद्ध योगी आशीर्वाद से समाज की रक्षा कर लेते थे कलियुगी योगी खाने पीने वाली चीजें बाँटने लगते हैं !
अब असली योगी ही नहीं रहे जो होंगे भी वो सामाजिक प्रपंचों से दूर कहीं तपस्या कर रहे होंगे उन वैराग्य समर्पित दिव्य साधकों की दुनियाँ ही निराली होती है वे व्यापारी नहीं हो सकते !
असली योगियों को देखकर सिंह जैसे हिंसक जीव स्वयं शिर झुका लिया करते थे सर्प बिच्छू अपना विष वमन करने लगते थे उन योगियों के चरणों में नत मस्तक होकर बड़े बड़े सम्राट अपनी सुरक्षा का आशीर्वाद माँगा करते थे जिनके आशीर्वाद में ब्रह्मांड की शक्तियाँ समाहित थीं
किंतु कलियुगी योगी दूसरों को क्या सुरक्षित करेंगे खुद इतने डरपोक होते हैं कि अपनी सुरक्षा सरकार से माँगते हैं भूकंप के वो दिव्य दृष्टा लोग होते थे उन्हें भूत भविष्य वर्तमान तीनों काल पता हुआ करते थे !किंतु भूकंपों का पता कैसे लगे !अब वो असली योगी तो रहे नहीं !
अब ठहरे कलियुगी योगी जो व्यायाम को ही योग मान बैठे हैं ऐसे कलियुगी योगियों को तो भूकंप का पता भी तब लगता है जब दीवारें हिलने लगती हैं !सिद्ध योगी आशीर्वाद से समाज की रक्षा कर लेते थे कलियुगी योगी खाने पीने वाली चीजें बाँटने लगते हैं !
आज व्यायाम करने वाले लोग अपने को योगी या योग गुरु कहने लगे, तो असली योगी लोग मौन हो गए उन्हें प्रचार की क्या जरूरत !उन्हें टीवी पर बोलने की चाहत तो होती भी नहीं है ! अब कहाँ दिखाई पड़ते हैं असली योगी अर्थात योगसिद्ध लोग ? आज असली योगियों के तो दर्शन ही दुर्लभ हैं !
पहले जो भी असली योगी होते
रहे हैं उन्होंने समय समय पर समाज की बहुत मदद की है हमारी संस्कृति में ऐसे
प्रमाण मिलते हैं कि योगी लोग अपने योग बल से त्रिकाल में घटित होने वाली
घटनाओं को न केवल जान लिया करते थे अपितु उन्हें एक सीमा तक टाल सकने की
क्षमा भी रखते थे !किंतु आज असली योगी तो दिखाई नहीं पड़ते इसीलिए तपस्या और योग तो ढकोसला होता जा रहा है !
हर बाबा के चेले उसे भगवान बताने पर तुले हैं साईं बुड्ढे के चेले तो मूर्तियाँ भी लगवा रहे हैं अपने को सिद्ध आत्मज्ञानी कहने वाले कुछ लोग तो जेलों को पवित्र करते घूम रहे हैं कुछ दवा दारु के व्यापार में लगे हुए हैं किंतु ये सिद्ध प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा तो कर नहीं सकते उसके विषय की जानकारी भी नहीं दे सकते हैं तो काहे के योगी किस बात के सिद्ध !
आपने कई बाबाओं के सामने उनके चेला चेलियों को गिड़गिड़ाते देखा होगा पता नहीं किस बात से उन्हें विश्वास होता है कि हमारे गुरु जी या भगवान जी या आत्मज्ञानी जी दुनियाँ बदल सकते हैं आप स्वयं देखिए -
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