Monday, 18 May 2015

मुशर्रफ का मन जब जब गाली खाने का होता है तो वो ऐसे ही ऊट पटांग बोलना शुरू करते हैं !

मुशर्रफ को  ईश्वर सद्बुद्धि दे और वे पाकिस्तान को भारत से लड़ाना बंद करें !
   मुशर्रफ को पाकिस्तान में कोई मुख नहीं लगाता भारत के लोग गालियाँ देते हैं विश्व के लोग जिस पर भरोसा नहीं करते हैं ऐसा व्यक्ति मुशर्रफ भारत की निंदा केवल यह दिखाने के लिए करता है ताकि पाकिस्तानी लोग उसकी गलतियों के लिए उसे माफ कर दें !मुशर्रफ को छोड़कर किसी पूर्व राष्ट्रपति की इतनी दुर्दशा होती है क्या जो मुशर्रफ भोग रहे हैं मैं पाकिस्तान का हितैषी हूँ यह दिखाने के लिए भारत की निंदा करना जिसकी मजबूरी हो ऐसे मुशर्रफ को  ईश्वर सद्बुद्धि दे और वे पाकिस्तान को भारत से लड़ाना बंद करें !
      बंधुओ ! पाकिस्तान में मुशर्रफ के विरुद्ध हो रही कानूनी कार्यवाहियों से लग रहा है कि वे घबड़ा गए हैं मुशर्रफ !इसीलिए पाकिस्तानी समाज को फोकट की हमदर्दी दिखा रहे हैं कि देखो उन्होंने पाकिस्तान को कितनी बड़ी विजय दिलानी चाही थी जो…… ! किंतु क्या पाकिस्तानी जनता इस सच को नहीं जानती होगी कि करगिल युद्ध में मुशर्रफ की अगुआई में मर रहे वहाँ के सैनिक ही भारत से लड़ने में  हिम्मत हार चुके थे तब अपनी सेना को मौत के मुहाने पर खड़ा कर देने वाले मुशर्रफ अकेले कैसे लड़ लेते !ऐसी ही परिस्थिति में युद्ध विराम करवाने के लिए नवाज भेजे गए थे अमेरिका जिन्हें वहाँ के राष्ट्रपति ने भी मिलने का समय नहीं दिया था चौबीस घंटे !आखिर यह अपमान क्यों सह रहे थे नवाज ! पाकिस्तान की ये बेइज्जती किसके कारण  हो रही थी ,इस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों की हत्याओं का गुनहगार कौन था !यदि ये बातें  पाकिस्तानी बौद्धिक समाज को समझाने में भारत कभी सफल हुआ तो मुशर्रफ से घृणा करने वालों में भारतीयों से अधिक पाकिस्तानी लोग ही ही होंगे !
        

आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एवं श्री श्याम बिहारी मिश्र जी के साथ 

आचार्य डॉ.शेष नारायण  वाजपेयी

श्रद्धेय श्री रज्जू भइया जी के साथ आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

आदरणीय  डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी के साथ 

आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी                श्रीमान कुशाभाऊ ठाकरे जी के साथ आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी


श्रीमती सुषमा स्वराज जी के साथ आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी

  श्री मदनलाल खुराना जी के साथ आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी                                            




                पांचजन्य में प्रकाशित अंश 


                            
 
                   

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