आमआदमीपार्टी का नाम आमआदमीपार्टी ही क्यों रखा गया ? 'आप' पार्टी के नेताओंकी ऐसी क्या मज़बूरी थी कि उन्होंने गाड़ी बँगला सिक्योरिटी आदि न लेने की घोषणा की और बाद में सब कुछ लिया !यदि लेना था तो नाटक क्यों और नहीं लेना था तो लिया क्यों ?आदि बातों के उत्तर पाने के लिए आप पढ़ें हमारा यह लेख और समझें सच्चाई।
विषय :आम आदमी पार्टी के नेताओं के द्वारा हमारे इस लेख की कापी की गई है इस विषय में आपकी मदद हेतु !
महोदय,
मैंने नेताओं के बिलासिता पूर्ण सुख सुविधा युक्त जीवन और आमआदमी के अभावग्रस्त जीवन के बीच एक संवाद युक्त लेख अपने गूगलब्लॉग पर 31 October 2012 को लिखकर प्रकाशित किया था जिसमें तब से लेकर आज तक मेरी ओर से कोई संशोधन नहीं किया गया है ।
हमारे यह लेख प्रकाशित करने के 27 वें दिन अर्थात 26 नवम्बर 2012 को जिस आमआदमीपार्टी के निर्माण की घोषणा की गई उसकी सादगी एवं ईमानदारी पूर्ण विचार धारा के प्रचार प्रसार के लिए उपयोग की गई बिचार सामग्री का अधिकाँश भाग ब्लॉग पर प्रकाशित हमारे उस लेख से मिलने के कारण उद्धृत प्रतीत होता है !यहाँ तक कि आमआदमी पार्टी के नाम में प्रयुक्त 'आमआदमी' शब्द भी हमारे उस संवाद पूर्ण लेख का ही एक पक्ष जान पड़ता है जिसमें मात्र 'पार्टी' शब्द जोड़ दिया गया है ।
महोदय !ब्लॉग में प्रकाशित किसी लेख विशेष की सभी सामग्री का एक साथ इतनी अधिक मात्रा में मिलने को केवल संयोग नहीं माना जा सकता है मेरी जानकारी के अनुशार ये मेरे उस लेख की नक़ल किए जाने का प्रकरण है ।
मैंने उसी समय दो बार आम आदमी पार्टी नेतृत्व को पत्र भेजकर भी आपत्ति की थी कि हमारी सहमति के बिना हमारी लेखन सामग्री का उपयोग किया जाना न्यायोचित नहीं है अस्तु आप इसका उपयोग इस रूप में न करें !किंतु उस विषय में उनके द्वारा कोई परिवर्तन नहीं किया गया और पार्टी के नाम एवं पार्टी की विचार धारा को उसी रूप में प्रचारित किया जाता रहा !
सबसे बड़ी पीड़ा तब हुई जब आम आदमी पार्टी के आदर्शों के प्रचार प्रसार में उस लेख के सादगी पूर्ण विचारों का उपयोग करके चुनाव तो जीत लिया गया किंतु इसके बाद उन बिचारों पर अमल नहीं किया गया और अन्य नेताओं की तरह ही सुख सुविधापूर्ण बिलासी जीवन आम आदमी पार्टी के नेता लोग भी जीने लगे !इससे भी ये सिद्ध होता है कि इन नेताओं का सादगी से कोई लगाव नहीं था और न ही सादगी इनके संस्कारों में ही थी अपितु इनके सादगी पूर्ण उद्घोष हमारे उस लेख की नक़ल मात्र थे !
महोदय !अतएव आपसे निवेदन है कि इस सच को उद्घाटित करने एवं कानूनी न्याय दिलाने में आप हमारी मदद करें !
निवेदक -
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
मो. 9811226973
K -71,छाछी बिल्डिंग कृष्णानगर दिल्ली-51
महोदय !ये है वो लेख कृपा करके आप देख सकते हैं
Wednesday, 31 October 2012
ऐ मेरे देश के शासको! अब तो विश्वास भी टूट रहा है!
आम आदमी और नेताओं में इतनी दूरी आश्चर्य !see more... http://snvajpayee.blogspot.in/2012/10/blog-post_4683.html
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