अधिकारी कर्मचारी और नेता ही ले जाएँगे टैक्स से वसूला गया सारा धन ?
सैलरी भी बढ़ानी हैं सातवें आठवें नौवें आदि आदि जितने भी हो सकते हों उन वेतन आयोगों का वेतन भी लागू करना है अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी भी बढ़ानी है सरकारी उत्सव भी मनाने हैं झाड़ूपोछादिवस शौचालयदिवस जैसे बहुत सारे दिन दिन त्यौहार घोषित करने और मनाने हैं !जान प्रतिनिधियों के शौक शान सुख सुविधाओं सैलरी आदि के लिए धन तो जुटाना ही होगा !
किसानों से तो वैसे ही निपटा जाएगा वे जिसके लायक हैं बाकी नेता खूटों अधोकरियों कर्मचारियों को तो देना ही पड़ेगा !नहीं देंगे तो जन प्रतिनिधि सदनों की कार्यवाही नहीं चलने देंगे हुल्ल्ड मचाएँगे जिसके वो माहिर होते हैं !अधिकारीयों कर्मचारियों की सैलरी नहीं बढ़ाएँगे तो वो सरकार के द्वारा हुए गुप्त घोटाले भ्रष्टाचार आदि की छोटी बड़ी घटनाओं का पोल खोल देने की धमकी देकर हड़ताल पर बैठ जाएंगे उन्हें शाम तक मना लेगी सरकार !
किसान मजदूर गरीब ग्रामीण जैसे लोग सरकार का कुछ बिगाड़ नहीं सकते और न कोई पोल खोलने की धमकी दे सकते हैं और सदनों की कार्यवाही रोकने की तो छोड़िए देखने के विषय में भी नहीं सोच सकते हैं !बहुत ज्यादा तो आंदोलन करेंगे रेल रोड रोकेंगे सरकारों में सम्मिलित लोग चलते ही हवाई जहाज से हैं बाहन जलाएँगे बाजार बंद करेंगे उससे न सरकार का नुक्सान होगा और न ही सरकार के घर वालों का ! रही बात आत्महत्या करेंगे तो उससे सरकार का क्या बिगड़ेगा उसके लिए रोवें उसके घर वाले सरकार क्यों मनाने जाए !बल्कि इससे तो सरकार को क्रेडिट मिलेगा कि इनके कार्यकाल में जनसंख्या में विशेष बढ़ोत्तरी नहीं हुई !इसलिए ऐसे गरीब लोगों के आंदोलनों आत्महत्याओं की चिंता क्यों करनी ?
देश का ऐसा कानून ऐसे नियम जिन्होंने आपस में लड़ाने के अलावा कुछ किया ही नहीं है !ऐसे अधिकारी और शासक जिन्होंने केवल अपराधी ही तैयार किए हैं जिसने उन्हें घूस दी उन्हें अपराध करने का अघोषित अधिकार दे दिया गया !इससे अधिकारी कर्मचारी जनप्रतिनिधि मालामाल होते चले गए !सरकार इस बात की गारंटी आज भी नहीं दे सकती है कि किसी विभाग में बिना घूस दिए कोई काम हो जाएगा |
संविधान संविधान रटने वाले शासकों को चुनौती है कि उन गरीब गरीब घरों में पैदा होने वाले नेताओं के द्वारा अरबों खरबों की इकट्ठी की गई सम्पत्तियों के स्रोत ईमानदारी से सार्वजनिक करें !सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की सम्पत्तियों की जाँच करें नौकरी लगते समय कितने करोड़ के थे आज कितने करोड़ के हैं उन्हें मिलने वाली सैलरी से उनकी सम्पत्तियों का कोई मेल खाता है क्या ?
खैर , अब देखना है कि GST से आम जनता को कोई मदद मिलती है क्या ?या फिर केवल फंड जुटाने के लिए ही किया जा रहा है सब कुछ !
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