सरकार अपनों को अनुदान देने के लिए योजनाएँ बनाती है या जनता की भलाई के लिए योजनाएँ बनाकर अनुदान देती है !'अपर्णागोशाला' नेताओं के संपत्ति स्रोतों को समझने के लिए काफी है !
अक्सर जिन्हें अनुदान दिया जाना होता है अनुदान की घोषणा होने से पहले ही वो
प्रक्रिया पूरी कर चुके होते हैं जनता को पता लगते लगते तो अखवारों में भी
निकाल दिया जाता है कि इतने लाख लोगों ने उठाया अनुदान का लाभ !अखवार पढ़कर
जनता मन मसोस कर रह जाती है !गोशाला ,हो या संस्कृत का प्रचार प्रसार या
कुछ और !
हर पार्टी के नेता अपने अपने कार्यकर्ताओं नाते
रिश्तेदारों घर खानदान वालों को ऐसे ही रईस बनाते हैं नेताओं और उनके नाते
रिश्तेदारों की सम्पत्तियों की ईमानदारी से जाँच हो जाए तो पता लगेगा कि
देश के विकास के लिए जनता से वसूला गया टैक्स का पैसा वास्तव में जाता कहाँ
है और विकास कार्य दिखाई क्यों नहीं पड़ते !योजनाओं शिलान्यासों उद्घाटनों
से अखवार पटे रहते हैं किंतु ये विकास कार्य होता किस लोक में है ये किसी
को नहीं पता !राजनीति के धोखे बाज !विकास कार्यों को प्रतिशत में बताते हैं
कि इतने प्रतिशत काम हो गया है ताकि जो कहे हमारे यहाँ तो नहीं हुआ तो बोल
देंगे आप बचे हुए प्रतिशत में पड़ते हैं क्या अंधेर गर्दी चल रही है देश
में जनता जिस दिन ऐसी लूट के विरुद्ध कड़ी हो जाएगी उस दिन लोकतंत्र बच
पाएगा क्या !इसके लिए केवल सरकारें और सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की भ्रष्ट कामचोर गैर जिम्मेदार एवं धोखाधड़ी पूर्ण गलत नीतियां ही होंगी !
अपर्णा यादव को ही देखिए समझ में ही नहीं आता है कि - 'गोशाला के लिए अनुदान या अनुदान के लिए गोशाला '?
मैंने सुना है कि नेता श्री मुलायम सिंह जी का बचपन अत्यंत सामान्य था और वे शिक्षक थे !इसके बाद नेता जी कब करोड़ोंपति बन गए होंगे और किस प्रयास से बने होंगे ये शायद उन्हें भी नहीं पता होगा !उन्होंने कभी कोई व्यापार किया हो ऐसा दिखाई सुनाई नहीं पड़ा पैतृक संपत्ति कोई बहुत भारी भरकम रही हो
ऐसा भी पता नहीं लगा ये जरूर सुना गया कि पहले पैसे नहीं होते थे तो सभा स्थल पर चद्दर बिछाकर चंदा किया जाता था उससे जीप में पेट्रोल भराया जाया करता था !उसके बाद सम्पत्तियों के स्रोत की और तो को जानकारी जनता को मिली नहीं किंतु संपत्तियाँ अकूत हो गई हैं कैसे ?अनुदान लेने के लिए बनाई गई अपर्णा गोशाला नेताओं के संपत्ति स्रोतों के विषय में बहुत कुछ कहती है !
मैंने एकबार पढ़ा कि परिवार की किसी सगाई में दो करोड़ पानी का बिल तो शादी का खर्च कितना रहा होगा खैर कैसे हुआ ये चमत्कार शायद योगी जी का ध्यान इधर भी जाए क्योंकि नेता जी आजकल कानाफूसी करते बहुत दिख रहे हैं लालू जी की तरह कुछ न हो इसलिए बड़ा फूँक फूँक कर कदम रख रहे हैं पार्टी चली गई फिर भी राष्ट्रपति चुनावों में NDA का समर्थन !और UPA चमकेगी तो सँभालेंगे अध्यक्ष जी मोर्चा !इसे कहते हैं राजनीति !वाह !!
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