"शिवराज बने ‘नायक’:कलेक्टरों को उल्टा टाँगने का ऐलान"seemore.....http://navbharattimes.indiatimes.com/state/madhya-pradesh/bhopal/indore/shivraj-warns-collectores-with-dire-consequences/articleshow/59727384.cms
वैसे भी CM मुख्यमंत्री बनने के बाद 12 वर्ष तक इस सच्चाई को समझ पाने में जो असफल बना रहा हो कि अधिकारी कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं और अपनी कमजोरी अब याद आ रही हो ऐसे मुख्यमंत्री को ही गैर जिम्मेदार क्यों न माना जाए और उसका ये बयान दिखावटी क्यों न माना जाए !
मुख्यमंत्री जी !माना कि उतने वोट काम करके नहीं मिलते हैं जितने दूसरों को बदनाम करने से मिलते हैं किंतु इतने लंबे समय से सत्ता में आप हैं तो विपक्षियों की निंदा आप करेंगे किस मुख से और जनता सुनेगी ही क्यों ?इसलिए विपक्षी नेताओं की जगह अपने ही अधिकारियों पर निशाना साध लिया !ये बिल्कुल नया प्रयोग है ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करे !
मुख्यमंत्री जी !ये सरकारी काम काज का ढंग ही है जिसके लिए अकेले वे कैसे दोषी हो गए !वैसे भी CM मुख्यमंत्री बनने के बाद 12 वर्ष तक इस सच्चाई को समझ पाने में जो असफल बना रहा हो कि अधिकारी कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं और अपनी कमजोरी अब याद आ रही हो ऐसे मुख्यमंत्री को ही गैर जिम्मेदार क्यों न माना जाए और उसका ये बयान दिखावटी क्यों न माना जाए !
अरे शिवराज सिंह जी ! अब तो देश का बच्चा मानता है कि जिस काम के लिए जो अधिकारी रखे गए हैं वो काम इसलिए नहीं होता है कि काम के स्थानों पर आराम के इंतजाम सरकार ने इतने अधिक करवा रखे हैं कि आफिस पहुँचते ही नींद आने लग जाती है|संतरी कह देता है कि साहब मीटिंग में हैं !जनता उनसे कुछ पूछने की हैसियत नहीं रखती और सरकार के पास इतना पता करने का न समय है न जरूरत !इसलिए सरकारी कार्यालय आजादी से आजतक सोते चले आ रहे हैं !कर्मचारियों की सैलरी पेंसन सरकार खाते में पहुँचाती जा रही है |सरकार का निगरानी तंत्र इतना नाकाम है कि जो बिल्कुल काम न करे उसकी भी शिकायत सरकार तक कैसे पहुँच पाएगी और कौन पहुँचा पाएगा !
जिस कम्प्लेन की जाँच करने कर्मचारी जाते हैं वहाँ जो जो घूस देता है वो निर्दोष होता है और जो नहीं देता है सारा दोष उसी के मत्थे मढ़कर उसी के विरुद्ध भेज देते हैं रिपोर्ट !
रही बात सरकारों में उच्च पदों पर बैठे नेता लोग उन्हें केवल दो जिम्मेदारी सँभालनी होती हैं पहली मीडिया में कुछ अच्छा बोलने के लिए जिससे जनता का ध्यान भटकाया जा सके तो दूसरा गरीबों की भलाई करने के लिए हो हल्ला मचाया जा सके क्योंकि वोट काम करके नहीं अपितु दूसरों को बदनाम करके आसानी से लिया जा सकता है | जनता की आँखों में धूल झोंककर ही लेना होता है वोट !उसके प्रयास में संपूर्ण समय लगे रहते हैं नेता लोग !
आजादी के बाद आजतक सरकार के नाम पर ऐसे ही खेल खेले जा रहे हैं !काम के लिए जनता पार्षद के पास जाती है विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री तक सबके पास जाती है जो मिलता है उससे मिल लेती है जो नहीं मिलता है वहाँ से लौट आती है !जनता के काम करने के लिए अधिकारी कर्मचारी स्वतंत्र होते हैं वो काम करें न करें !जनता का दबाव वो क्यों मानेंगे आखिर अधिकारी हैं जनता की क्या औकात जो उन पर दबाव डाले और सरकार दबाव डालेगी क्यों ?उसका अपना तो कोई काम रुकता नहीं है | वैसे भी सरकार की नैया डुबाने तारने वाले वही होते हैं |
आजादी के बाद आजतक सरकार के नाम पर ऐसे ही खेल खेले जा रहे हैं !काम के लिए जनता पार्षद के पास जाती है विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री तक सबके पास जाती है जो मिलता है उससे मिल लेती है जो नहीं मिलता है वहाँ से लौट आती है !जनता के काम करने के लिए अधिकारी कर्मचारी स्वतंत्र होते हैं वो काम करें न करें !जनता का दबाव वो क्यों मानेंगे आखिर अधिकारी हैं जनता की क्या औकात जो उन पर दबाव डाले और सरकार दबाव डालेगी क्यों ?उसका अपना तो कोई काम रुकता नहीं है | वैसे भी सरकार की नैया डुबाने तारने वाले वही होते हैं |
आजादी के बाद आजतक इसी गैरजिम्मेदारी के साथ घसीटा जा रहा है लोकतंत्र किसी विभाग में कोई जिम्मेदारी समझता ही नहीं है | सरकार तो सरकार है सरकार जनता के कामों से सरोकार रखे तो सरकार किस बात की !इतनी संवेदनशील बात जिस पार्टी के मुख्यमंत्री को 12 वर्षों बाद समझ में आई कि अधिकारी काम नहीं करते हैं उस पार्टी के प्रधानमंत्री को देखो ये बात कब समझ में आती है जो तरह तरह की घोषणाएँ तो किया करते हैं योजनाएँ बना बना कर परोसा करते हैं किंतु उनकी बात उनके अधिकारी कर्मचारी मानते कितनी हैं इस सच को तो केवल जनता समझती है जिसे हमेंशा फेस करना पड़ता है ! वो यदि अपनी पीड़ा बताना भी चाहे तो बोलने बताने के लिए माध्यम बहुत हैं किंतु शिकायत कहीं भी भेजो तो न कार्यवाही होती है और न ही जवाब आता है | न जाने सरकार कहाँ रहती है और कितनी जागरूकता से काम कर रही है जो जिनके लिए काम कर रही है उन्हें ही बताना पड़ रहा है कि हम काम कर रहे हैं |
सुना है कि सोशल साइटों में तो केवल सरकार एवं सरकार में बैठे लोगों की निंदा करने संबंधी बातों पर ही ध्यान दिया जाता है उन्हीं का संग्रह किया जाता है और उन्हीं पर कार्यवाही की जाती है तब से मैंने भी लेटर लिखने बंद कर दिए पहले तो मैं भी लिखा करता था किंतु सच्चाई समझने के बाद मन ही नहीं हुआ लिखने का | रही बात जनता की तो जनता बेचारी तो बनी ही भटकने के लिए है भटका करती है सरकार के इस द्वार से उस द्वार तक शायद कहीं उसकी भी आवाज सुन ली जाए किंतु जनता को जीवित मानने वाले हैं कितने नेता अधिकारी कर्मचारी लोग !!
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