सरकार के कानों तक ये सच्चाई कैसे पहुँचे ?कि देश में जितने प्रकार के गलत काम किए जाते हैं उन सबसे अकूत संपत्तियाँ बनाते हैं आपके अपने सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग !जिन्हें अनाप सनाप सैलरी देते हैं आप उसका इंतजाम करने के लिए टैक्स वसूलने की तरह तरह से जुगत भिड़ाया करते हैं आप !और वो ये करते हैं ये सरकार की कमजोरी गैर जिम्मेदारी और पक्षपात नहीं तो क्या है !
सभी प्रकार के अवैध कब्जे हों या काम काज सबसे अवैध वसूली करके करोडो अरबोपति बन जाते हैं सरकारी लोग !सरकार दिखावा करने के लिए समाज में खोजते घूमती है भ्रष्टाचारी और अपराधी जो किसी तरह कमा कर अपने परिवार का पोषण करते हैं !साहस है तो सरकारी कर्मचारियों की संपत्तियाँ जाँचे नौकरी लगी थी तब क्या थे और आज क्या हो गए ये आया कहाँ से और सैलरी कितनी मिलती है !सारे पापों की जड़ मिलेगी यहाँ !
हे सरकारों के मालिको !सारा गैर कानूनी काम काज करने के मोटे पैसे लेते हैं आपके लाडले !ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए जनता से कहते हैं हमारे यहाँ शिकायत करो फिर हम कार्यवाही करेंगे !यदि वो कर देते हैं तोअवैध वालों से शिकायत कर्ता पर हमले करवाते हैं ये और उधर नोटिश देकर स्टे दिला देते हैं अवैध काम करने वालों को !इसके बाद केस की खुद पैरवी नहीं करते जनता कुछ कर नहीं सकती और वो स्टे बढ़वाए जाते हैं सरकार के दुलारे उनसे पैसे खाते रहते हैं जब कोई पूछता है केस का क्या हुआ तो कह देते हैं स्टे चल रहा है स्टे का नाम सुनकर और कोई हाथ नहीं लगाता है उनसे पूछो कि ये स्टे चलेगा कब तक और क्यों बढ़ता जा रहा है आगे तो बताते हैं जज बहुत खाऊ है मोटी घूस ले रखी है उससे !ऐसा कहकर न्यायाधीशों और न्यायालयों की गरिमा घटती रहती है सरकारी भष्ट मशीनरी !ऐसे लोगों के विरुद्ध सर्कार ने कभी कोई गहन जाँच अभियान चलाया नहीं तो देश से अपराध घटें कैसे !अपराधियों पर नकेल कसने वाले कानून बनने से पहले उनसे बचने के रास्ते अपराधियों को बता चुके होते हैं भ्रष्ट कर्मचारी लोग !वो समाज से अधिक अपराधियों के प्रति समर्पित होते हैं !
सरकार भी वेतन बढाती रहती है कुल मिलाकर सबकी मिली भगत से बर्बाद हो रहा है देश और समाज ! सिफारिशी लेटर दे दे कर जनता का समय बर्बाद करते रहते हैं ऐसे जनप्रतिनिधि नेता लोग !जो सिफारिस करें और अधिकारी सुनें न तो अपनी प्रतिष्ठा के लिए मर मिटना चाहिए उन्हें किंतु राजनीति में गए हुए प्रायःबहुत लोगों से ऐसी आशा नहीं की जा सकती !जनता तो सह कर अपने दिन काट ही लेगी किंतु नेताओं की बातों योजनाओं आश्वासनों पर से उठता विश्वास लोकतंत्र के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है !
जिन विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ काम के लिए जनता सुबह से लाइन लगा देती है वो भी कहते हैं हमारी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है!ये नहीं सोचते कि कर्मचारी काम ही करते होते तो जनता उनके पास क्यों जाती सिफारिस के लिए !वैसे भी अपनी अपनी औकात हर किसी को पता होनी ही चाहिए !ये तो जनप्रतिनिधियों को भी अब मान ही लेना चाहिए कि उनके दो कौड़ी के लेटरों से अधिकारी कर्मचारी काम करने लगेंगे क्या ?उनसे काम लेने की अकाल उन्हें खुद सीखनी पड़ेगी किन्तु वे तो हमेंशा इस गलत फहमी में बने रहते हैं कि हमारे ऊपर विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों जैसा लेवल लग गया तो हम वैसे ही हो गए किंतु महापुरुषों ने बहुत पहले कहा था कि व्यक्ति अपने कर्मों से महान बनता है कर्म से अभिप्राय का मतलब ये नहीं कि कुकर्मों से भी कोई महान बनता है अपितु सुकर्मों से महान बनने की बात कही है महापुरुषों ने !किंतु
सुकर्म करना जिनके वश का नहीं है वे कुकर्मों के बल पर ही फूला करते हैं वर्तमान राजनीति में ऐसे लोगों की भरमार है !
अधिकारी कर्मचारी लोग नेताओं के कहने से काम इसलिए नहीं करते हैं वो इनकी हकीकत और औकात दोनों जानते हैं कि ये सस्पेंड भी कर देंगे तो कानून की शरण में जाकर बहाल हो जाऊँगा !तब तक सस्पेंड करने वाला नेता चुनाव हारकर दो कौड़ी का नहीं बचेगा !इसलिए थोड़े दिन सर सर करते रहो काम करो न करो कुछ ऐसा मत बोलो जिससे कोर्ट में काम चोरी घूस खोरी का प्रमाण प्रस्तुत किया जा सके !
सरकारी मशीनरी की सोच रहती है कि नेता प्रायःकानून न पढ़े होते हैं न कुछ इसलिए इन्हें आसानी से डराया धमकाया जा सकता है एक सिफारिशी चिट्ठी पढ़कर किसी अधिकारी ने मंत्री को जहाँ समझाया कि की पता है यदि मैं ऐसा कर दूँ तो आपको जेल हो सकती हैं आजीवन कारावास तक होने की सम्भावना है आदि आदि ऐसी ऐसी भयंकर सजाएं गिनाते हैं कि नेता तुरंत उनसे समझौते के मोड़ पर आ जाता है बेचारा सारी मंत्री गिरी भूल चुका होता है और उससे कह देता है कि मेरी सिफारिशी चिट्ठी आवें तो फाड़ फाड़ कर कूड़ादान में फेंकते रहना लिखनी तो पड़ेंगी लोग तो आएँगे ही !यही कारण है सरकारी आफिसों में काम होता हो न होता हो किंतु मंत्रियों आदि की फाड़ कर फेंकी गई चिट्ठियों से शाम को डस्टबीन जरूर भर जाता है !अधिकारियो कर्मचारियों से प्रायः कम पढ़े लिखे नेता लोग आसानी से बेवकूप बन जाते हैं !
शिक्षा में अपने से जूनियर नेताओं को निठल्ला समझने वाली सरकारी मशीनरी का सोचना होता है कि सामने सर सर कह देते हैं तो इनके इतने भाव बढ़ जाते हैं कि ये अपने को हमसे बड़ा समझने लगे !बस इतनी सी गलत फहमी में नेतालोग योजनाएँ बना बनाकर घोषणाएँ करने लगे फोकट में आश्वासन दे देकर जनता को आशा में मारे डाल रहे हैं!अक्सर घरेलू खर्चों का हिसाब लगाने की योग्यता न रखने वाले लोग हजारों करोड़ की सरकारी योजनाओं का नाम सुनते ही भाग खड़े होते हैं इसीलिए तो भ्रष्टाचारी नेताओं के यहाँ जब छापे पड़ते हैं तो वही गईं कर बतात हैं कि तुम्हारे पास इतने पैसे निकले हैं तो वो सोच लेते हैं कि चलो छापा पड़ा तो पड़ा हमारे घर वालों को कम कम ये तो पता लगा कि मैं निकम्मा नहीं था मैंने भी कमाई की थी किन्तु अब भाग्य ने ही साथ नहीं दिया उसके लिए कोई क्या करे !
कुल मिलाकर जनप्रतिनिधि नेताओं को अब इस सच्चाई को स्वीकार करके चुप बैठ जाना चाहिए कि उनके बश का नहीं ही किसी काम काम करवाना और अधिकारियों कर्मचारियों पर अंकुश लगाने की उनकी मानसिक हैसियत नहीं है !
सरकारी मशीनरी जब जिनकी औकात दो कौड़ी भी नहीं समझती है उन्हें सिफारिशी लेटर लिख लिख कर जनता का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए जनता ने वोट देकर कोई गुनाह नहीं किया है जो चैन से जीने की व्यवस्था तो दे ही नहीं पाते हैं और शांति से मरने भी नहीं दे रहे हैं !
अधिकारियों कर्मचारियों को पता होता है कि ये तो चार दिन के लिए मंत्री विधायक सांसद आदि हैं फिर कौन पूछेगा इन्हें !हम तो हमेंशा के लिए हैं !ये तो अभी कल तक धक्के खाते यहीं घूमते रहे आज आए हमें आदेश देने !
स्वाभाविक भी है जिसने किसी को कभी भीख माँगते देखा हो उसके दिमाग में तो हमेंशा वही छवि बनी रहेगी वो अपना स्वभाव कैसे और कितना बदल लेगा !
अधिकारी कर्मचारी काम ही करते तो जनता नेताओं के यहाँ चक्कर क्यों लगाती सिफारिस के लिए !