Friday, 13 February 2015

अन्ना हजारे जी के चेले जिन नेताओं के निम्न आचरणों की निंदा किया करते थे वही करते खुद घूम रहे हैं आज ! बारे स्वराज !

  राजनीति के बीहड़ों में सत्ता के दस्यु सरगना लोग स्थापित सरकारों के विरुद्ध दुष्प्रचार कर कर के लूट लेते हैं सरकारें ! और फिर वही काम खुद करने लगते हैं तथा  उन्हीं नेताओं के गले मिलते आज फूले नहीं समाते हैं !हे अन्ना जी !राजनीति में इतना गिर जाते हैं लोग !

     अन्ना हजारे जी के चेले आज उन्हीं नेताओं  के गले मिलते फूले नहीं समा रहे हैं जिनकी  कभी निंदा किया करते थे जिन्हें भ्रष्ट, बेईमान, लुटेरे , घोटालेबाज आदि बताया करते थे आज उन्हीं के गले मिलते हाथ मिलाते पैर छूते घूम रहे हैं उसी तरह के आरोप प्रत्यारोप गाली गलौच कलह कुटिलता पदलोलुपता आदि सब कुछ बिलकुल वैसा ही !कैसी कैसी बातें करके कितना गिर जाते हैं लोग ! 

  यदि आम आदमी पार्टी का सर्वस्व आमआदमी है तो  आदमियों पर ही गर्व क्यों नहीं करना चाहिए  ! वहाँ जाकर गले मिलना हाथ मिलाना निमंत्रण देना क्यों जरूरी है ! क्यों दौड़े घूम रहें हैं उन नेताओं के पास जिन नेताओं को भ्रष्ट,  बेईमान ,लुटेरे आदि क्या कुछ नहीं कहा करते रहे हैं !

   चूँकि ऐसा पहले भी बहुतों ने किया है दूसरों की निंदा केवल चुनाव जीतने के लिए  की जाती रही है और चुनाव जीतते ही आपस में सभी नए और पुराने नेता घुलमिल जाते रहे हैं इन्हें गले लगते या मुस्करा मुस्कराकर बातें करते पहले भी जनता देखती रही है इस प्रकार की कृत्रिम राजनीति !इसीलिए  जनता ने पूर्ण बहुमत देना प्रारम्भ कर दिया है ताकि उसे मजबूत  सरकार मिले मजबूर नहीं !

   जनता आज चाहती है कि जिन नेताओं को बुरा कहा गया है उनसे वास्तव में दूरी बनाकर चला जाए !और या फिर आरोप लगाते समय कुछ संयम बरता जाता !  कुल मिलाकर वास्तव में नेता यदि इतने ही भ्रष्ट हैं तो उनका बहिष्कार क्यों नहीं करते हैं !जनता ने 'आप'के राजनेताओंं को कहे गए इन्हीं अपशब्दों पर प्रभावित होकर बहुमत दिया है क्योंकि वर्तमान राजनीति और राजनेताओं के भ्रष्टाचारी आचरणों से जनता बहुत तंग है ये सच है किन्तु केवल वोट लेने के लिए उन्हें बेईमान,चोर भ्रष्ट आदि कहना और बाद में उन्हीं से गले मिलना हाथ मिलाना शपथ ग्रहण समारोह में आने के लिए आमंत्रित करने उन्हीं के दरवाजों पर भटकना ये जनता को क्यों पसंद आएगा ?माना कि कुछ संवैधानिक मजबूरियाँ हैं तो उतना ही तालमेल रखना ठीक है किन्तु अधिक नहीं !

    जिन नेताओं और पार्टियों को विश्व में चोर,बेईमान और भ्रष्ट आदि कहकर मीडिया के सामने बदनाम किया जाता रहा है !यदि वो नेता इन आपियों का साथ किसी भी स्तर पर देते हैं तो इसका सीधा सा अर्थ है कि उन पर आप नेताओं के द्वारा लगाए जाते रहे  आरोप सच हैं ऐसा उन्होंने स्वीकार कर लिया है !सीधी सी बात है कि -

     'मौनं स्वीकार लक्षणं '

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