धर्म के आधार पर महिलाओं का अपमान और उत्पीड़न करने की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती !
सेवा और संस्कार, हमारा देश एक परिवार !
सेवा और संस्कार, हमारा देश एक परिवार !
सभी को करना है सत्कर्म,यही है सबसे पावन धर्म !!
महिलाओं का सम्मान इस सरकार में इस प्रकार का पहली बार देखा जा रहा है जब महिलाओं के सम्मान के लिए मालिओं पर अत्याचार करने वालों के विरुद्ध इतना बड़ा अभियान छेड़ा जा रहा हो !"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता " अर्थात नारियों की पूजा जिस देश में होती है वहीँ देवता रमण करते हैं ऐसी पवित्र संस्कृति वाले देश में "तीनतलाक" जैसी अनैतिक परम्पराओं का क्या औचित्य !इसे महिलाओं का उत्पीड़न नहीं तो क्या कहा जाए ऐसे विषयों पर अब विचार किया जा रहा है जिसका सम्प्रदाय आदि से कोई लेना देना नहीं है ये तो भरतीय संस्कृति के अनुरूप भी है !
यदि इसे ऐसा न माना जाए तो बलात्कारी लोग यदि अपने धर्म का हवाला देकर बलात्कार की अनुमति चाहें तो उन्हें कैसे दी जा सकती है !इसलिए अपने अपने धर्म संस्कृति का पालन सभी लोग करें इसमें किसी को क्या आपत्ति किंतु राष्ट्रधर्म और राष्ट्रिय संस्कृति का सम्मान सभी को समान रूप से करनी चाहिए !इस सरकार में पहली बार ये सब कुछ देखने सुनने को मिल रहा है जो देश के लिए गौरव की बात है !ये देश में चल रही संघ के संस्कारों के प्रति समर्पित सरकारों में ही देखने को मिलता है जो समाज और राष्ट्र केहित में है
महिलाओं का सम्मान इस सरकार में इस प्रकार का पहली बार देखा जा रहा है जब महिलाओं के सम्मान के लिए मालिओं पर अत्याचार करने वालों के विरुद्ध इतना बड़ा अभियान छेड़ा जा रहा हो !"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता " अर्थात नारियों की पूजा जिस देश में होती है वहीँ देवता रमण करते हैं ऐसी पवित्र संस्कृति वाले देश में "तीनतलाक" जैसी अनैतिक परम्पराओं का क्या औचित्य !इसे महिलाओं का उत्पीड़न नहीं तो क्या कहा जाए ऐसे विषयों पर अब विचार किया जा रहा है जिसका सम्प्रदाय आदि से कोई लेना देना नहीं है ये तो भरतीय संस्कृति के अनुरूप भी है !
यदि इसे ऐसा न माना जाए तो बलात्कारी लोग यदि अपने धर्म का हवाला देकर बलात्कार की अनुमति चाहें तो उन्हें कैसे दी जा सकती है !इसलिए अपने अपने धर्म संस्कृति का पालन सभी लोग करें इसमें किसी को क्या आपत्ति किंतु राष्ट्रधर्म और राष्ट्रिय संस्कृति का सम्मान सभी को समान रूप से करनी चाहिए !इस सरकार में पहली बार ये सब कुछ देखने सुनने को मिल रहा है जो देश के लिए गौरव की बात है !ये देश में चल रही संघ के संस्कारों के प्रति समर्पित सरकारों में ही देखने को मिलता है जो समाज और राष्ट्र केहित में है
गायों की रक्षा जैसे विषयों की आलोचना क्यों होनी चाहिए ?इस देश में "सर्वे भवंतु सुखिनः" की संस्कृति है सभी के साथ गायों की सुरक्षा भी हो तो क्या आपत्ति !रही बात धर्म के आधार पर गायों को मानने न मानने की तो हम किसी को मानें या न मानें किंतु किसी का अपमान करना या उसे मारना अपनी संस्कृति का अंश तो नहीं है किन्तु यदि कुछ लोग धर्म के आधार पर गायों को मारने में परहेज नहीं करते हैं तो ये उनके अपने धर्म की समस्या है किन्तु उनकी इस निजी समस्या के लिए गायों को क्यों मार दिया जाए !
संघ की विचारधारा से जुड़े लोग देश के उत्थान के विषय में सोचते हैं देशवासियों के आपसी संबंधों को मधुर बनाने के लिए प्रयास करते हैं टूटते परिवारों एवं विखरते समाज को जोड़कर रखने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं !गरीबों से अमीरों तक तक ग्रामीणों से लेकर शहरियों तक स्त्रियों से लेकर पुरुषों तक सभी जातियों सम्प्रदायों की पीड़ा परेशानी को मिटाने के लिए प्रयत्नशील है संघ !देश का सम्मान स्वाभिमान बनाने बचाने एवं बढ़ाने के लिए लगातार लगा है संघ ! देश के धार्मिक प्रतीकों परम्पराओं मर्यादाओं के प्रति समर्पित है संघ !
इसीलिए संघ की परम्पराओं नीतियों आदर्शों को मानने वाली सरकारों के कार्यकाल के समय नेताओं की बोली भाषा अचार व्यवहार एवं सरकारी योजनाओं में भारतीय संस्कृति झलकते देखी जा सकती है !इसे कोई भगवाकरण कहे या साम्प्रदायिकता कहे किन्तु भारतीय संस्कृति का सम्मान करने को साम्प्रदायिकता या तुष्टिकरण की राजनीति कैसे कहा जा सकता है !क्या ये सच्चाई नहीं है कि आजादी के इतने दिनों बाद तक भारत को भारतीय दृष्टि से देखने समझने में शर्म समझी गई !वर्तमान समय में देश के प्रधान मंत्री जी अक्सर भातीय त्योहारों के हास उल्लास आनंद आदि की चर्चा करते देखे जाते हैं आखिर पहले क्यों ऐसा नहीं होता था !भारतीय संस्कृति से सम्बद्ध त्योहारों की केवल बधाई दे दी जाती थी बस !गायों की सेवा सुरक्षा आदि पर जो ध्यान आज दिया जाता है गंगा निर्मलीकरण हो या अन्य धार्मिक प्रतीकों का प्रोत्साहन वर्तमानसरकार की तरह पिछली सरकारों में देखने को क्यों नहीं मिला !योग आयुर्वेद जैसे विषयों को इस रूप में ऐसा प्रोत्साहन तो पहले कभी नहीं देखा गया क्यों ?
संघ की विचारधारा से जुड़े लोग देश के उत्थान के विषय में सोचते हैं देशवासियों के आपसी संबंधों को मधुर बनाने के लिए प्रयास करते हैं टूटते परिवारों एवं विखरते समाज को जोड़कर रखने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं !गरीबों से अमीरों तक तक ग्रामीणों से लेकर शहरियों तक स्त्रियों से लेकर पुरुषों तक सभी जातियों सम्प्रदायों की पीड़ा परेशानी को मिटाने के लिए प्रयत्नशील है संघ !देश का सम्मान स्वाभिमान बनाने बचाने एवं बढ़ाने के लिए लगातार लगा है संघ ! देश के धार्मिक प्रतीकों परम्पराओं मर्यादाओं के प्रति समर्पित है संघ !
इसीलिए संघ की परम्पराओं नीतियों आदर्शों को मानने वाली सरकारों के कार्यकाल के समय नेताओं की बोली भाषा अचार व्यवहार एवं सरकारी योजनाओं में भारतीय संस्कृति झलकते देखी जा सकती है !इसे कोई भगवाकरण कहे या साम्प्रदायिकता कहे किन्तु भारतीय संस्कृति का सम्मान करने को साम्प्रदायिकता या तुष्टिकरण की राजनीति कैसे कहा जा सकता है !क्या ये सच्चाई नहीं है कि आजादी के इतने दिनों बाद तक भारत को भारतीय दृष्टि से देखने समझने में शर्म समझी गई !वर्तमान समय में देश के प्रधान मंत्री जी अक्सर भातीय त्योहारों के हास उल्लास आनंद आदि की चर्चा करते देखे जाते हैं आखिर पहले क्यों ऐसा नहीं होता था !भारतीय संस्कृति से सम्बद्ध त्योहारों की केवल बधाई दे दी जाती थी बस !गायों की सेवा सुरक्षा आदि पर जो ध्यान आज दिया जाता है गंगा निर्मलीकरण हो या अन्य धार्मिक प्रतीकों का प्रोत्साहन वर्तमानसरकार की तरह पिछली सरकारों में देखने को क्यों नहीं मिला !योग आयुर्वेद जैसे विषयों को इस रूप में ऐसा प्रोत्साहन तो पहले कभी नहीं देखा गया क्यों ?