संपत्तियों का ब्योरा नहीं, तो IAS अफसर को प्रोन्नति नहीं see more.... https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/mumbai/other-news/ias-officer-not-promoting-property-details/articleshow/62257128.cms
किंतु सरकार को अधिकारियों की ईमानदारी पर यदि शक नहीं है तो सरकार उनसे सम्पत्तियों का ब्यौरा माँगती ही क्यों है और यदि शक है तो IAS अधिकारियों की सम्पत्तियों की सघन जाँच करे !लीपापोती क्यों कर रही है सरकार !इनके भ्रष्टाचार में सम्मिलित होने से सिद्ध होता है कि सरकार ही भ्रष्टाचार में सम्मिलित है क्योंकि घूस का पैसा यदि ऊपर तक न जाए तो सरकार में सम्मिलित नेता लोग अधिकारी बेचारों को घूस लेने ही क्यों देंगे !चूँकि सरकार का हर विभाग अपने अपने दायित्व का निर्वाह ईमानदारी पूर्वक नहीं कर रहा है अतिक्रमण से लेकर सभी प्रकार के अपराधों के लिए IAS अधिकारियों के अलावा दूसरा और जिम्मेदार हो ही कौन सकता है वो अपराध रोकना ही चाहें तो अपराधियों में न इतनी दम है और न इतनी योग्यता शिक्षा आदि ही कि वो ईमानदार और कर्मठ अधिकारियों को चकमा दे जाएँ !जो अधिकारी शक्त हैं वहाँ आज भी सतयुग है उन्होंने अपनी योग्यता कार्यक्षमता के बलपर अभी भी ईमानदारी और कानून का राज स्थापित कर रखा है!किंतु जिनकी नियत में ही खोट हो उन्हें ईमानदारी से कुछ मिलता नहीं हैं और घूस खोरी से संपत्तियाँ इकट्ठी करते चले जाते हैं !
सरकार चाहे तो ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ कार उनकी संपत्तियाँ जप्त करके उन्हें न केवल नकारी से बहार निकले अपितु उनके भ्रष्टाचार लापरवाही आदि से जो काम बिगड़े या लेट हुए हैं या उनकी अपराधियों के साथ साँठ गाँठ होने से जिनके जो काम बिगड़े हैं उन्हें उसका मुआबजा दिया जाना चाहिए साथ ही अधिकरियों से यह पेनाल्टी वसूली जानी चाहिए !
सरकार यदि ईमानदारी बरतना चाहे तो भ्रष्टाचार करने वालों को पकड़ने के लिए जब जिस अधिकारी की नौकरी लगी थी तब से उनकी सम्पत्तियों की जाँच शुरू करे सरकार !नौकरी लगते समय उनके पास संपत्तियाँ कितनी थीं और आज कितनी हैं उनका मेल उनकी सैलरी आदि उचित आय स्रोतों से मेल खाती है या नहीं जिनकी खाती है उनके विरुद्ध अविलम्ब सीधी कार्यवाही करे सरकार तब तो सरकार ईमानदार अन्यथा खाक ईमानदार !सरकार को यदि ईमानदारी नहीं पसंद है तो ईमानदारी का नाटक बंद करे सरकार !
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