:समयविज्ञान :
समय हो या भाग्य इसका सामना हर किसी को करना ही पड़ता है !कुछ लोग केवल भाग्य को ही मानते हैं तो कुछ लोग भाग्य को न मानकर अपितु केवल कर्म को मानते हैं कुछ लोग दोनों को मानते हैं किंतु जीवन में किसकी कितनी भूमिका है ये उन्हें भी प्रायः नहीं पता होता है सच्चाई ईश्वर ही जाने !
वस्तुतः हर किसी का भाग्य अर्थात समय एक बहती नदी की धारा के समान होता है उसमें नौका चलाने वाला नाविक ही कर्म होता है !किसी नदी की धारा में बहने वाली तरह तरह की नौकाएँ नाविक अपनी अपनी रूचि के अनुशार अपनी अपनी दिशा में ले जाने का प्रयास करते हैं !जो अपनी नाव को किसी ओर ले जाने का प्रयास नहीं करते हैं उनकी नाव नदी की धारा के साथ साथ केवल उसी दिशा में चलती है !ऐसी नौका उस नदी में बहते बहते कहाँ किस पड़ाव पर पहुँच पाएगी यह पता लगाने के लिए नदी की धारा की गति नापनी होगी और उस गति की गणना करके ये बताया जा सकता है कि नाव कितने समय में कहाँ पहुँच पाएगी !
इसके अतिरिक्त धारा की परवाह न करने हुए जो नौकाएँ नदी की धारा के विरुद्ध आड़े तिरछे आदि किसी भी दिशा में ले जाई जाती हैं केवल नाविक की इच्छा के अनुशार चलाई जाने वाली ऐसी नौकाओं की गति अनिश्चित होने के कारण वो कहाँ कब पहुँच पाएँगी इसका अनुमान लगा पाना कठिन होता है !
इसी प्रकार से भाग्य अर्थात समय की धारा में बहती चली जा रही मनुष्य जीवन रूपी नौका जीवन से संबंधित किस दिशा में कितना आगे तक बढ़ सकती है और कब कहाँ पहुँच पाएगी इसका पूर्वानुमान तो लगाया जा सकता है किंतु समय की धारा के विरुद्ध या आड़े तिरछे आदि किसी भी दिशा में चलने वाले कर्मवादी लोगों का जीवन भाग्य और कर्म के सहयोग से लक्ष्य की ओर बढ़ता चला जाता है !
नदी पार करने की इच्छा रखे वाले लोग संभव है कि नदी की धारा के साथ न चलना चाहते हों अपितु केवल नदी ही पार करना चाहते हों तो भी नौका चलने के लिए तो उन्हें जल चाहिए ही जल के बिना नौका नहीं चलाई जा सकती है !इसी प्रकार कोरे कर्मवाद की जगह भाग्य मिश्रित कर्मवाद ही फलित हो सकता है !
भाग्य ही समय है और समय के साथ चलने वाले लोग उसी प्रकार से समय के आधीन होते हैं जैसे नदी में पानी की धारा के साथ साथ बहने वाली नौकाएँ !कौन नौका कब किसके समीप पहुँचेगी या कौन किससे कब टकरा जाएगी इसमें नौका की कोई भूमिका नहीं होती है ये तो जलधारा जिसे जिस को चाहे पास पास कर दे और जिसे चाहे दूर दूर कर दे जिसे चाहे आपस में भिड़ा दे ये सब कुछ जलधारा ही किया करती है किन्तु इस रहस्य को न समझने वाले लोग ऐसी परिस्थितियों में भी जैसे गुण और दोष नौकाओं में ही देखा करते हैं जबकि नौकाओं की उसमें कोई भूमिका ही नहीं होती है !
इसीप्रकार से संसार में भाग्यवादी या समय के अनुशार जीवन जीने की इच्छा रखने वाले लोगों के जीवन में जो कुछ भी अच्छा या बुरा घटित हो रहा होता है किसी से मिलना या बिछुड़ना मित्रता शत्रुता आदि समय प्रेरित होती है !
कई बार नदी का प्रवाह तेज हो या तेज आँधी तूफान आदि आ जावे तो नाविक के प्रयास भी निष्फल होने लगते हैं तो उसी वेग के साथ ही नौकाएँ भी बहने लग जाती हैं उसी प्रकार से समय का प्रवाह यदि अधिक तीव्र हो तो कर्मवाद विफल हो जाता है और भाग्य ही अपना फल देने लगता है !
समय क्या है ?
समय सूर्य और चंद्र के आधीन है या सूर्य चंद्र समय के आधीन हैं !
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