Monday, 4 December 2017

सरकारों ने ही किया है समाज का सत्यानाश !अपराधी इतने गलत नहीं थे जितने गलत सरकारों में बैठे ईमानदार से दिखने वाले लोग हैं !

     नेताओं ने झूठ बोल बोलकर झूठे आश्वासन दे देकर लोकतंत्र का निरंतर उपहास किया है सरकारों में सम्मिलित नेताओं के झूठ अकर्मण्यता अयोग्यता अनुभव हीनता निर्लज्जता आदि दोषों से दूषित हो चुकी है राजनीति !  
 भ्रष्टाचार समाप्त करने का नारा देने वालो !
  सरकारों में सम्मिलित नेताओं और सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर जनता तो घूस लेती नहीं हैं ऐसे भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही किए बिना झूठे नारे लगाने का पाखंड क्यों ?
नेतागिरी  का मतलब क्या केवल चोरबाजारी है क्या !
  आखिर विपक्ष में रहने पर जो नेता सत्ता पक्ष के जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के बड़े बड़े आरोप लगाया करते हैं वही सत्ता में आ जाने पर उन भ्रष्ट नेताओं पर कार्यवाही नहीं करते क्यों ?इसका मतलब वे खुद चोर झूठे लप्फाज मतलब परास्त बदमाश एवं अपराधों से समझौता करने वाले हैं या फिर वे स्वयं अपराध करने लगे हैं !
ईमानदार आज भी हैं बहुत लोग !
   न सभी लोग नेता हैं और न भ्रष्ट सरकारी कर्मचारी बहुत लोग आज भी अपने खून पसीने की कमाई से ही बच्चे पालते हैं उन्हीं के संस्कारों के बलपर टिका हुआ है देश और समाज !
 नेता कम पढ़े लिखे हों तो अंधों बहरों गूंगों अपाहिजों की तरह करते कुछ नहीं केवल बुँबुआते  रहते हैं !
   ऐसे दिव्यांग नेता न सदनों में बोल पाते हैं न समझ पाते हैं ऐसे अयोग्य लोगों को बात बात में अधिकारी धमकाते  रहते  हैं "ऐसा किया तो जेल चले जाओगे !"इसलिए सब देखते हुए भी अंधों की तरह केवल झूठे भाषण दे देकर पाँच वर्ष तक जनता की कमाई को बेशर्मी से भोगा करते हैं ! नेताओं की अशिक्षा या अल्पशिक्षा लोकतंत्र की दुश्मन है !
    अधिकारी ईमानदार होते तो अपराध नहीं होते !
    सेना में संयम है हड़ताल करने की छूट नहीं है कठोर परिश्रम करने के लिए उन्हें प्रेरित किय जाता है देश सेवा की भावना से ओतप्रोत वो लोग जानते हैं कि बार्डर पर अपनी थोड़ी भी लापरवाही  अपने जीवन की दुश्मन बन सकती हैं इसलिए वे चुस्त रहते हैं बाकी अधिकारियों कर्मचारियों पर भी यदि ऐसा दबाव होता कि जिसकी लापरवाही भ्रष्टाचार आदि कुछ भी वो उन्हें ही भोगना पड़ेगा तो अपराध तो होते ही नहीं सब काम भी सही समय पर होते रहते !
चुनावों में वोट देना सबसे कठिन काम !भ्रष्ट राजनीति में योग्य नेताओं को खोजा  कैसे जाए !
    आप योग्य हैं ईमानदार हैं शिक्षित हैं समझदार हैं सच बोलने वाले हैं कर्मठ हैं तो आपको चुनावी टिकट मिल जाएगा क्या ?ऐसे लोगों को राजनीति  में कोई पार्टी घास ही नहीं डालती !तो वोट देने के लिए योग्य अनुभवी ईमानदार और कर्मठ नेताओं को खोजा कहाँ  जाए और चुना  कैसे जाए ?
  अधिकारियों से काम लेने के लिए नेताओं में योग्यता अनुभव कर्मठता और सेवाभावना होनी चाहिए !
  ऐसा करवाने के लिए सरकारों में बैठे नेताओं में योग्यता हो ईमानदारी हो कर्मठता हो लज्जा हो और देश एवं समाज के प्रति सेवाभावना हो !किंतु राजनेताओं में इतने गुण मिलना कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी है  पढ़ने लिखने में मन लगता होता तो घरवाले नेता बनने ही नहीं देते !घर का काम काज करने में मन लगता तो भी नहीं बनने देते !ईमानदार होते तो घर वाले कैसे छोड़ देते !शर्म होती तो घर वाले भी आदर देते !जिनमें उनके घरवालों को कुछ दिखा ही नहीं उनमें योग्यता जिम्मेदारी और कर्मठता के गुण खोज कर देने  होते हैं वोट 

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