Sunday, 18 December 2016

बैंक कर्मचारियों से सरकार ने उमींद ही क्यों की ?

    
       सरकारी स्कूल अस्पताल टेलीफोन से लेकर डाक सेवाएँ तक नेताओं की गैर जिम्मेदारी लापरवाही गद्दारी की भेंट चढ़ चुकी हैं सबकी भद्द पिटी पड़ी है जैसे बैंक वालों ने नोट बंदी के समय जनता के साथ गद्दारी करके सौ लोगों को मरने पर मजबूर कर दिया सरकार का हर विभाग आम जनता को ऐसे ही मारने पर मजबूर कर रहा है किंतु अब सरकार की भद्द पिटने लगी तो सरकार ने बैंक वाले अपने दुलारे पियारे कुछ भ्रष्टाचारियों को पकड़ कर अपने मुख की स्याही साफ की !सब को पकड़ते तो वो तार सरकारों मेंसम्मिलित नेताओं से जुड़ने लगते इसलिए जनता का मुख बंद करने के लिए बश काम चलाने भर को बस थोड़े से पकड़ लिए गए हैं !पकडे जाने वाले तो साफ कहते हैं कि ये धन ऊपर तक जाता है इसीलिए लिए सरकार इन कमाऊपूतों की सैलरी और सुविधाओं का ध्यान रखती है आम जनता मरे तो मरे !इनके हड़ताल पर जाते ही सरकार बार बार इन्हें इसीलिए तो मन मन कर रखती है कि कहीं हमारे भ्रष्टाचार की पोल न खोल दें अन्यथा हड़ताली कर्मचारियों को धक्का देकर बाहर करे और नई नियुक्तियाँ करे !देश में योग्य लोगों की कमी है क्या किंतु सरकारी नेताओं की भ्रष्टाचारी सोच ने अयोग्य लोगों को सोर्स और घूस के बलपर अच्छे अच्छे पद दे रखे हैं इन फिसड्डियों को सरकारों ने गले तो लगा लिया किंतु जिनका मन पढ़ने में नहीं लगा घूस देकर सोर्स लगाकर पास हुए ऐसे ही नौकरी हासिल की अब सरकार के हर विभाग की भद्द पीट रहे हैं यही फिसड्डी लोग !

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