Sunday, 4 December 2016

भ्रष्टाचार पर प्रहार करने में पक्षपात न करे सरकार !

 भ्रष्ट बाबाओं और भ्रष्ट नेताओं का पैसा गरीबों में बाँट दिया जाए वो सारा कालाधन ही तो है !
       भ्रष्ट बाबाओं  और भ्रष्ट नेताओं के काले धन पर भी हो कार्यवाही ये कुछ वर्षों में ही हजारों करोड़ के मालिक कैसे बन जाते हैं जनता को बरगलाकर या झूठे सपने दिखाकर या झूठे विज्ञापन दिखा दिखाकर  समाज से ऐंठा गया पैसा होता है जो अपने परिश्रम से कमाया हुआ न होकर अपितु छल प्रपंच पूर्वक संग्रह किए जाने के कारण ये संपूर्ण पैसा ही कालेधन की श्रेणी में आता है !,सरकारी कर्मचारियों एवं भूमाफियाओं के कालेधन पर भी की जाए कार्यवाही ?   
     गंगानदी  भगवान के चरणों से निकलती है और भ्रष्टाचार की नदी भ्रष्टनेताओं, भ्रष्टअधिकारियों एवं भ्रष्टबाबाओं तथा भ्रष्टसरकारी कर्मचारियों के आचरणों से निकलती है !इसीलिए इनकी संपत्तियों एवं आयस्रोतों की जाँच के बिना भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए की गई सारी कसरतें बेकार हैं ।see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2016/11/1000-500.html
 भ्रष्ट सरकारी कुकर्मचारियों ने ऐसे लूटा है देश !
   इनकी भी संपत्तियों की जाँच की जाए और मांगे जाएँ इनसे भी सम्पतियों के स्रोतों के प्रमाण !सरकारी कर्मचारियों को जिस दिन नौकरी मिली थी तब से आज तक की उनकी चल अचल संपत्तियों की जाँच की जाए उनका मिलान उनकी सैलरी से किया जाए जिनका मिलान न हो सके उनसे पूछे जाएँ आय स्रोत बता पावें तो ठीक न बता पावें तो उनकी संपत्तियों को भी घोषित किया जाए सरकारी संपत्ति !कार्यवाही हो तो सब पर हो ! 
मध्य प्रदेश के लोकायुक्त पुलिस की छापेमारी में पीडब्ल्यूडी अफसर की बेहिसाब संपत्ति का खुलासा !
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बैंककर्मियों के भ्रष्टाचार को भी पकड़े  सरकार !जाँच हो तो सबकी हो !  बैंककर्मियों के भ्रष्टाचार को पकड़ने का ऐसा मौका दोबारा फिर कभी नहीं मिलेगा जितना अभी है सरकार यदि वास्तव में भ्रष्टाचार मिटाना ही चाहती है तो नोटबंदी के समय के बैंकों के अंदर के वीडियो खँगाले जाएँ और लापरवाह एवं भ्रष्ट लोगों पर लिया जाए शक्त निर्णय !इधर सरकार काले धन वालों के विरुद्ध भाषण देती रही उधर बैंक कर्मी काले धन वालों को उपलब्ध करते रहे सफेद करने की सुविधाएं -जनता बेचारी लाइनों में खड़ी भोगती रही सरकार की बातों पर भरोसा करने का फल !seemore.... http://sahjchintan.blogspot.in/2016/12/blog-post.html

 बाबाओं की संपत्तियों का सच भी तो जनता के सामने लाया जाए !

      बंधुओ ! दस पंद्रह बीस वर्षों में न्याय और नैतिकता पूर्वक हजारों करोड़ कैसे कमाए जा सकते हैं वो भी कोई निर्धन बाबा ऐसा कैसे कर सकता है और यदि उसके लिए ऐसा कर पाना वास्तव में संभव है तो गरीबों को भी ऐसी ही बाबा गिरी की ट्रेनिंग क्यों न दिलाई जाए और बिना पैसे लगाए ही हजारों करोड़ का व्यापारी उन्हें भी बना दिया जाए !जिसे व्यापार करना हो वो व्यापार करे किंतु व्यापार करने हेतु फंड जुटाने के लिए साधू संतों जैसी वेषभूषा बनाकर धार्मिक भावुक लोगों से पहले फंड जुटाया जाए और खुद पूंजीपति बन जाए ये धोखा धड़ी नहीं तो क्या है !जिनसे कालाधन माँग माँग कर खुद को तो पवित्र पूँजीपति सिद्ध कर लिया जाए और उन्हें कालाधन वाला बताकर उनके विरुद्ध आंदोलन चलाया जाए ये "चोर मचावे शोर" नहीं तो और क्या है !वैसे भी जो एक गिलास गाय का दूध पीकर रह लेता होगा वह सरकारी नेताओं के यहाँ चमचागिरी करता क्यों घूमेंगा !दूसरी बात जो स्वदेशी सामानों का इतना ही बड़ा समर्थक होगा वो खुद विदेशी मशीनों से दवाइयाँ क्यों बनाएगा !तीसरी बात जिसे भारत पर इतना ही स्वाभिमान होगा वो  विदेशों में मारा  मारा  क्यों फिरेगा !चौही बात संन्यास लेने का मतलब सब कुछ छोड़ना होता है सबकुछ छोड़ने की घोषणा करने वाले पर लोग भरोसा करने लगते हैं और उसे बहुत कुछ दे देते हैं किंतु उसे वो यदि गृहस्थों की तरह भोगने लगता है जैसे कोई ब्रह्मचर्य की घोषणा करके लड़कियों के हॉस्टल में रहने लगे और अपनी घोषणा के विरुद्ध आचरण करने लगे इसे धोखाधड़ी नहीं तो क्या कहेंगे !ऐसे अविश्वसनीय लोगों की भारी भरकम संपत्तियों के स्रोतों पर संशय होना स्वाभाविक है आखिर उनकी पवित्रता की जाँच क्यों नहीं कराई जानी चाहिए !see more ....http://samayvigyan.blogspot.in/2016/11/blog-post_28.html
टैक्स लेती है सरकार !भ्रष्टाचार के लिए भी वही जिम्मेदार ! "जो सैलरी लें वही घूस माँगें" ये हिम्मत !  ये सरकारी लापरवाहियों के कारण ही तो हो पाता है तभी तो  सरकार और सरकारी कर्मचारियों ने फैला रखा है भ्रष्टाचार !इसमें आम जनता का क्या दोष !सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती  अस्पतालों में दवाई नहीं होती डाक खाने में सुनवाई नहीं होती टेलीफोन विभाग में समय से ध्यान नहीं दिया जाता तभी तो जनता प्राइवेट स्कूलों अस्पतालों कैरियरों और टेलीफ़ोन कंपनियों में चक्कर लगाया करती है सरकारी लोग भी सैलरी सरकारी और सेवाएँ प्राइवेट की ही लेना पसंद करे हैं क्यों ?सरकारी सेवाएँ विश्वास करने लायक हैं  ही नहीं फिर भी ग़रीबों ग्रामीणों मजदूरों को सरकारी सेवाएँ प्रदान करने के लिए फार्मिलिटी अदा करती जा रही है सरकार !इसे धोखा धड़ी नहीं तो क्या कहा जाए !सरकार को चाहिए कि नोटबंदी की तरह ही एक एक विभाग के कर्मचारियों को एक रात में सेवा मुक्त कर दे और दो दिन बाद  नवयुक्तियों के लिए खुली परीक्षा करा दे जिसमें शिक्षित हर कोई बैठ सकता हो और परीक्षाएँ जो पास कर ले सो सेवाएँ दे जो फेल हो सो घर बैठे !सोर्स और भ्रष्टाचार के बलपर हुई नियुक्तियों के गलत निर्णयों को सुधारा आखिर कैसे जाए ! सरकारी विभागों से जनता को निराश कर रखा है इस भरोसे को वापस लाने में दशकों लग जाएँगे !see more.... http://sahjchintan.blogspot.in/2016/12/blog-post_3.html

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