बैंककर्मियों की कुकार्यशैली से जनता तंग हुई इसलिए इतनी ज्यादा घटीं ऐसी दुर्भाग्य पूर्ण दुर्घटनाएँ !विपक्ष चौड़ा हुआ लोगों की मौतें हुई संसद बाधित हुई ! क्यों ?
बैंककर्मियों की कुकार्यशैली कितनी जिम्मेदार थी लाइनों में खड़े लोगों की मौतों के लिए कौन कितना दोषी था !नोटबंदी अभियान में सरकार की भद्द पीटने का विपक्ष को मौका किसने दिया बैंक कर्मियों ने जिम्मेदारी निभाते हुए ईमानदारी और निष्पक्षता बरती होती परिस्थिति इतनी नहीं बिगड़ती ! बैंकों के अंदर के वीडियो चेक कराए जाएँ !
ये वीडियो बताएँगे आम जनता के साथ बैंक कर्मियों ने कैसा व्यवहार किया !इतने लोगों की मौतों को ऐसे भूल जाना ठीक नहीं होगा !देखा जाए कौन कितने समय तक किस काउंटर पर खड़ा रहा किसे कितनी सहूलितें किस बैंक कर्मचारी ने दीं किस एक ही व्यक्ति ने किस दिन कितनी बार कैस जमा किया !किस बैंक कर्मचारी ने जनता के साथ कैसा वर्ताव किया और उन स्पेशल लोगों के साथ कैसा बर्ताव किया ! किसने किसका कितना किस बदला कौन कितनी गड्डियाँ लेकर कहाँ गया !चाय और नास्ता लाने वालों ने कितना कैस अंदर पहुँचाया और कितना किस बदलकर बाहर ले गए !बैंक का कौन कर्मचारी क्या लेकर आया और क्या लेकर निकला !कैस लाने वाली गाड़ी आने के कितनी देर बाद कितने पैसे देकर आम जनता को यह बता कर भगा दिया कि किस ख़तम हो गया है इसके बाद देर देर रात तक किस किस किस का कैसे कैसे निपटाया गया कितना कितना काम !क्या उसमें आम जनता के लोग भी थे !आदि बातों की जाँच कराने के लिए सीसीटीवी के वीडियो चेक करे जाएँ !
सैनिक सीमाओं पर दिन रात लड़ सकते हैं तो बैंक क्यों नहीं खोले जा सकते थे दिनरात !आधीरात से लाइनों में भूखेप्यासे खड़े लोगों को दिखा दिखाकर बैंक कर्मी करने लगते थे लंच !वो तो नास्ता भी करके आए होते थे जनता के मुख में पानी भी नहीं गया होता था !प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में साथ देने के लिए जनता यदि इतना बड़ा बलिदान दे रही थी तो बैंक कर्मचारियों का कोई कर्तव्य नहीं था क्या !उन्हें लंच लेना जरुरी क्यों था !उन्हें तो सरकार सैलरी देती इसी बात की है कि वो सरकार का साथ अधिक से अधिक दें किंतु यहाँ सरकार की बात मानकर जनता तो भूखी प्यासी रह सकती है परन्तु बैंक कर्मचारी नहीं आखिर क्यों ?
भ्रष्टाचारी बैंक कर्मियों के कारण नोटबंदी अभियान पर कटघरे में खड़ी की गई सरकार अन्यथा कमजोर विपक्ष संसद को रोकने की हैसियत में था ही कहाँ !बैंक कर्मियों ने जनता के साथ पक्षपात विहीन ईमानदार वर्ताव किया होता तो न कैस घटता न लाइनें इतनी लंबी होतीं, लोगों की मौतें न हुई होंतीं ,न जनता परेशान होती तो विपक्ष को भी सरकार पर हावी होने का बहाना न मिलता और न ही संसद की बहुमूल्य कार्यवाही रोकने की हिम्मत ही कर पाता विपक्ष !जनता की परेशानियों का बहाना लेकर ही तो उपद्रव उठा रहा है विपक्ष !
संसद की बहुमूल्य कार्यवाही न बाधित होती और न ही लाइनों में खड़े लोगों की मौतें ही होतीं !इन सबके लिए जिम्मेदार लापरवाह भ्रष्टाचारी बैंक कर्मचारियों की पहचान के लिए बैंकों के अंदर लगे कैमरों के वीडियो खँगाले जाएँ और दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध हो कठोर कार्यवाही !भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकारी कर्मचारियों को भी कड़ा संदेश दिया जाए !
विपक्ष तो बोलने की स्थिति में ही नहीं था भ्रष्टाचार से तंग जनता भ्रष्टाचार समाप्त करने के हर काम में मोदी जी का साथ देना चाहती है इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि नोटबंदी के बाद बड़ी बड़ी कठिनाइयों का सामना करने वाले आमलोग आज भी सरकार का समर्थन कर रहे हैं !काले धन वाले नेताओं को छोड़कर नोटबंदी का विरोध और कर ही कौन रहा है ऐसे नेताओं पर कैसे क्या कार्यवाही हो ये सरकार को सोचना है जनता सब दुःख सह लेगी किंतु बचना कोई भ्रष्टाचारी नहीं चाहिए !भले वो नेता बाबा या सरकारी कर्मचारी ही क्यों न हों !इनके प्रति थोड़ा भी पक्षपात दिखा तो जनता सह नहीं पाएगी क्योंकि नोट बंदी से बहुत दुख सहा है आम जनता ने !कितने लोगों ने अपने जीवन की कुर्बानियाँ दी हैं !ये भुलाया नहीं जाना चाहिए !
बैंकों में गड़बड़ हुई या नहीं या तो वीडियो देखने से ही पता लगेगा !इसीलिए तो बैंकों के अंदर के सीसीटीवी फुटेज खँगाले जाएँ और ईमानदार बैंक कर्मियों का तो प्रोत्साहन हो किंतु भ्रष्टाचारियों को सजा मिलनी ही चाहिए !जिनके कारण लाइनों में खड़ी जनता सजा भोग रही है! जिनकी लापरवाहियों ,गैर जिम्मेदारियों और भ्रष्टाचार के कारण कुछ लोगों की तो बड़ी बड़ी धनराशि काले की सफेद की जाती रही किंतु जरूरत वालों की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति भी न होने के कारण कितने लोग मर गए कितने लोग भूखे रहे और भी तरह तरह की बड़ी परेशानियाँ झेलते रहे लोग !जबकि वो दो दो चार चार हजार के लिए लाइनों में लगे होते थे दूसरी ओर सोर्सफुल बड़े लोग न लाइनों में लगते थे न कुछ !फिर भी मोटा मोटा का कैस ले लेकर जाते देखे जाते थे आखिर कैसे !
उनके लिए क्यों थे ये अघोषित स्पेशल नियम और छूट !बैंकों में कैस की गाड़ी आती थी उसके बाद दस बीस लोग लाइनों से बुलाकर कहला दिया जाता था कि कैस ख़त्म हो गया है किंतु बीस पच्चीस लोगों को दो दो चार चार हजार देने से इतनी जल्दी कैसे ख़त्म हो जाता था कैस !
कई बैंकों में बैंक कर्मियों की मिली भगत से बड़े लोगों में कोई एक व्यक्ति घुसा लिया जाता था अंदर !उसको घंटों या पूरे पूरे दिन वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कैस काउंटरों पर दो चार लोग लाइन वाले लिए जाते फिर उनका नंबर उनके बड़े बड़े काम होने के कारण अधिक समय तो लगना ही था !फिर वो फोन करके घर से दूसरा कैस मँगा लेते थे और नए नोट घर भेज देते !चैनल से ही लेन देन हो जाता था कहने को हो जाता था कि किसी को घुसने नहीं दिया गया है । अंदर भी उनका नंबर पहला दूसरा ही लग जाता था उन्हें सब पहचानते थे कि ये तो लाइनों में खड़े ही थे !बैंक वाले भी उनकी ही सुनते थे जनता में कोई बोले तो धमका दिया जाए और भंग करने के आरोप में बाहर निकाल दिया जाए !
कुल मिलाकर वीडियो फुटेज देखकर पकड़े जाएँ बैंकों के वे भ्रष्ट कर्मचारी जो लाइनों में लगी आम जनता की परवाह किए बिना अपने परिचितों एवं ब्लैकमनी वालों के काम किया जरते थे या फिर ब्लैकमनी वालों के ब्लैक को व्हाइट किया करते थे !
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