प्लांट लगाने के लिए बाबा जी को जिस प्रदेश में जमीन चाहिए होती है उस प्रदेश के मुख्यमंत्री की बटरिंग करने लगते हैं बाबा जी !
ममता जी की भी इसलिए चिरौरी कर रहे होंगे बाबा जी !इसीलिए आजकल उन्हें ममता जी में प्रधानमन्त्री बनने के गुण दीखने लगे हैं !कोई प्लांट लगाना होगा ममता जी की कृपा चाहिए होगी इसीलिए उनका कीर्तन कर रहे हैं बाबा जी ! पापी पेट का सवाल है आखिर एक गिलास गाय के दूध का इंतजाम तो करना ही पड़ता है मरता क्या न करता !अन्यथा बटरिंग करने की किसी संन्यासी को जरूरत क्या है ! वैसे भी कोई सच्चा संन्यासी मरना पसंद करेगा किंतु चाटुकारिता नहीं करेगा !लेकिन बाबा जी को भूखे रहने की आदत नहीं है इसलिए उनके पेट पर जब लात लगने लगती है तब उन्हें कुछ भी करना पड़ता है तो वो करने को तैयार हो जाते हैं !आपको याद होगा कि एक बार लालू जी ने यह कहकर धमका दिया था कि बाबाओं की संपत्तियों की भी जाँच की जानी चाहिए तब से कोई न कोई बहाना बनाकर लालू जी की जी हुजूरी करने की अक्सर जुगत भिड़ाने लालू जी के घर पहुँचने लगे हैं बाबा जी !पेट के लिए सबको सबकुछ करना पड़ता है एक ग्लास गाय के दूध का सवाल है ।
बाबाओं की संपत्तियों का सच भी तो जनता के सामने लाया जाए !
बंधुओ ! दस पंद्रह बीस वर्षों में न्याय और नैतिकता पूर्वक हजारों करोड़ कैसे कमाए जा सकते हैं वो भी कोई निर्धन बाबा ऐसा कैसे कर सकता है और यदि उसके लिए ऐसा कर पाना वास्तव में संभव है तो गरीबों को भी ऐसी ही बाबा गिरी की ट्रेनिंग क्यों न दिलाई जाए और बिना पैसे लगाए ही हजारों करोड़ का व्यापारी उन्हें भी बना दिया जाए !जिसे व्यापार करना हो वो व्यापार करे किंतु व्यापार करने हेतु फंड जुटाने के लिए साधू संतों जैसी वेषभूषा बनाकर धार्मिक भावुक लोगों से पहले फंड जुटाया जाए और खुद पूंजीपति बन जाए ये धोखा धड़ी नहीं तो क्या है !जिनसे कालाधन माँग माँग कर खुद को तो पवित्र पूँजीपति सिद्ध कर लिया जाए और उन्हें कालाधन वाला बताकर उनके विरुद्ध आंदोलन चलाया जाए ये "चोर मचावे शोर" नहीं तो और क्या है !वैसे भी जो एक गिलास गाय का दूध पीकर रह लेता होगा वह सरकारी नेताओं के यहाँ चमचागिरी करता क्यों घूमेंगा !दूसरी बात जो स्वदेशी सामानों का इतना ही बड़ा समर्थक होगा वो खुद विदेशी मशीनों से दवाइयाँ क्यों बनाएगा !तीसरी बात जिसे भारत पर इतना ही स्वाभिमान होगा वो विदेशों में मारा मारा क्यों फिरेगा !चौही बात संन्यास लेने का मतलब सब कुछ छोड़ना होता है सबकुछ छोड़ने की घोषणा करने वाले पर लोग भरोसा करने लगते हैं और उसे बहुत कुछ दे देते हैं किंतु उसे वो यदि गृहस्थों की तरह भोगने लगता है जैसे कोई ब्रह्मचर्य की घोषणा करके लड़कियों के हॉस्टल में रहने लगे और अपनी घोषणा के विरुद्ध आचरण करने लगे इसे धोखाधड़ी नहीं तो क्या कहेंगे !ऐसे अविश्वसनीय लोगों की भारी भरकम संपत्तियों के स्रोतों पर संशय होना स्वाभाविक है आखिर उनकी पवित्रता की जाँच क्यों नहीं कराई जानी चाहिए !see more ....http://samayvigyan.blogspot.in/2016/11/blog-post_28.html
बाबाओं की संपत्तियों का सच भी तो जनता के सामने लाया जाए !
बंधुओ ! दस पंद्रह बीस वर्षों में न्याय और नैतिकता पूर्वक हजारों करोड़ कैसे कमाए जा सकते हैं वो भी कोई निर्धन बाबा ऐसा कैसे कर सकता है और यदि उसके लिए ऐसा कर पाना वास्तव में संभव है तो गरीबों को भी ऐसी ही बाबा गिरी की ट्रेनिंग क्यों न दिलाई जाए और बिना पैसे लगाए ही हजारों करोड़ का व्यापारी उन्हें भी बना दिया जाए !जिसे व्यापार करना हो वो व्यापार करे किंतु व्यापार करने हेतु फंड जुटाने के लिए साधू संतों जैसी वेषभूषा बनाकर धार्मिक भावुक लोगों से पहले फंड जुटाया जाए और खुद पूंजीपति बन जाए ये धोखा धड़ी नहीं तो क्या है !जिनसे कालाधन माँग माँग कर खुद को तो पवित्र पूँजीपति सिद्ध कर लिया जाए और उन्हें कालाधन वाला बताकर उनके विरुद्ध आंदोलन चलाया जाए ये "चोर मचावे शोर" नहीं तो और क्या है !वैसे भी जो एक गिलास गाय का दूध पीकर रह लेता होगा वह सरकारी नेताओं के यहाँ चमचागिरी करता क्यों घूमेंगा !दूसरी बात जो स्वदेशी सामानों का इतना ही बड़ा समर्थक होगा वो खुद विदेशी मशीनों से दवाइयाँ क्यों बनाएगा !तीसरी बात जिसे भारत पर इतना ही स्वाभिमान होगा वो विदेशों में मारा मारा क्यों फिरेगा !चौही बात संन्यास लेने का मतलब सब कुछ छोड़ना होता है सबकुछ छोड़ने की घोषणा करने वाले पर लोग भरोसा करने लगते हैं और उसे बहुत कुछ दे देते हैं किंतु उसे वो यदि गृहस्थों की तरह भोगने लगता है जैसे कोई ब्रह्मचर्य की घोषणा करके लड़कियों के हॉस्टल में रहने लगे और अपनी घोषणा के विरुद्ध आचरण करने लगे इसे धोखाधड़ी नहीं तो क्या कहेंगे !ऐसे अविश्वसनीय लोगों की भारी भरकम संपत्तियों के स्रोतों पर संशय होना स्वाभाविक है आखिर उनकी पवित्रता की जाँच क्यों नहीं कराई जानी चाहिए !see more ....http://samayvigyan.blogspot.in/2016/11/blog-post_28.html
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