Friday, 9 December 2016

काँग्रेस यदि नोटबंदी करती तो न लगतीं लाइनें न घटता कैस ! जातियों संप्रदायों के हिसाब से दिए जाते नोट !

    काँग्रेसी सरकारों ने हमेंशा गंजों को कंघे और अंधों को दर्पण(मिरर) बाँटे हैं लेकिन वो गंजे और वो अंधे ये कभी समझ नहीं पाए कि काँग्रेसी सरकार उनकी इतनी हमदर्द है क्यों ?और इस हमदर्दी का लाभ उठा कौन रहा है ?
    दलितों पिछड़ों अल्पसंख्यकों के प्रति दिखाई जा रही हमदर्दी से केवल नेता रईस होते जा रहे हैं दलितों पिछड़ों अल्पसंख्यकों के नाम  पर तो केवल छूट दी जाती है किंतु उसका फायदा तो वे नेता ही उठालेते हैंजो छूट देते हैं तभी तो नेता रईस होते चले गए और दलित पिछडो से अभी भी आरक्षण मँगवाए जा रहे हैं किंतु उसका लाभ उन्हें कभी नहीं मिला !यदि मिलता तो आजादी के इतने दिन बाद भी क्या कुछ सुधार नहीं होना चाहिए था !
     काँग्रेस की सरकार होती तो नोटबंदी जैसे बड़े प्रयास को भी दलितों अल्पसंख्यकों की आरक्षणी फैक्ट्री में डालकर इतना अधिक उलझा दिया गया होता और इसी बीच नेताओं के द्वारा अपने बोरे बदल लिए जाते ! 
      काँग्रेस की सरकार होती तो जातियों और संप्रदायों के हिसाब से कैस निकालने और जमा करने की छूट दी जाती !ब्राह्मण क्षत्रिय बनियों की कसी जाती लगाम !इन्हें  दो दो हजार लेन  देन  की छूट दी जाती !जबकि दलितों ,अल्पसंख्यकों से कहती तुम जितना चाहो उतना कैस जमा करो निकालो  या बदलो उन्हें पूरी छूट होती। देश के संसाधनों पर पहला अधिकार तुम्हारा है !जैसे आरक्षण देने के बाद भी सीटें खाली जाती ही हैं वैसे ही दलितों और अल्प संख्यकों के नाम पर बैंकों के काउंटर खाली पड़े होते !और ब्राह्मण आदि सवर्णों को घुसने नहीं दिया जाता तो न लाइनें होतीं न भीड़ होती न कैस घटता !
    उन्होंने यहाँ भी ब्राह्मण आदि सवर्णों को सबसे पीछे धकेल रखा होता !सवर्णों को अभी तक देखने को न मिला होता दो हजार का नोट !    
       ये ऐसे लागू करते कि सबसे पहले कैस अल्प  संख्यकों को मिलेगा !दूसरा कहता कि दलितों को मिलेगा तीसरा बोलता कि पिछड़ों को मिलेगा चौथा कहता कि महिलाओं को मिलेगा किंतु ब्राह्मणों और सवर्णों को कब मिलेगा !ये पूछने की कोई हिम्मत भी नहीं करता !तब तक अपने कालेधन के बोरे बदल लेते ये नेता लोग ! बेचारों को आज काली पट्टियाँ बाँधे नहीं  घूमना पड़ता आज !मोदी सरकार के विरुद्ध हाहाकार इसीलिए मचाते फिर रहे हैं ये बेरोजगार नेता  लोग क्योंकि इस सरकार ने इस अभियान में सवर्णों को बराबरी का हक़ दे कैसे दिया !
     ये सरकार ईमानदार है तो काले धन वाले नेताओं पर भी की जाए कठोर कार्यवाही !ये बात सबको पता है कि अपना अपना कालाधन सफेद करवाने के लिए काली पट्टियाँ बाँधे घूम रहे हैं कालेधन को पसंद करने वाले नेता लोग!इसमें जनता की हमदर्दी नहीं अपितु सबके अपने अपने स्वार्थ हैं !
     सरकार पर दबाव केवल इसलिए बनाया जा रहा है ताकि उनका कालाधन बचा लिया जाए यदि सरकार झुकी तो सरकार पक्षपाती और नेताओं की भी चल अचल संपत्तियों की जाँच करवाकर ब्यौरा जनता के सामने रखा गया तो ईमानदार सरकार !
        काले धन का समर्थन करने वाले नेताओं की संचित संपत्तियों की जाँच करावे सरकार कि जब  नेता जी राजनीति में आए थे तब उन लोगों के पास क्या था अर्थात कितने मकान दूकान खेत खलिहान फैक्ट्री बैंक बैलेंस आदि तब थे और आज कितने हैं ये तो सारा विवरण सरकारी कागजों में उपलब्ध होगा !फिर सार्वजनिक क्यों न किया जाए !साथ ही ये भी पता लगाया जाए कि राजनीति में आने के बाद इन नेताओं के आय के स्रोत क्या क्या थे इन्होंने नौकरी की या व्यापार किया यदि किया तो कब किया इनके पास इतना समय और इतना धन कहाँ था !प्रायः सामान्य परिवारों में अवतरित होने वाले नेताओं के पास अचानक करोड़ों अरबों के अम्बार कैसे लग जाते हैं इन सभी बातों की न केवल जाँच हो अपितु सबकुछ सार्वजनिक भी किया जाए !
   काली पट्टियाँ बाँधने वालों को नोटबंदी से इसीलिए तो लग रही हैं टट्टियाँ !कि उन्हें नोटबंदी जैसे बड़े अभियान को अल्पसंख्यकों दलितों पिछड़ों आदि की चासनी में डुबोने का मौका नहीं मिला !आज वो जनता की हमदर्दी के लिए नोटबंदी का विरोध कर रहे हैं या अपने काले बोरे  सफेद करने के लिए ? 
     ब्राह्मणों सवर्णों के विषय में कोई पूछता तो ये लोग लोग कह देते कि तुमने अल्पसंख्यकों और दलितों का शोषण किया था इसलिए भोगो ! 
    इन बेशर्मों ने हिंदुओं ब्राह्मणों सवर्णों पर शोषण के झूठे आरोप लगा लगाकर हमेंशा सताया है अपमानित किया है और सजा दी है !यहाँ तक कि सफाई देने का भी मौका नहीं दिया और सजा सुना दी !हिंदुओं और सवर्णों के साथ हमेंशा सौतेला व्यवहार करते रहे हैं वो !जो आज काली पट्टियाँ बाँधे घूम रहे हैं उन्हें आखिर आज क्यों लग रही हैं लग रही हैं टट्टियाँ !केवल इसीलिए न कि उन्हें नोटबंदी जैसे बड़े अभियान को अल्पसंख्यकों दलितों पिछड़ों आदि की चासनी में डुबोने का मौका नहीं दिया गया !आज वो जनता की हमदर्दी के लिए नोटबंदी का विरोध कर रहे हैं या अपने काले बोरे  सफेद करने के लिए ? जनता से यदि इतनी ही हमदर्दी थी तो नसबंदी और आपात काल जैसे अपने दुष्कर्मों को भूल गए क्या ?
    मोदी सरकार ने स्वतन्त्र भारत के इतिहास में ब्राह्मण आदि सवर्णों को पहली बार दिया है बराबरी का हक़ !नोटबंदी अभियान में सभी जातियों और सभी सम्प्रदायों के साथ किया है बराबरी का व्यवहार !
     देश वासियों ने ऐसे ऐसे खूसट प्रधानमन्त्री देखे  हैं जो कहा करते थे कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अमुक जाति या अमुक संप्रदाय वालों का है !देश के शासकों की जबान से ऐसे गंदे शब्द भी सुने और सहे हैं देश वासियों ने दूसरी जाति और सम्प्रदाय वाले लोग अपना मन मसोस कर रह जाते थे!"एक खाए दूसरा देखे"कुछ जातियों और कुछ सम्प्रदायों के साथ इतना घटिहा व्यवहार किया करते थे पापी !मोदी सरकार में सबसे बड़ा संतोष इस बात का है कि जो होगा वो सबके साथ होगा !अन्यथा राजनैतिक राक्षसों ने सभी सुविधाओं और सभी कानूनों में जातियाँ सम्प्रदाय घुसा रखे थे ! 
        आजकल संसद रोकने वालों के बीत रहे हैं कालेदिन !काले को सफेद करवाने की जुगत भिड़ा रहे हैं विपक्षी नेतालोग !कालेधन पर की गई कार्यवाही कसक रही है कालेधन वाले नेताओं को !
     यही योजना यदि भ्रष्टाचारी नेताओं की सरकारों में बनाई गई होती तो इन्होंने इसे जाति  और धर्म   अधिक उलझा  दिया होता कि जनता उसी में भ्रमित हो जाती और उसी गैप में काले नेताओं ने अपने अपने काले बोरे सफेद कर लिए होते !   
    भ्रष्टाचार पर प्रहार करने में पक्षपात न करे सरकार !
 भ्रष्ट बाबाओं और भ्रष्ट नेताओं का पैसा गरीबों में बाँट दिया जाए वो सारा कालाधन ही तो है !
       भ्रष्ट बाबाओं  और भ्रष्ट नेताओं के काले धन पर भी हो कार्यवाही ये कुछ वर्षों में ही हजारों करोड़ के मालिक कैसे बन जाते हैं जनता को बरगलाकर या झूठे सपने दिखाकर या झूठे विज्ञापन दिखा दिखाकर  समाज से ऐंठा गया पैसा होता है जो अपने परिश्रम से कमाया हुआ न होकर अपितु छल प्रपंच पूर्वक संग्रह किए जाने के कारण ये संपूर्ण पैसा ही कालेधन की श्रेणी में आता है !,सरकारी कर्मचारियों एवं भूमाफियाओं के कालेधन पर भी की जाए कार्यवाही ?   
     गंगानदी  भगवान के चरणों से निकलती है और भ्रष्टाचार की नदी भ्रष्टनेताओं, भ्रष्टअधिकारियों एवं भ्रष्टबाबाओं तथा भ्रष्टसरकारी कर्मचारियों के आचरणों से निकलती है !इसीलिए इनकी संपत्तियों एवं आयस्रोतों की जाँच के बिना भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए की गई सारी कसरतें बेकार हैं ।see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2016/11/1000-500.html
 भ्रष्ट सरकारी कुकर्मचारियों ने ऐसे लूटा है देश !
   इनकी भी संपत्तियों की जाँच की जाए और मांगे जाएँ इनसे भी सम्पतियों के स्रोतों के प्रमाण !सरकारी कर्मचारियों को जिस दिन नौकरी मिली थी तब से आज तक की उनकी चल अचल संपत्तियों की जाँच की जाए उनका मिलान उनकी सैलरी से किया जाए जिनका मिलान न हो सके उनसे पूछे जाएँ आय स्रोत बता पावें तो ठीक न बता पावें तो उनकी संपत्तियों को भी घोषित किया जाए सरकारी संपत्ति !कार्यवाही हो तो सब पर हो ! 
मध्य प्रदेश के लोकायुक्त पुलिस की छापेमारी में पीडब्ल्यूडी अफसर की बेहिसाब संपत्ति का खुलासा !
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बैंककर्मियों के भ्रष्टाचार को भी पकड़े  सरकार !जाँच हो तो सबकी हो !  बैंककर्मियों के भ्रष्टाचार को पकड़ने का ऐसा मौका दोबारा फिर कभी नहीं मिलेगा जितना अभी है सरकार यदि वास्तव में भ्रष्टाचार मिटाना ही चाहती है तो नोटबंदी के समय के बैंकों के अंदर के वीडियो खँगाले जाएँ और लापरवाह एवं भ्रष्ट लोगों पर लिया जाए शक्त निर्णय !इधर सरकार काले धन वालों के विरुद्ध भाषण देती रही उधर बैंक कर्मी काले धन वालों को उपलब्ध करते रहे सफेद करने की सुविधाएं -जनता बेचारी लाइनों में खड़ी भोगती रही सरकार की बातों पर भरोसा करने का फल !seemore.... http://sahjchintan.blogspot.in/2016/12/blog-post.html

 बाबाओं की संपत्तियों का सच भी तो जनता के सामने लाया जाए !
      बंधुओ ! दस पंद्रह बीस वर्षों में न्याय और नैतिकता पूर्वक हजारों करोड़ कैसे कमाए जा सकते हैं वो भी कोई निर्धन बाबा ऐसा कैसे कर सकता है और यदि उसके लिए ऐसा कर पाना वास्तव में संभव है तो गरीबों को भी ऐसी ही बाबा गिरी की ट्रेनिंग क्यों न दिलाई जाए और बिना पैसे लगाए ही हजारों करोड़ का व्यापारी उन्हें भी बना दिया जाए !जिसे व्यापार करना हो वो व्यापार करे किंतु व्यापार करने हेतु फंड जुटाने के लिए साधू संतों जैसी वेषभूषा बनाकर धार्मिक भावुक लोगों से पहले फंड जुटाया जाए और खुद पूंजीपति बन जाए ये धोखा धड़ी नहीं तो क्या है !जिनसे कालाधन माँग माँग कर खुद को तो पवित्र पूँजीपति सिद्ध कर लिया जाए और उन्हें कालाधन वाला बताकर उनके विरुद्ध आंदोलन चलाया जाए ये "चोर मचावे शोर" नहीं तो और क्या है !वैसे भी जो एक गिलास गाय का दूध पीकर रह लेता होगा वह सरकारी नेताओं के यहाँ चमचागिरी करता क्यों घूमेंगा !दूसरी बात जो स्वदेशी सामानों का इतना ही बड़ा समर्थक होगा वो खुद विदेशी मशीनों से दवाइयाँ क्यों बनाएगा !तीसरी बात जिसे भारत पर इतना ही स्वाभिमान होगा वो  विदेशों में मारा  मारा  क्यों फिरेगा !चौही बात संन्यास लेने का मतलब सब कुछ छोड़ना होता है सबकुछ छोड़ने की घोषणा करने वाले पर लोग भरोसा करने लगते हैं और उसे बहुत कुछ दे देते हैं किंतु उसे वो यदि गृहस्थों की तरह भोगने लगता है जैसे कोई ब्रह्मचर्य की घोषणा करके लड़कियों के हॉस्टल में रहने लगे और अपनी घोषणा के विरुद्ध आचरण करने लगे इसे धोखाधड़ी नहीं तो क्या कहेंगे !ऐसे अविश्वसनीय लोगों की भारी भरकम संपत्तियों के स्रोतों पर संशय होना स्वाभाविक है आखिर उनकी पवित्रता की जाँच क्यों नहीं कराई जानी चाहिए !see more ....http://samayvigyan.blogspot.in/2016/11/blog-post_28.html
टैक्स लेती है सरकार !भ्रष्टाचार के लिए भी वही जिम्मेदार ! "जो सैलरी लें वही घूस माँगें" ये हिम्मत !  ये सरकारी लापरवाहियों के कारण ही तो हो पाता है तभी तो  सरकार और सरकारी कर्मचारियों ने फैला रखा है भ्रष्टाचार !इसमें आम जनता का क्या दोष !सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती  अस्पतालों में दवाई नहीं होती डाक खाने में सुनवाई नहीं होती टेलीफोन विभाग में समय से ध्यान नहीं दिया जाता तभी तो जनता प्राइवेट स्कूलों अस्पतालों कैरियरों और टेलीफ़ोन कंपनियों में चक्कर लगाया करती है सरकारी लोग भी सैलरी सरकारी और सेवाएँ प्राइवेट की ही लेना पसंद करे हैं क्यों ?सरकारी सेवाएँ विश्वास करने लायक हैं  ही नहीं फिर भी ग़रीबों ग्रामीणों मजदूरों को सरकारी सेवाएँ प्रदान करने के लिए फार्मिलिटी अदा करती जा रही है सरकार !इसे धोखा धड़ी नहीं तो क्या कहा जाए !सरकार को चाहिए कि नोटबंदी की तरह ही एक एक विभाग के कर्मचारियों को एक रात में सेवा मुक्त कर दे और दो दिन बाद  नवयुक्तियों के लिए खुली परीक्षा करा दे जिसमें शिक्षित हर कोई बैठ सकता हो और परीक्षाएँ जो पास कर ले सो सेवाएँ दे जो फेल हो सो घर बैठे !सोर्स और भ्रष्टाचार के बलपर हुई नियुक्तियों के गलत निर्णयों को सुधारा आखिर कैसे जाए ! सरकारी विभागों से जनता को निराश कर रखा है इस भरोसे को वापस लाने में दशकों लग जाएँगे !see more.... http://sahjchintan.blogspot.in/2016/12/blog-post_3.html

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